How is Share Price Calculated? Let’s find out!

Podcast Duration: 5:22
शेयर प्राइस कैसे गिनते है? आइए पता लगाते है. नमस्ते दोस्तों ! एंजेल वन के इस पॉडकास्ट में आपका स्वागत है। दोस्तों शेयर बाज़ार पर हर दिन करोडों का लेन देन होता हैं, जिनमें अन एक्स्चेंज में सूचित कंपनियों के शेर का ज़बरदस्त व्यापार होता है। ऐसे ही एक दिन मैं और शिखा अपनी कंपनी के शेयर मूल्य को ध्यान से देख रहे थे। यह कोविड के बाद अर्थव्यवस्था की पुनरुथान का पहला चरण था - याद है उस समय तकनीकी और फार्म शेयर काफी बढ़ रहे थे? हमने भी अपनी बचत को एक तकनीकी क्षेत्र के म्यूचुअल फ़ंड मेंस शेय लगा रखी थी। उसमें से एक कंपनी ने दो दिन में काफी बढ़त बना ली थी और हम इसी शेयर को देख रहे थे। इर की कीमत को हर सेकंड में बदलते हुए देखकर शिखा ने पूछा , कि इन कीमतों की इतनी जल्दी- जल्दी कैसे गिनती की जाती है? और तब मैंने उसे शेयर की गणना का तरीका शुरू से लेकर अंत तक बताया। अब मैं आपको भी यही बात बताने जा रहा हूँ। क्योंकि मैं का विफीश्वस्त हूँ की आपके मन में भी कभी न कभी ज़रूर आया होगा। क्या मैं सही हूँ? तो चलिये देखते हैं शेयर की कीमत की गणना कैसे की जाती है। दोस्तों सबसे पहली बार शेयर की कीमतों की गिनती तब की जाती है जब कंपनी सार्वजनिक क्षेत्र में उतरती है। यानि कि जब वो शेयर बाज़ार में व्यापार के लिए आती है। इस समय कंपनी के शेयर की पहली बार कीमत तय करने से पहले मूल्यांकन किया जाता है। मूल्यांकन काफी बड़ा शब्द प्रतीत हो सकता है, पर यह इतना कठिन नहीं है। इसका मतलब है एक कंपनी का मूल्य पता लगाना। यह मूल्य कंपनी के सभी संपत्ति, देनदारी व कमाई, मौजूदा लाइसेन्स जैसे सभी कारकों को ध्यान में र खकर किया जाता है। संपत्ति में भूमि या भवन, मशीनें, फ़र्निचर और कम्प्युटर आदि शामिल होता है। देनदारी में कंपनी की सारे बचे हुए कर्ज़ जैसे ऋण शामिल होते है। मूल्यांकन के बाद कंपनी इशू की सीमा तय करती है- यानि कि कितने शेयर आई पी ओ में दिये जाएंगे। मूल्यांकन को इससे भाग करके शेर कि कीमत तय कि जाती है, और दोस्तों इसी तरीके से कंपनी के शेर की सबसे पहली बार जब वो शेर बाज़ार में आती है कीमत तय होती है। लेकिन उसके बाद कीमत कैसे तय की जाती है? यह एक मूलभूत आर्थिक नियम है जो उपयोग में लाया जाता है। क्या आपने मांग और पूर्ति के सिद्धांत के बारे में सुना है? इसके अनुसार अगर किसी चीज़ की मांग बाज़ार में बढ़ती है, यानि लोग इसको खरीदना चाहते हैं तो उसकी कीमत भी बढ़ेगी। लेकिन अगर किसी चीज़ की मांग घटती है तो उसकी कीमत भी घटेगी। शेयर बाज़ार में यही सिद्धांत शेयर की कीमतों को लगातार ऊपर-नीचे करता रहता है। अब अंदाज़ा लगाइए की शेयर बाज़ार में मांग और आपूर्ति को सटीकता से कैसे नापते होंगे? जवाब है, ख़रीदारी और बिकवाली के आदेश के ज़रिये जो उन्हें कुछ मिनट में प्राप्त होते हैं। जी हाँ, शेयर बाज़ार में हर सेकंड हजारों ख़रीदारी और बिकवाली के आदेश प्राप्त होते हैं। अगर आप किसी शेयर की बोली - पूछ प्रसार का ग्राफ देखेंगे तो आप समझेंगे की शेयर बाज़ार मूलत: मांग को आपूर्ति से मिलाने का काम करते हैं। इस प्रक्रिया में हर मिनट ख़रीदारी और बिकवाली से पैदा होने वाली मांग को पूरा करती है। बल्कि इसीलिए कीमतें हर सेकंड ऊपर- नीचे होती रहती है, जब तक बाज़ार बंद नहीं होते। इसके अलावा कुछ दूसरे कारण भी हैं पर यह मूलत: मांग और आपूर्ति को प्रभावित करते हैं। मान लें की किसी कंपनी के शेर अगर बाढ़ या तूफान से प्रभावित होते हैं तो उसके नुकसान का कारण लोगों का भारी मात्र में उस शेर को बेचना है। उस स्टॉक की एकदम से मांग गिरने और आपूर्ति बढ़ने के कारण उसकी कीमतें गिर जाती हैं। ऐसे ही वार्षिक रिपोर्ट में मुनाफा देख कर किसी शेयर की कीमत बढ़ जाती है। पर यह कारक सामान्यत: शेयर की कीमतों को प्रभावित नहीं करते। लेकिन अगर कोई कंपनी शेर विभाजन करती है तो उसके शेर को 3-4 या फिर 20-30 भागों में बांटा जा सकता है। ऐसे में जिसके पास वो शेर पहले से है उसकी कीमत स्थिर रहती है, पर वह शेर की कीमत विभाजन अनुपात से भाग हो जाती है। यानि यदि अगर कोई शेर दो भागों में परिवर्तित हुआ तो उसकी कीमत आधी, और अगर दस भागों में परिवर्तित हुआ तो उसकी कीमत दस गुना कम हो जाएगी। आसान है न, लेकिन यह प्रणाली कीमत को लगातार बदलती रहती है और मूल्यांकन काफी कठिन है। इस प्रणाली पर काफी तेज़ गति से ऑर्डर को मिलाया जाता है, बाज़ार खुलने के बाद पर्दे के पीछे ये होता है। तो ये विषय रोचक था न? बाज़ार के और तथ्यों के बारे में जानना चाहेंगे तो बने रहिए हमारे पॉडकास्ट पर या फिर मुफ्त जानकारी के लिए जाइए www.angelone.in पर। तब तक के लिए अलविदा। म्यूचुअल फ़ंड में निवेश बाज़ार जोखिमों के आधीन है, निवेश से पहले सभी दस्तावेज़ ध्यान से पढ़ें।