चॉपिनेस इंडेक्स इंडिकेटर क्या है?

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by Angel One
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चॉपिनेस इंडेक्स ट्रेडर को यह पहचानने में मदद करता है कि मार्केट ट्रेंड कर रहा है या साइडवेज गति कर रहा है। 60 से अधिक की वैल्यू कंसोलिडेशन का संकेत देती है, और जब यह मान 40 से कम होता है तो यह ट्रेंड को दर्शाता है। अन्य इंडिकेटर के साथ उपयोग करने पर यह सर्वश्रेष्ठ काम करता है।

स्टॉक मार्केट चक्र में चलते हैं-कभी-कभी वे एक दिशा में मजबूती से ट्रेंड करते हैं, जबकि कभी-कभी वे कहीं भी नहीं जाते हैं। ट्रेडर और निवेशक के लिए, समझ-बूझकर निर्णय लेने के लिए इन मार्केट की स्थितियों को समझना आवश्यक है। चॉपिनेस इंडेक्स ऐसा ही एक टूल है जो मार्केट की स्थितियों को मापता है।

यदि आपको यह पता करना है कि मार्केट ट्रेंडिंग है या बस साइडवे में चल रहा है, तो चॉपिनेस इंडेक्स इंडिकेटर आपकी इस आवश्यकता की पूर्ति कर सकता है। इस लेख में आप जानेंगे कि चॉपिनेस इंडेक्स क्या है, यह कैसे काम करता है, और भारतीय निवेशक अपनी ट्रेडिंग रणनीतियों में इसका उपयोग कैसे कर सकते हैं।

चॉपिनेस इंडेक्स को समझना

चॉपिनेस इंडेक्स (CHOP) एक टेक्निकल इंडिकेटर है जो ट्रेडर को यह निर्धारित करने में मदद करता है कि मार्केट ट्रेंडिंग है या साइडवे गति कर रहा है। इसे ऑस्ट्रेलियाई कमोडिटी ट्रेडर ई. डब्ल्यू ड्रेस द्वारा विकसित किया गया था। अन्य संकेतक प्राइस डायरेक्शन का अनुमान लगाते हैं, किन्तु इसके विपरीत चॉपिनेस इंडेक्स बस मार्केट की स्थिति को मापता है।

  • हाईचॉपिनेस इंडेक्स वैल्यू का मतलब है कि मार्केट कंसोलिडेट हो रहा है या साइडवेज गति कर रहा है।
  • कमचॉपिनेस इंडेक्स वैल्यू से पता चलता है कि मार्केट मजबूत ट्रेंड में है, या तो ऊपर की ओर या नीचे की दिशा में।

चॉपिनेस इंडेक्स यह नहीं बताता है कि कीमत किस दिशा में जाएगी; यह केवल ट्रेडर्स को यह तय करने में मदद करता है कि मार्केट ट्रेंडिंग है या रेंजिंग।

चॉपिनेस इंडेक्स की गणना कैसे की जाती है?

चॉपिनेस इंडेक्स फॉर्मूला निम्नवत है:

चॉपीनेस इंडेक्स = 100 x लॉग10 [∑ (ATR(1), n)/( MaxHigh( n) − MinLow( n)] / लॉग10 ( n)

जहाँ:

  • लॉग10(n) = बेस- nका 10 लॉग
  • n = अवधिकी निर्दिष्ट लंबाई
  • ATR(1) = औसत ट्रू रेंज (1 की अवधि)
  • SUM(ATR (1), n) = N अवधि में औसत वास्तविक रेंज का योग
  • MaxHigh(n) = N अवधिके ऊपर उच्चतम शिखर
  • MinLow (n) = n अवधि में न्यूनतम गर्त

चूँकि इस फॉर्मूले में लॉगरिदम शामिल होते हैं, इसलिए ट्रेडर आमतौर पर चॉपिनेस इंडेक्स की गणना करने के लिए चार्टिंग प्लेटफॉर्म पर आश्रित होते हैं।

चॉपीनेस इंडेक्स की व्याख्या कैसे करें?

चॉपिनेस इंडेक्स आमतौर पर 0 से 100 के बीच चलता है, यद्यपि अधिकांश ट्रेडर 20 और 40 स्तर पर ध्यान केंद्रित करते हैं.

