आयकर (संख्या 2) विधेयक 2025 के पारित होने के साथ ही भारतीय कर व्यवस्था में एक बड़ा परिवर्तन होने जा रहा है। यह विधेयक 6 दशक पुराने आयकर अधिनियम 1961 का स्थान लेगा। यह विधेयक कर कानूनों को सरल (SIMPLE) बनाने का वादा करता है - सुव्यवस्थित, एकीकृत, न्यूनतम मुकदमेबाजी, व्यावहारिक, सीखने और अनुकूलन योग्य, तथा कुशल।
सबसे उल्लेखनीय करदाता-अनुकूल परिवर्तनों में से एक है टीडीएस (स्रोत पर कर कटौती) दाखिल करने में देरी के लिए दंड को हटाना, जिससे व्यक्तियों, एमएसएमई और व्यवसायों को बहुत आवश्यक राहत मिलेगी।
नए प्रावधानों के तहत, यदि करदाता अपना टीडीएस रिटर्न देर से दाखिल करता है, तो उस पर कोई वित्तीय जुर्माना नहीं लगेगा।
पहले:
पुराने प्रावधानों में टीडीएस रिटर्न देर से दाखिल करने पर जुर्माना और ब्याज लगता था, जिससे मामूली या वास्तविक देरी के मामलों में भी व्यवसायों पर बोझ पड़ता था।
अब:
देर से दाखिल करने पर जुर्माने का प्रावधान हटा दिया गया है, जिससे अनुपालन का दबाव कम होगा और कर प्रशासन अधिक सुचारु हो सकेगा।
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देर से टीडीएस फाइलिंग पर कोई जुर्माना नहीं का प्रावधान, कर प्रणाली को अधिक करदाता-हितैषी और कम दंडात्मक बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण बदलाव है। यह ईमानदार करदाताओं के लिए अनावश्यक तनाव को समाप्त करता है, जबकि अनुपालन को बरकरार रखता है।
आयकर (संख्या 2) विधेयक में शामिल अन्य सहायक उपायों के साथ, यह सुधार भारत के कर कानूनों को सरल, स्पष्ट और व्यक्तियों व व्यवसायों के लिए अधिक व्यावहारिक बनाने का लक्ष्य रखता है।
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प्रकाशित: 14 Aug 2025, 5:03 pm IST
Team Angel One
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