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स्टॉक एक्सचेंज क्या है?

7 min readby Angel One
स्टॉक एक्सचेंज और उन सिद्धांतों को समझना जिसके लिए उन्हें बनाया गया है, आपको एक व्यापारी या निवेशक के रूप में प्रगति करने में मदद करता है. उनकी नीतियों को समझना और अनुसरण करना आसान हो जाता है.
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स्टॉक एक्सचेंज स्टॉक मार्केट के स्तंभ होते हैं तथा अप्रत्यक्ष रूप से इक्विटी फंड के लिए बाजार हैं. उनकी दक्षता, पारदर्शिता और अखंडता वित्तीय प्रणाली के प्रमुख भाग की स्थिरता सुनिश्चित करती है. आइए स्टॉक एक्सचेंजों की प्रमुख विशेषताओं, विशेषकर भारत में, को देखें.

संदर्भ

जब कोई कंपनी अपने कार्यों को वित्तपोषित करने हेतु पूंजी जुटा रही हो, तो इसके पास दो प्रमुख विकल्प होते हैं-किसी निवेशक को अपनी कंपनी का शेयर बेचना या बैंकों अथवा अन्य संस्थाओं या व्यक्तियों से ऋण लेना. बहुत सारे लोग पूर्ववर्ती राह का चयन करते हैं क्योंकि उन्हें व्यवसाय के प्रारंभिक महीनों या वर्षों में नकदी की आवश्यकता नहीं होती है.

ऐसे दो तरीके हैं जिनके माध्यम से कोई कंपनी अपने शेयर बेच सकती है. पहला, यह किसी निवेशक (एंजल निवेशक या उद्यम पूंजीपति) से इक्विटी आधारित निवेश की मांग कर सकता है.

यह एक ओवर--काउंटर या ओटीसी ट्रांजैक्शन होगा, अर्थात समय-समय पर ब्रोकर के माध्यम से निजी तौर पर किया जाएगा. दूसरा, एक बार कंपनी द्वारा पूंजी, निवल मूल्य या मूल्यांकन का एक निश्चित स्तर जमा कर लिया जाता है, तो वह स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हो सकता है, जहां सामान्य व्यक्ति इसके शेयर (या स्टॉक) को आसानी से खरीद और बेच सकते हैं. जब इसके स्टॉक एक्सचेंज में ट्रेड योग्य स्टॉक के रूप में सूचीबद्ध हो जाता है तो कहा जाता है कि कंपनी सार्वजनिक हो गई.

स्टॉक एक्सचेंज की मूलभूत बातें

स्टॉक मार्केट वैसा प्लेटफार्म है जहां कंपनियों के शेयरों को दोनों द्वारा खरीदा और बेचा जा सकता है - संस्थागत निवेशकों और सामान्य जनता. केवल उन्हीं कंपनियों के शेयर एक्सचेंज पर ट्रेड किए जा सकते हैं जो स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होते हैं. . इसका यह नाम होने के बावजूद यह एक ऐसा स्थान है जहां केवल स्टॉक बल्कि इक्विटी पर बांड और डेरिवेटिव, करेंसी या कमोडिटी का भी ट्रेड किया जा सकता है.

 

आधुनिक स्टॉक एक्सचेंज इलेक्ट्रॉनिक ऑर्डर बुक के माध्यम से काम करता है अर्थात ऑर्डर करना और सभी ऑर्डर का कार्यान्वयन इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से होता है. इसलिए निवेशक द्वारा दिए गए ऑर्डर का शेयर के उपलब्ध मूल्य से मिलान किया जाता हैजब वे मिल जाते हैं तो ट्रेड कार्यान्वित हो जाता है.

इस प्रकार, निवेशक सूचीबद्ध शेयरों में किसी ब्रोकर के माध्यम से निवेश कर सकते हैं जो निवेशक को प्लेटफार्म उपलब्ध कराता है तथा किन आस्तियों का क्रय करना है इसकी सलाह देता है. हालांकि, निवेशक उन शेयरों में सीधे स्टॉक एक्सचेंज के ट्रेडिंग सदस्य के माध्यम से डीएमए या स्टॉक एक्सचेंज की प्रत्यक्ष मार्केट पहुँच सुविधा का उपयोग करके भी ट्रेड कर सकते हैं.

कौन सी कंपनियां सूचीबद्ध हो सकती हैं?

सूचीबद्ध होने के लिए, कंपनी को सेबी द्वारा अनिवार्य बनाया गया मूल्यांकन और लाभ का एक निश्चित स्तर बनाए रखना होता है. सेबी के उन मानदंडों को पूरा किए बिना, आईपीओ के लिए उनके आवेदन को ख़ारिज कर दिया जाएगा. सेबी द्वारा निर्धारित मानदंडों के अतिरिक्त, कुछ अन्य मानदंड स्टॉक एक्सचेंजों जैसे कि एनएसई- द्वारा निर्धारित किए जा सकते हैं. इन मानदंडों को भी पूरा करने की आवश्यकता होती है और केवल तभी स्टॉक सूचीबद्ध होगा.

