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इक्विटी आधारित निवेश का विकास
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इक्विटी बाज़ार आज निवेशकों से भरा हुआ है। भारत में विभिन्न प्रकार के इक्विटी निवेश हैं जो रिस्क फ्रेंडली निवेशकों के पसंदीदा हैं। डायरेक्ट इक्विटी से लेकर विभिन्न प्रकार के इक्विटी-आधारित म्यूचुअल फंडों की बाज़ार में कोई कमी नहीं है।
लेकिन निश्चित रूप से, यह हमेशा से ऐसा नहीं था। लगभग हर चीज़ की तरह, इक्विटी निवेश में निश्चित रूप से बहुत मामूली शुरुआत हुई थी। इक्विटी और इक्विटी आधारित निवेश आज जिस स्तर पर हैं वहां तक पहुंचने में उन्हें दशकों लग गए। क्या आप भारत और दुनिया में इक्विटी निवेश की शुरुआत के बारे में जानने के लिए उत्सुक हैं? तो आइए, हम आपको उसी समय में वापस ले चलते हैं और इनके बारे में अधिक जानकारी प्राप्त करते हैं।
इक्विटी के जन्म से पहले इक्विटी निवेश
माना जाता है कि एंटवर्प, बेल्जियम में शुरू हुए दुनिया के पहले स्टॉक बाज़ार में किसी स्टॉक का व्यापार नहीं किया जाता था। यह निश्चित रूप से सच है, क्योंकि एंटवर्प के बाज़ार का बुनियादी ढांचा आज के शेयर बाज़ारों के समान था। लेकिन इस बाज़ार में इक्विटी में व्यापार करने के बजाय, खरीदार और विक्रेता अन्य वित्तीय साधन मुख्य रूप से बॉन्ड में कारोबार करते थे।
दुनिया की पहली सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली कंपनी
इक्विटी निवेश में सबसे पहला कारोबार डच ईस्ट इंडिया कंपनी ने शुरू किया। दिलचस्प बात यह है कि इस इक्विटी ट्रेड के पीछे प्रेरक कारक सरल और एकमत था। दरअसल, यह कारण जोखिम था जिसने निवेशकों को कंपनी में इक्विटी खरीदने के लिए प्रेरित किया।
उस समय व्यापार मुख्य रूप से समुद्री मार्ग के ज़रिये किया जाता था। समुद्र में तूफान या समुद्री लुटेरों के कारण माल और ख़ज़ाना ले जाने वाले जहाज़ कभी-कभी वापिस स्वदेश नहीं पहुँच पाते थे। निवेशकों ने तब यह महसूस किया कि सिर्फ एक यात्रा पर अपना सारा पैसा लगाना कितना जोखिम भरा था। इसलिए, उन्होंने जोखिम को कम करने के लिए अपने निवेश में विविधता लाना शुरू कर दिया।
आखिरकार, डच ईस्ट इंडिया कंपनी निवेशकों के लिए एक आसान समाधान लेकर आई। कंपनी ने अपने शेयर एम्स्टर्डम स्टॉक एक्सचेंज में बिक्री के लिए जारी किये। इस तरह, निवेशक जल यात्राओं में निवेश कर सकते थे। और कंपनी को मिलने वाले मुनाफ़ा निवेशकों को वापस मिल जाता था। अब यह सोचने की ज़रूरत नहीं थी कि कौन से जहाज़ सुरक्षित रूप से घर वापस आएंगे।
1800 के दशक में शेयर बाज़ार का उत्थान
इक्विटी में निवेश भले ही डच ईस्ट इंडिया कंपनी की लिस्टिंग के साथ शुरू हुआ, लेकिन निवेशकों में इसकी लोकप्रियता 1800 के दशक में बढ़ी। 1801 में लंदन स्टॉक एक्सचेंज की स्थापना होने पर शेयर बाज़ार बहुत लोकप्रिय हो गया। लेकिन अत्यधिक अनियमित व्यापार होने की वजह से एक्सचेंज में विभिन्न वैध और अवैध दोनों तरह की कंपनियां थी।
लेकिन जल्द ही योजनाएं विफल होने लगी और जब कई कंपनियां लाभांश का भुगतान नहीं कर पाई तो, लंदन स्टॉक एक्सचेंज को यह स्वीकार करने के लिए मजबूर होना पड़ा कि पहली स्टॉक मार्केट का अब पतन हो गया है। इसके बाद 1825 तक व्यापार अत्यधिक सीमित रहा।
इस बीच, 1817 में न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज (एनवाईएसई) की शुरुआत हुई। और इसने लंदन स्टॉक एक्सचेंज के प्रतिबंध के बाद रिक्त पड़े स्थान को अपने कब्जे में ले लिया। समय के साथ, NYSE की लोकप्रियता बढ़ती गयी, और उसने दुनिया की टॉप स्टॉक एक्सचेंज के रूप में अपनी स्थिति बरकरार रखी।
