Why Vodafone Idea is in the news and what it means for shareholders

Podcast Duration: 13:12
वोडाफ़ोन क्यों खबरों में है और यह निवेशकों के लिए क्या माने रखता है? नमस्कार दोस्तों, एंजेल वन के इस्स पॉडकास्ट में आपका स्वागत है। मुझे उम्मीद है की आप इस आईपीओ सीज़न में अच्छे हैं। और यह भी आशा करता हूँ की हमारे आईपीओ कंटैंट का लाभ उठा रहे हैं, और निवेश के अवसर को स्कोप करके वेस्ट नहीं करते। चलिये आज के मुद्दे पर च्रचा करते हैं। अगर आप यहा पहली बार आए हो तो, यहाँ हम मार्केट न्यूज़, स्टॉक मार्केट के कान्सैप्ट और भी बहुत कुछ बताते है... एक आसान और फन तरीके से ताकि आप जैसे सुनने वाले अपना इनवेस्टमेंट जौरने शुरू कर सकें। दोस्त आज का पॉडकास्ट टॉपिक बहुत ही इंट्रेस्टिंग है क्योंकि यह काफी चर्चा में है। यह पॉडकास्ट 5 पार्ट्स में होगा - पहले हम वोडाफ़ोन आइडिया के कर्ज़ की समस्या को समझेंगे। फिर हम उस रेसिग्नेशन की बात करेंगे जिससे शेयर का मूल्य गिर गया। फिर देखेंगे सरकार ने इसे क्या कदम उठा कर बचाया।यह सब समझने के बाद देखना पड़ेगा की निवेशकों के पास क्या ऑप्शन हैं। और लास्ट में टेलीकॉम सैक्टर को एक निवेश ऑप्शन ये प्रोब्लेम के रूप में देखा जाएगा। वोडाफ़ोन आइडिया की कर्ज़ की समस्या -- यह सारा डिस्कशन वोडाफ़ोन आइडिया के ड्यूस की वजह से हो रहा है जो उन्होने ने पे नहीं किए। कौन से ड्यूस, यही सोच रहे होंगे न आप? क्या हम टेक्स की बात कर रहे हैं? जी नहीं, हम ए जी आर या अड्जस्टिड ग्रोस रेविन्यू की बात कर रहे हैं। फिर से ग्रीक बोल रहा हूँ, है न? लेकिन मैं समझाऊंगा - थोड़ा सब्र रखिए। ए जी आर वो रेविन्यू है टेलीकॉम कंपनियों को सरकार के साथ अपने रेविन्यू का एक हिस्सा शेयर करना होता है। अब समझ आ रहा है... आगे बढ़ते हैं : वोडाफ़ोन आइडिया का ए जी आर ड्यू है 58,254 करोड़! उनहों ने तो थोड़ा पाय किया है- 7,854.37 करोड़ , तो इसका मतलब है अभी इंका कर्ज़ 51000 करोड़ का बचा है। यह काफी ज्यादा कर्ज़ है, बहुत बड़ी प्रोब्लेम है। सरकार ने कई महीने पहले टेलीकॉम कंपनियों को बता दिया की उनके पास दस साल हैं अपने कर्ज़ को उतारने के लिए ... 31 मार्च 2031 तक। टेलीकॉम कंपनियों को अपना कर्ज़ इस तारीख तक दस किश्तों में देना होगा। तो अभी इतना शोर क्यों है ... वोडाफ़ोन आइडिया सरकार की इस बात से सहमत नहीं दिख रही, और उन्होनें इसके लिए सूप्रीम कोर्ट में ड्यूस को फिर से रिकलकुलेट करने के लिए याचिका दर्ज़ की, पर उन्होनें इसे खारिज कर दिया। कंपनी ने कोशिश भी किया है 25000 करोड़ का फ़ंड जमा करने का सितंबर 2020 से प्लान जारी है, लेकिन इस मामले में कंपनी कामयाब नहीं हुई। वोडाफ़ोन का पेरेंट ग्लोबल कंपनी भी पैसे देने को तैयार नहीं है, उनका कहना है वो कोई नया इक्विटि नहीं देंगे। इससे रिज़ाइन और फिर शेयर प्राइस ड्रॉप की वजह से न्यूज़ बनी। यह काफी नहीं था की कंपनी सब गलत वजहों से न्यूज़ में है जब इसके अरबपति मालिक चेयर पर्सन मंगलम बिरला ने इस्तीफा दे दिया। जनता के लिए यह शायद सबसे बड़ा नो कोन्फ़िडेंस वोट है , इस सब न्यूज़ के बीच में। इसके ऊपर मंगलम बिरला ने बोला की वोडाफ़ोन आइडिया बड़ी मुसीबत में है और डूबने के पूरे चान्स हैं, उन्होनें अखबार में बोल दिया की निवेशक पैसा देने के लिए तैयार नहीं हैं। इसका कारण है ए जी आर कर्ज़ और स्पेकट्रम पेमेंट पर मोरटोरियम एक्सटैन्शन। स्पेकट्रम माने रखता है क्योंकि वोडाफ़ोन आइडिया पर सिर्फ यह 58000 करोड़ का