आयकर अधिनियम की धारा 115बीएसी भारत की प्रत्यक्ष कर प्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव का प्रतिनिधित्व करता है, जिसमें कर की कम दर होती है, किन्तु इसमें छूट और कटौतियां भी कम हो जाती हैं।
1961 का आयकर अधिनियम वह कानून है जो भारत की प्रत्यक्ष कर प्रणाली को निर्देशित करता है। पिछले वर्षों में कर अनुपालन को सरल बनाने और विभिन्न प्रकार से प्राप्त आय को प्रत्यक्ष कर के दायरे में लाने के लिए अधिनियम को कई बार संशोधित और अपडेट किया गया है। अधिनियम के कुछ प्रमुख परिवर्तनों में से एक धारा 115बीएसी का डाला जाना है, जो एक सरल कर व्यवस्था है।
इस विस्तृत निर्देशिका में, हम आयकर अधिनियम के सेक्शन 115बीएसी, इस विकल्प का चयन कौन कर सकता है, इस नई व्यवस्था के तहत टैक्स दरें और क्लेम की जा सकने वाली विभिन्न कटौतियों पर ध्यान केंद्रित करेंगे।
आयकर अधिनियम की धारा 115बीएसी क्या है?
केंद्रीय बजट 2020 में प्रस्तुत आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 115बीएसी एक नई कर व्यवस्था है। जिन करदाताओं ने इस व्यवस्था का विकल्प चुना है, उनके लिए पूर्व की विशिष्ट छूटों और कटौतियों के स्थान पर कर की रियायती दर का प्रावधान किया गया है।
जब इसे प्रस्तुत किया गया था तब सेक्शन 115बीएसी एक वैकल्पिक कर व्यवस्था थी जिसका चयन करदाता मैनुअल रूप से कर सकते थे। यद्यपि, वित्तीय वर्ष 2023-24 से, यह सभी करदाताओं के लिए डिफॉल्ट टैक्स व्यवस्था बन गई है। करदाता को यदि लगता है कि यह उनके लिए अधिक फायदेमंद है तो अभी भी वे नई व्यवस्था को छोड़कर पुरानी व्यवस्था को चुन सकते हैं।
आयकर अधिनियम के सेक्शन 115बीएसी का विकल्प कौन चुन सकता है?
आयकर अधिनियम के सेक्शन 115बीएसी में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि करदाताओं की निम्न श्रेणियां नई टैक्स व्यवस्था का विकल्प चुनने की पात्र हैं।
- निवासी व्यक्तिगत करदाता
- अनिवासी व्यक्तिगत करदाता
- हिंदू अविभाजित परिवार (HUF)
- एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स (एओपी)
- व्यक्तियों का निकाय (BOIs)
- कृत्रिम न्यायिक व्यक्ति (AJPs)
कंपनियों और सहकारी समितियों जैसे करदाताओं की अन्य सभी श्रेणियां धारा 115बीएसी का विकल्प नहीं चुन सकती हैं।
आयकर अधिनियम के सेक्शन 115बीएसी के तहत टैक्स दरें
जैसा कि आपने पूर्व में ही देखा है, 115बीएसी नई कर व्यवस्था पात्र निर्धारिती को कम दर पर कर का भुगतान करने योग्य बनाती है। वित्तीय वर्ष 2024-2025 के लिए धारा 115बीएसी के तहत आय स्लैब और उनकी संबंधित कर दरों का संक्षिप्त विवरण निम्नवत है।
आय स्लैब | आयकर की दर |
₹3,00,000 तक | शून्य |
₹ 3,00,001 से ₹ ₹7,00,000 | 5% |
₹7,00,001 से ₹10,00,000 | 10% |
₹10,00,001 से ₹12,00,000 | 15% |
₹12,00,001 से ₹15,00,000 | 20% |
₹15,00,001 और उससे अधिक | 30% |
आयकर अधिनियम की धारा 115बीएसी के तहत आयकर की दर पुरानी व्यवस्था की तुलना में मध्यम आय वर्ग के व्यक्तियों के लिए अधिक अनुकूल है। यद्यपि, यह उल्लेखनीय है कि इस व्यवस्था का विकल्प चुनने वाले करदाताओं को बहुत सीमित कटौती और छूट मिलती है।
इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 115बीएसी के तहत छूट और कटौतियां उपलब्ध नहीं हैं
