आयकर अधिनियम का सेक्शन 32 व्यवसाय को एसेट पर मूल्यह्रास क्लेम करने तथा कर योग्य आय को कम करने की अनुमति प्रदान करता है। इसमें सामान्य और अतिरिक्त मूल्यह्रास शामिल है तथा इसके माध्यम से कर देयता कम हो जाती है।
टैक्सेशन एक जटिल विषय हो सकता है, परन्तु इसके प्रमुख प्रावधानों को समझ जाने पर निवेशकों तथा व्यवसाय मालिकों को समझ-बूझकर वित्तीय निर्णय लेने में मदद कर सकता है। भारत के कर कानूनों में ऐसा एक महत्वपूर्ण प्रावधान आयकर अधिनियम का सेक्शन 32 है। यह सेक्शन मूल्यह्रास तथा कर योग्य आय को कम करने के लिए व्यवसाय अपने एसेट पर कटौती का क्लेम कैसे कर सकते हैं – इसकी चर्चा करता है। आसान शब्दों में, यह व्यवसाय को समय के साथ अपनी एसेट के टूट-फूट का हिसाब लगाने की अनुमति देता है, जो अंततः इसके कर बोझ को कम करने में मदद करता है।
यदि आप बिज़नेस के मालिक अथवा निवेशक हैं, तो सेक्शन 32 की जानकारी प्राप्त कर लेने पर आपको कानून का अनुपालन सुनिश्चित करने के साथ-साथ कर बचत को अधिकतम बनाने में मदद मिल सकती है। इस लेख में, हम सेक्शन 32 क्या है, मूल्यह्रास कैसे काम करता है, और यह प्रावधान व्यवसाय के लिए क्यों लाभदायक है, इसके बारे में जानेंगे।
सेक्शन 32 के तहत मूल्यह्रास को समझना
सेक्शन 32 में प्रवेश करने से पहले, आइए समझते हैं कि मूल्यह्रास का क्या मतलब है। जब व्यवसाय मशीनरी, वाहन या इमारत जैसी एसेट खरीदते हैं, तो इन एसेट का उपयोग होने तथा पुराने होते जाने के कारण समय के साथ मूल्य कम हो जाता है। खरीद के वर्ष में एसेट की पूरी लागत को घटाने के बजाय, व्यवसाय इस लागत को कई वर्षों में फैला सकते हैं। इस प्रक्रिया को मूल्यह्रास कहा जाता है, और यह धीरे-धीरे कर योग्य आय को कम करने में मदद करता है।
सेक्शन 32 यह स्पष्ट दिशानिर्देश प्रदान करता है कि व्यवसाय अपनी एसेट पर मूल्यह्रास का क्लेम कैसे कर सकते हैं, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि उन्हें अपने उपकरण और बुनियादी ढांचे के प्राकृतिक टूट-फूट के लिए कर लाभ मिलते हैं।
सेक्शन 32 के तहत मूल्यह्रास के प्रकार
सेक्शन 32 के तहत, मूल्यह्रास को दो प्रकार में वर्गीकृत किया जाता है:
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सामान्यमूल्यह्रास
हर व्यवसाय सेक्शन 32(1) (ii) के तहत अपनी एसेट पर मूल्यह्रास का क्लेम कर सकता है। मूल्यह्रास की दरें आयकर अधिनियम के तहत निर्धारित की जाती हैं, और वे विभिन्न प्रकार की एसेट के लिए अलग-अलग होती हैं। मूल्यह्रास दर किसी एसेट के अपेक्षित जीवनकाल और इसकी कीमत कितनी तेज़ी से कम होती है, इसके आधार पर निर्धारित की जाती है।
उदाहरण के लिए:
- भवन: 10% से40%
- प्लांटऔर मशीनरी: 15%
- कंप्यूटर: 40%
- वाहन: 15%
ये मूल्यह्रास दरें व्यवसाय को एसेट के उपयोग का हिसाब रखने और उसके अनुसार अपनी कर योग्य आय को कम करने में मदद करती हैं।
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अतिरिक्तमूल्यह्रास
कुछ मामलों में, व्यवसाय सेक्शन 32(1)(iia) के तहत अतिरिक्त मूल्यह्रास का क्लेम कर सकते हैं। यह तब लागू होता है जब:
- कोईव्यवसाय नई मशीनरी या प्लांट खरीदता है (सेकेंड-हैंड उपकरण और कुछ प्रतिबंधित सामान को छोड़कर)
- एसेटका उपयोग विनिर्माण या उत्पादन व्यवसाय में किया जाता है
- एसेट31 मार्च 2005 के बाद अधिष्ठापित किया जाता है
अतिरिक्त मूल्यह्रास दर नई एसेट की लागत का 20% है। यह व्यवसाय को अपनी कर योग्य आय को और कम करने तथा नई टेक्नोलॉजी में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित करने में मदद करता है।
सेक्शन 32 के तहत मूल्यह्रास का क्लेम कौन कर सकता है?
