आईपीओ (IPO) के मूल्य निर्धारण से परेशानी हो रही है? आप अकेले ऐसे व्यक्ति नहीं हैं। कई निवेशक इसे समझने के लिए संघर्ष करते हैं कि कंपनियों ने अपनी शुरुआती शेयर की कीमत कैसे तय की है। यह मार्गदर्शिका आईपीओ (IPO) वैल्यूएशन, बुक बिल्डिंग और ऑफरिंग प्राइस जैसी प्रमुख अवधारणाओं का पता लगाती है।
वित्त की दुनिया आकर्षक हो सकती है, और इनिशियल पब्लिक ऑफरिंग (आईपीओ) निवेशकों को एक अनोखा अवसर प्रदान करते हैं। इस क्षण में एक भरोसेमंद निजी कंपनी सार्वजनिक होने का निर्णय लेती है और पहली बार शेयरों को जनता के बीच बेचती है। किन्तु आगे बढ़ने से पहले, एक महत्वपूर्ण सवाल उठता है: आपको कैसे पता चलेगा कि इन शेयरों की कीमत उचित है या नहीं?
आईपीओ (IPO) की कीमत का पता लगाना एक जटिल प्रक्रिया है, जो कंपनी, निवेश बैंकों और समग्र बाजार के बीच का कार्य है। निवेश बैंक प्रमुख भूमिका निभाते हैं, वित्तीय विशेषज्ञों के रूप में कार्य करते हैं जो कंपनी के मूल्य का आकलन करते हैं तथा प्रति शेयर कीमत निर्धारित करते हैं। यद्यपि इसमें विज्ञान है, तो कुछ कला भी शामिल है, जिसमें समझ-बूझकर निर्णय लेने की आवश्यकता होती है।
इस क्षेत्र को नेविगेट करने के लिए आप जैसे निवेशकों को जानकारी की आवश्यकता है। इसलिए, हमसे जुड़ें क्योंकि हम आईपीओ (IPO) की कीमत के पीछे के रहस्यों का अनावरण करते हैं। आइए, इस परिदृश्य में एक साथ नेविगेट करते हैं और पता लगाते हैं कि सार्वजनिक सुर्खियों में प्रवेश करते समय कंपनियों ने अपने प्राइस टैग कैसे निर्धारित किए हैं!
आईपीओ (IPO) का मूल्यनिर्धारण क्या होता है?
किसी कंपनी के सार्वजनिक इकाई में परिवर्तित हो जाने पर आईपीओ (IPO) का मूल्यनिर्धारण उस कंपनी के शेयरों के शुरुआती ऑफर कीमत को स्थापित करने की सावधानीपूर्ण प्रक्रिया है। इस महत्वपूर्ण कार्य में कंपनी के मूल्यांकन का एक व्यापक आकलन किया जाता है, ताकि वैसी कीमत निर्धारित की जा सके जो निवेशकों के लिए आकर्षक और अधिकतम पूंजी जुटाने में प्रभावी हो। सामान्यतः, इस प्रक्रिया में कंपनी और निवेश बैंकों के बीच सहयोग शामिल होता है, जो सर्वोत्तम मूल्य निर्धारित करने के लिए विभिन्न प्रकार के अत्याधुनिक तरीकों का उपयोग करते हैं। आईपीओ (IPO) के मूल्य निर्धारण की पूरी समझ उन निवेशकों के लिए आवश्यक होती है जो कंपनी की प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश में भागीदारी करना चाहते हैं, क्योंकि यह उनके निवेश पर संभावित रिटर्न को अत्यधिक प्रभावित करता है।
आईपीओ (IPO) प्राइसिंग के तरीके
आईपीओ (IPO) की कीमत बुक-बिल्डिंग या फिक्स्ड-प्राइस तरीकों से निर्धारित की जाती है। जारी करने वाली कंपनी अपनी पसंद के आधार पर विधि का चुनाव करती है जब तक मेनबोर्ड-पात्र व्यवसाय सेबी द्वारा निर्धारित लाभकारी मानकों को पूरा नहीं करता है। इसके बाद एक निगम को क्यूआईबी (QIB) विधि चुननी होगी, जिसके लिए इश्यू को बुक-बिल्डिंग प्रक्रिया से गुजरना होता है।
बुक बिल्डिंग विधि
