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विषयगत व्यापार क्या है - स्मार्ट मनी
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जैसे-जैसे भारत मे पूंजी बाज़ारों का विकास हो रहे है, वैसे-वैसे नए विचार और रणनीतियां भारतीय बाजार में पहुँच रही है। जब लोग नए आइडिया को लागू करते हैं तो इससे कई नयी निवेश रणनीतियों का उदय होता है, जिससे आखिर में कई नए वित्तीय उत्पाद तैयार होते हैं। अभी सबसे नया आइडिया जो निवेश की दुनिया में सुर्खियां बटोर रहा है, वो है विषयगत या थीमैटिक निवेश।
विषयगत निवेश क्या है?
हमारा जीवन, हमारे आसपास की दुनिया की हमारी समझ द्वारा निर्देशित किया जाता है। इसी तरह अगर आप किसी चीज़ को अच्छे से समझते है तो उसमें पैसे लगाने का आपका निर्णय काफी आसान हो जाता है। थीमैटिक निवेश एक टॉप-डाउन निवेश पद्धति है जो निवेश विकल्पों का विश्लेषण करने के लिए व्यापक मैक्रोइकॉनॉमिक ट्रेंड्स का उपयोग करता है। यह हमारे निवेश निर्णयों को सामाजिक, कॉर्पोरेट या आर्थिक रुझानों के साथ बैठाना चाहता है। विषयगत निवेश में निर्णय लेने की रूपरेखा सिर्फ तथ्य पर आधारित होने के बजाय विचारों पर भी आधारित होती है। पारंपरिक निवेश में, फंड मैनेजर,सिक्योरिटी या एसेट को सेक्टर या ब्रॉड इंडेक्स के सापेक्ष में उनके प्रदर्शन के आधार पर चुनते थे।
और इसके विपरीत, विषयगत निवेश उन कंपनियों या एसेट के विकास से लाभ प्राप्त करना चाहते हैं जो व्यापक ट्रेंड से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभ कमाने की क्षमता रखते है। उदाहरण के लिए, पर्यावरणीय स्थिरता सभी जगह एक लोकप्रिय ट्रेंड के रूप में अपनी पहचान बना चुकी है। दुनिया भर की सरकारें कम प्रदूषण फैलाने वाली टेक्नोलोजी को अपनाने और प्रदूषणकारी उद्योग को नियंत्रित करने पर जोर दे रही हैं। इस ट्रेंड से लाभ पाने के लिए, एक फंड मैनेजर अलग-अलग क्षेत्रों में फैली उन विभिन्न कंपनियों में निवेश कर सकता है जो इस तरह के पर्यावरणीय स्थिरता के ट्रेंड को सपोर्ट करती है वह नवीकरणीय बिजली कंपनियों और इलेक्ट्रिक कार निर्माताओं में पैसा लगा सकता है।
एक विषयगत निवेश कैसे किया जाता है?
वैसे तो विषयगत निवेश आसान लगता है, लेकिन सबसे आसान चीजों को भी बड़े स्तर पर लागू करने के लिए योजना और एक व्यवस्थित दृष्टिकोण की जरूरत होती है। एक विषयगत निवेश बनाने के लिए, फंड मैनेजर्स एक थीम या ट्रेंड चुनते हैं जो भविष्य में प्रमुख बन सकें। ट्रेंड को समाज, प्रौद्योगिकी, अर्थशास्त्र या विशिष्ट क्षेत्रों में हुए विकास के बारे में अध्ययन करके पहचाना जा सकता है। उदाहरण के लिए, अर्थव्यवस्था के डिजिटलीकरण को भारत में एक पहचानने योग्य ट्रेंड माना जा सकता है।
एक ट्रेंड पर ध्यान केंद्रित करने के बाद, फंड मैनेजर विश्लेषण करते हैं कि क्या ट्रेंड शॉर्ट-टर्म, संरचनात्मक, या स्पेक्यूलेटिव है और अगर इस ट्रेंड में कोई भी बदलाव आता है तो इससे दूसरे सेक्टरों पर क्या प्रभाव पड़ेगा।
एक बार ट्रेंड और थीम की प्रकृति फाइनल हो जाए, तो फिर फंड मैनेजर उद्योगों, ग्राहकों, उत्पाद लाइन, सेवाओं, व्यवसाय मॉडल, या जनसांख्यिकी के माध्यम से ट्रेंड के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष जोखिम के साथ कंपनियों या एक्सचेंज-ट्रेडेड फंड की पहचान करता है। अगर हम डिजिटलीकरण को एक ट्रेंड मानते हैं, तो रिलायंस इंडस्ट्रीज और एयरटेल जैसी कंपनियों को प्रत्यक्ष लाभार्थी कहा जा सकता है। इसके अलावा वह लिस्टेड कंपनियाँ जो डिजिटल मीडिया के लिए कॉन्टेन्ट बनाती हैं, उन्हें ट्रेंड का अप्रत्यक्ष लाभकारी माना जा सकता है।