  1. 60से अधिक – मार्केट बहुत चॉपी है (साइडवेज)।
  2. 40से कम – मार्केट ट्रेंडिंग है (या तो ऊपर की ओर या नीचे की ओर)।
  3. लगभग50 – मार्केट में कोई स्पष्ट ट्रेंड नहीं है, और उतार-चढ़ाव न तो अधिक है और न ही कम है।

निगरानी के मुख्य स्तर

  • चॉपिनेसइंडेक्स > 60 → उच्च चॉपिनेस, ट्रेंड-आधारित ट्रेड से बचें।
  • चॉपिनेस इंडेक्स < 40 मार्केट ट्रेंडिंग है, ट्रेंड-फॉलोइंग रणनीति पर विचार करें।
  • चॉपिनेसइंडेक्स 50 → न्यूट्रल, स्पष्ट सिग्नल की प्रतीक्षा करें।

भारतीय ट्रेडर के लिए चॉपिनेस इंडेक्स रणनीति

भारतीय निवेशक और ट्रेडर के लिए, चॉपिनेस इंडेक्स का उपयोग ट्रेंडिंग स्टॉक की पहचान करने या साइडवे गति से बचने में लाभदायक हो सकता है। नीचे कुछ व्यावहारिक रणनीतियां दी गई हैं:

  • ट्रेंडकन्फर्मेशन रणनीति

अगर चॉपिनेस इंडेक्स 40 से कम है, तो यह सुझाव देता है कि मार्केट ट्रेंडिंग चरण में है। इससे ट्रेडर को मदद मिल सकती है:

  • ऊपर जानेया गिरावट के ट्रेंड की पुष्टि करने के लिए मूविंग एवरेज का उपयोग करें, जैसे 50-दिन का मूविंग एवरेज।
  • निफ्टी 50 स्टॉक या सेक्टोरल इंडाइसेस जैसे स्टॉक में स्विंगट्रेडिंग के लिए प्रवेश बिंदु की पहचान करें।
  • साइडवेज मार्केट से बचना

60 से अधिक चॉपिनेस इंडेक्स का मतलब है कि मार्केट कंसोलिडेट हो रहा है। ट्रेडर निम्नांकित कर सकते हैं:

  • मूविंगएवरेज क्रॉसओवर जैसी ट्रेंड-फॉलो करने वाली रणनीतियों से बचें।
  • सपोर्टऔर रेजिस्टेंस ट्रेडिंग जैसी रेंज-आधारित रणनीतियों पर विचार करें।
  • ब्रेकआउटट्रेडिंग स्ट्रेटजी

40 से नीचे की गिरावट के बाद उच्च चॉपिनेस इंडेक्स कंसोलिडेशन के समाप्त होने का संकेतक हो सकता है। इस स्थिति में ट्रेडर निम्नांकित काम कर सकते हैं:

  • बोलिंगरबैंड या वॉल्यूम स्पाइक का उपयोग करके ब्रेकआउट देखें।
  • ब्रेकआउटकन्फर्म होने पर ट्रेडिंग शुरू करें।

चॉपिनेस इंडेक्स के उपयोग का उदाहरण

उदाहरण 1: निफ्टी 50 ट्रेंडिंग मार्केट

  • मानलें कि निफ्टी 50 के लिए चॉपिनेस इंडेक्स 35 है।
  • यहइशारा करता है कि मार्केट में मजबूत ट्रेंड सक्रिय है।
  • ट्रेडर एंट्री पॉइंट की पुष्टि करने के लिए आरएसआई (RSI) (रिलेटिवस्ट्रेंथ इंडेक्स) जैसे ट्रेंड इंडिकेटर का उपयोग कर सकते हैं।

उदाहरण 2: स्टॉक में साइडवेज गति

  • टाटामोटर्स जैसे स्टॉक में 65 का चॉपिनेस इंडेक्स है।
  • इसकामतलब है कि यह ट्रेंडिंग नहीं है, बल्कि साइडवेज चल रहा है।
  • ट्रेडरब्रेकआउट की प्रतीक्षा कर सकते हैं या किसी अन्य स्टॉक में अवसरों की तलाश कर सकते हैं।

चॉपिनेस इंडेक्स का उपयोग करने के लाभ

  • समझनाआसान – जटिल संकेतकों के विपरीत, चॉपिनेस इंडेक्स सरल है, इसमें स्पष्ट स्तर होते हैं जो ट्रेंडिंग और चॉपी मार्केट को दर्शाते हैं।
  • सभीमार्केट में काम करता है – चाहे आप स्टॉक, कमोडिटी या क्रिप्टोकरेंसी ट्रेड करते हों, यह इंडिकेटर सब में प्रभावी रहता है।
  • अनावश्यकट्रेड को रोकता है – यह ट्रेडर को गलत ब्रेकआउट और अस्थिर साइडवे की स्थिति से बचने में मदद करता है।