बुक-बिल्डिंग विधि में, आईपीओ (IPO) की कीमत पहले से तय नहीं की जाती है। जारी करने वाली कंपनी प्राइस रेंज की घोषणा करती है (उदाहरण के लिए, ₹ 75 से ₹ 80 प्रति शेयर)। अंतिम कीमत बिडिंग अवधि के दौरान विभिन्न मूल्य स्तरों पर मांग के आधार पर निर्धारित की जाती है।
लाभ
- उचित मूल्य का पता लगाता है।
- मांग के आधार पर कंपनी की विश्वसनीयता का आकलन करता है।
- वास्तविक मूल्य बाजार की मांग पर आधारित होता है, प्रबंधन के निर्णय पर नहीं।
नुकसान
- फिक्स्ड प्राइस आईपीओ (IPO) से अधिक महंगा।
- बिडिंग के अंत में अंतिम मूल्य की गणना करने की आवश्यकता होने के कारण लंबी प्रक्रिया।
- बड़े निर्गमों के लिए अधिक उपयुक्त।
विशेषताएं
- आईपीओ (IPO) को अंतिम कीमत के बिना लॉन्च किया जाता है।
- सब्सक्रिप्शन के लिए जारी करने से कम-से-कम दो कार्य दिवस पूर्व प्राइस रेंज की घोषणा की जाती है।
- ऑफर अवधि के दौरान मूल्य सीमा को संशोधित किया जा सकता है।
- इश्यू 3-7 कार्यदिवसों के लिए खुला रहता है, यदि मूल्य सीमा में संशोधन किया जाता है तो इसे तीन दिन तक बढ़ाया जा सकता है।
- बीएसई (BSE) और एनएसई (NSE) में पूरी तरह से ऑटोमेटेड ऑनलाइन बिडिंग प्रणाली होती है।
आईपीओ (IPO) प्राइस बैंड के नियम
आईपीओ (IPO) प्राइस बैंड प्राइस रेंज प्रदान करता है, जिसमें निवेशक अपनी बोली लगा सकते हैं।
मुख्य तथ्य और विशेषताएं
- प्राइस बैंड में निचली (फ्लोर प्राइस) और ऊपरी कीमत (कैप प्राइस) दी जाती है।
- निचली और ऊपरी कीमतों के बीच 20% से अधिक का अंतर नहीं होना चाहिए।
- खुदरा निवेशक किसी भी कीमत पर - सीमा के भीतर या कट-ऑफ मूल्य पर - आवेदन कर सकते हैं।
- कट-ऑफ मूल्य अंतिम मूल्य है जिस पर शेयर आवंटित किए जाते हैं और यह बोली के अंत में निर्धारित किया जाता है।
- मूल्य निर्धारण का आधार प्रॉस्पेक्टस में बताया जाता है।
बुक बिल्डिंग प्रोसेस
बुक-बिल्डिंग प्रोसेस का प्रबंधन लीड मैनेजर और अंडरराइटर द्वारा किया जाता है। प्रोसेस की मुख्य बातें नीचे दी गई है:
- निर्गम का आकार और मूल्य श्रेणी निर्धारित करना: जारीकर्ता कंपनी से परामर्श करके लीड मैनेजर निर्गम का आकार और मूल्य सीमा निर्धारित करता है।
- सिंडिकेट के सदस्यों की नियुक्ति करना: लीड मैनेजर और जारी करने वाली कंपनी आईपीओ कार्य के लिए सिंडिकेट के सदस्यों की नियुक्ति करते हैं।
- बिडिंग: आईपीओ (IPO) लॉन्च होने के बाद निवेशक रेंज के भीतर अलग-अलग कीमतों पर शेयरों की बोली लगाते हैं।
- अंतिम मूल्य निर्धारण: लीड मैनेजर सभी बिड एकत्रित करता है और वेटेड एवरेज विधि का उपयोग करके अंतिम निर्गम मूल्य निर्धारित करता है।
- पारदर्शिता और आवंटन: लीड मैनेजर पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए बोली विवरण प्रकाशित करता है। जो निवेशक कट-ऑफ कीमत पर या उससे अधिक बोली लगाते हैं, उन्हें शेयर आवंटित किया जाता है, जबकि कट-ऑफ मूल्य से कम बोली अस्वीकृत हो जाती है, और सब्सक्रिप्शन राशि वापस कर दी जाती है।
बुक बिल्डिंग ऑफर के प्रकार
- 100% बुक बिल्ट ऑफरः सम्पूर्ण निर्गम बुक-बिल्डिंग प्रक्रिया के माध्यम से प्रस्तुत की जाती है।
