आयकर अधिनियम का सेक्शन 154: सेक्शन 154(1) के तहत संशोधन कैसे फाइल करें?

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by Angel One
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आयकर अधिनियम की धारा 154 के तहत करदाताओं को फाइलिंग पोर्टल के माध्यम से रिटर्न में गलतियों को सुधारने की सुविधा मिलती है, जिसमें सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग केंद्र (सीपीसी) द्वारा किए गए प्रोसेस में गणना की गलतियों या टैक्स क्रेडिट मिसमैच जैसे मुद्दों का समाधान किया जाता है।

आयकर रिटर्न (आईटीआर) फाइल और सत्यापित होने के बाद, इसे आयकर विभाग के सेंट्रलाइज़्ड प्रोसेसिंग सेंटर (सीपीसी) द्वारा प्रोसेसिंग करने के लिए लिया जाता है। सीपीसी (CPC) कर रिटर्न की पूरी जांच करता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई त्रुटि, चूक अथवा गलती हों।

यद्यपि, यदि रिटर्न में किसी प्रकार की विसंगति पाई जाती है, तो सीपीसी (CPC) आयकर अधिनियम के सेक्शन 154 के तहत आदेश पारित करेगा अथवा सेक्शन 143(1) के तहत सूचना जारी करेगा। ऐसे मामलों में, करदाता त्रुटियों को ठीक करने के लिए संशोधन का अनुरोध दर्ज कर सकता है।

आयकर अधिनियम के सेक्शन 154 और आयकर फाइलिंग पोर्टल के माध्यम से संशोधन अनुरोध कैसे फाइल करना है, इसके बारे में सारी जानकारी नीचे दी गई है जिसे आपको जानना चाहिए।

आयकर अधिनियम का सेक्शन 154 क्या है?

1961 के आयकर अधिनियम का सेक्शन 154 ऐसे प्रावधान से संबंधित है जो कर अधिकारियों को उनके द्वारा पारित किसी भी आदेश अथवा सूचना में हुई गलतियों को ठीक करने की सुविधा प्रदान करते हैं। यद्यपि, कर अधिकारियों द्वारा दिए गए सूचना या आदेश में हुई गलतियों अथवा भूलों को सुधारने के लिए, संबंधित करदाता को आयकर पोर्टल के माध्यम से संशोधन अनुरोध दाखिल करना होगा।

आयकर अधिनियम के सेक्शन 154(1) के तहत संशोधन अनुरोध कैसे काम करता है, इसका एक काल्पनिक उदाहरण निम्नवत है।

मान लीजिए कि आपने अपनी कर योग्य आय को कम करने के लिए 5 लाख रुपये की कटौती के रूप में बिज़नेस खर्चों का दावा करने वाला आयकर रिटर्न फाइल किया है। मूल्यांकन अधिकारी (एओ) ने 5 लाख रुपये की कटौती की अनुमति नहीं दी है, तथा इसमें दावा किया गया है कि यह कारोबार के उद्देश्य से खर्च नहीं किया गया था। इसके कारण अब आपको लगभग ₹50,000 रुपये का अतिरिक्त टैक्स देना होगा।

मूल्यांकन में त्रुटि होने के कारण, आप आयकर अधिनियम के सेक्शन 154 के तहत संशोधन अनुरोध फाइल करने का निर्णय लेते हैं। संशोधन अनुरोध के साथ, आप दस्तावेजी साक्ष्य जोड़ते हैं जिससे यह साबित होता ही कि ये खर्च आपके व्यवसाय से संबंधित थे।

अनुरोध की समीक्षा करने के बाद, एओ (AO) अपने ऑर्डर को सुधारने का फैसला करता है और आपके कुल बिजनेस आय से 5 लाख रुपये की कटौती करने की अनुमति देता है तथा अतिरिक्त कर भुगतान की मांग रद्द करता है। मूल्यांकन अधिकारी तब सेक्शन 154 के तहत संशोधन आदेश पारित करता है।

आपको आयकर अधिनियम के सेक्शन 154 के तहत संशोधन अनुरोध कब फाइल करना चाहिए?

एक करदाता के रूप में, आप केवल कुछ परिस्थितियों में ही सुधार का अनुरोध दर्ज कर सकते हैं। यहाँ उनके बारे में एक संक्षिप्त जानकारी दी गई है।

  • आयकर विभाग (आईटीडी) में आयकर रिटर्न भरना होगा।
  • आयकर रिटर्न को सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग केंद्र (सीपीसी) द्वारा प्रोसेस किया जाना चाहिए।
  • आयकर अधिनियम के सेक्शन 143(1) या सेक्शन 154 के तहत एक सूचना सीपीसी (CPC) द्वारा पारित की जानी चाहिए।
  • सीपीसी (CPC) द्वारा पारित सूचना या आदेश में या आय अथवा कर दायित्व की गणना में स्पष्ट गलती या त्रुटि होनी चाहिए।

नोटः आयकर अधिनियम के सेक्शन 154 के तहत संशोधन अनुरोध उस वित्तीय वर्ष के अंत से चार वर्षों के भीतर ही दायर किया जा सकता है, जिसमें आदेश या सूचना पारित की गई थी।

आयकर अधिनियम के सेक्शन 154 के तहत संशोधन अनुरोध कैसे दर्ज करें?

