CALCULATE YOUR SIP RETURNS

टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात क्या है?

6 min readby Angel One
Share

टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात यह दिखाता है कि टैक्स के रूप में एकत्रित राशि उस देश के जीडीपी का कितना प्रतिशत है। यह सबसे ज्यादा उपयोग किए जाने वाले मेट्रिक्स में से एक है और राष्ट्र के राजकोषीय स्वास्थ्य तथा राजस्व दक्षता को मापता है।

दुनिया भर के देश अपने नागरिकों की आय और अपनी सीमा के भीतर उत्पादित और बेची जाने वाली वस्तुओं और सेवाओं पर कर लगाकर राजस्व उत्पन्न करते हैं। वास्तव में, प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों कर किसी भी देश के राजस्व प्रवाह का एक प्रमुख हिस्सा होते हैं।

अर्थशास्त्री किसी देश के राजकोषीय स्वास्थ्य और आर्थिक स्थिरता के बारे में जानकारी प्राप्त करने के लिए सामान्य तौर पर देश के कर राजस्व की जांच करते हैं। हालांकि, केवल एकत्र किए गए करों की मात्रा को मापने से सम्पूर्ण स्थिति की जानकारी नहीं हो पाती है। यही कारण है कि वे कर-जीडीपी अनुपात का उपयोग करते हैं। यह एक अनोखा मेट्रिक है जो यह आकलन करने में मदद करता है कि किसी सरकार ने अपने संचालन और विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए कितने प्रभावी ढंग से अपना राजस्व जुटाया है।

इस विस्तृत निर्देशिका में, हम टैक्स-टू-जीडीपी रेशियो को विस्तार से देखेंगे, इसके महत्व को समझेंगे और इस मेट्रिक को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे। 

टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात का अर्थ 

टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात एक ऐसा मेट्रिक है जो किसी देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के उस प्रतिशत को दर्शाता है जो कर लगाने से प्राप्त होता है। उदाहरण के लिए, यदि कर-जीडीपी अनुपात 25% है, तो इसका अर्थ यह है कि किसी देश की जीडीपी का 25% करों के माध्यम से एकत्र किया जाता है।

इसका उपयोग मुख्य रूप से अर्थशास्त्रियों और विश्लेषकों द्वारा कर इकट्ठा करने में सरकार की दक्षता निर्धारित करने के लिए किया जाता है। उच्च टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात को सामान्यतः अनुकूल माना जाता है क्योंकि यह कर संग्रह में उच्च स्तर की दक्षता और वृहद् कर आधार को दर्शाता है। इसी प्रकार, कम टैक्स-जीडीपी अनुपात कर प्रशासन में अकुशलता अथवा छोटे कर आधार का संकेत देता है।

टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात की गणना कैसे की जाती है?

टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात की गणना गणित के निम्नलिखित सूत्र की मदद से आसानी से की जा सकती है। 

टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात = (कुल कर राजस्व ÷ सकल घरेलू उत्पाद) × 100

अब, आइए एक अनुमानित उदाहरण की मदद से समझते हैं कि टैक्स-जीडीपी अनुपात की गणना कैसे की जाती है। 

मान लें कि दो देश हैंः देश और देश बी। देश लगभग 13.57 लाख करोड़ रुपये का कुल कर राजस्व उत्पन्न करता है, जबकि देश बी 10.21 लाख करोड़ रुपये का कुल कर राजस्व उत्पन्न करता है।

शुरुआत में, ऐसा लगता है कि देश देश बी की तुलना में एक बेहतर और अधिक विकसित अर्थव्यवस्था है। यद्यपि, ऐसा नहीं है। केवल एकत्रित कर की राशि को देखने से हमेशा सम्पूर्ण स्थिति का पता नहीं चलता है।

सौभाग्य से, देश के टैक्स-जीडीपी अनुपात की गणना करके हम दोनों देशों के बीच बेहतर तुलना कर सकते हैं। अब मान लीजिए कि देश A की जीडीपी (GDP) लगभग 190 लाख करोड़ रुपये है और देश B की जीडीपी (GDP) लगभग 110 लाख करोड़ रुपये है।

