भारत में सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों पर सबसे अधिक कर बोझ लगता है। जीएसटी व्यवस्था के तहत इन उत्पादों पर 28% जीएसटी के साथ भारी क्षतिपूर्ति सेस और अन्य कर लगाए जाते हैं, जिससे कुल कर 50% से अधिक पहुंच जाता है। हाल ही में जीएसटी परिषद के फैसलों के अनुसार आने वाले महीनों में संरचना में बदलाव होगा, लेकिन समाचार रिपोर्ट्स के मुताबिक उपभोक्ताओं पर बोझ कम होने की संभावना नहीं है।
वर्तमान में सिगरेट, पान मसाला, गुटखा, चबाने वाला तंबाकू, बीड़ी और इसी तरह के उत्पादों पर 28% जीएसटी दर और क्षतिपूर्ति सेस लगाया जाता है। यह सेस 8 साल पहले राज्यों के जीएसटी में संक्रमण के दौरान राजस्व हानि की भरपाई के लिए लाया गया था। अस्थायी रूप से शुरू किया गया यह सेस अभी भी जारी है क्योंकि लंबित ऋण का भुगतान बाकी है।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अध्यक्षता वाली जीएसटी परिषद ने क्षतिपूर्ति सेस को कम से कम तीन महीने और बढ़ा दिया है। कारण यह है कि केंद्र सरकार को अभी भी राज्यों के राजस्व घाटे को पूरा करने के लिए, लिए गए ऋणों का भुगतान करना है।
22 सितंबर से लग्जरी कार, कोयला और शीतल पेय जैसे उत्पादों पर छूट मिलने के बाद सेस संग्रह धीमा हुआ है, जिससे ऋण भुगतान में देरी हुई है।
जैसे ही ऋण पूरी तरह चुका दिया जाएगा, मौजूदा सेस हटा लिया जाएगा। हालांकि, सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पादों पर जीएसटी दर बढ़कर 40% हो जाएगी, जो जीएसटी का अधिकतम स्लैब है।
इससे सुनिश्चित होगा कि इन "पाप उत्पादों" (सिन गुड्स) पर कर बोझ लगभग अपरिवर्तित बना रहे। उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि जरूरत पड़ने पर मौजूदा कर स्तर बनाए रखने के लिए नया कर भी लगाया जा सकता है।
इस समय सिगरेट पर केवल जीएसटी और क्षतिपूर्ति सेस ही नहीं बल्कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क और राष्ट्रीय आपदा आकस्मिक शुल्क भी लगाया जाता है। इन अप्रत्यक्ष करों का कुल बोझ खुदरा कीमत का लगभग 53% बनता है, जिससे यह भारत के सबसे अधिक कर लगाए गए उत्पादों में शामिल है। सरकार का उद्देश्य खपत को हतोत्साहित करना और साथ ही स्थिर राजस्व जुटाना है।
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हालांकि सिगरेट पर कर संरचना क्षतिपूर्ति सेस से अधिक जीएसटी दर या किसी नए कर में बदल सकती है, लेकिन उपभोक्ताओं पर बोझ कम होने की संभावना नहीं है। सरकार के लिए तंबाकू उत्पाद अभी भी राजस्व का एक अहम स्रोत बने रहेंगे।
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प्रकाशित: 11 Sept 2025, 9:23 pm IST
Team Angel One
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