भारत में अनलिस्टेड शेयर का कराधान

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by Angel One
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यह गाइड भारत में अनलिस्टेड शेयरों पर लगने वाले कर के बारे में बताती है, जिसमें पूंजीगत लाभ कर, आईटीआर (ITR) फाइलिंग आवश्यकताएं और दीर्घकालिक तथा अल्पकालिक पूंजीगत लाभ की मूल बातें शामिल हैं।

हाल के वर्षों में, विशेष तौर पर भारत के बढ़ते स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र और उभरते क्षेत्रों में अवसरों के साथ, अनलिस्टेड शेयरों में निवेश पर काफी ध्यान दिया गया है। यदि अनलिस्टेड शेयर निवेश हेतु एक आकर्षक विकल्प हो सकते हैं, तो इन निवेशों पर लगने वाले कर के बारे में जानना निवेशकों के लिए आवश्यक है।

किसी अन्य निवेश की तरह, अनलिस्टेड शेयरों की खरीद, होल्डिंग और बिक्री पर लगने वाले कर से रिटर्न पर काफी असर पड़ता है। यह गाइड इन निवेशों की जटिलताओं को दूर करने में निवेशकों की मदद करने के लिए अनलिस्टेड शेयरों पर कर लगाने, पूंजीगत लाभ, कर गणना, रिपोर्टिंग आवश्यकताओं और अन्य के बारे में जानकारी प्रदान करने हेतु मुख्य पहलुओं की खोज करती है।

अनलिस्टेड शेयर क्या हैं?

अनलिस्टेड शेयर उन कंपनियों के शेयर हैं जो मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज जैसे नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) या बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) में सूचीबद्ध नहीं हैं। ये शेयर आमतौर पर निवेशकों के एक चुनिंदा समूह द्वारा लिए जाते हैं, जिसमें संस्थापकों, निजी इक्विटी फर्मों और वेंचर कैपिटलिस्ट शामिल होते हैं।

ये अक्सर ऐसी कंपनियों का हिस्सा होते हैं जो या तो विकास के प्रारंभिक चरणों में होते हैं, निजी कंपनियां होती हैं, या सार्वजनिक होने की तैयारी कर रही होती हैं। उनकी तरल प्रकृति के कारण, अनलिस्टेड शेयरों का सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध कंपनियों के रूप में सरलता से ट्रेड नहीं किया जा सकता है, किन्तु उनमें वृद्धि की काफी क्षमता होती है।

भारत में अनलिस्टेड शेयरों के कराधान में हुए मुख्य बदलाव (पुरानी बनाम नई व्यवस्था)

पुरानी और नई कर व्यवस्थाओं के बीच कर में हुए बदलाव को समझना उन निवेशकों के लिए आवश्यक है जो अपने रिटर्न को बेहतर बनाना चाहते हैं। अनलिस्टेड शेयरों का टैक्स ट्रीटमेंट कैसे विकसित हुआ है, इसकी तुलना निम्नवत है:

पहलू पुरानी कर व्यवस्था नई कर व्यवस्था
लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स इंडेक्सेशन एडवांटेज के साथ 20% इंडेक्सेशन के बिना 12.5%
शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स आयकर स्लैब दरों के अनुसार टैक्स लगाया जाता है आयकर स्लैब दरों के अनुसार टैक्स लगाया जाता है

 

