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कॉर्पोरेट टैक्स क्या है?

5 min readby Angel One
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कॉरपोरेट टैक्स कंपनियों के शुद्ध लाभ पर लगाया जाता है और यह भारत की प्रत्यक्ष कर प्रणाली का एक प्रमुख अवयव है। कर की दर 15% से 35% तक होती हैं जो कंपनी के प्रकार, इसके टर्नओवर और शुद्ध आय पर निर्भर करती हैं।

कॉरपोरेट टैक्स भारत की प्रत्यक्ष कर प्रणाली का एक महत्वपूर्ण घटक है और यह राष्ट्र के राजस्व का एक प्रमुख स्रोत है। यदि आप किसी व्यवसाय के मालिक हैं या भविष्य में कोई कंपनी प्रारंभ करने की योजना बना रहे हैं, तो उचित अनुपालन सुनिश्चित करने हेतु कॉर्पोरेट टैक्स और लागू कर दरों का अर्थ समझना जरूरी है। इस लेख में, हम इसकी संकल्पना, वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए दर, और व्यवसायों के लिए उपलब्ध मुख्य कटौतियों के बारे में विस्तार से जानकारी प्राप्त करेंगे।

कॉर्पोरेट टैक्स का अर्थ

कॉर्पोरेट टैक्स एक प्रत्यक्ष कर है जो भारत या विदेश में रजिस्टर्ड कंपनी के लाभ (निवल आय) पर लगाया जाता है। यह वेतन, किराया, कर्मचारी कल्याण लाभ, बेचे गए माल की लागत तथा अवमूल्यन सहित अनुमति योग्य सभी खर्चों को काटने के बाद कंपनी की आय पर लगाया जाता है।

1961 का आयकर अधिनियम कंपनियों को उनके निगमन के स्थान के आधार पर दो प्रकारों में वर्गीकृत करता है:

  • घरेलू कंपनी

घरेलू कंपनी 2013 के कंपनी अधिनियम के तहत भारत की भौगोलिक सीमाओं के भीतर पंजीकृत एक सार्वजनिक या निजी संस्था है। इस नियम में भारत के बाहर पंजीकृत कंपनियां भी शामिल होती हैं, किन्तु उनका स्वामित्व और नियंत्रण भारत में होना चाहिए।

  • विदेशी कंपनी

विदेशी कंपनी एक ऐसी संस्था है जो भारत की भौगोलिक सीमाओं के बाहर पंजीकृत होता है और इसका स्वामित्व और नियंत्रण भारत के बाहर होता है।

कंपनी की प्रकृति के आधार पर कॉर्पोरेट टैक्स की दर अलग-अलग होती है। उदाहरण के लिए, घरेलू कंपनियों के मामले में, कुल शुद्ध आय पर कर लगाया जाता है, चाहे वह भारत के अंदर उत्पन्न हो या बाहर। दूसरी ओर, विदेशी कंपनियों के मामले में, भारत में अर्जित या प्राप्त शुद्ध आय पर ही कर लगाया जाता है।

कंपनी के लिए आय किसे माना जाता है?

अब आप कॉर्पोरेट टैक्स का अर्थ जानते हैं, तो आइए देखते हैं कि टैक्स की गणना करने के उद्देश्य से कंपनी की आय क्या है।

  • बिजनेस संचालन से शुद्ध राजस्व
  • पूंजीगत परिसंपत्तियों की बिक्री से अल्पकालिक और दीर्घकालिक लाभ
  • जमीन, इमारतों और उपकरण जैसी चल और अचल प्रॉपर्टी किराए पर देने से प्राप्त आय
  • डिविडेंड आय और ब्याज आय जैसे निवेश कार्य से होने वाले आय
  • अन्य स्रोतों से आय, जैसे विदेशी मुद्रा लाभ या रॉयल्टी

वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए कॉर्पोरेट टैक्स दर 

भारत में कॉरपोरेट टैक्स की दर कंपनी के प्रकार, इसके कुल टर्नओवर और कुल कर योग्य आय के आधार पर अलग-अलग होती है। वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए वर्तमान कॉर्पोरेट कर दर प्रणाली का संक्षिप्त विवरण नीचे दिया गया है।

विवरण बेस कॉर्पोरेट टैक्स दर अधिभार
एक वित्तीय वर्ष में ₹400 करोड़ से कम की कुल प्राप्ति अथवा टर्नओवर वाली कंपनियां 25% 7% (₹1 से ₹10 करोड़ के बीच कुल आय वाली कंपनियों के लिए)

12% (₹10 करोड़ से अधिक की कुल आय वाली कंपनियों के लिए)

1 मार्च, 2016 को या उसके बाद पंजीकृत मैन्युफैक्चरिंग या प्रोडक्शन कंपनियां, जो किसी प्रकार की छूट, कटौती, डेप्रिसिएशन या नुकसान की भरपाई का दावा नहीं करती हैं

(आयकर अधिनियम, 1961 का सेक्शन 115बीए)

25% 7% (₹1 से ₹10 करोड़ के बीच कुल आय वाली कंपनियों के लिए)

12% (₹10 करोड़ से अधिक की कुल आय वाली कंपनियों के लिए)

कंपनियां किसी भी निर्दिष्ट प्रोत्साहन, छूट या कटौती का दावा नहीं करती हैं

(आयकर अधिनियम, 1961 का सेक्शन 115बीएए)