- 75% बुक बिल्डिंगः 75% इश्यू बुक-बिल्डिंग प्रक्रिया के माध्यम से प्रदान किया जाता है, और 25% इस प्रक्रिया द्वारा निर्धारित सीमा पर प्रदान किया जाता है।
उदाहरण
बुक-बिल्डिंग इश्यू में, जारीकर्ता 1 मिलियन शेयरों के लिए ₹601 - ₹650 की कीमत की घोषणा कर सकता है। निवेशक इस सीमा के भीतर या कट-ऑफ मूल्य पर किसी भी कीमत पर बोली लगा सकते हैं। मांग के आधार पर वेटेड एवरेज विधि का उपयोग करके अंतिम कीमत ₹ 640 निर्धारित की जा सकती है।
केस 1: कट-ऑफ प्राइस से ऊपर बोली लगाना
पूर्ण आवंटन का उदाहरण:
- बिड की कीमत: ₹645
- आवेदित शेयरः 10
- आवेदन की राशि: ₹6450
- आवंटित शेयर: 10
- रिफंड: ₹ 50 (10 शेयरों के लिए प्रति शेयर ₹ 5)
आंशिक आवंटन का उदाहरण:
- बिड की कीमत: ₹645
- आवेदित शेयरः 10
- आवेदन की राशि: ₹6450
- आवंटित शेयर: 5
- रिफंड: ₹ 3250
- 5 अनावंटित शेयरों के लिए ₹ 645 प्रति शेयर (₹3225)
- 5 आवंटित शेयरों के लिए ₹ 5 प्रति शेयर (₹25)
केस 2: कट-ऑफ प्राइस से नीचे बोली लगाना
₹640 से कम की सभी बोलियां अस्वीकृत कर दी जाती हैं, और पूरी राशि वापस कर दी जाती है।
केस 3: कट-ऑफ प्राइस पर बोली
- पूरा आवंटनः कोई रिफंड नहीं।
- आंशिक आवंटन: अनावंटित शेयरों के लिए प्रो-रेटा रिफंड।
नोट: यदि मांग बहुत अधिक है, तो रेंज की उच्चतम कीमत (₹650) अक्सर कट-ऑफ कीमत बन जाती है।
फिक्स्ड प्राइस निर्गम की विधि
फिक्स्ड प्राइस निर्गम में, सब्सक्रिप्शन के लिए आईपीओ (IPO) खुलने के पहले ही ऑफर कीमत (जैसे, ₹75 प्रति शेयर) तय हो जाती है। छोटे निर्गम आकार के कारण एसएमई (SME) कंपनियां सामान्यतः इसी विधि को पसंद करती हैं।
फिक्स्ड प्राइस इश्यू की विशेषताएं
- प्रॉस्पेक्टस में आईपीओ (IPO) की कीमत और इसे तय करने के आधार के बारे में सभी विवरण शामिल हैं।
- प्रॉस्पेक्टस को सब्सक्रिप्शन खुलने से पहले कंपनियों के रजिस्ट्रार के पास निबंधित किया जाना आवश्यक होता है।
- शुद्ध पेशकश का कम-से-कम 50% खुदरा निवेशकों के लिए उपलब्ध होना चाहिए।
- पेशकश 3-10 कार्य दिवसों के लिए खुली होनी चाहिए।
फिक्स्ड प्राइस आईपीओ (IPO) प्रोसेस
फिक्स्ड प्राइस आईपीओ (IPO) विधि बुक-बिल्डिंग विधि से आसान होता है क्योंकि इसमें प्राइस डिस्कवरी नहीं होता है। जारी करने वाली कंपनी के लिए सही कीमत तय करना महत्वपूर्ण होता है। इसमें निम्नलिखित चरण शामिल होते हैं:
- लीड मैनेजर की नियुक्ति: कंपनी की वित्तीय स्थिति, विकास संभावनाओं, परिसंपत्तियों और देनदारियों का मूल्यांकन करने के लिए जारीकर्ता द्वारा एक लीड मैनेजर नियुक्त किया जाता है। इसके अतिरिक्त, वे आईपीओ (IPO) के आकार और आईपीओ (IPO) की कीमत पर भी निर्णय लेते हैं।
- बोली प्रक्रियाः आईपीओ (IPO) सब्सक्रिप्शन के लिए खुलता है, और निवेशक निर्धारित कीमत पर बिड सबमिट करते हैं।
- डिमांड असेसमेंट: लीड मैनेजर बिडिंग अवधि समाप्त होने पर मांग का आकलन करता है और आवंटन के लिए रजिस्ट्रार ऑफ कंपनीज (आरओसी) के साथ काम करता है।
- आवंटन और रिफंड: रजिस्ट्रार आवंटन को पूर्ण करता है, डीमैट खातों में शेयरों को क्रेडिट करता है, और आवश्यकतानुसार रिफंड प्रारंभ करता है।
