इस चैप्टर में आपको उन शब्दों का मतलब समझाया जाएगा जिनका इस्तेमाल शेयर बाज़ार के जानकार लोग लगातार करतें हैं।
- बुल मार्केट (तेजी): अगर किसी को लगता है कि बाजार ऊपर जाएगा और शेयरों की कीमत बढ़ेगी तो कहा जाता है कि वो तेजी में है। अगर एक तय समय में बाजार लगातार ऊपर की तरफ जाता रहता है तो कहा जाता है कि बाजार बुल मार्केट में है, या फिर बाज़ार में तेजी का माहौल है।
- बेयर मार्केट (मंदी): तेजी के माहौल का ठीक उल्टा मंदी का माहौल होता है। अगर आपको लगता है कि आने वाले समय में बाजार नीचे की तरफ जाएगा तो कहा जाता है कि आप उस स्टॉक को लेकर बेयरिश (Bearish) हैं। इसी तरह जब एक लंबे समय तक बाजार नीचे की तरफ जा रहा होता है तो कहा जाता है कि बाजार बेयर मार्केट में है।
- ट्रेंड: बाजार की दिशा और उस दिशा की ताकत को ट्रेंड कहा जाता है । उदाहरण के लिए, अगर बाजार तेजी से नीचे जा रहा है तो कहते हैं कि बाजार में गिरावट का ट्रेंड है या अगर बाजार ना उपर जा रहा है ना अधिक नीचे तो उसे “साइडवेज” या दिशाहीन ट्रेंड कहा जाता है।
- शेयर की फेस वैल्यू: किसी शेयर की तय कीमत को फेसवैल्यू या “पार वैल्यू” कहते हैं। इसे कंपनी तय करती है और ये उनके कॉरपोरेट फैसलों के लिए महत्वपूर्ण होता है, जैसे डिविडेंड देने या स्टॉक स्प्लिट करने के समय कंपनी शेयर की फेस वैल्यू को ही आधार बनाती है। उदाहरण के लिए, अगर इन्फोसिस के शेयर की फेस वैल्यू 5 रूपए है और कंपनी ने 63 रूपए का सालाना डिविडेंड दिया तो इसका मतलब है कि कंपनी ने 1260% डिविडेंड दिया। (65÷5) 52 हफ्तों की ऊँचाई/निचाई (52 week high/low) : 52 हफ्ते की ऊँचाई का मतलब है कि स्टॉक की पिछले 52 हफ्तों में सबसे ऊँची कीमत। इसी तरह 52 हफ्तों की निचाई मतलब सबसे निचली कीमत 52 हफ्तों में। 52 हफ्तों की ऊँची या नीची कीमत स्टॉक की कीमत का दायरा बताता है। जब कोई स्टॉक अपने 52 हफ्तों की ऊँचाई के करीब होता है तो कई लोग ऐसा मानते हैं कि स्टॉक तेजी में रहने वाला है, इसी तरह जब स्टॉक अपने 52 हफ्ते के निचले स्तर के करीब होता है तो ऐसा माना जाता है कि स्टॉक मंदी में रहने वाला है।
- पूरे वक्त की ऊँचाई/निचाई (All time high/ low): ऑल टाइम हाई और ऑल टाइम लो भी 52 हफ्तों की ऊँचाई या निचाई की तरह स्टॉक की कीमत बताता है, फर्क सिर्फ इतना है कि ऑल टाइम हाई या लो किसी स्टॉक के बाजार में लिस्ट होने के बाद से अब तक की सबसे ऊँची कीमत या नीची कीमत बताता है।
- अपर सर्किट/लोअर सर्किट (Upper Ciruit / Lower circuit): स्टॉक एक्सचेंज हर स्टॉक के लिए कीमत की एक सीमा तय कर देते हैं। एक ट्रेडिंग दिन में स्टॉक की कीमत उस सीमा के बाहर नहीं जाने दी जाती है, ना ऊपर की तरफ और ना ही नीचे की तरफ। ऊपरी कीमत की सीमा को अपर सर्किट और कीमत की निचली सीमा को लोअर सर्किट कहते हैं। स्टॉक की सर्किट की सीमा 2%, 5%, 10%, या 20% में से कुछ भी हो सकती है जो एक्सचेंज अपने नियमों के हिसाब से तय करते हैं। एक्सचेंज सर्किट का इस्तेमाल स्टॉक में जरूरत से ज्यादा उतार चढ़ाव को काबू में रखने के लिए करते हैं ताकि किसी खबर की वजह से स्टॉक में बहुत ज्यादा गिरावट या तेजी ना आए।
- लाँग पोजिशन (Long Position): लाँग पोजीशन या लाँग होना आपके सौदे यानी ट्रेड की दिशा बताता है। उदाहरण के तौर पर अगर आपने बायोकॉन के शेयर खरीदे हैं या खरीदने वाले हैं तो आप बायोकॉन पर लाँग हैं। अगर आपने निफ्टी इंडेक्स इस उम्मीद पर खरीदा है कि इंडेक्स ऊपर जाएगा तो आपकी इंडेक्स पर लांग पोजीशन है। अगर आपकी किसी स्टॉक या इंडेक्स पर लाँग पोजीशन है तो आपको तेजी वाला ट्रेडर या बुलिश (Bullish) माना जाएगा।
- शॉर्ट पोजिशन (Short Position): “शॉर्ट करना” या “शॉर्ट पोजीशन” एक खास तरह के ट्रेड या सौदे को बताता है। बेचा पहले और खरीदा बाद में।
इस तरह के सौदे ही शॉर्ट ट्रेड या शॉर्ट सौदे कहे जाते हैं।