स्टॉक एक्सचेंज के लाभ

स्टॉक एक्सचेंज के अस्तित्व में होने के कुछ कारण निम्नवत हैं -

1. निवेशक और कॉर्पोरेट हितों की सुरक्षा -

स्टॉक एक्सचेंज के केंद्रीकृत प्लेटफार्म होने के कारण, यदि वे लेन-देन स्टॉक एक्सचेंज के माध्यम से किए जाते हैं  तो लेन-देन के विनियमन को कार्यान्वित करना बहुत आसान होता है. उदाहरण के लिए, स्टॉक ट्रेडिंग के मार्जिन का समय पर भुगतान सुनिश्चित करना, विकेन्द्रीकृत शेयर-ट्रेडिंग सिस्टम में लगभग असंभव होगा. इससे निवेशकों और निगमों दोनों के बीच विश्वास की कमी होती, जिससे प्रत्येक व्यक्ति का लेन-देन लागत उच्चतर होता और अनावश्यक रूप से देरी तथा मुकदमेबाजी होती.

2. शेयरों का कुशल व्यापार -

चूँकि विकेंद्रीकृत प्रणाली की तुलना में स्टॉक एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर आसानी से शेयर खरीदे और बेचे जा सकते हैं इसलिए स्टॉक एक्सचेंज निवेशकों को अधिक तरलता प्रदान करते हैं. इसके अलावा, क्योंकि तरलता अधिक होती है और स्टॉक से संबंधित जानकारी सार्वजनिक रूप से और समान रूप से सबको मालूम होता है, अतः जिस कीमत पर स्टॉक ट्रेड किया जाता है वह भी उचित मूल्य होता है (बातचीत के आधार पर नहीं).

3. सूचना का कुशल प्रसार -

स्टॉक एक्सचेंज अनुमति देते हैं तथा कभी-कभी शेयरों की कीमतों और किए गए ट्रेड की मात्रा से संबंधित जानकारी का आसान प्रसार करना अनिवार्य करते हैं. केंद्रीकृत प्लेटफार्म द्वारा जनरेट किए गए डेटा की बड़ी मात्रा से स्टॉक ब्रोकर और निवेशक ज्यादा जानकारी के साथ शेयरों का व्यापार कर पाते हैं और बड़ी तथा छोटी घटनाओं पर तेजी से और प्रभावी रूप से प्रतिक्रिया कर पाते हैं. स्टॉक एक्सचेंज द्वारा प्रदान की गई मूल संरचना भी कंपनियों को अपनी शेयर कीमत को ट्रैक करने और समय पर उपयुक्त कार्रवाई करने में मदद करती है.

4. पूंजी तक आसान पहुँच-

स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होने से कंपनियां अपने स्टॉक को व्यक्तिगत निवेशकों के पास रखते हुए समय और संसाधनों के बगैर पूंजी जुटा पाती हैं.

5. थोड़े-से निवेशकों पर कम निर्भरता -

कोई भी निवेशक कंपनी के स्टॉक की कीमत पर अधिक नियंत्रण नहीं कर सकता क्योंकि सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध स्टॉक बाजार की मांग और आपूर्ति पर अधिक निर्भर होते हैं.

6. बेहतर प्रतिष्ठा -

कभी-कभी कम ज्ञात कंपनी स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध होकर बहुत प्रतिष्ठा प्राप्त कर पाती है. इससे इसे अधिक आसानी से बाजार से पूंजी प्राप्त करने में मदद मिल सकती है. इसके अलावा, यह वित्तीय संस्थानों से बड़े ऋणों का लाभ उठाने के लिए सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध स्टॉकों का उपयोग कोलैटरल के रूप में कर सकता है.

प्राइमरी बनाम सेकेंडरी मार्केट

प्राइमरी मार्केट में ट्रेड करना उसे कहा जाता है जब कोई स्टॉक पहली बार आईपीओ (या आरंभिक सार्वजनिक पेशकश) के माध्यम से सार्वजनिक रूप से सूचीबद्ध होता है. आईपीओ जारी करने की प्रक्रिया जटिल है और इसके लिए उचित दस्तावेजीकरण, पंजीकरण एवं कंपनी द्वारा पात्रता मानदंडों को पूरा करने की आवश्यकता होती है।

एक बार प्राइमरी में शेयर खरीदे जाने के पश्चात्, बाद में शेयरों की खरीद और बिक्री सेकेंडरी मार्केट में की जाती है. यहां प्रक्रिया बहुत आसान है और शेयर या अन्य आस्तियों की ट्रेडिंग तुरंत होती हैं (यद्यपि आस्तियों की वास्तविक सुपुर्दगी में समय लग सकता है).