नई कर व्यवस्था करदाताओं को अपनी कुल कर देयता को कम करने के लिए कुछ छूट और कटौतियों का दावा करने पर रोक लगाती है जिसकी सूची निम्नलिखित है।
- हाउस रेंट अलाउंस (एचआरए) और लीव ट्रैवल अलाउंस (एलटीए)
- प्रोफेशनल टैक्स
- भत्तों की निम्नलिखित सूची:
- संसद सदस्य (सांसद) या विधान सभा (विधायक) के सदस्य को भत्ता
- मनोरंजन भत्ता
- माइनर चाइल्ड इनकम अलाउंस
- बच्चों के लिए शिक्षा भत्ता
- सहायक भत्ता
- खाद्य भत्ता
- धारा 10(14) के तहत अन्य विशेष भत्ते
- कोई अन्य अनुलाभ या भत्ते
- धारा 10 (खंड 5, 13ए, 14, 17, 32 सहित), 10एए, और 16 के तहत कटौती
- सेक्शन 24 के तहत स्व-अधिकृत प्रॉपर्टी पर हाउसिंग लोन पर ब्याज
- सेक्शन 32(1)(iia) के तहत अतिरिक्त डेप्रिसिएशन
- सेक्शन 32(1), 32एडी, 33एबी, 33एबीए के तहत कटौती
- सेक्शन 35, 35एडी, और 35सीसीसी के तहत कटौती
- आयकर अधिनियम के अध्याय VI A के तहत कटौती (अन्य के साथ-साथ धारा 80सी, 80डी, 80ई, और 80यू)
- सेक्शन 80ईईबी के तहत इलेक्ट्रिक वाहन लोन पर ब्याज
- नेशनल पेंशन सिस्टम (NPS) अकाउंट में योगदान
- सेक्शन 80टीटीए और 80टीटीबी के तहत बैंक से प्राप्त ब्याज आय पर कटौती
- धारा 80जी के तहत राजनीतिक दल या ट्रस्ट को किए गए दान
आयकर अधिनियम के सेक्शन 115बीएसी के तहत अनुमत छूट और कटौती
यद्यपि आयकर अधिनियम की धारा 115बीएसी अनेक लोकप्रिय कटौतियों को प्रतिबंधित करती है, परन्तु कुछ छूट और कटौतियां अभी भी उपलब्ध हैं। करदाता द्वारा अपनी देयता को कम करने के लिए क्या दावा किया जा सकता है, इसका एक त्वरित अवलोकन निम्नलिखित है।
- भत्तों की निम्नलिखित सूची:
- दिव्यांग व्यक्ति द्वारा परिवहन भत्ता
- वाहन भत्ता
- टूर या ट्रांसफर के दौरान यात्रा की लागत को पूरा करने के लिए क्षतिपूर्ति
- नियमित ड्यूटी के स्थान से अनुपस्थित रहते हुए किए गए खर्चों को पूरा करने के लिए दैनिक भत्ता
- कार्यालयीय उद्देश्य से दिए गए अनुलाभ
- धारा 10(10सी) के तहत स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति पर छूट
- धारा 10(10) के तहत ग्रेच्युटी पर छूट
- सेक्शन 10(10एए) के तहत लीव एनकैशमेंट
- सेक्शन 24 के तहत लेट-आउट प्रॉपर्टी के हाउसिंग लोन पर ब्याज
- ₹50,000 तक के गिफ्ट
- ₹75,000 तक की मानक कटौती (वित्तीय वर्ष 2024 - 2025 के लिए)
- धारा 80सीसीडी(2) के तहत एनपीएस (NPS) खाते में नियोक्ता के योगदान पर कटौती
- सेक्शन 80जेजेए के तहत अतिरिक्त कर्मचारी लागत पर कटौती
- सेक्शन 57(iiए) के तहत फैमिली पेंशन के ₹25,000 या एक-तिहाई तक की कटौती
- धारा 80सीसीएच(2) के तहत अग्निवीर कॉर्पस फंड में जमा की गई राशि की कटौती
निष्कर्ष
आयकर अधिनियम की धारा 115बीएसी के लागू होने से भारत की कर प्रणाली में महत्वपूर्ण सुधार आया। कम दर के साथ-साथ सरलीकृत कर संरचना करदाताओं को अपनी कर देयता को काफी कम करने में मदद करती है।
यद्यपि, नई कर व्यवस्था से उन लोगों को कई लाभ प्राप्त हो सकते हैं जो अपनी कर देयता को कम करने के लिए छूट और कटौतियों पर निर्भर होते हैं। इसलिए, दो व्यवस्थाओं के बीच चुनते समय, करदाताओं को अपने व्यक्तिगत परिस्थितियों, आय के स्तर और निवेश पैटर्न जैसे कारकों पर ध्यान देना चाहिए। इसके अतिरिक्त, सलाह दी जाती है कि निर्णय लेने से पहले दोनों व्यवस्थाओं के तहत कर देयता की सावधानीपूर्वक गणना कर लें।