फंड मैनेजर लिक्विडिटी, रिस्क, प्रदर्शन, मैनेजमेंट की गुणवत्ता, कमाई का अनुमान आदि जैसे कई पैमानों पर, ट्रेंड से फायदा पाने वाली कंपनियों का विश्लेषण करके एक लिस्ट बनाते हैं। काफी गहन विश्लेषण के बाद फंड मैनेजर के पास वो सबसे मजबूत शेयर बचते हैं जिन्हें ट्रेंड से लाभ पहुंचने की संभावना होती है।
विषयगत निवेश के लाभ
थीमैटिक निवेश पारंपरिक निवेश रणनीतियों जैसे कि सापेक्ष निवेश से काफी अलग है। यह निवेशकों को कई प्रकार के लाभ प्रदान करता है।
सहज निवेश: विषयगत निवेश पूरी तरह से निवेशक के अंतर्ज्ञान और विचारों पर आधारित है। विषयगत निवेश में, आप उन कंपनियों और ट्रेंड में निवेश करते हैं जिनके विचार आपके विचारों के साथ मेल खाते है। आप लंबे समय तक किसी आइडिया को फॉलो करते है जब वह आपको उत्तेजित करता है। लंबे समय तक एक ट्रेंड को फॉलो करने से उस ट्रेंड व आइडिया के बारे मे हमेंं बहुत गहरी जानकारी प्राप्त हो जाती है। बेहतर ज्ञान आपको दूसरे से आगे सोचने की शक्ति व एक अनूठी अंतर्दृष्टि प्रदान करता है, जिससे आपके द्वारा एक स्मार्ट निवेश निर्णय लेने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है। एक ट्रेंड में पहले से रुचि रखने से गहन शोध करना आसान हो जाता है जो आपको अपने पोर्टफोलियो को अनुकूलित करने में मदद करता है।
मूल्यों के साथ मेल खाता निवेश: विषयगत निवेश के प्रमुख लाभों में से एक यह है कि आप अपने निवेशों को व अपनी मान्यता को एक साथ लेकर चल सकते है। उदाहरण के लिए, अगर आप पशु क्रूरता के खिलाफ हैं, तो आपको प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से पशुधन कंपनियों में निवेश करना होगा, अगर वह पारंपरिक निवेश के मापदंडों मे फिट बैठते है। विषयगत निवेश के मामले में, निवेश आपके मूल्यों से मेल खाते हैं क्योंकि आप उन ट्रेंड को चुनते हैं जिनके बारे में आप ज्यादा भावुक होते हैं।
पर्याप्त विविधीकरण: विषयगत निवेश की रणनीति में पर्याप्त विविधीकरण सुनिश्चित करने वाली कंपनियों और क्षेत्रों में पैसा निवेश करना प्रमुख होता है। पोर्टफोलियो में विभिन्न कंपनियों को चुने गए विषय से लाभ होने की संभावना होती है। अन्य निवेश विकल्प जैसे म्यूचुअल फंड भी निवेश में विविधता लाते हैं, लेकिन विषयगत निवेश पर्याप्त विविधता प्रदान करता है। म्युचुअल फंड में ज्यादा ही विविधता होती है, जो रिटर्न को कम करती है, लेकिन विषयगत निवेश एक विशिष्ट ट्रेंड के आधार पर कुछ ही कंपनियों पर आधारित होता है और उन्हीं में अपना पैसा निवेश करते हैं।
निष्कर्ष
भारत में थीमैटिक निवेश लोकप्रियता हासिल कर रहा है क्योंकि इसे समझना आसान है और यह निष्पादित करने में सरल है। थीमैटिक निवेश यह भी सुनिश्चित करता है कि आप अतीत की बजाय भविष्य में निवेश करें। एक पहचानने योग्य ट्रेंड पर ध्यान केंद्रित करने से उच्च रिटर्न प्राप्त होता है। हालांकि, विषय को अंतिम रूप देने के लिए गहन शोध करना महत्वपूर्ण है क्योंकि एक गलत अनुमान खराब परिणाम पैदा कर सकता है।
अब तक आपने पढ़ा
- थीमैटिक निवेश एक टॉप-डाउन निवेश पद्धति है जो निवेश विकल्पों का विश्लेषण करने के लिए व्यापक मैक्रोइकॉनॉमिक ट्रेंड का उपयोग करती है।
- थीमैटिक निवेश उन कंपनियों या एसेट के विकास से लाभ प्राप्त करना चाहता है जो व्यापक ट्रेंड के प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष लाभार्थी होने की क्षमता रखते हैं।
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