सेक्शन 32 के तहत निम्नांकित के लिए मूल्यह्रास उपलब्ध है:
आयकर अधिनियम के सेक्शन 32 के तहत मूल्यह्रास, आय उत्पादित करने वाली गतिविधियों के लिए एसेट का उपयोग करने वाले व्यवसाय और प्रोफेशनल के लिए उपलब्ध एक मूल्यवान कर लाभ है। यह उन्हें समय के साथ एसेट की कीमत में धीरे-धीरे नुकसान की कटौती करने की अनुमति देता है, जिससे उनकी कर योग्य आय कम हो जाती है। इस सेक्शन के तहत मूल्यह्रास का क्लेम करने वाले करदाता की श्रेणी नीचे दी गई है:
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व्यवसाय
किसी भी कानूनी संरचना में काम करने वाले व्यवसाय सेक्शन 32 के तहत मूल्यह्रास का क्लेम कर सकते हैं, बशर्ते कि इस एसेट का उपयोग व्यावसायिक उद्देश्य से किया जाए। इसमें शामिल है:
- सोलप्रोप्राइटरशिप – व्यवसाय संचालन के लिए मशीनरी, वाहन या ऑफिस इक्विपमेंट जैसे एसेट का उपयोग करने वाले व्यक्तिगत व्यवसाय मालिक मूल्यह्रास का क्लेम कर सकते हैं।
- पार्टनरशिपफर्म – ट्रेड, कॉमर्स या विनिर्माण में शामिल पार्टनरशिप फर्म व्यवसाय संचालन में उपयोग की जाने वाली एसेट पर मूल्यह्रास का क्लेम कर सकती है।
- लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप एलएलपी (LLP) – लिमिटेड लायबिलिटी पार्टनरशिप एलएलपी (LLP), जिनमें पार्टनरशिप और कंपनी दोनों की विशेषताएं होती हैं, व्यवसाय गतिविधियों के लिए उपयोग की जाने वाली एसेट पर मूल्यह्रास का क्लेम करने के पात्र होते हैं।
- प्राइवेटऔर पब्लिक लिमिटेड कंपनियां – रजिस्टर्ड कंपनियां, चाहे वे छोटे उद्यम हों या बड़े कॉर्पोरेशन, अपने व्यवसाय संचालन में उपयोग किए जाने वाले मूर्त और अमूर्त एसेट पर मूल्यह्रास का क्लेम कर सकती हैं।
उदाहरण: ₹10 लाख की नई मशीनरी खरीदने वाली एक विनिर्माण कंपनी इस पर मूल्यह्रास का क्लेम कर सकती है, जिससे समय के साथ इनकी कर योग्य आय कम हो जाती है।
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डेप्रिसिएबलएसेटका उपयोग करने वाले प्रोफेशनल
स्वनियोजित प्रोफेशनल और फ्रीलांसर, जो अपने प्रैक्टिस के लिए एसेट खरीदते हैं और उसका उपयोग करते हैं, वे सेक्शन 32 के तहत मूल्यह्रास का क्लेम कर सकते हैं। इसमें निम्नांकित शामिल है:
- डॉक्टर– मेडिकल प्रैक्टिशनर, जो अपने क्लीनिक या हॉस्पिटल में इस्तेमाल किए जाने वाले डायग्नोस्टिक उपकरण, सर्जिकल टूल या मेडिकल डिवाइस खरीदते हैं।
- चार्टर्डअकाउंटेंट सीए (CA) और कंपनी सेक्रेटरी सीएस (CS) – वे प्रोफेशनल जो अपनी कंसल्टिंग फर्म में कंप्यूटर, ऑफिस फर्नीचर और अन्य व्यवसाय एसेट का उपयोग करते हैं।
- वकील और अधिवक्ता– कानूनी प्रोफेशनल जिनके पास अपने पेशे के लिए आवश्यक ऑफिस परिसर, लॉ बुक या तकनीकी उपकरण हैं।
- आर्किटेक्टऔर इंजीनियर – ये प्रोफेशनल डिज़ाइन सॉफ्टवेयर, उच्च-स्तरीय कंप्यूटर और टेक्निकल टूल में निवेश करते हैं, जो मूल्यह्रास कटौती के लिए पात्र होते हैं।
उदाहरण: अपने क्लीनिक के लिए डेंटल चेयर और एक्स-रे मशीन खरीदने वाले डेंटिस्ट इन एसेट पर मूल्यह्रास का क्लेम कर सकते हैं, जिससे उनकी कर योग्य आय कम हो जाती है।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि व्यक्तिगत उपयोग के लिए एसेट खरीदने वाले व्यक्ति सेक्शन 32 के तहत मूल्यह्रास का क्लेम नहीं कर सकते हैं। इनकम जनरेट करने के लिए एसेट का उपयोग किया जाना चाहिए।
मूल्यह्रास क्लेम करने की शर्तें
सेक्शन 32 के तहत मूल्यह्रास क्लेम करने के लिए, व्यवसाय को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करना होता है:
- एसेटका स्वामित्व व्यवसाय के पास होना चाहिए।