ही कर्ज़ नहीं है, उसे बैंक का भी 20,000 करोड़ और इसके अलावा अलग से 96000 करोड़ देना है। लीज लियाबिलिटी भी है लेकिन अभी उसके बारे में कोई बात नहीं कर रहा है। यहाँ और भी कई बड़ी समस्या हैं जो निवेशकों के लिए बड़ी मुश्किल बन गयी हैं -- मगलम बिरला के अनुसार। वो हैं की वोडाफ़ोन आइडिया कैसे अपने प्रिकेस को कम रखेगा जोकि सर्विस कोस्ट से ज्यादा हैं। यह आखिरी पॉइंट निवेशकों के लिए बहुत चिंता जनक है, इसके बारे में हम अभी बात करते हैं पहले यह सब होने के बाद वोडाफ़ोन आइडिया के शेयर का मूल्य 2 दिन में 26% गिर गया तबसे वो थोड़ा सा ही रिकवर कर पाया है, फरवरी के 11 रुपये के मुक़ाबले वो अभी 6 रुपये पर चल रहा है। सरकार के सोल्यूशंस क्या हैं? सरकार के पास भी ऑप्शन कम हैं -- ऑप्शन 1- - पूरे सैक्टर को एजीआर डिस्काउंट दे दो रिलायंस और एयरटेल को भी लेकिन इससे सरकार को काफी बड़ा नुकसान होगा। ऑप्शन 2 --- सरकार वोडाफ़ोन आइडिया को टेक ओवर कर ले लेकिन इससे कर्ज़ का सारा बोझ सरकार के ऊपर पड़ जाएगा। ऑप्शन 3--- कंपनियों को अपना ड्यू पे करने के लिए 20 साल का टाइम दे दे। ऑप्शन 4 --- वोडाफ़ोन आइडिया को डूबने दो लेकिन इससे 27 लाख सब्स्क्राइबर को समस्या होगी और इस सैक्टर पे भी असर पड़ेगा, और इससे देश में सिर्फ 2 टेलीकॉम कंपनियाँ रह जाएंगी जोकि एक अच्छी बात नहीं है। एक निवेशक के नाते आपके ऑप्शन क्या हैं ? अगर आपने अपना टार्गेट अर्निंग बूक किया है तो एक्ज़िट करने के बारे में ज़रूर सोच सकते हैं। अगर एंट्री करने की सोच रहे हो तो यह सही समय नहीं है-- खासकर एक नए निवेशक के लिए क्योंकि आगे बहुत अंसर्टेनीटी है। अगर आपके पास शेयर हैं और टार्गेट प्रॉफ़िट नहीं मिला तो अपने रिस्क एपेटाइट को कन्सिडर करो, क्या आप और रिस्क ले सकते हो? वोडाफ़ोन आइडिया तो न्यूज़ में है लेकिन दूसरी कंपनियों का क्या ? क्या इनहोने अपना एजीआर डैब्ट सेटल किया है? एयरटेल का बकाया 43000 करोड़ है जिसमें से इनहोने 18000 करोड़ दिया है और बैंक का भी 25000 करोड़ बकाया है। वोडाफ़ोन आइडिया से बेहतर है लेकिन उतना भी अच्छा नहीं है, है न? टाटा टेलेसेर्विसिस का 17000 करोड़ बाकी है जिसमें से उन्होने 4000 करोड़ से कुछ ज्यादा राशि दे दी है। रिलायंस जियो का 194.7 करोड़ है जो कंपनी ने पे कर दिया है। वोडाफ़ोन आइडिया के इस इशू ने साबित कर दिया है की टेलीकॉम कंपनियों की फ्लोर प्राइस उनके सर्विस प्राइस से ज्यादा नहीं है तो वो लंबे समय में प्रोफीटेबल कैसे साबित होंगी? शेयर खरीदने से पहले निवेशकों को वोडाफ़ोन आइडिया के कर्ज़ और उनके लाभ का मूल्यांकन करना चाहिए था लेकिन यह एक सबक है - हमेशा बैलेन्स शीट ठीक से देख कर ही निवेश करना चाहिए। दोस्तों जो भी आप वोडाफ़ोन आइडिया के बारे में जानना चाहते हैं वो यही पर खत्म होता है। ऐसे ही और न्यूज़ बेस्ड डिस्कशन और कान्सैप्ट इंटरोडक्शन के लिए हमारे साथ बने रहिए। जाने से पहले एक इंपोर्टेंट बात, ये पॉडकास्ट केवल जानकारी के लिए बनाया गया है, और आपको अपनी रिसर्च ज़रूर करनी चाहिए। ऐसे और रोचक पॉडकास्ट सुनने के लिए हमें फॉलो करें यू ट्यूब और दूसरे सोश्ल मीडिया चैनल पर। तब तक के लिए गुड बाइ और शुभ निवेश। निवेश बाज़ार जोखिमों के आधीन हैं, सभी संबन्धित दस्तावेज़ ध्यान से पढ़ें।

प्रतिभूति बाजारों में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं। निवेश करने से पहले सभी संबंधित दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें |