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चुनावी वर्षों में शेयर बाजार का प्रदर्शन कैसा रहा, इसकी जानकारी प्राप्त करें

28 March 20246 mins read by Angel One
इस लेख में चुनावी वर्षों के दौरान भारतीय शेयर बाजार के प्रदर्शन का गहन विश्लेषण किया गया है, जिसमें निवेशकों के लिए इंडियन शेयर मार्केट से संबंधित उपयोगी जानकारी और सावधानियों के सुझाव शामिल हैं।
चुनावी वर्षों में शेयर बाजार का प्रदर्शन कैसा रहा, इसकी जानकारी प्राप्त करें
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भारतीय शेयर बाजार चुनावी वर्षों में अपनी अनिश्चितताओं के लिए जाना जाता है। निवेशकों की नजरें चुनावी परिणामों पर टिकी रहती हैं, और इंडियन शेयर मार्केट की चाल इन परिणामों के अनुसार निर्धारित होती है। आइए शेयर मार्केट न्यूज़ और पिछले कुछ वर्षो के चुनाव समाचार का विश्लेषण कर जानते हैं कि पिछले चुनावी वर्षों में बाजार का प्रदर्शन कैसा रहा है।

पिछले चुनावों का आंकड़ों पर आधारित विश्लेषण

चुनावी वर्षों में शेयर बाजार की चाल को समझने के लिए हमने पिछले कुछ लोकसभा चुनावों के दौरान के आंकड़ों का अध्ययन किया। इस अध्ययन से पता चलता है कि चुनावी परिणामों से पहले इंडियन शेयर मार्केट में अक्सर तेजी देखी गई है। उदाहरण के लिए, 2014 के आम चुनावों से पहले, बीएसई सेंसेक्स ने चुनाव परिणामों की घोषणा से पहले तीन महीनों में शानदार रिटर्न दिया। हालांकि, चुनाव परिणाम के बाद शेयर बाजार में करेक्शन देखने को मिला है।

पिछले चुनावों के प्रभाव का आकलन करते हुए, एफटी ने पाया कि भारतीय शेयर बाजार ने चुनावों के बाद लगातार एक साल की अवधि में सकारात्मक रिटर्न की पेशकश की है, जैसा कि 2004 (16.1 प्रतिशत), 2009 (38.7 प्रतिशत) और 2014 (14.7 प्रतिशत) में देखा गया था। 

पिछले चुनावों के प्रभाव का आकलन करते हुए, एफटी ने पाया कि निफ्टी द्वारा मापे गए भारतीय बाजार ने चुनावों के बाद लगातार सकारात्मक रिटर्न की पेशकश की है, जैसा कि 2004 (16.1 प्रतिशत), 2009 (38.7 प्रतिशत) और 2014 (14.7 प्रतिशत) में देखा गया था। 

चुनाव परिणाम की तारीख के बाद की वर्ष अवधि

पिछले चुनावों के प्रभाव का आकलन करते हुए, एफटी ने पाया कि निफ्टी द्वारा मापे गए भारतीय शेयर बाजार ने चुनावों के बाद लगातार सकारात्मक रिटर्न की पेशकश की है, जैसा कि 2004 (16.1 प्रतिशत), 2009 (38.7 प्रतिशत) और 2014 (14.7 प्रतिशत) में देखा गया था। 

पिछले चुनावों के प्रभाव का आकलन करते हुए, एफटी ने पाया कि जोखिमों के बावजूद, एसएंडपी सीएनएक्स निफ्टी इंडेक्स द्वारा मापे गए भारतीय शेयर बाजार ने चुनावों के बाद लगातार सकारात्मक रिटर्न की पेशकश की है, जैसा कि 2004 (16.1 प्रतिशत), 2009 (38.7 प्रतिशत) में देखा गया था। और 2014 (14.7 प्रतिशत), चुनाव परिणाम की तारीख के बाद एक वर्ष में।

एफटी ने उल्लेख किया है कि चुनाव की तारीख के बाद लगभग एक महीने (22 कारोबारी दिन) के भीतर शेयर बाजार ने औसतन 3 प्रतिशत रिटर्न दिया। फिर भी, यह उल्लेखनीय है कि ज्यादातर शेयर बाजार में बढ़त आम तौर पर चुनाव से पहले होती है, चुनाव परिणाम की तारीख तक चार महीनों (88 व्यापारिक दिनों) में औसतन 10 प्रतिशत का रिटर्न होता है।

चुनावों से पहले एक महीने में औसत रिटर्न 6% है, जबकि चुनावों से पहले वर्ष में औसत रिटर्न 29.1% है।

 

परिणाम से पहले चुनाव चुनाव के बाद परिणाम 2 वर्ष का रिटर्न
लोकसभा परिणाम 1 महीना 1 महीना 1 महीना 1 महीना
06-10-1999 50.7 3.3 -0.8 -13.1 37.6
13-05-2004 98.1 -7.5 -14.4 23.3 121.5
17-05-2009 -24.9 26.8 6.8 31.9 7
16-05-2014 16.6 8 7.1 20.6 37.1
23-05-2019 5.2 -0.4 0.1 -2.8 2.4
औसत 29.1 6 -0.2 12 41.1

चुनावी परिणामों के बाद का प्रभाव

चुनावी परिणामों के बाद शेयर बाजार का प्रदर्शन मिश्रित रहा है। कभी-कभी बाजार में तेजी जारी रहती है, तो कभी गिरावट आती है। विश्लेषकों का मानना है कि चुनावी नतीजों से झूम रहा शेयर बाजार, इस तूफानी तेजी के पीछे छिपे हैं ये बड़े संकेत।

निवेशकों के लिए सुझाव

चुनावी वर्षों में निवेशकों को अधिक सतर्क रहने की जरूरत होती है। शेयर बाजार की चाल को समझने के लिए ऐतिहासिक आंकड़ों का अध्ययन करना चाहिए और निवेश के निर्णय सोच-समझकर लेने चाहिए। चुनावी परिणामों के बाद के बाजार के प्रदर्शन पर भी नजर रखनी चाहिए।

अंत में, यह कहा जा सकता है कि चुनावी वर्षों में शेयर बाजार की चाल अनिश्चितताओं से भरी होती है, और निवेशकों को इस दौरान अधिक सावधानी बरतनी चाहिए। इंडियन शेयर मार्केट की चाल का सही अनुमान लगाना कठिन होता है, लेकिन सही रणनीति और जानकारी के साथ, निवेशक इस अवधि में भी लाभ कमा सकते हैं। आज ही एंजल वन पर अपना डीमैट अकाउंट खोले और देखे निवेश के विभिन्न स्टॉक्स की सूची। यहां पर आपको निवेश के लिए संपूर्ण जानकारी और उपयोगी सलाह प्राप्त होती है।

अस्वीकरण: यह लेख केवल सूचनात्मक और शैक्षिक उद्देश्यों के लिए है और इसे वित्तीय सलाह या किसी विशेष स्टॉक में निवेश की सिफारिश के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। शेयर बाजार में जोखिम होते हैं, और कोई भी निवेश निर्णय लेने से पहले गहन शोध करना और पेशेवर मार्गदर्शन लेना आवश्यक है।

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