- एसेटका उपयोग वित्तीय वर्ष के दौरान व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए किया जाना चाहिए।
- मूल्यह्रासकी गणना लिखित मूल्य विधि के आधार पर की जाती है, जब तक कि कंपनी कुछ मामलों में सीधी लाइन विधि का विकल्प नहीं चुनती है।
- मूल्यह्रासका क्लेम हर साल किया जाना चाहिए; यदि किसी वित्तीय वर्ष में चूक जाता है, तो इसे आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है।
व्यवसाय के लिए सेक्शन 32 के लाभ
- करदेयता को कम करता है: कर योग्य आय से मूल्यह्रास को काटकर, व्यवसाय अपने कर भुगतान को कम कर सकते हैं।
- एसेटमें निवेश को प्रोत्साहित करता है: अतिरिक्त मूल्यह्रास लाभ के कारण व्यवसाय को नई मशीनरी और उपकरणों में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
- आर्थिक विकास को सपोर्ट करता है: नई एसेट खरीदने के लिए प्रोत्साहन प्रदान करने से उत्पादन में वृद्धि होती है और रोजगार सृजन होता है।
- अंतर्राष्ट्रीय करमानकों के अनुसार: मूल्यह्रास कर बचत हेतु एक सामान्य तंत्र है जिसका उपयोग वैश्विक स्तर पर किया जाता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि भारत की कर प्रणाली प्रतिस्पर्धी बनी रहे।
हालिया अपडेट और संशोधन
हाल के वर्षों में, सरकार ने आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सेक्शन 32 में बदलाव किए हैं। कुछ प्रमुख अपडेट निम्नवत हैं:
- कुछएसेट के लिए मूल्यह्रास दरों में कमी
- कुछक्षेत्रों के लिए अतिरिक्त मूल्यह्रास का अस्थायी तौर पर निलंबन
- एमएसएमई(MSME) के लिए लाभों का विस्तार, ताकि छोटे व्यवसायों को एसेट में निवेश करने के लिए प्रोत्साहित किया जा सके
आपको सलाह दी जाती है कि आप नए आयकर नियमों को देखें या अपने व्यवसाय पर लागू सबसे हालिया बदलावों को समझने के लिए कर विशेषज्ञ से परामर्श करें।
निष्कर्ष
आयकर अधिनियम के सेक्शन 32 को समझना उन व्यवसायों के लिए आवश्यक है, जो अपने कर बचत को अधिकतम करना चाहते हैं। पात्र एसेट पर मूल्यह्रास का क्लेम करके, व्यवसाय अपनी कर योग्य आय को कम कर सकते हैं तथा वृद्धि हेतु अपने बचत का पुनः निवेश कर सकते हैं। चाहे आप छोटे व्यवसाय के मालिक हों या आपके पास बड़े कॉर्पोरेशन हों, यदि आप सेक्शन 32 का प्रभावी रूप से उपयोग करते हैं तो आपकी वित्तीय योजना में महत्वपूर्ण अंतर हो सकता है।
हालिया अपडेट और विशेषज्ञ की सलाह के लिए, कर व्यवसाय से परामर्श करना हमेशा एक अच्छा विचार होता है। यह सुनिश्चित करता है कि आपका व्यवसाय सेक्शन 32 के तहत उपलब्ध कटौतियों को अधिकतम करते समय कर कानूनों का पालन करता रहे।
FAQs
क्या सभी परिसम्पतियों पर मूल्यह्रास का क्लेम किया जा सकता है?
नहीं, मूल्यह्रास केवल व्यवसाय के उद्देश्यों से इस्तेमाल की जाने वाली मूर्त एसेट (जैसे मशीनरी, भवन और वाहनों) और कुछ अमूर्त एसेट (जैसे पेटेंट और ट्रेडमार्क) पर क्लेम किया जा सकता है।
क्या सेक्शन 32 के तहत वेतनभोगी व्यक्ति मूल्यह्रास क्लेम कर सकता है?
नहीं, आय उत्पन्न करने वाली गतिविधियों के लिए एसेट का उपयोग करने वाले केवल व्यवसाय और प्रोफेशनल मूल्यह्रास का क्लेम कर सकते हैं।
अगर एक वर्ष में मूल्यह्रास का क्लेम नहीं किया जाता है, तो क्या होगा?
मूल्यह्रास का क्लेम हर साल किया जाना चाहिए। अगर छूटा है, तो इसे भविष्य के वर्षों में कैरी फॉरवर्ड या एडजस्ट नहीं किया जा सकता है।
सामान्य और अतिरिक्त मूल्यह्रास के बीच क्या अंतर है?
निर्धारित दरों के आधार पर सभी व्यवसायों के लिए सामान्य मूल्यह्रास उपलब्ध है। अतिरिक्त मूल्यह्रास केवल निर्माण में उपयोग की जाने वाली नई मशीनरी को दिया जाता है, जिसमें 20% की अतिरिक्त कटौती होती है।