चॉपिनेस इंडेक्स की सीमाएं

  1. डायरेक्शनकी भविष्यवाणी नहीं करता – इंडिकेटर केवल यह बताता है कि मार्केट ट्रेंडिंग या चॉपी है, लेकिन किस दिशा में यह नहीं बताता।
  2. स्टैंडअलोनटूल नहीं – यह मूविंग एवरेज, आरएसआई (RSI) या एमएसीडी (MACD) जैसे अन्य इंडिकेटर के साथ मिलने पर सबसे बढ़िया काम करता है।
  3. लैगिंगइंडिकेटर – अधिकांश टेक्निकल इंडिकेटर की तरह, यह पिछली कीमतों पर प्रतिक्रिया करता है और हमेशा शुरुआती सिग्नल नहीं दे पाता है।

चॉपिनेस इंडेक्स का उपयोग भारतीय ट्रेडर द्वारा कैसे किया जा सकता है?

भारतीय ट्रेडर के लिए, चॉपिनेस इंडेक्स स्टॉक मार्केट का विश्लेषण करने में एक महत्वपूर्ण टूल हो सकता है। जानें कैसे:

  1. स्टॉकचयन – जो स्टॉक कंसोलिडेशन में है उसे फिल्टर करने और ट्रेंडिंग स्टॉक पर ध्यान देने के लिए इसका उपयोग करें।
  2. इंट्राडेट्रेडिंग – पता लगाएं कि ट्रेड करने से पहले स्टॉक ट्रेंडिंग है या रेंज-बाउंड है।
  3. ऑप्शनट्रेडिंग – ऑप्शन सेलर के लिए, उच्च चॉपिनेस इंडेक्स कम अस्थिरता का संकेत देता है, जो आयरन कॉन्डर या स्ट्रैडल स्ट्रेटेजी चुनने में मदद कर सकता है।

निष्कर्ष

चॉपिनेस इंडेक्स एक आसान लेकिन प्रभावी टूल है जो ट्रेडर को यह निर्धारित करने में मदद करता है कि मार्केट ट्रेंडिंग है या साइडवेज चल रहा है। यद्यपि यह प्राइस की दिशा की भविष्यवाणी नहीं करता है, लेकिन यह स्टॉक को फिल्टर करने और बेहतर ट्रेडिंग निर्णय लेने में उपयोगी होता है।

भारतीय निवेशकों के लिए, ट्रेंड इंडिकेटर के साथ चॉपिनेस इंडेक्स रणनीति का उपयोग करने से अधिक सूझ-बूझ वाली और फायदेमंद ट्रेड हो सकते हैं। चाहे आप निफ्टी 50 स्टॉक, कमोडिटी या फॉरेक्स ट्रेडिंग कर रहे हों, यह इंडिकेटर आपको मूल्यवान जानकारी प्रदान कर सकता है।

अपनी ट्रेडिंग टूलकिट में चॉपिनेस इंडेक्स को शामिल करके, आप चॉपी मार्केट से बच सकते हैं और मजबूत ट्रेंड पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं – इससे आपको स्मार्ट निवेश करने में मदद मिलती है।

FAQs

चॉपिनेस इंडेक्स के लिए सर्वश्रेष्ठ सेटिंग क्या है?

डिफॉल्ट सेटिंग 14 अवधि की है, लेकिन ट्रेडर अपनी रणनीति के आधार पर इसे बदल भी सकते हैं।

क्या इंट्राडे ट्रेडिंग के लिए चॉपिनेस इंडेक्स का उपयोग किया जा सकता है?

हां, यह इंट्राडे ट्रेडिंग में यह अच्छी तरह से काम करता है, जिससे ट्रेडर को यह निर्धारित करने में मदद मिलती है कि स्टॉक ट्रेंडिंग है या कंसोलिडेशन में है।

चॉपिनेस इंडेक्स एडीएक्स (ADX) इंडिकेटर से किस तरह भिन्न है?

दोनों इंडिकेटर ट्रेंड की ताकत को मापते हैं, लेकिन एडीएक्स (ADX) ट्रेंड की दिशा दिखाता है, जबकि चॉपिनेस इंडेक्स केवल यह बताता है कि ट्रेंड है।

क्या दीर्घावधि निवेशक के लिए चॉपिनेस इंडेक्स उपयोगी है?

नहीं। इसका इस्तेमाल मुख्य रूप से अल्पकालिक ट्रेडर और स्विंग ट्रेडर द्वारा किया जाता है।