भारत के  प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज

बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) केवल भारत में बल्कि एशिया का सबसे पुराना स्टॉक एक्सचेंज है, जिसकी स्थापना 1875 में हुई थी. तथापि, ट्रेड की गई मात्राओं के संदर्भ में, राष्ट्रीय स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) अभी देश का अग्रणी स्टॉक एक्सचेंज है और मुंबई में स्थित भी  है. दोनों ऐसी कंपनियां हैं जिनके पास निजी स्वामित्व का घटक है.

वर्ष 2022 तक, एनएसई का लगभग 45% और बीएसई का 18% वास्तव में विदेशी निवेशकों के पास है. तथापि, एलआईसी अभी भी दोनों कंपनियों का एकमात्र सबसे बड़ा मालिक है. व्यक्तिगत खरीदारों के पास बीएसई का 50.9% हिस्सा है जबकि एनएसई के लिए वह संख्या 10.4% है.

हाल ही में 2017 में वित्त मंत्रालय ने आईएफएससी, उपहार शहर, गुजरात में भारत अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंज की शुरुआत की. यह भारत का पहला अंतरराष्ट्रीय स्टाक एक्सचेंज है और यह विश्व का सबसे तेज स्टॉक एक्सचेंज होने का भी दावा करता है.

भारत में स्टॉक मार्केट का पूरा फ्रेमवर्क और निष्पादन SEBI (भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड) और इसके द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के माध्यम से विनियमित किया जाता है. सेबी भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड अधिनियम, 1992 के अनुसार भारत में प्रतिभूति बाजार का विनियामक है.

भारत में अन्य छोटे स्टॉक एक्सचेंज हैं जैसे भारत का मेट्रोपोलिटन स्टॉक एक्सचेंज और कलकत्ता स्टॉक एक्सचेंज-हालांकि ये एक्सचेंज या तो मृतप्राय हैं या बीएसई और एनएसई की तुलना में इनमें बहुत कम काम होता है. कुछ क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज भी थे जो अंततः समामेलित या समाप्त हो चुके हैं.

स्टॉक एक्सचेंजों के अलावा, भारत में एमसीएक्स, एनसीडीईएक्स, आईईएक्स आदि जैसे कमोडिटी एक्सचेंज भी हैं जिनमें बुलियन, धातु, ऊर्जा आदि जैसी वस्तुओं का ट्रेड होता है।

ग्लोबल स्टॉक एक्सचेंज

वैश्विक स्तर पर बीएसई या एनएसई से ज्यादा बड़े स्टॉक एक्सचेंज हैं - वहां अनेक बहुराष्ट्रीय कंपनियों के स्टॉक की ट्रेडिंग होती है. अपनी मार्केट पूंजी के अनुसार शीर्ष वैश्विक स्टॉक एक्सचेंज में शामिल हैं -

  1. हांगकांग स्टॉक एक्सचेंज
  2. नासदाक
  3. न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज
  4. शांघाई स्टॉक एक्सचेंज
  5. यूरोपियन न्यू एक्सचेंज टेक्नोलॉजी (यूरोनेक्स्ट)
  6. टोक्यो स्टॉक एक्सचेंज
  7. शेनज़ेन स्टॉक एक्सचेंज
  8. लंदन स्टॉक एक्सचेंज
  9. बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज
  10. टोरंटो स्टॉक एक्सचेंज

निष्कर्ष

अब जब आप उस प्रणाली को समझते हैं जिसके आधार पर भारत और विश्व में संपूर्ण स्टॉक मार्केट इकोसिस्टम कार्य करता है, तो अपने लिए स्टॉक मार्केट में थोड़ा समय और पैसा निवेश करने की कोशिश करें. एंजल वन, भारत के विश्वसनीय व्यापार मंच और ब्रोकर के साथ डीमैट खाता खोलें.

FAQs

बंबई स्टॉक एक्सचेंज में अधिक कंपनियां हैं और इसलिए एनएसई की तुलना में इसके पास उच्च बाजार पूंजीकरण भी ज्यादा है . वास्तव में , बीएसई वैश्विक स्टॉक एक्सचेंजों में सर्वोच्च दस में शामिल है . हालांकि एनएसई में बीएसई की तुलना में ट्रेडिंग की मात्रा अधिक है .
वैसे तो , यदि बीएसई और एनएसई दोनों पर कोई स्टॉक उपलब्ध है , तो इसका महत्व नहीं होना चाहिए क्योंकि दोनों में कीमत में बहुत अंतर नहीं होना चाहिए . तथापि , एनएसई डेरिवेटिव ट्रेडिंग में लेन - देन प्रभार लगाता है जबकि बीएसई में नहीं लगता है .
भारत में , स्टॉक एक्सचेंज सहित पूंजी बाजारों का विनियमन भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड द्वारा किया जाता है .
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