अनलिस्टेड शेयरों में निवेश करने के लाभ

  • शुरुआती निवेश अवसरः निवेशक सार्वजनिक रूप से व्यापार करने से पहले उच्च विकास क्षमता वाली कंपनियों तक पहुंच प्राप्त कर सकते हैं। यदि कंपनी अच्छा प्रदर्शन करती है, तो इस प्रारंभिक अभिगम से अत्यधिक रिटर्न प्राप्त हो सकता है।
  • विविधिकरण: अनलिस्टेड शेयर एक वैकल्पिक एसेट क्लास प्रदान करते हैं, जिससे निवेशक अपने पोर्टफोलियो को डाइवर्सिफाई कर पाते हैं। विविधीकरण से शेयर बाजार से कम सहसंबंधित निवेशों को जोड़कर समग्र जोखिम को कम किया जा सकता है। 
  • उच्च रिटर्न की क्षमताः कई अनलिस्टेड कंपनियों की अपेक्षाकृत तरल प्रकृति और शुरूआती स्तर के अवसरों के कारण, निवेशकों को अधिक रिटर्न प्राप्त हो सकता है क्योंकि कंपनियों का विकास होता है और अंततः वे सार्वजनिक एक्सचेंजों पर सूचीबद्ध हो जाती हैं।

भारत में अनलिस्टेड शेयरों में निवेश कैसे करें

भारत में अनलिस्टेड कंपनियों में निवेश करने से आकर्षक अवसर प्राप्त होते हैं, किन्तु इस पर सावधानी से विचार करने की आवश्यकता होती है। इन शेयरों में निवेश करने के कई तरीके हैं:

  • प्रीआईपीओ निवेशः आप प्रीआईपीओ कंपनियों में निवेश कर सकते हैं, जो अनलिस्टेड हैं लेकिन भविष्य में सार्वजनिक होने की योजना बना रहे हैं। इन कंपनियों के शेयरों को सीधे आपके डीमैट खाते में ट्रांसफर किया जा सकता है, और जब ट्रेड ऑफरिकॉर्ड होता है, तो एक विश्वसनीय मध्यस्थ के साथ काम करने से इसमें जोखिम कम होते हैं तथा यह सुचारू लेनदेन सुनिश्चित करता है।
  • स्टार्टअप: कई स्टार्टअप, जो अभी उतने प्रसिद्ध नहीं हुए हैं, उनमें उच्च विकास क्षमता होती है। ये कंपनियां जैसेजैसे विकास करती हैं उतना ही अधिक रिटर्न प्रदान कर सकती हैं।
  • कर्मचारियों से ईएसओपीः कुछ कंपनियों के कर्मचारी एक निश्चित लॉकइन अवधि के बाद पूर्वनिर्धारित मूल्य पर अपने शेयरों को बेच देते हैं। ब्रोकर इन कर्मचारियों से जुड़ने में आपकी मदद कर सकते हैं, जिससे आप शीर्ष अनलिस्टेड कंपनियों का शेयर खरीद सकते हैं।
  • निजी प्लेसमेंटः एक बड़ी राशि का निवेश करने के लिए, आप निजी प्लेसमेंट लेनदेन के माध्यम से कंपनी के प्रमोटरों से सीधे शेयर खरीदने के लिए निवेश बैंकों या दलालों की सहायता ले सकते हैं।
  • पीएमएस (PMS) और एआईएफ (AIF) योजनाएं: पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सिस्टम (पीएमएस) या वैकल्पिक निवेश फंड (एआईएफ) के माध्यम से आप डाइवर्सिफाइड निवेश रणनीति के तहत अनलिस्टेड शेयरों में निवेश करके जोखिम को कम तथा रिटर्न को अधिकतम कर सकते हैं।

 

भारत में अनलिस्टेड शेयरों पर कराधान

निवेशकों को टैक्स कानूनों का पालन करने और अपने निवेश पर मिलने वाले रिटर्न को ऑप्टिमाइज़ करने के लिए अनलिस्टेड शेयरों पर टैक्सेशन पॉलिसी को समझना चाहिए:

