इलाहाबाद उच्च न्यायालय की दो-न्यायाधीशों की पीठ, जिसमें न्यायमूर्ति शेखर बी. सराफ और न्यायमूर्ति विपिन चंद्र दीक्षित शामिल थे, ने पतंजलि आयुर्वेद की उस दलील को खारिज कर दिया जिसमें कहा गया था कि इस प्रकार के जुर्माने आपराधिक प्रकृति के होते हैं और इन्हें केवल आपराधिक मुकदमे के बाद ही लगाया जा सकता है। न्यायालय ने स्पष्ट किया कि जीएसटी(GST) अधिनियम की धारा 122 के तहत कर प्राधिकरण नागरिक प्रक्रिया के माध्यम से जुर्माना लगा सकते हैं और इसके लिए आपराधिक मुकदमे की आवश्यकता नहीं है।
डायरेक्टरेट जनरल ऑफ जी.एस.टी. इंटेलिजेंस (डी.जी.जी.आई.), गाजियाबाद ने 19 अप्रैल 2024 को पतंजलि आयुर्वेद को एक शो-कॉज नोटिस जारी किया था, जिसमें ₹२७३.५१ करोड़ के जुर्माने का प्रस्ताव दिया गया था। जांच में पाया गया कि पतंजलि ने उच्च इनपुट टैक्स क्रेडिट (आई.टी.सी.) का दावा किया था, जबकि वास्तविक वस्तुओं की आपूर्ति नहीं की गई थी। यह "सर्कुलर ट्रेडिंग" का मामला था, जिसमें केवल कागजी चालान जारी किए गए थे।
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यह निर्णय कर अनुपालन और पारदर्शिता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह स्पष्ट करता है कि बड़े कॉर्पोरेट्स भी कर नियमों के उल्लंघन पर जवाबदेह हैं और कर प्राधिकरण नागरिक प्रक्रिया के माध्यम से जुर्माना लगा सकते हैं।
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प्रकाशित: 4 Jun 2025, 9:23 pm IST
Team Angel One
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