फंडमेंटल एनालिसिस ऑफ सैक्टर्स : औटोमोटिव इंडस्ट्री

Podcast Duration: 5:32
फंडमेंटल एनालिसिस ऑफ सैक्टर्स : औटोमोटिव इंडस्ट्री :- नमस्कार दोस्तों ! हैलो और फिर से स्वागत है आपका एंजेल वन के एक स्पेशल और रोचक फंडमेंटल एनालिसिस पॉडकास्ट पर।आपको शायद ऑलरेडी पता होगा की फंडमेंटल एनालिसिस में सैक्टर का रेविन्यू, लोस और प्रॉजेक्शन देखा जाता है। तो चलिये हमारे स्टॉक मार्केट के स्पेशल स्थेटोस्कोप से औटोमोटिव इंडस्ट्री की फ़ाइनेंष्यल हैल्थ को चेक करते हैं। सैक्टर में मौजूदा ग्रोथ : - जून 2021 की एफ़ ए डी ए की रिपोर्ट के अनुसार, जोकि फ़ैडरेशन ऑफ औटोमोटिव डीलर्स है, औटोमोटिव इंडस्ट्री ने 22.6% ग्रोथ साबित किया। यह तो बढ़िया है ना ? पर रुकिए, यह ग्रोथ जून 2019 की ग्रोथ से 28% कम है। लेकिन बात यह है की लोक डाउन होने के बावजूद ग्रोथ तो हुआ है, जोकि काफी बड़ी बात है। इसलिए ग्रोथ के बारे में अधिक जानना एक अच्छा विचार है। कौन - कौन से औटोमोटिव कैटेगरी ने इस ग्रोथ में ज़्यादा योगदान दिया है, यह जानना ज़रूरी है ताकि हम जान सकें की कौन सी कंपनी निवेश के लिए बेहतर है। ट्रक और बस में 236% ग्रोथ हुआ है, कार और एस यू वी में 43% ग्रोथ हुआ है। थ्री व्हीलर माने रिक्शा में 22% ग्रोथ वेहिकल रजिस्ट्रेशन में हुआ है। टू - व्हीलर्स और ट्रेक्टर में सिर्फ 17% और 14% ग्रोथ हुआ है। पैसेंजर वेहिकल की सेल मई में 85,733 के मुक़ाबले जून में 184,134 यूनिट से बढ़ी है। कमर्शियल वेहिकल में 103% का ग्रोथ हुआ है, काफी क्लियर है की कमर्शियल वेहिकल में ग्रोथ सब से ज़्यादा है, लेकिन यह भी मानना ज़रूरी है की यह डिमांड " सामान्य दिनों " से 70% कम है। मारुति, मई 2021 में सेल वॉल्यूम के हिसाब से मार्केट लीडर थी। छोटी और बड़ी अवधि के लिए प्रोजेक्शन : - यह ग्रोथ आगे महीनो में भी कंटिन्यू हो सकता है, क्योंकि लोक डाउन में छूट दी गयी है और डीलरशिप को फिर से खोलने की इजाजत दे दी गयी है। कार की डिमांड बढ़ गयी है, कुओंकी अभी पब्लिक ट्रांसपोर्ट मिलना मुश्किल है। एफ़ ए डी ए प्रेसिडेंट के मुताबिक अभी लोगों को पब्लिक ट्रांसपोर्ट रिसकी भी लगता है इसलिए कार की डिमांड और बढ्ने की संभावना है। भारतीय कार बाज़ार के 2026 तक 16 से 18 ट्रिल्यन तक पहुँचने की उम्मीद है। ग्रोथ के लिए जिम्मेदार कारण :- लोक डाउन के अलावा और भी फ़ेक्टर हैं जो ऑटो सैक्टर की अच्छी फ़ाइनेंष्यल पेरफ़ोर्मेंस में सहायता करेंगे। सरकार ने कई सारे कदम उठाएँ हैं, अभी 100% एफ़डीआई अलाओड़ है ऑटोमैटिक रूट के जरिये , सरकार ने ये पर्मिशन दिया है ऑटो सैक्टर में कंपेटीशन बढ़ाकर स्टैंडर्ड रेज़ करने के लिए। सरकार चाहती है की भारत छोटी कार, टू- व्हीलर और ट्रैक्टर का हब