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म्यूचुअल फ़ंड वर्सिस रियल एस्टेट: लंबी अवधि के निवेश के लिए कौन-सा बेहतर है?

9 min readby Angel One
स्टॉक्स और बॉन्ड या लोहे और ईंटों से बनी भौतिक संरचनाएँ? भारत में दो लोकप्रिय निवेश साधनों, यानी म्यूचुअल फंड वर्सिस रियल एस्टेट के बीच लंबी अवधि की निवेश लड़ाई को सुलझाएं।
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लंबी अवधि की निवेश यात्रा शुरू करने से रोमांचक अवसर मिलते हैं, लेकिन साथ ही महत्वपूर्ण विकल्प भी मिलते हैं। क्या आपको म्यूचुअल फंड के ज़रिए डायनामिक स्टॉक मार्केट में नेविगेट करना चाहिए या रियल एस्टेट की मूर्त संपत्ति को चुनना चाहिए? यह आर्टिकल हर विकल्प के फ़ायदे और नुकसान के बारे में गहराई से बताता है, जिसमें रिटर्न, लिक्विडिटी, जोखिम और मैनेजमेंट ज़रूरतों जैसे प्रमुख कारकों के बारे में बताया गया है।

अगर आपको तुरंत रीकैप की ज़रूरत है, तो म्यूचुअल फंड सैकड़ों और हज़ारों रिटेल निवेशकों से फ़ंड इकट्ठा करता है और फिर एक खास रणनीति के अनुसार उन फ़ंड को निवेश करता है। यह रणनीति स्टॉक और बॉन्ड जैसे किसी एसेट क्लास तक, बैंकिंग या PSU जैसे सेक्टर के सेट तक या मार्केट कैप, इंडेक्स आदि जैसे किसी अन्य कारक तक सीमित हो सकती है, दूसरी ओर, रियल एस्टेट निवेश में मूल रूप से जमीन या प्रॉपर्टी खरीदना और किराए या पूंजी के लाभ से लाभ प्राप्त करना शामिल होता है, यानी समय के साथ जमीन की कीमत में बढ़ोतरी होती है।

अब आपको मूलभूत बातें पता हैं, तो अपनी संपत्ति को ईंट दर ईंट या शेयर दर शेयर बढ़ाने के रहस्यों के बारे में जानने के लिए तैयार रहें!

म्यूचुअल फ़ंड की मुख्य विशेषताएँ

  1. सामूहिकनिवेश: आपका पैसा दूसरों के साथ मिल जाता है, जिससे स्टॉक, बॉन्ड या अन्य संपत्तियों के विविध पोर्टफोलियो तक पहुंच मिलती है, यहाँ तक कि छोटे निवेशों से भी।
  2. पेशेवर मैनेजमेंट : अनुभवी फ़ंड मैनेजर रिसर्च करते हैं और निवेश चुनते हैं, जिससे आपका समय और मेहनत बचती है।
  3. डाइवर्सिफिकेशन यानी विविधीकरण: अपने अंडों को कई बास्केट में रखें, मतलब के किसी एक संपत्ति पर निर्भर न रहकर जोखिम को कम करें।
  4. लिक्विडिटी: फ़ंड में शेयर आसानी से ख़रीद और बेच सकते हैं, जो सीधे स्वामित्व वाले व्यक्तिगत स्टॉक की तुलना में फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करते हैं।
  5. पारदर्शिता: नियमित रिपोर्ट से फ़ंड होल्डिंग्स और परफ़ॉर्मेंस का पता चलता है, जिससे आपको जानकारी मिलती है।
  6. शुल्क: फ़ंड के रिटर्न से मैनेजमेंट शुल्क और खर्च काट लिए जाते हैं, जिससे परफ़ॉर्मेंस प्रभावित होता है।
  7. जोखिम: मार्केट में उतार-चढ़ाव फ़ंड की वैल्यू को प्रभावित करते हैं, इसलिए निवेश करने से पहले अपनी जोखिम उठाने की क्षमता को समझ लें।
  8. कई तरह के विकल्प: निवेश के लक्ष्यों, जोखिम उठाने की क्षमता और संपत्ति की श्रेणियों के आधार पर अलग-अलग फ़ंड में से चुनें।
  9. सिस्टमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP): रुपए-कॉस्ट एवरेजिंग से फ़ायदा उठाने और समय के साथ संपत्ति बनाने के लिए नियमित रूप से (यहाँ तक कि छोटी रकम भी) निवेश करें।

इसके अलावा SIP क्या है इसके बारे में और पढ़ें?