आयकर अधिनियम 1961 के सेक्शन 154 के तहत संशोधन अनुरोध दाखिल करने की प्रक्रिया काफी सरल है। इसके लिए चरणदरचरण गाइड नीचे दिया गया है जो अनुरोध करने में आपकी मदद कर सकती है।

  • चरण 1: आयकर के आधिकारिक वेबसाइट पर जाएं और वेबपेज के ऊपरी दाएं कोने मेंलॉग इनबटन पर क्लिक करें।
  • चरण 2: आयकर फाइलिंग अकाउंट में लॉगइन करने के लिए अपना पैन और पासवर्ड दर्ज करें।
  • चरण 3: लॉगइन होने के बाद, ‘सर्विसेजटैब पर क्लिक करें और फिररेक्टिफिकेशनअनुभाग के तहतरेक्टिफिकेशन ऑफ आर्डर पास्ड बाय सीपीसीपर क्लिक करें।
  • चरण 4: ‘न्यू रिक्वेस्टपर क्लिक करें।
  • चरण 5: ‘ऑर्डर पास्ड अंडरलेबल के तहत, ‘इनकम टैक्सपर क्लिक करें।
  • चरण 6: आयकर अधिनियम के सेक्शन 154 के तहत जिस मूल्यांकन वर्ष के लिए आप संशोधन अनुरोध दाखिल करना चाहते हैं उसे चुनें औरकंटिन्यूपर क्लिक करें।
  • चरण 7: निम्नलिखित तीन विकल्पों में से सुधार अनुरोध का प्रकार चुनेंः रिटर्न डेटा करेक्शन (ऑफलाइन), टैक्स क्रेडिट मिसमैच करेक्शन या रिप्रोसेस रिटर्न।
  • चरण 8: आयकर की वेबसाइट पर प्रदर्शित निर्देशों का पालन करें और अपने दावे का समर्थन करने के लिए दस्तावेजी साक्ष्य अपलोड करने सहित सभी संबंधित विवरण दर्ज करें।
  • चरण 9: संशोधन अनुरोध सबमिट करें।

संशोधन अनुरोध सबमिट हो जाने के बाद, आपको एक ट्रांजैक्शन आईडी प्राप्त होगा। आप अपने अनुरोध की प्रगति को ट्रैक करने के लिए इस आईडी का उपयोग कर सकते हैं। विकल्प के रूप में, आप अपने आयकर फाइलिंग अकाउंट केसर्विसेजटैब के तहतरेक्टिफिकेशन ऑफ आर्डर पास्ड बाय सीपीसीपर क्लिक करके भी प्रगति की जानकारी ले सकते हैं।

निष्कर्ष

सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग केंद्र (सीपीसी) कभीकभी आपके आयकर रिटर्न को प्रोसेस करते समय गलतियां या चूक कर सकता है। करदाता के रूप में, आपको आयकर अधिनियम के सेक्शन 154 के अनुसार टैक्स रिटर्न प्रोसेसिंग में पाई गई गलतियों में सुधार के लिए अनुरोध दर्ज करने का अधिकार है। ऊपर बताई गई ऑनलाइन सुधार प्रक्रिया का पालन करके, आप ऐसी गलतियों को तुरंत ठीक कर सकते हैं और कर आकलन में सटीकता सुनिश्चित कर सकते हैं।

FAQs

आयकर अधिनियम के सेक्शन 154 के तहत संशोधन अनुरोध कौन दर्ज कर सकता है?

करदाता, रिटर्न मध्यस्थ (ईआरआई) तथा अधिकृत हस्ताक्षरकर्ता अथवा प्रतिनिधि सेंट्रलाइज्ड प्रोसेसिंग केंद्र (सीपीसी) द्वारा जारी आदेश या नोटिस के विरुद्ध आयकर अधिनियम के सेक्शन 154 के तहत संशोधन अनुरोध फाइल कर सकते हैं।

क्या आयकर अधिनियम के सेक्शन 154 के तहत संशोधन फाइल करने की अधिकतम समय सीमा निर्धारित है?

हां। आयकर अधिनियम के सेक्शन 154 के तहत एक संशोधन अनुरोध उस वित्तीय वर्ष, जिसमें आदेश पारित किया गया था, के अंत से चार वर्ष तक या उससे पहले फाइल किया जाना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि वित्तीय वर्ष 2023-2024 से संबंधित आयकर रिटर्न के लिए आयकर अधिकारियों द्वारा कोई आदेश पारित किया गया है, तो संशोधन के लिए अनुरोध 31 मार्च, 2028 को या उससे पहले किया जाना चाहिए।

आयकर अधिनियम के सेक्शन 154(1) के तहत संशोधन अनुरोध को प्रोसेस करने में कितना समय लगता है?

नागरिक चार्टर ऑफ 2010 के अनुसार, कर अधिकारियों को उस महीने, जिसमें यह दाखिल किया गया था, के अंत से दो महीने की समाप्ति से पहले संशोधन अनुरोध को प्रोसेस करना होगा और उसका निपटान करना होगा। उदाहरण के लिए, यदि अनुरोध 15 अगस्त, 2024 को दायर किया गया था, तो 31 अक्टूबर, 2024 तक इसका प्रोसेस और निपटान कर लिया जाना चाहिए।

क्या आयकर अधिनियम के सेक्शन 154 के तहत संशोधन अनुरोध दाखिल करने के लिए कोई शुल्क देना होता है?

नहीं। आयकर अधिनियम के सेक्शन 154 के अनुसार, आपको संशोधन अनुरोध फाइल करने के लिए किसी प्रकार की फीस अथवा शुल्क नहीं देना होता है।

क्या मैं पूर्व से ही फाइल किए गए सुधार अनुरोध को संशोधित कर सकता/सकती हूं?

नहीं। आयकर विभाग के पास दर्ज किए गए सुधार अनुरोध को आप संशोधित या रद्द नहीं कर सकते हैं। यद्यपि, मूल संशोधन अनुरोध के प्रोसेस हो जाने के बाद, आप सही विवरण के साथ दूसरा फाइल कर सकते हैं।