भारत में इक्विटी निवेश
1800 के दशक का उत्तरार्ध भारतीय वित्तीय बाज़ारों के लिए भी एक अच्छा समय था, क्योंकि वर्ष 1875 में बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का गठन हुआ। यह न केवल भारत का बल्कि एशिया का पहला स्टॉक एक्सचेंज था। समय के साथ बीएसई ने सभी वित्तीय विकासों का मुकाबला किया और समय के साथ तालमेल रखते हुए अपनी मज़बूती बरक़रार रखी। आज, NSE के साथ यह भारत के सबसे बड़े दो टॉप स्टॉक एक्सचेंजों में से एक है।
न्यूनतम से परे: उपलब्ध इक्विटी निवेश के प्रकार
प्रत्यक्ष इक्विटी दुनिया भर में इक्विटी निवेश की नींव थी। आज, इस श्रेणी में विभिन्न प्रकार की प्रत्यक्ष इक्विटी शामिल हैं, जैसे:
- लार्ज-कैप स्टॉक
- मिड-कैप स्टॉक
- स्मॉल-कैप स्टॉक
- ब्लू चिप स्टॉक
- पेनी स्टॉक
और प्रत्यक्ष इक्विटी के अलावा इक्विटी-ओरिएंटेड म्युचुअल फंड भी हैं। ये विशेष रूप से ऐसे निवेश हैं जो विभिन्न निवेशकों से एक साथ पैसा जमा करते हैं, और फिर उस पैसे को विभिन्न इक्विटी उपकरणों में निवेश करते हैं। वे जिस तरह की इक्विटी में निवेश करते हैं, उसके आधार पर इक्विटी म्यूचुअल फंड निम्न प्रकार के हो सकते हैं।
- थीमैटिक इक्विटी फंड्स
- सेक्टोरल इक्विटी फंड्स
- लार्ज/मिड/स्मॉल कैप फंड्स
- मल्टी कैप फंड्स
- एक्टिव फंड्स
- पैसिव फंड्स
- ईएलएसएस फंड्स
समापन
अब आप समझ गए होंगे कि समय के साथ इक्विटी निवेश कैसे इतना विकसित हुआ है? कम जोखिम से लेकर विभिन्न श्रेणियों में विकसित होने तक, विभिन्न निवेश उद्देश्यों के साथ, इक्विटी एक्सचेंज कारोबार में पिछले कुछ दशकों में काफ़ी वृद्धि हुई है।
ए क्विक रीकैप
- डच ईस्ट इंडिया कंपनी सार्वजनिक रूप से कारोबार करने वाली पहली कंपनी थी।
- कंपनी इक्विटी खरीदने और बेचने के लिए उपलब्ध थी, क्योंकि यह एम्स्टर्डम स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध थी।
- 1800 के दशक में, लंदन स्टॉक एक्सचेंज, एनवाईएसई और हमारे अपने बीएसई जैसे अन्य एक्सचेंज बनाए गए थे।
- आज, प्रत्यक्ष इक्विटी के अलावा, हमारे पास अन्य प्रकार के इक्विटी निवेश हैं जैसे इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड की एक विस्तृत श्रृंखला।
प्रश्नोत्तरी
1. क्या मुझे इक्विटी में निवेश करने के लिए डीमैट खाते की आवश्यकता है?
जी हाँ, इक्विटी शेयरों में निवेश करने के लिए आपके पास एक डीमैट खाता और एक ट्रेडिंग खाता होना चाहिए। इसके लिए आपको इसे अपने बैंक खाते से लिंक करना होगा।
2. भारत में इक्विटी बाज़ार से औसत रिटर्न कितना है?
रिकॉर्ड बताते हैं कि 1992 में एनएसई के शामिल होने के बाद से, एनएसई के लिए शेयर बाजार में औसत रिटर्न लगभग 17% है। हालांकि, एक अति रूढ़िवादी अनुमान वह होगा जो गोल्डमैन सैच के डेटा से पता चलता है। इस डेटा के अनुसार, पिछले 140 के दौरान, किसी भी 10 साल की अवधि के लिए रिटर्न की औसत दर लगभग 10% रही है।
3. क्या मुझे इक्विटी में निवेश करने से पहले मौलिक और तकनीकी दोनों विश्लेषण करने चाहिए?
यदि आप लंबी अवधि के लिए निवेश करने की योजना बना रहे हैं, तो मौलिक विश्लेषण आपको अधिक लंबी अवधि की क्षमता वाले शेयरों की पहचान करने में मदद कर सकता है। दूसरी ओर, यदि आप इक्विटी शेयरों में व्यापार करने जा रहे हैं, तो तकनीकी विश्लेषण अधिक प्रासंगिक हो जाता है।
आप इस अध्याय का मूल्यांकन कैसे करेंगे?
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