म्यूचुअल फंड से रिटर्न मिलने की गारंटी नहीं होती है और पिछली परफोर्मेंस ज़रूरी नहीं कि भविष्य के नतीजों का संकेत दे। निवेश करने से पहले अपना रिसर्च करें और किसी वित्तीय सलाहकार से सलाह लें।

रियल एस्टेट निवेश की मुख्य विशेषताएँ

  1. टेंजीबिलिटी यानी मूर्तता: स्टॉक और बॉन्ड के विपरीत, रियल एस्टेट एक भौतिक संपत्ति प्रदान करता है, जिसमें अंतर्निहित मूल्य और वृद्धि की संभावना होती है।
  2. इनकम जनरेशन: प्रॉपर्टी किराए पर देने से पैसिव इनकम की एक स्थिर स्ट्रीम मिल सकती है, जिससे कैश फ्लो भरोसेमंद हो सकता है।
  3. पूंजी वृद्धि: समय के साथ, प्रॉपर्टी की वैल्यू बढ़ सकती हैं, जिससे लंबी अवधि के पूंजी लाभ की संभावनाएं मिलती हैं।
  4. लिवरेज: चूंकि रियल एस्टेट में न्यूनतम निवेश की आवश्यकता बहुत ज्यादा होती है, इसलिए निवेशक अक्सर अपनी रियल एस्टेट ख़रीदारी के लिए लोन पर भरोसा करते हैं। इससे जुड़े जोखिमों और डेब्ट के दायित्वों का ध्यान रखें।
  5. ऊंची लागतें: ट्रांजेक्शन की लागत, चल रहे रखरखाव और प्रॉपर्टी टैक्स से प्रॉफ़िटेबिलिटी पर काफ़ी असर पड़ सकता है।
  6. इलिक्विडिटी: सार्वजनिक रूप से ट्रेड किए गए शेयरों के विपरीत, रियल एस्टेट संपत्ति को बेचने में अधिक समय लग सकता है, जिसके लिए निवेश की लंबी अवधि की आवश्यकता होती है।

7.लोकेशन पर निर्भरता: प्रॉपर्टी की वैल्यू बहुत हद तक लोकेशन पर निर्भर करती है, इसके लिए पूरी तरह से मार्केट रिसर्च और सावधानी की आवश्यकता होती है।

  1. मैनेजमेंट की तीव्रता: सीधे स्वामित्व के लिए एक्टिव मैनेजमेंट की आवश्यकता होती है, जबकि रेंटल में किरायेदार से बातचीत और घर खाली रहने की संभावित अवधि शामिल होती है।
  2. डाइवर्सिफिकेशन विकल्प: रियल एस्टेट आपके पोर्टफोलियो में डाइवर्सिफिकेशन जोड़ सकता है, जिससे संभावित रूप से समग्र जोखिम कम हो सकता है।
  3. अप्रत्याशित परेशानी: भारत में ज़मीन से संबंधित बिजनेस में अक्सर ग़ैरक़ानूनी गतिविधियाँ, भाई-भतीजावाद, रिश्वतखोरी, गुंडागर्दी, कानूनी समस्याएँ आदि शामिल होती हैं, इसके कारण लंबी अवधि के जोखिम बहुत अधिक हो जाते हैं सिर्फ़ गिने-चुने लोगों के पास ही इन्हें संभालने के लिए संसाधन होते हैं।

रियल एस्टेट निवेश में अनोखे जोखिम होते हैं और इसके लिए गहन विश्लेषण की आवश्यकता होती है। निवेश करने से पहले अपने वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम उठाने की क्षमता और निवेश से जुड़ी विशेषज्ञता के बारे में सोच लें। किसी रियल एस्टेट पेशेवर से सलाह लेने की सलाह दी जाती है।

रियल एस्टेट की तुलना में म्यूचुअल फ़ंड के फ़ायदे

हालांकि दोनों ही निवेश के अवसर प्रदान करते हैं, म्यूचुअल फंड सीधे रियल एस्टेट के स्वामित्व की तुलना में निम्नलिखित फ़ायदे प्रदान करते हैं:

  1. ऐक्सेसिबिलिटी और डाइवर्सिफिकेशन: एक प्रॉपर्टी खरीदने के विपरीत, तुरंत डाइवर्सिफिकेशन हासिल करते हुए, कई संपत्तियों के पेशेवर रूप से मैनेज किए गए पोर्टफोलियो में छोटी पूंजी के साथ निवेश करें।
  2. लिक्विडिटी और फ्लेक्सिबिलिटी: किसी भी समय आसानी से म्यूचुअल फंड शेयर ख़रीदें और बेचें, जो रियल एस्टेट बेचने की अक्सर लंबी प्रक्रिया की तुलना में ज़्यादा फ्लेक्सिबिलिटी देते हैं।
  3. पेशेवर मैनेजमेंट : अनुभवी फ़ंड मैनेजर मार्केट की जटिलताओं को नेविगेट करने के लिए अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाते हैं, जिससे आपका समय और रिसर्च के प्रयासों की बचत होती है।
  4. मैनेजमेंट का बोझ कम होना: सीधे संपत्ति मैनेजमेंट की ज़िम्मेदारियों से बचें, जिसमें किरायेदार की समस्याएं, मरम्मत और रखरखाव शामिल हैं।
  5. लोअर एंट्री बैरियर: रियल एस्टेट ख़रीदारी से जुड़ी महत्वपूर्ण अग्रिम लागतों की तुलना में कम राशि में निवेश करें।
  6. पारदर्शिता और सुविधा: निजी संपत्ति के लेनदेन की अपारदर्शी प्रकृति के विपरीत, नियमित रिपोर्ट और ऑनलाइन एक्सेस से आपके निवेश के बारे में स्पष्ट जानकारी मिलती है।
  7. संपत्तियों की एक विस्तृत रेंज तक पहुंच: अलग-अलग एसेट क्लास (जैसे, अंतरराष्ट्रीय स्टॉक, कमोडिटी) के संपर्क में लाभ पाएँ, जो रियल एस्टेट की व्यक्तिगत ख़रीदारी के ज़रिए आसानी से उपलब्ध नहीं होते हैं।
  8. व्यवस्थित निवेश विकल्प: SIP के ज़रिए नियमित निवेश स्वचालित करें, जो रुपए-कॉस्ट एवरेजिंग से फ़ायदा उठाता है और समय के साथ संपत्ति बनाता है।
  9. ट्रांजेक्शन की कम लागत: महंगे क्लोजिंग कॉस्ट, रियल एस्टेट एजेंट फीस और प्रॉपर्टी टैक्स से बचें, जो आमतौर पर रियल एस्टेट लेन-देन से जुड़े होते हैं।
  10. कम जोखिम: कई संपत्तियों में विविधता लाने से संपत्ति के व्यक्तिगत प्रदर्शन और मार्केट में उतार-चढ़ाव से जुड़े जोखिम कम हो जाते हैं।

म्यूचुअल फ़ंड की तुलना में रियल एस्टेट के फ़ायदे

म्यूचुअल फंड सुविधा और विविधता प्रदान करते हैं, जबकि रियल एस्टेट में कुछ निवेशकों के लिए अनोखे फायदे हैं:

  1. मूर्त संपत्ति और मुद्रास्फीति बचाव: सिर्फ़ कागज़ पर आधारित निवेशों के विपरीत, आंतरिक मूल्य वाली भौतिक संपत्ति के मालिक बनें, जो समय के साथ बेहतर होता है और मुद्रास्फीति से प्राकृतिक बचाव के रूप में काम करते हैं।
  2. आवास के फ़ायदे: अगर आप आवासीय प्रॉपर्टी ख़रीद रहे हैं, तो इससे आपको आरामदायक जीवन, समाज में बेहतर हैसियत और बेहतर सुरक्षा का और फ़ायदा मिलेगा। किसी घर का मालिक, चाहे आवासीय हो या कमर्शियल, म्यूचुअल फंड में रिटेल निवेशक की तुलना में उच्च स्तर पर प्रभाव और सम्मान प्राप्त करता है।
  3. डायरेक्ट इनकम जनरेशन: रेंटल के ज़रिए पैसिव इनकम जनरेट होती है, जिससे भरोसेमंद कैश फ्लो बनता है, जिसकी कई म्यूचुअल फंडों में कमी हो सकती है।
  4. टैक्स फ़ायदे: डेप्रिसिएशन, मरम्मत, और गिरवी रखने पर मिलने वाले ब्याज़ के लिए टैक्स में कटौती का फायदा मिलता है, ऐसे टैक्स लाभ जो म्यूचुअल फंड निवेशकों को उपलब्ध नहीं हैं।
  5. बेहतर नियंत्रण और अनुकूलन: म्यूचुअल फंड की मानकीकृत प्रकृति के विपरीत, प्रॉपर्टी के प्रकार, लोकेशन और मैनेजमेंट के दृष्टिकोण को चुनकर, अपने निवेश को खास ज़रूरतों और प्राथमिकताओं के हिसाब से तैयार करें।
  6. लंबी अवधि के लिए वृद्धि: ऐतिहासिक रूप से, रियल एस्टेट वैल्यू में लंबी अवधि के रुझान दिखाई देते हैं, संभावित रूप से औसत म्यूचुअल फंड रिटर्न की तुलना में अधिक पूंजी लाभ मिलते हैं।
  7. बाजार की अस्थिरता के खिलाफ बचाव: रियल एस्टेट अक्सर शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव के साथ कम सहसंबंध दर्शाता है, जो संभावित रूप से आर्थिक मंदी के दौरान स्थिरता प्रदान करता है।
  8. मूर्त विरासत: म्यूचुअल फंड होल्डिंग्स की आसानी से लिक्विडेटेड प्रकृति के विपरीत, आने वाली पीढ़ियों के लिए एक मूर्त विरासत बनाएं।
  9. उपलब्धि की भावना: अपने निवेश के साथ एक ठोस कनेक्शन बनाते हुए, असली संपत्ति के मालिक होने और उसे मैनेज करने की संतुष्टि का अनुभव करें।