22% 10%
1 अक्टूबर, 2019 को या उसके बाद पंजीकृत मैन्युफैक्चरिंग या प्रोडक्शन कंपनियां, और किसी भी निर्दिष्ट छूट, कटौती, डेप्रिसिएशन अथवा नुकसान की भरपाई का दावा नहीं करती हैं 15% 10%
ऊपर उल्लिखित कंपनियों के अलावा अन्य सभी घरेलू कंपनियां 30% 12%
सभी विदेशी कंपनियां 35% 2% (₹1 से ₹10 करोड़ के बीच कुल आय वाली कंपनियों के लिए)

5% (₹10 करोड़ से अधिक की कुल आय वाली कंपनियों के लिए)

 

नोटः बेस कॉर्पोरेट टैक्स रेट और सरचार्ज के अलावा, कंपनियों को 4% का हेल्थ और एजुकेशन सेस देना होता है। अधिभार (यदि कोई हो) लागू करने के बाद अंतिम कर राशि पर 4% उपकर की गणना की जाती है।

बिजनेस के लिए उपलब्ध मुख्य कॉर्पोरेट टैक्स कटौतियां 

1961 का आयकर अधिनियम विभिन्न कटौतियों और छूटों का दावा करके कंपनियों को अपने कॉर्पोरेट टैक्स की देयता को कम करने की सुविधा प्रदान करता है। आइए, कंपनियों के लिए उपलब्ध कुछ सबसे महत्वपूर्ण तथा अक्सर उपयोग में लाई जाने वाली कटौतियों पर नजर डालें।

  • मूल्यह्रास

आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 32 के तहत कंपनियों को अपने दैनिक कारोबार संचालन के हिस्से के रूप में उपयोग की जाने वाली स्थायी परिसंपत्तियों पर मूल्यह्रास का दावा करने की अनुमति दी जाती है।

  • सेक्शन 80जेजेएए कटौती

आयकर अधिनियम का सेक्शन 80जेजेएए उन कंपनियों को, जो मूल्यांकन वर्ष 2024-2025 के दौरान नए कर्मचारियों की नियुक्ति करते हैं, अतिरिक्त कर्मचारी लागत के 30% कटौती का लाभ उठाने की सुविधा प्रदान करता है। इस कटौती का उपयोग उस वर्ष से लगातार तीन वर्षों तक किया जा सकता है जिसमें नए कर्मचारी नियुक्त किए गए थे। इसका मतलब यह है कि यह कटौती वर्ष 2024 - 2025, वर्ष 2025 - 2026 और वर्ष 2026 - 2027 के लिए उपलब्ध होगी।

  • दान

मान्यता प्राप्त चैरिटेबल संगठनों को दान करने वाली कंपनियां आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80जी के तहत दान की गई राशि के 50% से 100% तक का लाभ उठा सकती हैं।

निष्कर्ष 

कॉरपोरेट टैक्स कारोबारों का एक आवश्यक दायित्व है जो सीधे उनके वित्तीय स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकता है। यद्यपि, सरकार के दृष्टिकोण से यह कर राजस्व के सबसे बड़े स्रोतों में से एक है।

कर के वित्तीय बोझ को कम करने की इच्छा रखने वाली कंपनियों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वे उपलब्ध कटौतियों और छूटों का उपयोग करें। इस तरह, वे अपने व्यावसायिक कर देनदारियों को अधिक कुशलतापूर्वक प्रबंधित कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त, कंपनियों को नवीनतम नियमों के बारे में खुद को अपडेट रखने का प्रयास करना चाहिए ताकि कॉर्पोरेट टैक्स फाइलिंग की प्रक्रिया आसान और निर्बाध रहे।

FAQs

नहीं। कॉर्पोरेट टैक्स कंपनी द्वारा उत्पन्न आय पर लगाया जाने वाला एक प्रत्यक्ष कर है। परन्तु , माल और सेवा कर ( जीएसटी ), वस्तुओं और सेवाओं की आपूर्ति पर लगाया जाने वाला एक अप्रत्यक्ष कर है।
हां। यदि किसी कंपनी को किसी वित्तीय वर्ष में हानि होती है , तो वह इसे अगले वित्तीय वर्ष में कैरी - फॉरवर्ड करने का विकल्प चुन सकता है। कैरी - फॉरवर्ड हानि को आगामी वित्तीय वर्ष में अर्जित लाभ के विरुद्ध समायोजित किया जा सकता है , जिससे उस विशेष वर्ष के लिए समग्र कर देयता कम हो जाती है।
कंपनियों के लिए आयकर रिटर्न दाखिल करने की नियत तिथि हर साल 31 अक्टूबर है। यद्यपि , आयकर विभाग समय - समय पर कॉर्पोरेट टैक्स फाइलिंग की नियत तिथि को कुछ दिन आगे बढ़ाने का निर्णय ले सकता है।
आयकर अधिनियम , 1961 के सेक्शन 11 के तहत छूट का दावा न करने वाली कंपनियों को आयकर रिटर्न दाखिल करने के लिए आईटीआर -6 फॉर्म का उपयोग करना होता है। साथ ही , 1961 के आयकर अधिनियम के सेक्शन 139(4 एफ ), 139(4 ई ), 139(4 डी ), 139(4 सी ), 139(4 बी ) या 139(4 ए ) के तहत रिटर्न फाइल करने वाली कंपनियों को आईटीआर -7 फॉर्म का उपयोग करना होता है।
नहीं। ₹1 करोड़ से अधिक की कुल बिक्री , टर्नओवर या सकल प्राप्ति वाली कंपनियों के लिए टैक्स ऑडिट अनिवार्य है। यद्यपि , यदि सभी कारोबारी लेन - देन का कम - से - कम 95% औपचारिक बैंकिंग चैनलों ( नकदी के बजाय ) के माध्यम से किया जाता है , तो कर ऑडिट के लिए टर्नओवर की सीमा बढ़ाकर ₹10 करोड़ कर दी गई है।
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