  • कैपिटल गेन टैक्स: अनलिस्टेड शेयरों पर पूंजीगत लाभ को होल्डिंग अवधि के आधार पर दीर्घकालिक और अल्पकालिक में वर्गीकृत किया जाता है। यदि शेयरों को 24 महीनों से अधिक समय तक होल्ड किया जाता है, तो लाभ को दीर्घकालिक माना जाता है। इसके विपरीत, यदि 24 महीने से कम अवधि के लिए होल्ड किया जाता है, तो लाभ को अल्पकालिक के रूप में वर्गीकृत किया जाता है।
    • दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ पर इंडेक्सेशन के बिना 12.5% पर कर लगाया जाता है।
    • अल्पकालिक पूंजीगत लाभ पर लागू आयकर स्लैब के अनुसार कर लगाया जाता है।
  • गिफ्ट टैक्स: यद्यपि रिश्तेदारों को दिए गए गिफ्ट को टैक्स से छूट दी जाती है, वहीं गिफ्ट किए गए अनलिस्टेड शेयरों की बिक्री पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है। पूंजीगत लाभ की गणना के लिए उपयोग में लाई जाने वाली लागत मूल मालिक की लागत होगी, कि वह लागत जिस पर प्राप्तकर्ता ने शेयर खरीदे हैं।
  • रिपोर्टिंग की आवश्यकताएं: निवेशकों को अपने आयकर रिटर्न (आईटीआर) में अनलिस्टेड शेयरों की घोषणा करनी होती है। यह कर अनुपालन सुनिश्चित करता है और जुर्माने से बचाता है। पूंजीगत लाभ का विवरण, चाहे अल्पकालिक हो या दीर्घकालिक, आईटीआर (ITR) के उपयुक्त सेक्शन में दिया जाना चाहिए।

अनलिस्टेड मार्केट में पूंजीगत लाभ की गणना

अनलिस्टेड शेयरों के लिए कैपिटल गेन की गणना सूचीबद्ध शेयरों के समान सिद्धांत पर की जाती है। कैपिटल गेन की गणना करने के लिए:

कैपिटल गेन = विक्रय मूल्यक्रय मूल्य

शुद्ध पूंजीगत लाभ प्राप्त करने के लिए ब्रोकरेज शुल्क जैसे अन्य खर्चों की भी कटौती की जा सकती है।

आईटीआर (ITR) में अनलिस्टेड शेयर कैसे घोषित करें

जुर्माने से बचने और कर कानूनों का पालन करने के लिए आईटीआर (ITR) में अनलिस्टेड शेयरों से होने वाले पूंजीगत लाभ की घोषणा करना आवश्यक होता है। निवेशकों को इस तरह के लाभ की घोषणा करने के लिए आईटीआर-2 या आईटीआर-3 फॉर्म का उपयोग करना चाहिए।

  • दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ की सूचना संबंधित अनुसूची के पॉइंट बी9 के तहत दी जानी चाहिए।
  • अल्पकालिक पूंजीगत लाभ की सूचना अनुसूची सीजी के पॉइंट 5 के तहत दी जानी चाहिए।

आईटीआर (ITR) फाइल करने से पहले ध्यान देने लायक महत्वपूर्ण बातें

  • प्रतिभूति होल्डिंग्स की घोषणाः आपको वित्तीय वर्ष की शुरुआत में प्रतिभूतियों का प्रारंभिक शेष, वर्ष के दौरान खरीद और बिक्री, और वर्ष के अंत में अंतिम शेष का खुलासा करना होगा।
  • पूंजीगत हानि की भरपाई के लिए नियम: अनलिस्टेड शेयरों से हुए पूंजीगत नुकसान की भरपाई केवल अन्य पूंजीगत लाभ से की जा सकता है, वेतन या व्यवसाय आय से होने वाली आय से नहीं।
  • पूंजीगत नुकसान का इलाजः दीर्घकालिक पूंजीगत नुकसान की भरपाई केवल दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ से की जा सकती है जबकि अल्पकालिक पूंजीगत नुकसान की भरपाई अल्पकालिक और दीर्घकालिक दोनों प्रकार के लाभों से की जा सकती है।