कैसे तय करें कि आपको किसका चयन करना चाहिए?

रियल एस्टेट और म्यूचुअल फंड के बीच फ़ैसला करने के लिए आपके वित्तीय लक्ष्यों, जोखिम उठाने की क्षमता और समय सीमा के बारे में आत्मनिरीक्षण करने की ज़रूरत होती है। इस महत्वपूर्ण विकल्प को नेविगेट करने में आपकी मदद करने के लिए यहाँ ब्रेकडाउन दिया गया है:

  1. आवासीय ज़रूरतें:
  • रियल एस्टेट: अगर आपको रहने के लिए जगह चाहिए, तो घर खरीदना आदर्श हो सकता है। आप समय के साथ इक्विटी हासिल कर लेते हैं, संभावित रूप से इसकी वैल्यू बढ़ जाती है(लोकेशन के आधार पर), और टैक्स लाभ मिलते हैं । हालांकि, अग्रिम लागत, रखरखाव, और लिक्विडिटी महत्वपूर्ण कमियां हैं।
  • म्यूचुअल फंड: रेजिडेंशियल REIT में निवेश करने से बिना सीधे स्वामित्व के, हाउसिंग मार्केट में जाने का मौका मिलता है। इससे लिक्विडिटी, डाइवर्सिफिकेशन और पेशेवर मैनेजमेंट की सुविधा मिलती है, लेकिन रिटर्न कम हो सकता है और मालिक होने के टैक्स फ़ायदों की कमी हो सकती है।
  1. बड़ी योजनाएँ:
  • रियल एस्टेट: लंबी अवधि के लिए वेल्थ क्रिएशन के लिए, रेंटल पोर्टफ़ोलियो बनाने से पैसिव इनकम और संभावित पूंजी वृद्धि हो सकती है। अगर आप फ़ैक्टरी या कमर्शियल स्पेस बना रहे हैं, तो रियल एस्टेट में निवेश करने के लिए समझदारी से निवेश करना ज़रूरी है। हालांकि, जोखिम भी हैं। लिवरेज से रिटर्न बढ़ सकता है, लेकिन जोखिमों और डेब्ट के दायित्वों का ध्यान रखें।
  • म्यूचुअल फ़ंड: ग्रोथ-ओरिएंटेड इक्विटी फ़ंड में निवेश करना लंबी अवधि के लक्ष्यों के अनुरूप होता है। डाइवर्सिफिकेशन से जोखिम कम होता है और पेशेवर मैनेजमेंट प्रक्रिया को सरल बनाता है। हालांकि, रिटर्न मार्केट में उतार-चढ़ाव के अधीन होते हैं।
  1. साधारण निवेश:
  • रियल एस्टेट: क्राउडफंडिंग प्लेटफ़ॉर्म रियल एस्टेट में आंशिक स्वामित्व प्रदान करते हैं, जिसके लिए छोटे निवेश की आवश्यकता होती है और मैनेजमेंट का बोझ कम होता है। हालांकि, उचित परिश्रम की की ज़रूरतें म्यूचुअल फ़ंड की तुलना में ज़्यादा रहती हैं।
  • म्यूचुअल फ़ंड: इंडेक्स फ़ंड या ETF पैसिव मैनेजमेंट और कम फीस प्रदान करते हैं, जिससे वे व्यावहारिक निवेशकों के लिए आदर्श बन जाते हैं। उनका विविध स्वभाव जोखिम को कम करता है, लेकिन रिटर्न मध्यम स्तर का हो सकता है।
  1. रिटर्न्स:
  • रियल एस्टेट: ऐतिहासिक रूप से, रियल एस्टेट स्थिर रिटर्न देता है, जिसमें वृद्धि की संभावना होती है। रेंटल इनकम से होने वाली इनकम में एक पैसिव स्ट्रीम भी शामिल होती है। हालांकि, रिटर्न धीमे होते हैं और यह लोकेशन और मार्केट की स्थितियों पर निर्भर करते हैं।
  • म्यूचुअल फ़ंड: चुने गए फ़ंड के प्रकार और जोखिम प्रोफ़ाइल के आधार पर रिटर्न में काफी अंतर होता है। इक्विटी फ़ंड ज़्यादा संभावित रिटर्न देते हैं, लेकिन उनमें ज़्यादा अस्थिरता होती है। बॉन्ड और इनकम ओरिएंटेड फ़ंड, हाई ग्रोथ की तुलना में स्थिरता को प्राथमिकता देते हैं।