बने। मिनिस्टरी ऑफ रोड एंड हाइवे ने मार्च महीने में वेहिकल स्क्रेप पॉलिसी लायी थी, गोल यह था की पोल्यूशन कम हो जाये लेकिन इससे डेफ़िनेटली गाड़ियों की डिमांड भी बढ़ेगी। सरकारी प्रैस स्टेटमेंट में बताया गया है कि ऑटो सैक्टर में 10000 करोड़ के अतिरिक्त निवेश की उम्मीद है, इससे 35000 नयी नौकरियाँ भी बढ़ेंगी। कई निवेशकों के लिए जॉब जेनेरेशन भी एक फेकटर होता है तो मैंने यह भी इंक्लुड कर दिया। औटोमोटिव रिटेल को मीडियम और स्माल स्केल इंडस्ट्री में इंक्लुड किया गया है, तो इससे ओवर हैड भी कम हो सकते हैं... ज़्यादा डीलर का मतलब है ज्यादा बायर्स। अभी फिलहाल औटोमोटिव प्रॉडक्शन के लिए इनसेनटिव लिंकड स्कीम भी आ गयी है, 57000 करोड़ के बजट के साथ। यह तो नयी खबर है लेकिन जानना ज़रूरी है, सरकार ने 2019 में एफ़एएमई स्कीम - 2 औटोमोटिव सैक्टर के लिए शुरू की थी। जिसके अंतर्गत अतिरिक्त 10,000 करोड़ औटोमोटिव सैक्टर में 2019 से 2022 तक डिमांड बढ़ाने के लिए खर्च किया जाएगा। दूसरे भी फेकटर केटलिस्ट हो सकते हैं, लेकिन अभी के न्यू नॉर्मल को देखते हुये जो अफोर्ड कर सकते हैं वो कार लेना प्रेफर करेंगे और इससे फॅमिली कार की डिमांड बढ़ सकती है। जैसे- जैसे लोग अपने कार्बन फूट प्रिंट्स के लिए ज़्यादा कोंशियस होंगे इलैक्ट्रिक वेहिकल की डिमांड बढ़ सकती है। कमर्शियल वेहिकल की भी डिमांड बढ़ सकती है क्योंकि जब नए वेव आने का खतरा है ऐसे समय में लोग सिर्फ ऐसी ही जगहों पर ट्रैवल करेंगे जहां ड्राइव करके पहुंचा जा सकता है। कौन से ऑटो स्टॉक इनवेस्टमेंट के लिए राईप हैं? एंजेल वन आपको नहीं बता सकता की कौन से स्टॉक आपके लिए अच्छे है, बल्कि कोई भी थर्ड पार्टी आपके लिए यह डिसाइड नहीं कर सकती। इसके लिए एक फ़ाइनेंष्यल एड्वाइज़र ही आपकी हेल्प कर सकता है, लेकिन फ़ाइनल डिसिशन आपका ही रहेगा। हाँ, मैं बताने वाला हूँ लेकिन यह हमारे टॉप पिक हैं। कोई आपको स्टॉक प्राइस ग्रोथ की गारंटी नहीं दे सकता , और अगर कोई देता है तो प्लीज उस पर यकीन न करें। स्टॉक मार्केट बड़ी अन्प्र्डिकटेबल है, चलिये मैं ऑटो सैक्टर के टॉप पिक्स बताने का प्रॉमिस किया था, तो यह रहे वो :- अशोक लीलैंड, एस्कॉर्ट, जीएनए एक्सलेस, एनआरबी बेयरिंग्स। दोस्तों यह था ऑटो सैक्टर का एक थोरो पिक्चर, अगर आप इसमें निवेश करने की सोच रहे हैं तो अपनी रिस्क एपेटाइट और निवेश सीमा के बारे में सोच लें। जाने से पहले ये याद रखिए के स्टॉक मार्केट में निवेश में हमेशा एक रिस्क रहता है। ऐसे और रोचक पॉडकास्ट सुनने के लिए हमें फॉलो करें यू ट्यूब और दूसरे सोश्ल मीडिया चैनल पर। तब तक के लिए गुड बाइ और शुभ निवेश। निवेश बाज़ार जोखिमों के आधीन हैं, सभी संबन्धित दस्तावेज़ ध्यान से पढ़ें।