ऊपर दिए गए गणितीय फॉर्मूले का उपयोग करके, हम देश के टैक्स-जीडीपी अनुपात का पता लगा सकते हैं। 

देश A का टैक्स-जीडीपी अनुपात = 7.14% [(13.57 लाख करोड़ ÷ 190 लाख करोड़) × 100]

देश B का टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात = 9.28% [(₹ 10.21 लाख करोड़ ÷ ₹ 110 लाख करोड़) × 100]

देश B का टैक्स-जीडीपी अनुपात उच्च होने के कारण यह देश A से अधिक बेहतर प्रतीत होता है। यह इसलिए है क्योंकि देश B के जीडीपी का 9.28% करों के माध्यम से एकत्र किया जाता है, जो देश A के मुकाबले उसके बेहतर कर प्रशासन को दर्शाता है, जो करों के माध्यम से अपने जीडीपी का केवल 7.14% एकत्र करता है। 

टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात का महत्व

टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात अर्थशास्त्र का सबसे महत्वपूर्ण और व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले मेट्रिक्स में से एक है। इस मेट्रिक के महत्व का विवरण निम्नवत है।

  • राजस्व उत्पादन को मापने में उपयोगी 

टैक्स-जीडीपी अनुपात किसी देश द्वारा उत्पन्न किए गए कर राजस्व की राशि का सूचक होता है। यदि टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात उच्च हो तो उससे पता चलता है कि सरकार की कर मशीनरी प्रभावी रूप से राजस्व उत्पन्न कर रही है। इसका अर्थ यह भी है कि वह देश स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और बुनियादी ढांचे जैसी महत्वपूर्ण सार्वजनिक सेवाओं में निवेश करने सक्षम है।

  • आर्थिक विकास का संकेत देता है 

टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात भी आर्थिक विकास के सूचक के रूप में कार्य करता है। सामान्य तौर पर यह माना जाता है कि कम अनुपात वाले देशों की तुलना में उच्च अनुपात वाले देश आर्थिक रूप से ज्यादा विकसित हैं।

  • ऋण को प्रभावी रूप से प्रबंधित करने की क्षमता प्रदर्शित करता है 

ऐसे देश जो अपने सकल घरेलू उत्पाद का काफी अधिक प्रतिशत राशि कर रूप में एकत्र करते हैं वे अपनी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कम उधार लेते हैं। कम ऋण लेने से ऋण प्रबंधन बेहतर होता है और आर्थिक बोझ घट जाता है। जबकि टैक्स-जीडीपी के निम्न अनुपात वाले देशों को अपनी फंड आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए ऋण का सहारा लेना पड़ सकता है।

  • अंतर्राष्ट्रीय तुलना करना संभव हो पाता है

भिन्न-भिन्न नीतियों, आर्थिक संरचनाओं और अनुपालन के स्तरों के कारण, दो भिन्न देशों के वित्तीय स्वास्थ्य और कर राजस्व की तुलना करने से हमेशा सही परिणाम नहीं मिल सकते। चूंकि देश का टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात एक मानक मेट्रिक है, इसलिए यह इस अंतर को पाटने में मदद कर सकता है।

टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात को प्रभावित करने वाले कारक

किसी देश का टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात कई कारकों से प्रभावित होता है। मेट्रिक की सही व्याख्या करने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वे कौन-से कारक हैं इसे समझें। आइए इस अनुपात को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों पर एक संक्षिप्त नज़र डालते हैं।

  • टैक्स पॉलिसी 

प्रगतिशील कर प्रणालियां और प्रभावी कर कानून टैक्स-जीडीपी अनुपात को बढ़ा सकते हैं, जबकि प्रतिक्रियात्मक प्रणाली होने से सीमित मात्रा में राजस्व संग्रह हो सकता है।

