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म्यूचुअल फ़ंड यूनिट क्या है और इसे कैसे ख़रीदें?

7 min readby Angel One
म्यूचुअल फ़ंड में यूनिट, फ़ंड में शेयर ऑफ़ ओनरशिप यानी स्वामित्व के हिस्से का प्रतिनिधित्व करती है। म्यूचुअल फ़ंड यूनिट की वैल्यू को नेट एसेट वैल्यू यानी शुद्ध संपत्ति मूल्य कहा जाता है और इसकी गणना हर ट्रेडिंग दिन के अंत में की जाती है।
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म्यूचुअल फ़ंड निवेश, शेयर बाज़ार में निवेश करने के सबसे लोकप्रिय तरीकों में से एक है। ये फ़ंड कई निवेशकों से पैसे इकट्ठा करते हैं और इसका इस्तेमाल इक्विटी शेयर से लेकर डेब्ट इंस्ट्रूमेंट तक की सिक्योरिटीज़ खरीदने के लिए करते हैं। चूंकि ये फ़ंड विभिन्न सिक्योरिटीज़ में निवेश करते हैं, इसलिए स्वाभाविक रूप से वे विविधीकरण ऑफर करते हैं और यहाँ तक कि बाज़ार के जोखिम को कुछ हद तक कम कर सकते हैं। यह उन कई कारणों में से एक है, जिनकी वजह से ज़्यादातर निवेशक आमतौर पर म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करना पसंद करते हैं।

अगर आप, कई अन्य निवेशकों की तरह, किसी म्यूचुअल फ़ंड में निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो आपको इससे जुड़ी अलग-अलग शर्तों के बारे में पता होना चाहिए। इस आर्टिकल में, हम म्यूचुअल फ़ंड यूनिट्स का मतलब जानने जा रहे हैं, म्यूचुअल फ़ंड की किसी यूनिट की प्राइस की गणना कैसे की जाती है और वे इक्विटी शेयर से कैसे अलग हैं।

म्यूच्यूअल फ़ंड में यूनिट क्या होती है?

म्यूचुअल फ़ंड में यूनिट, फ़ंड में शेयर ऑफ़ ओनरशिप यानी स्वामित्व के हिस्से का प्रतिनिधित्व करती है। जब आपके पास म्यूचुअल फ़ंड की यूनिट होती हैं, तो मूल रूप से आपके पास फ़ंड की संपत्ति के एक हिस्से का स्वामित्व होता है। इसके अलावा, यह स्पष्ट करना ज़रूरी है कि म्यूचुअल फ़ंड यूनिट सिर्फ़ फ़ंड में स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करती हैं, न कि फ़ंड की अंतर्निहित सिक्योरिटीज़ में स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करती हैं।

उदाहरण के लिए, मान लें कि एक म्यूचुअल फ़ंड अपनी संपत्ति का 30% डेब्ट इंस्ट्रूमेंट में, 20% कंपनी A में, 20% कंपनी B में और 30% कंपनी C में निवेश करता है। अब, अगर आप ऐसे फ़ंड की एक यूनिट खरीदते हैं, तो ऊपर दिए गए प्रतिशत में आपके पास फ़ंड की सभी संपत्तियों का एक हिस्सा होगा।

ओपन एंडेड म्यूचुअल फ़ंड के मामले में, अधिकतम कितनी भी यूनिट बनाई जा सकती हैं, इसकी कोई सीमा नहीं है। जब कोई नया निवेशक फ़ंड को सब्सक्राइब करता है, तब म्यूचुअल फ़ंड हाउस ज़्यादा यूनिट्स बनाते हैं। हालांकि, क्लोज़ एंडेड म्यूचुअल फ़ंड के मामले में, यूनिट्स की अधिकतम संख्या की सीमा होती हैं। एक बार सभी निर्धारित यूनिट सब्सक्राइब कर लिए जाने के बाद, इश्यू क्लोज कर दिया जाता है, और निवेशकों की ओर से किसी भी अन्य सब्सक्रिप्शन पर विचार नहीं किया जाता है।

म्यूचुअल फ़ंड यूनिट का प्राइस कैसे काम करता है?

