भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के २०२२में जारी दिशानिर्देशों के अनुसार, यदि लॉकर से सामान की चोरी या नुकसान बैंक की लापरवाही, जैसे सुरक्षा उपायों की कमी, कर्मचारियों की धोखाधड़ी या अन्य सुरक्षा चूक के कारण होता है, तो बैंक जिम्मेदार ठहराया जा सकता है। ऐसे मामलों में, बैंक अधिकतम 100 गुना वार्षिक लॉकर किराया तक मुआवजा देने के लिए बाध्य है। उदाहरण के लिए, यदि वार्षिक किराया ₹३००० है, तो अधिकतम मुआवजा ₹३,00,000 तक हो सकता है।
यदि नुकसान प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, भूकंप, या ग्राहक की लापरवाही के कारण होता है, तो बैंक जिम्मेदार नहीं ठहराया जाता। इसके अलावा, यदि ग्राहक लॉकर की चाबी खो देता है या समय पर किराया नहीं चुकाता है, तो भी बैंक की जिम्मेदारी नहीं बनती।
स्वामित्व प्रमाण: लॉकर में रखे गए कीमती सामान के बिल या अन्य स्वामित्व प्रमाण सुरक्षित रखें।
बीमा कवरेज: लॉकर में रखे गए कीमती सामान का बीमा करवाना एक अच्छा विकल्प हो सकता है, क्योंकि बैंक की बीमा पॉलिसी आपके व्यक्तिगत सामान को कवर नहीं करती।
समय-समय पर लॉकर की जांच करें और उसमें रखे सामान की सूची अपडेट रखें।
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बैंक लॉकर में रखे गए कीमती सामान की सुरक्षा के लिए बैंक और ग्राहक दोनों की जिम्मेदारी होती है। यदि बैंक की लापरवाही के कारण नुकसान होता है, तो ग्राहक मुआवजा प्राप्त करने के हकदार हैं। हालांकि, ग्राहक को भी सावधानी बरतनी चाहिए और आवश्यक दस्तावेजों को सुरक्षित रखना चाहिए।
अस्वीकरण: यह ब्लॉग केवल शैक्षिक उद्देश्यों के लिए लिखा गया है। उल्लिखित प्रतिभूतियां केवल उदाहरण हैं और सिफारिशें नहीं हैं। यह व्यक्तिगत सिफारिश/निवेश सलाह नहीं है। इसका उद्देश्य किसी भी व्यक्ति या संस्था को निवेश निर्णय लेने के लिए प्रभावित करना नहीं है। प्राप्तकर्ताओं को निवेश निर्णय लेने के बारे में एक स्वतंत्र राय बनाने के लिए अपना शोध और आकलन करना चाहिए।
प्रतिभूति बाजार में निवेश बाजार जोखिमों के अधीन हैं, निवेश करने से पहले सभी संबंधित दस्तावेजों को ध्यान से पढ़ें।
प्रकाशित: 4 Jun 2025, 9:27 pm IST
Team Angel One
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