  • कर अनुपालन और प्रशासन

जिन देशों में कर चोरी का स्तर उच्च हो और कर प्रशासन या अनुपालन ढीला हो, उनका टैक्स-जीडीपी अनुपात काफी कम हो सकता है। दूसरी ओर, एक मजबूत कर प्रशासन प्रणाली और कर का भुगतान करने की नागरिकों की इच्छा बेहतर अनुपालन और बेहतर टैक्स-जीडीपी अनुपात सुनिश्चित करती है।

  • आर्थिक संरचना

औद्योगिकीकरण के उच्च स्तर और विकसित अर्थव्यवस्था वाले देशों का टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात कृषि अर्थव्यवस्था वाले देशों, जहाँ सामान्य तौर पर बड़े अनौपचारिक क्षेत्र होते हैं, की तुलना में अधिक होता है।

  • बाह्य कारक

कई मामलों में, किसी देश का टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात प्रत्यक्ष रूप से बाहरी कारकों से प्रभावित होता है। इन कारकों में वैश्विक आर्थिक रुझान, व्यापार नीति और अंतर्राष्ट्रीय कर संधि शामिल हैं। यदि बाह्य कारक अनुकूल हो तो उच्च अनुपात हो सकता है, जबकि प्रतिकूल कारक कम अनुपात का कारण बन सकते हैं।

निष्कर्ष

इसके साथ ही अब आपको जानकारी हो गई होगी कि टैक्स-टू-जीडीपी अनुपात क्या है और  राष्ट्र की वित्तीय शक्ति तय करने में इसकी कितनी महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यह एक महत्वपूर्ण माप है जिसका उपयोग अर्थशास्त्री और विश्लेषक विभिन्न देशों की आर्थिक प्राथमिकताओं और शासन की गुणवत्ता की तुलना करने में करते हैं।

अब, चूँकि उच्च टैक्स-जीडीपी अनुपात को सामान्य तौर पर प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि यह मजबूत राजस्व उत्पादन और वित्तीय स्वास्थ्य का संकेतक है, किन्तु टैक्सपेयर पर ज्यादा बोझ डालने से बचने के लिए संतुलन बनाए रखना आवश्यक होता है। 

FAQs

टैक्स - टू - जीडीपी अनुपात एक महत्वपूर्ण मेट्रिक है जो राजस्व संग्रह में सरकार की दक्षता और सार्वजनिक सेवाओं के लिए राशि उपलब्ध कराने की इसकी क्षमता का आकलन करने में मदद करता है।
यद्यपि इसका कोई सार्वभौमिक मानक नहीं है , किन्तु अधिकांश अर्थशास्त्री विकास और गरीबी कम करने के लिए 15% अथवा उससे अधिक के टैक्स - जीडीपी अनुपात को आदर्श मानते हैं।
वर्ष 2023 में , दुनिया के सभी देशों में फ्रांस 43.8% के उच्चतम टैक्स - टू - जीडीपी अनुपात के साथ प्रथम स्थान प्राप्त किया। दूसरी ओर , 43.4% के टैक्स - जीडीपी अनुपात के साथ डेनमार्क दूसरे स्थान पर था।
टैक्स - टू - जीडीपी अनुपात निम्न होने पर सार्वजनिक सेवाओं और बुनियादी ढांचे पर खर्च करने के लिए सरकार के पास सीमित साधन उपलब्ध होते हैं जिससे आर्थिक विकास धीमा हो जाता है। यह सरकार को अधिक ऋण लेने के लिए भी प्रेरित करता है , जिससे इसका कर्ज बोझ बढ़ जाता है।
अनिवार्य रूप से ऐसा नहीं है। जिस गुणवत्ता और दक्षता से कर राजस्व का उपयोग किया जाता है , यह निर्धारित करने में उसकी भी समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका होती है कि अर्थव्यवस्था अच्छी तरह से कार्य कर रही है या नहीं। इसके अलावा , टैक्स - टू - जीडीपी अनुपात बहुत अधिक टैक्सेशन का कारण बन सकता है और इसके परिणामस्वरूप निवेश और विकास घट सकता है।
Open Free Demat Account!
Join our 3 Cr+ happy customers