अब आपको म्यूचुअल फ़ंड यूनिट का मतलब पता चल गया है, आइए नज़र डालते हैं कि उनकी वैल्यू कैसे निर्धारित की जाती है।

इक्विटी शेयर की तरह ही, म्यूचुअल फ़ंड की हर यूनिट को एक वैल्यू दी जाती है। यह वैल्यू, जिसे नेट एसेट वैल्यू या NAV के नाम से जाना जाता है, का निर्धारण निम्नलिखित गणितीय फ़ॉर्मूले का उपयोग करके किया जाता है।

नेट एसेट वैल्यू = [(फ़ंड में संपत्ति की कुल वैल्यू — फ़ंड में देनदारियों की कुल वैल्यू) ÷ फ़ंड में यूनिट्स की कुल संख्या]

किसी म्यूचुअल फ़ंड यूनिट का प्राइस कैसे काम करता है, यह समझने में आपकी मदद करने के लिए यहाँ एक उदाहरण दिया गया है।

मान लें कि किसी म्यूचुअल फ़ंड में इक्विटी और डेब्ट इंस्ट्रूमेंट के रूप में ₹200 लाख वैल्यू की संपत्ति होती है। फ़ंड की कुल देनदारियाँ लगभग ₹20 लाख तक आती हैं, जिनमें सभी संभावित खर्च, जैसे कि प्रशासनिक खर्च, फ़ंड मैनेजर की फीस और मार्केटिंग और कमीशन की लागत शामिल हैं। गणना की तारीख के अनुसार म्यूचुअल फ़ंड में यूनिट्स की कुल संख्या 4 लाख है।

ऊपर दिए गए फ़ॉर्मूले में इन वैल्यू को बदलने पर, आपको नेट एसेट वैल्यू या हर म्यूचुअल फ़ंड यूनिट के हिसाब से वैल्यू मिलेगी।

नेट एसेट वैल्यू = ₹45 प्रति यूनिट [(₹200 लाख — ₹20 लाख) ÷ ₹4 लाख] 

किसी म्यूचुअल फ़ंड की नेट एसेट वैल्यू पूरे समय एक जैसी नहीं रहती है। असल में, फ़ंड की अंतर्निहित संपत्तियों के वैल्यू में हुए बदलाव के आधार पर इसमें उतार-चढ़ाव होता है। उदाहरण के लिए, अगर फ़ंड की अंतर्निहित सिक्योरिटीज़ की वैल्यू बढती है, तो फ़ंड की NAV में भी बढ़ोतरी होने की संभावना है। इसके विपरीत, अगर फ़ंड की सिक्योरिटीज़ की वैल्यू कम होती है, तो फ़ंड की NAV में भी कमी हो सकती है।

इसके अलावा, भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के अनुसार, हर म्यूचुअल फ़ंड हाउस को हर ट्रेडिंग दिन के आखिर में अपने फ़ंड की NAV की गणना करना और उसे प्रकाशित करना अनिवार्य होता है।

म्यूचुअल फ़ंड यूनिट कैसे ख़रीदें?

एक निवेशक के तौर पर, आपको यह जानना होगा कि म्यूचुअल फ़ंड की यूनिट कैसे ख़रीदें। आपको जिस प्रोसेस को फॉलो करना है, उसका क्विक ओवरव्यू यहां दिया गया है।

  • स्टेप 1: एंजेल वन पर डीमैट अकाउंट खोलें।
  • स्टेप 2: अपने यूज़र क्रेडेंशियल्स का इस्तेमाल करके अपने ट्रेडिंग अकाउंट में लॉग-इन करें।
  • स्टेप 3: पोर्टल के म्यूचुअल फ़ंड सेक्शन पर जाएँ।
  • स्टेप 4: उस म्यूचुअल फ़ंड को खोजें, जिसमें आप निवेश करना चाहते हैं।
  • स्टेप 5: आप जितनी यूनिट ख़रीदना चाहते हैं, उनके लिए बाय आर्डर दें। ऑर्डर देने से पहले, चेक कर लें कि आपके ट्रेडिंग अकाउंट में ज़रूरी राशि है या नहीं।

