
भारत के दूरसंचार विभाग (Department of Telecommunications - DOT) ने लोकप्रिय मैसेजिंग ऐप्स के लिए नए सिम-लिंक्ड प्रमाणीकरण नियम अनिवार्य किए हैं ताकि बढ़ते ऑनलाइन धोखाधड़ी को रोका जा सके और साथ ही इन प्लेटफॉर्म्स के लाखों उपयोगकर्ताओं के लिए काम करने के तरीके को बदला जा सके।
DOT ने OTT ऐप्स के लिए नए सिम-लिंक्ड निर्देश जारी किए
DOT ने व्हाट्सऐप, टेलीग्राम, सिग्नल, स्नैपचैट और अन्य ऐप्स को निर्देश दिया है कि प्रत्येक अकाउंट उपयोगकर्ता के डिवाइस पर सक्रिय सिम से जुड़ा रहे। ऐप्स को इस निर्देश को लागू करने के लिए 90 दिन मिलेंगे, इसके बाद अनुपालन न करने पर जुर्माना लग सकता है।
DOT ने यह भी निर्देश दिया है कि वेब और डेस्कटॉप वर्शन हर 6 घंटे में उपयोगकर्ताओं को ऑटोमेटिक लॉगआउट करें और फिर से क्यूआर (QR)-आधारित प्रमाणीकरण की आवश्यकता हो। खबरों के अनुसार, अधिकारियों ने कहा कि यह कदम प्लेटफॉर्म्स के साथ लगभग एक साल की बातचीत के बाद आया है क्योंकि डिजिटल घोटालों के मामले बढ़ रहे हैं।
इंडस्ट्री की चिंताएं और संचालन संबंधी चुनौतियां
खबरों के अनुसार, इससे व्यावहारिक सीमाओं को लेकर चिंता जताई गई है, क्योंकि यह निर्देश व्यापक रूप से इस्तेमाल होने वाले मैसेजिंग ऐप्स के विभिन्न डिवाइसों पर काम करने के तरीके को प्रभावित करता है। यह उन उपयोगकर्ताओं के लिए परेशानी पैदा करता है जो विदेश यात्रा करते हैं, ई-सिम (e-SIM) या ड्यूल सिम डिवाइस का उपयोग करते हैं, और छोटे व्यवसाय जो लगातार डेस्कटॉप सत्र पर निर्भर हैं।
कई इंडस्ट्री प्रतिनिधियों ने यह भी सवाल उठाया कि क्या सिम बाइंडिंग भारत के बाहर से होने वाली धोखाधड़ी को प्रभावी ढंग से रोक पाएगी, यह बताते हुए कि घोटालेबाज अभी भी भारतीय सिम कार्ड का दुरुपयोग कर सकते हैं। सेक्टर विशेषज्ञों का व्यापक मत है कि मजबूत सिम जीवनचक्र नियंत्रण और समन्वित धोखाधड़ी-डिटेक्शन (fraud-detection) फ्रेमवर्क जरूरी हो सकते हैं।
निष्कर्ष
नए सिम-बाइंडिंग नियम भारत के मैसेजिंग इकोसिस्टम के लिए एक बड़ा बदलाव हैं, जो उपयोगकर्ता अनुभव और प्लेटफॉर्म संचालन दोनों को प्रभावित करते हैं। जहां DOT इस कदम को डिजिटल धोखाधड़ी रोकने के लिए जरूरी मानता है, वहीं इंडस्ट्री का कहना है कि व्यावहारिक चुनौतियां और व्यापक सुरक्षा खामियों पर अभी भी ध्यान देने की जरूरत है।
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प्रकाशित: 1 Dec 2025, 10:24 pm IST

Team Angel One
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