सरकार ने आयकर अधिनियम, 1961 के आधुनिक संस्करण के रूप में आयकर विधेयक, 2025 पेश किया है। यद्यपि मूल संरचना वही रहेगी, यह विधेयक स्पष्ट नियम, सरल अनुपालन और करदाताओं, विशेषकर कॉर्पोरेट्स और पेशेवरों के लिए अधिक लाभ लेकर आएगा।
प्रमुख कॉर्पोरेट परिवर्तन
- नई कर व्यवस्था के लाभ: नई कर व्यवस्था चुनने वाली कंपनियां अब धारा 80एम (Clause 148) के तहत कटौती का दावा कर सकती हैं।
- पेंशन और ग्रेच्युटी कटौती: परिवर्तित पेंशन और ग्रेच्युटी प्राप्त करने वाले परिवार के सदस्यों को धारा 93 (Clause 93) के अंतर्गत कटौती मिलेगी।
- एमएटी (MAT) और एएमटी (AMT) पृथक्करण: धारा 206 कॉर्पोरेट्स के लिए न्यूनतम वैकल्पिक कर (MAT) और गैर-कॉर्पोरेट्स के लिए वैकल्पिक न्यूनतम कर (AMT) को अलग करती है। केवल पूंजीगत लाभ आय और कोई कटौती न करने वाली एलएलपी को एएमटीसे छूट प्राप्त है।
व्यावसायिक और डिजिटल अर्थव्यवस्था प्रावधान
- इलेक्ट्रॉनिक भुगतान: धारा 187 (Clause 187) इलेक्ट्रॉनिक भुगतान नियमों में “पेशे” को जोड़ती है, जिसके तहत ₹50 करोड़ से अधिक प्राप्तियों वाले पेशेवरों को डिजिटल तरीका का उपयोग करना आवश्यक है।
धनवापसी और हानियाँ
- विलंबित धनवापसी की अनुमति: धारा 263(1)(ix) को हटा दिया गया है, जिससे रिटर्न देरी से दाखिल किए जाने पर भी धनवापसी का दावा किया जा सकेगा।
- हानि समायोजन के नियम: हानि आगे ले जाने और समायोजित करने के प्रावधानों को अधिक स्पष्ट किया गया है, हालांकि इसमें कोई बड़ा बदलाव नहीं किया गया है।
कर का फोकस में बदलाव
- प्राप्ति से आय पर जोर: कर नियम अब “प्राप्ति” (Receipts) के बजाय “आय” (Income) पर केंद्रित होंगे।
- गैर-लाभकारी संस्थाओं के लाभ: गैर-लाभकारी संस्थाओं द्वारा पूंजीगत लाभ को पुनर्निवेश करने पर इसे आय के उपयोग में गिना जाएगा। 85% आय नियम में देर से प्राप्त राशि के कारण हुई कमी को वास्तविक प्राप्ति वाले वर्ष में समायोजित किया जा सकेगा।
आगे पढ़े: नया आयकर विटौतियों में प्रमुख बदलावधेयक 2025: रिफंड और हाउस प्रॉपर्टी क!
अन्य प्रमुख संशोधन
- गुमनाम दान: इसका प्रावधान मौजूदा कानून के अनुरूप रखा गया है।
- मिश्रित उद्देश्य वाली गैर-लाभकारी संस्थाएँ: इनके लिए स्पष्ट वर्गीकरण नियम तय किए गए हैं।
- 15% आय निवेश नियम: अनिवार्य नियम को हटा दिया गया है।
- टीडीएस सुधार अवधि: 6 वर्ष से घटाकर 2 वर्ष कर दी गई है।
निष्कर्ष
आयकर विधेयक 2025 में पुराने ढाँचे को आधुनिक सुधारों के साथ जोड़ा गया है। इसका उद्देश्य अनुपालन को सरल बनाना, लाभों का विस्तार करना और आज की डिजिटल व पेशेवर अर्थव्यवस्था के अनुरूप कर ढाँचे को ढालना है।
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