निष्कर्ष

यद्यपि अनलिस्टेड शेयरों की ट्रेडिंग उतनी आसानी से नहीं की जा सकती जितनी सूचीबद्ध स्टॉक की की जाती है, लेकिन वे पोर्टफोलियो को विविधता प्रदान करने और उच्चवृद्धि वाली कंपनियों में निवेश करने के लिए एक मूल्यवान अवसर प्रदान करते हैं। वैसे निवेशक जो अनलिस्टेड शेयरों पर कराधान के बारे में जानते हैं और अपने निवेश की घोषणा करने के लिए आवश्यक कदम उठाते हैं, वे अपनी कर देयताओं को कम और संभावित रिटर्न को अधिकतम कर सकते हैं।

FAQs

अनलिस्टेड शेयर क्या हैं, और वे लिस्टेड शेयरों से कैसे अलग हैं?

अनलिस्टेड शेयर उन कंपनियों से संबंधित हैं जो एनएसई या बीएसई जैसे स्टॉक एक्सचेंजों में सूचीबद्ध नहीं हैं, जिसका मतलब है कि उनकी सार्वजनिक रूप से ट्रेडिंग नहीं की जा सकती है। ये शेयर आमतौर पर निजी निवेशकों, संस्थापकों या वेंचर कैपिटलिस्ट के पास होते हैं और अक्सर उनमें विकास की उच्च क्षमता होती है लेकिन लिस्टेड शेयरों की तुलना में उनकी तरलता कम होती है।

भारत में अनलिस्टेड शेयरों से होने वाले कैपिटल गेन पर टैक्स कैसे लगाया जाता है?

सूचीबद्ध शेयरों पर पूंजीगत लाभ को अल्पकालिक और दीर्घकालिक लाभ में विभाजित किया जाता है। 24 महीनों से अधिक समय के लिए होल्ड किए गए शेयरों पर होने वाले लाभ दीर्घकालिक होते हैं और इंडेक्सेशन के बिना 12.5% की दर पर कर लगाया जाता है। 24 महीनों से कम समय के लिए होल्ड किए गए शेयरों से होने वाले अल्पकालिक लाभ पर निवेशक के आयकर स्लैब दर के अनुसार कर लगाया जाता है।

निवेशकों को निवेश विकल्प के रूप में अनलिस्टेड शेयरों पर क्यों विचार करना चाहिए?

अनलिस्टेड शेयर निवेशकों को मजबूत विकास क्षमता वाली शुरुआती चरण की कंपनियों में निवेश करने की सुविधा उपलब्ध कराती हैं। वे डाइवर्सिफिकेशन के अवसर प्रदान करते हैं और यदि कंपनियां अच्छी तरह से काम करती हैं या सार्वजनिक होती हैं, तो अत्यधिक रिटर्न प्रदान कर सकती हैं किन्तु उनमें उच्च जोखिम और सीमित ट्रेडिंग का विकल्प होता है।

टैक्स फाइलिंग में अनलिस्टेड शेयरों से हुए कैपिटल गेन को कैसे रिपोर्ट किया जाता है?

निवेशकों को आईटीआर-2 या आईटीआर-3 फॉर्म का उपयोग करके अनलिस्टेड शेयरों से पूंजीगत लाभ की रिपोर्ट करनी होती है। दीर्घकालिक लाभ पॉइंट B9 के तहत घोषित किए जाते हैं, जबकि अल्पकालिक लाभ शिड्यूल CG के पॉइंट A5 के तहत रिपोर्ट किए जाते हैं, जिससे टैक्स नियमों का अनुपालन सुनिश्चित होता है।

क्या अनलिस्टेड शेयर गिफ्ट करने पर कोई टैक्स लगता है?

जब रिश्तेदारों को अनलिस्टेड शेयरों का उपहार देते हैं, तो कोई उपहार कर लागू नहीं होता है। यद्यपि, यदि प्राप्तकर्ता उन शेयरों को बेचता है, तो उसपर पूंजीगत लाभ कर लागू होता है, और अधिग्रहण की लागत को शेयरों का मूल क्रय मूल्य माना है।