परचेज़ ऑर्डर सफलतापूर्वक एक्सेक्युट होने के बाद, आपने जितनी म्यूचुअल फ़ंड यूनिट ख़रीदी हैं, वे लिंक किए गए डीमैट खाते में क्रेडिट हो जाएँगी।

वैकल्पिक रूप से, अगर आपके पास डीमैट और ट्रेडिंग अकाउंट नहीं है, तो भी आप म्यूचुअल फ़ंड की यूनिट खरीद सकते हैं। ऐसे मामलों में, आपको सब्सक्रिप्शन फ़ॉर्म भरना होगा और साथ ही ज़रूरी दस्तावेजी सबूत सबमिट करने होंगे और वह राशि देनी होगी, जिसे आप म्यूचुअल फ़ंड हाउस में निवेश करना चाहते हैं। एप्लीकेशन वेरीफाई और प्रोसेस हो जाने के बाद, आपको म्यूचुअल फ़ंड यूनिट एलोकेट की जाएंगी और आपको निवेश की पूरी जानकारी के साथ एक समेकित खाता विवरण यानी कंसोलिडेटेड अकाउंट स्टेटमेंट(CAS) मिलेगा।

अब, इससे पहले कि आप म्यूचुअल फ़ंड की यूनिट ख़रीदें, आपको एक और बड़ी बात ध्यान में रखनी होगी, वह है नेट एसेट वैल्यू। आपको जिस NAV पर म्यूचुअल फ़ंड यूनिट एलोकेट किए जाते हैं, वह इस बात पर निर्भर करता है कि फ़ंड, म्यूचुअल फ़ंड कट-ऑफ़ टाइम से पहले फ़ंड हाउस को ट्रांसफर किए जाते हैं या कट-ऑफ़ टाइम के बाद ट्रांसफर किए जाते है।

अगर निर्धारित कट-ऑफ़ टाइम से पहले फ़ंड, म्यूचुअल फ़ंड हाउस में ट्रांसफर कर दिए जाते हैं, तो यूनिट्स पिछले दिन की NAV पर एलोकेट की जाएँगी। दूसरी ओर, अगर फ़ंड, निर्धारित कट-ऑफ़ टाइम के बाद म्यूचुअल फ़ंड हाउस में ट्रांसफर किए जाते हैं, तो यूनिट मौजूदा दिन की NAV पर एलोकेट की जाएँगी, जिसकी गणना केवल ट्रेडिंग सेशन के अंत में की जाती है।

इक्विटी शेयर और म्यूचुअल फ़ंड यूनिट के बीच अंतर

शुरुआत में, इक्विटी शेयर और म्यूचुअल फ़ंड यूनिट में काफी समानताएं दिख सकती हैं। हालाँकि, उनमें भी काफी अंतर होता है। यहां एक टेबल दी गई है, जिसमें दोनों के बीच के कुछ मुख्य अंतरों को बताया गया है।

विवरण इक्विटी शेयर म्यूचुअल फ़ंड यूनिट्स
स्वामित्व किसी कंपनी में स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करता है म्यूचुअल फ़ंड के सिक्योरिटीज़ के पोर्टफ़ोलियो में स्वामित्व का प्रतिनिधित्व करता है
डाइवर्सिफिकेशन यानी विविधीकरण चूंकि इक्विटी शेयर किसी खास कंपनी के होते हैं, इसलिए उनमें कोई डाइवर्सिफिकेशन नहीं होता है चूंकि म्यूचुअल फ़ंड कई अलग-अलग सिक्योरिटीज़ में निवेश करते हैं, इसलिए डाइवर्सिफिकेशन होता है
निवेश का जोखिम इक्विटी शेयर के साथ निवेश का जोखिम आम तौर पर ज़्यादा होता है म्यूचुअल फ़ंड की विविधता के कारण निवेश का जोखिम आम तौर पर कम होता है
वोट करने के अधिकार होल्डर को वोट देने के अधिकार दिया जाता है होल्डर को किसी भी तरह का अधिकार नहीं दिया जाता
वोलैटिलिटी यानी अस्थिरता इक्विटी शेयर बहुत ज़्यादा अस्थिर हो सकते हैं म्यूचुअल फ़ंड यूनिट्स का NAV इक्विटी शेयरों की तरह अस्थिर नहीं होता है
लिक्विडिटी लिक्विडिटी एक कंपनी से दूसरी कंपनी में अलग-अलग हो सकती है म्यूचुअल फ़ंड यूनिट्स आम तौर पर लिक्विड होती हैं और इन्हें किसी भी समय रिडीम किया जा सकता है

