राष्ट्रीय लोक अदालत, जो शनिवार 13 सितम्बर 2025 को आयोजित होगी, इस साल का अंतिम अवसर है जिसमें व्यक्ति अपने लंबित और पूर्व-विवाद (प्री-लिटिगेशन) मामलों को तेज़ी से और न्यूनतम लागत पर सुलझा सकते हैं। विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत आयोजित यह एकदिवसीय राष्ट्रव्यापी पहल खासतौर पर छोटे, सिविल और समझौते योग्य (कम्पाउंडेबल) मामलों में अदालत के बाहर समझौते की सुविधा प्रदान करती है।
लोक अदालत, जिसका अर्थ है “जन अदालत,” एक वैकल्पिक विवाद निपटान मंच है, जहाँ व्यक्ति आपसी सहमति और सुलह के जरिए विवादों को निपटा सकते हैं। यहाँ हुए समझौते कानूनी रूप से बाध्यकारी होते हैं और इन्हें सिविल अदालत के डिक्री का दर्जा प्राप्त होता है। इसका फायदा यह है कि लंबे समय तक चलने वाली कानूनी कार्यवाही से बचते हुए लोग समय और धन दोनों की बचत कर सकते हैं। यह प्रणाली न केवल न्यायपालिका का बोझ कम करती है बल्कि नागरिकों को किफायती और समय पर न्याय भी उपलब्ध कराती है।
13 सितम्बर का सत्र एक अंतिम अवसर है जिसमें बड़ी संख्या में योग्य मामलों का निपटारा किया जा सकता है। इससे अदालतों पर बोझ कम होगा और पक्षकारों को एक तेज़ और सरल समाधान मिलेगा। इसमें भाग लेने से न केवल आर्थिक लागत घटती है बल्कि बार-बार की तारीखों और लटकते मामलों से भी छुटकारा मिलता है। साथ ही, निपटाए गए मामलों की अदालत फीस आम तौर पर वापस कर दी जाती है, जिससे वादियों को वित्तीय राहत मिलती है।
लोक अदालत में आमतौर पर निम्नलिखित विवाद निपटाए जाते हैं:
हालांकि, गंभीर और गैर-कम्पाउंडेबल अपराध या वे मामले जिनमें कानूनी तौर पर समझौता संभव नहीं है, लोक अदालत के दायरे से बाहर रहते हैं।
सत्र के दिन दोनों पक्षों को सुलह कर विवाद निपटाने के लिए सहमत होना होता है। जब दोनों पक्ष समझौते पर पहुँच जाते हैं तो बेंच उस निर्णय को दर्ज करती है, जो अदालत के डिक्री के समान लागू होता है। लंबित मामलों में दी गई अदालत फीस आमतौर पर वापस कर दी जाती है। ट्रैफिक चालान के लिए स्थानीय अधिसूचनाओं में जुर्माने और दंड में छूट के बारे में जानकारी दी जाती है। प्रतिभागियों के लिए जरूरी है कि वे मान्य पहचान पत्र, केस से संबंधित दस्तावेज़ और आवश्यक साक्ष्य साथ लाएँ ताकि प्रक्रिया तेज़ी से पूरी हो सके।
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राष्ट्रीय लोक अदालतें लगातार एक ही दिन में बड़ी संख्या में मामलों के निपटान में प्रभावी साबित हुई हैं, जिससे न्यायपालिका को जटिल मामलों पर ध्यान केंद्रित करने का समय मिलता है। 13 सितम्बर 2025 का अंतिम सत्र निष्पक्षता, दक्षता और सभी के लिए समान न्याय पर केंद्रित होगा। यह पुराने छोटे-मोटे विवादों को खत्म करने और कानूनी रूप से बाध्यकारी, गैर-अपील योग्य समझौता प्राप्त करने का विशेष अवसर प्रदान करता है।
13 सितम्बर 2025 का राष्ट्रीय लोक अदालत सत्र इस साल का आखिरी मौका है जिसमें आप अपने विवादों को तेज़, किफायती और अंतिम रूप से निपटा सकते हैं। चाहे बिजली-पानी के बकाया बिल हों, ट्रैफिक जुर्माने हों या अन्य छोटे सिविल मामले, यह पहल दोनों पक्षों को सौहार्दपूर्ण और सरल समाधान देती है। इस अवसर को गंवाए बिना विवादों का निपटान कर नए सिरे से शुरुआत करें।
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प्रकाशित: 13 Sept 2025, 6:24 pm IST
Team Angel One
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