फिक्स्ड प्राइस निर्गम का उदाहरण
फिक्स्ड प्राइस विधि के तहत आईपीओ (IPO) की कीमत पूर्वनिर्धारित होती है।
उदाहरण के लिए, जारीकर्ता प्रति शेयर ₹ 186 के मूल्य की घोषणा कर सकता है। निवेशक ₹ 186 पर बोली लगाते हैं तथा इसमें किसी अन्य कीमत या कट-ऑफ कीमत पर बोली लगाने का विकल्प नहीं होता है। निर्गम बंद होने के बाद निवेशकों को मांग के आधार पर आवंटन प्राप्त होता है।
परिदृश्य 1: आपने 1000 शेयरों के लिए आवेदन किया और पूरा आवंटन प्राप्त किया। सभी 1000 शेयर बिना किसी रिफंड के आपके खाते में जमा हो जाते हैं।
परिदृश्य 2: आपको आवंटन नहीं मिला। आपको ₹ ₹1,86,000 की पूरी राशि वापस कर दी गई है।
परिदृश्य 3: आपको 200 शेयरों का आंशिक आवंटन प्राप्त हुआ। आपको ₹ 1,48,800 (186 * 800 अनावंटित शेयर) का रिफंड मिलता है, और 200 शेयर आपके खाते में जमा किए जाते हैं।
बुक बिल्डिंग विधि बनाम फिक्स्ड प्राइस विधि
बुक बिल्डिंग विधि | फिक्स्ड प्राइस विधि |
कंपनी एक प्राइस रेंज की घोषणा करती है जिसमें निवेशक बोली लगा सकते हैं। | आईपीओ (IPO) के सब्सक्रिप्शन के लिए खुलने से पहले ऑफर की कीमत निर्धारित कर दी जाती है और इसपर निर्णय ले लिया जाता है। |
अंतिम कीमत बोली प्रक्रिया के समाप्त होने के बाद निर्धारित की जाती है, जो विभिन्न मूल्य स्तरों पर मांग पर आधारित होती है। | सब्सक्रिप्शन अवधि समाप्त होने के बाद ही मांग की जानकारी हो पाती है। |
क्वालिफाइड इंस्टीट्यूशनल बायर्स (QIBs) आवेदन राशि का 10% अग्रिम भुगतान करके बोली लगा सकते हैं और आवंटन के समय शेष राशि का भुगतान कर सकते हैं। | क्यूआईबी (QIB) को आवेदन करते समय सब्सक्रिप्शन राशि का 100% भुगतान करना होता है। |
पेशकश पूरी होने के बाद प्रॉस्पेक्टस कंपनी रजिस्ट्रार (RoC) के पास दाखिल किया जाता है। | निर्गम जारी होने से पहले प्रॉस्पेक्टस आरओसी (RoC) के पास दाखिल किया जाता है। |
आवश्यक होने पर सब्सक्रिप्शन अवधि के दौरान भी मूल्य सीमा को संशोधित किया जा सकता है। | सब्सक्रिप्शन के लिए जारी होने के बाद ऑफरिंग प्राइस में किसी प्रकार का परिवर्तन नहीं किया जा सकता है। |
सामान्यतः कीमत उचित होती है क्योंकि यह वास्तविक मांग पर आधारित होती है। | फिक्स्ड प्राइस कभी-कभी अवमूल्यित या अधिमूल्यित हो सकती है। |
निष्कर्ष
बुक बिल्डिंग और फिक्स्ड प्राइस ऑफरिंग जैसे आईपीओ (IPO) मूल्यनिर्धारण तंत्र को समझना निवेशकों और कंपनियों दोनों के लिए समान रूप से आवश्यक होता है। बुक बिल्डिंग बाजार की मांग से प्रेरित गतिमान मूल्य ज्ञात करने की सुविधा प्रदान करता है, जिससे उचित मूल्यांकन सुनिश्चित होता है। दूसरी ओर, फिक्स्ड-प्राइस प्रस्ताव का मूल्य पूर्वनिर्धारित होता है, जिससे प्रक्रिया सरल हो जाता है। चाहे आप एक निवेशक के रूप में बाजार में प्रवेश कर रहे हों या अपनी कंपनी के लिए आईपीओ (IPO) लाने पर विचार कर रहे हों, मूलभूत बात इन तरीकों को समझना होता है। नवीनतम अपडेट और आगामी आईपीओ (IPO) सब्सक्रिप्शन के लिए आज ही एंजल वन के साथ डीमैट अकाउंट खोलकर जानकारी प्राप्त करते रहें और अवसरों का पता लगाएं।