
एप्पल ने भारतीय सरकार के निर्देश के अनुसार अपने स्मार्टफोन्स पर संचार साथी साइबर सेफ्टी ऐप को प्री-इंस्टॉल करने से इनकार कर दिया है, रॉयटर्स रिपोर्ट के अनुसार। दूरसंचार विभाग (DOT) ने सभी मोबाइल निर्माताओं को भारत में बिकने वाले डिवाइसेज पर यह ऐप प्रीलोड करने का आदेश दिया था।
एप्पल का कहना है कि यह आदेश प्राइवेसी और सुरक्षा को लेकर चिंताएं पैदा करता है और कंपनी इस मुद्दे पर सरकार से बातचीत करना चाहती है। कंपनी ने बताया कि उसने कभी भी वैश्विक स्तर पर अपने डिवाइसेज पर ऐप्स प्री-इंस्टॉल नहीं किए हैं।
DoT के आदेश के तहत, संचार साथी डिवाइस के ऑन होते ही, फर्स्ट-टाइम सेटअप प्रोसेस में इंटीग्रेटेड होना चाहिए। यूजर्स इस ऐप को डिसेबल, हाइड या रिस्ट्रिक्ट नहीं कर सकते।
निर्माताओं को अनुपालन रिपोर्ट सबमिट करने के लिए 120 दिन दिए गए हैं। सरकार का कहना है कि यह कदम उपभोक्ताओं को फर्जी या छेड़छाड़ किए गए डिवाइसेज से बचाने के लिए है, लेकिन इंडस्ट्री के लोगों को ऑपरेशनल और विनियामक चुनौतियों की चिंता है।
एप्पल का मानना है कि सरकारी ऐप्स को प्री-इंस्टॉल करना उसकी प्राइवेसी और सुरक्षा नीतियों के खिलाफ है। कंपनी इन चिंताओं पर भारतीय अधिकारियों से चर्चा करने की योजना बना रही है।
जहां एप्पल ने कभी भी वैश्विक स्तर पर (globally) ऐप्स प्रीलोड नहीं किए हैं, वहीं उसने 2021 में एक रूसी कानून का पालन करते हुए डिवाइस सेटअप के दौरान यूजर्स को सरकारी-अनुमोदित ऐप्स इंस्टॉल करने का प्रॉम्प्ट दिखाया था। इंडस्ट्री के अधिकारियों का कहना है कि भारत का यह निर्देश भविष्य में इसी तरह के आदेशों की मिसाल बन सकता है।
यह आवश्यकता मोबाइल निर्यात को प्रभावित कर सकती है, क्योंकि भारत में बिकने वाले डिवाइसेज के लिए निर्यात इकाइयों से अलग कॉन्फ़िगरेशन की जरूरत होगी। प्रमुख निर्माता जैसे एप्पल, सैमसंग और गूगल का सरकारी-डेवलप्ड ऐप्स प्रीलोड करने का कोई इतिहास नहीं है।
यह निर्देश ऑपरेशनल जटिलताएं पैदा कर सकता है और यूजर की पसंद व डेटा सुरक्षा पर सवाल उठा सकता है। यह कदम इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) से परामर्श किए बिना लिया गया, जो व्यापार नियमों के तहत मोबाइल डिवाइसेज की देखरेख करता है।
संचार साथी आदेश का एप्पल द्वारा विरोध विनियामक अनुपालन और प्राइवेसी मानकों के बीच बढ़ते तनाव को दर्शाता है। जहां सरकार उपभोक्ता सुरक्षा बढ़ाने का लक्ष्य रखती है, वहीं इंडस्ट्री को सुरक्षा, ऑपरेशनल प्रभाव और वैश्विक मिसालों को लेकर चिंता बनी हुई है।
एप्पल और भारतीय अधिकारियों के बीच चर्चा अगले कदम तय करने में अहम होगी। इसका परिणाम भारत के स्मार्टफोन बाजार में ऐप प्री-इंस्टॉलेशन पर भविष्य की नीतियों को आकार दे सकता है।
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प्रकाशित: 3 Dec 2025, 12:39 am IST

Team Angel One
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