निष्कर्ष 

इसके साथ, अब आपको पता चल गया होगा कि म्यूचुअल फ़ंड में यूनिट क्या होती है और इसकी वैल्यू कैसे निर्धारित की जाती है। अब, अगर आप किसी फ़ंड में निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो ध्यान रखें कि म्यूचुअल फ़ंड हाउस में फ़ंड ट्रांसफर करने के समय के आधार पर आपको एलोकेट की जाने वाली NAV अलग-अलग हो सकती है।

अगर आप पिछले दिन की NAV पर यूनिट लेना चाहते हैं, तो यह सुनिश्चित कर लें कि फ़ंड के लिए निर्धारित कट-ऑफ़ टाइम से पहले ही म्यूचुअल फ़ंड हाउस में फ़ंड ट्रांसफर कर दिए जाएं। नहीं तो, आपको मौजूदा दिन की NAV पर यूनिट एलोकेट की जाएँगी, जिसकी गणना ट्रेडिंग का दिन ख़त्म होने के बाद ही की जाती है।

एंजेल वन पर मुफ़्त में डीमैट अकाउंट खोलें और सबसे अच्छे म्यूचुअल फ़ंड खोजें।

FAQs

म्यूचुअल फ़ंड यूनिट की वैल्यू, जिसे नेट एसेट वैल्यू (NAV) भी कहा जाता है, का पता फ़ंड के पास मौजूद संपत्तियों के कुल मार्किट वैल्यू से फ़ंड की कुल देनदारियों की वैल्यू को घटाकर लगाया जा सकता है। इसके बाद, मिलने वाले आंकड़े को बकाया म्यूचुअल फ़ंड यूनिट की कुल संख्या से विभाजित किया जाता है, ताकि प्रति यूनिट NAV की गणना की जा सके।
हाँ, किसी म्यूचुअल फ़ंड यूनिट (NAV) की वैल्यू बदल सकती है, अगर फ़ंड की अंतर्निहित सिक्योरिटीज़ के मार्किट वैल्यू में कोई उतार-चढ़ाव होता है। उदाहरण के लिए, अगर फ़ंड की अंतर्निहित सिक्योरिटीज़ की मार्किट वैल्यू बढ़ती है, तो फ़ंड की NAV भी बढ़ सकती है और इसका उल्टा भी होता है।
म्यूचुअल फ़ंड में आप जितनी यूनिट खरीद सकते हैं, वह न्यूनतम निवेश सीमा और फ़ंड की NAV जैसे कारकों के आधार पर अलग-अलग होती है। चूंकि अलग-अलग फ़ंड की अलग-अलग सीमाएँ होती हैं, इसलिए निवेश करने से पहले ऑफ़र दस्तावेज़ को अच्छी तरह पढ़ लेना चाहिए।
हाँ, म्यूचुअल फ़ंड यूनिट ख़रीदने या रिडीम करने पर आपसे कुछ फीस ली जाएगी। एक्सपेंस रेश्यो  और ट्रांजेक्शन फीस दो सबसे कॉमन फीस हैं जो यूनिट खरीदते समय लगाई जा सकती हैं, जबकि म्यूचुअल फ़ंड यूनिट रिडीम करने पर एग्जिट लोड और रिडेम्पशन फीस लगाई जा सकती है।
भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) के निर्देशों के अनुसार, हर ट्रेडिंग दिन की समाप्ति के बाद म्यूचुअल फ़ंड के नेट एसेट वैल्यू की गणना की जाती है और उसे प्रकाशित किया जाता है।
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