याद रखें, “सही” चुनाव आपकी व्यक्तिगत परिस्थितियों पर निर्भर करता है। अपनी खास ज़रूरतों और जोखिम उठाने की क्षमता के हिसाब से अपनी निवेश रणनीति को तैयार करने के लिए पेशेवर वित्तीय सलाह लेने पर विचार करें।

ध्यान देने के लिए यहां कुछ अतिरिक्त कारक दिए गए हैं:

  1. आपकी आयु और निवेश सीमा: लंबी अवधि का दृष्टिकोण रखने वाले युवा निवेशक संभावित रूप से ज़्यादा रिटर्न के लिए ज़्यादा जोखिम सहन कर सकते हैं।
  2. आपकी उपलब्ध पूंजी: म्यूचुअल फंड की तुलना में रियल एस्टेट में अक्सर महत्वपूर्ण अग्रिम निवेश की आवश्यकता होती है।
  3. आपकी जोखिम उठाने की क्षमता: अगर आपकी जोखिम उठाने की क्षमता कम है, तो स्थिरता को प्राथमिकता दें और इनकम-ओरिएंटेड विकल्पों पर विचार करें।
  4. आपकी भागीदारी का वांछित स्तर: रियल एस्टेट को एक्टिव मैनेजमेंट की आवश्यकता होती है, जबकि म्यूचुअल फंड के लिए कम से कम प्रयास करने की आवश्यकता होती है।

निष्कर्ष

अगर आपकी दिलचस्पी म्यूचुअल फ़ंड या शेयर मार्केट के दूसरे निवेशों में है, तो एंजेल वन के साथ आज ही डीमैटअकाउंट खोलें!

FAQs

दोनों में अच्छे रिटर्न की संभावना है, लेकिन अलग-अलग प्रोफाइल के साथ। रियल एस्टेट वृद्धि के साथ स्थिर रिटर्न देता है, जबकि म्यूचुअल फंड चुने गए प्रकार के आधार पर उच्च संभावित रिवॉर्ड (और जोखिम) देते हैं।
आम तौर पर रियल एस्टेट को शेयर मार्केट की तुलना में कम अस्थिर माना जाता है, लेकिन अलग-अलग संपत्तियों में निवेश करना जोखिम भरा हो सकता है। म्यूचुअल फंड डाइवर्सिफिकेशन की पेशकश करते हैं, जिससे कई संपत्तियों में जोखिम बंट जाता है।
रियल एस्टेट के लिए अग्रिम निवेश की ज़रूरत होती है, जबकि म्यूचुअल फंड से आप छोटी राशि से शुरुआत कर सकते हैं।
रियल एस्टेट के लिए एक्टिव मैनेजमेंट की आवश्यकता होती है, जबकि म्यूचुअल फंड को सही चुनने के बाद कम से कम प्रयास करने की आवश्यकता होती है। असल में, अगर कानूनी समस्याएं शामिल हैं, तो रियल एस्टेट को मैनेज करना और मुश्किल हो सकता है।
म्यूचुअल फ़ंड आसानी से ख़रीदे और बेचे जा सकते हैं, जबकि रियल एस्टेट को बेचने में समय लग सकता है, जिससे यह कम लिक्विड बन जाता है। हालांकि, रियल एस्टेट पर कोई एग्जिट लोड नहीं होता है, जबकि कुछ म्यूचुअल फंड में एग्जिट लोड और न्यूनतम निवेश अवधि, दोनों हो सकते हैं।
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