तेल का भविष्य

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अभी तक हमने देखा कि कच्चा तेल कैसे उभर कर आया और कैसे ये पूरी दुनिया का प्राथमिक ऊर्जा स्रोत बन गया। इसके अलावा, हमने संक्षेप में बाज़ार संरचना और कमोडिटी के उत्पादन और प्रक्रिया में शामिल प्रमुख किरदारों को जाना। और अंत में, हमने कमोडिटी कॉन्ट्रैक्ट स्पेसिफिकेशन्स को समझा|

इस अध्याय में, हम यह जानने की कोशिश करेंगे कि कच्चे तेल का भविष्य कैसा होगा। साथ ही हम रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर की बात करेंगे और उन स्टॉक्स के बारे में भी जानेंगे जिन पर आपको ध्यान देना चाहिए।

कच्चा तेल: इस कमोडिटी का भविष्य क्या है?

जैसा कि आप पहले से ही जानते हैं कि कच्चा तेल एक जीवाश्म ईंधन है। इसका अर्थ है कि यह नॉन रिन्यूएबल यानी गैर-नवीकरणीय ईंधन है। भविष्य में जब हम पृथ्वी पर कच्चे तेल के सभी भंडारों का उपयोग कर लेंगे, तो हमें लाखों वर्षों तक तेल नहीं मिलेगा।

जहां एक तरफ तेल भंडारों का भविष्य में खत्म होने का डर है, वहीं दूसरी तरफ कच्चे तेल की मांग में लगातार वृद्धि हो रही है। लिमिटेड सप्लाई और लगातार बढ़ती मांग के कारण विशेषज्ञों ने काले सोने यानी कच्चे तेल के भविष्य पर सवाल उठाया है।

एक और परेशानी की वजह है| कच्चे तेल जैसे जीवाश्म ईंधन के उपयोग से वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन लगातार बढ़ रहा है। इसलिए कई देशों की सरकार ने कच्चे तेल की बजाय रिन्यूएबल एनर्जी का उपयोग करने पर ज़ोर दिया है। यही नहीं, पिछले कुछ वर्षों में इलेक्ट्रिक वाहनों के उत्पादन और इस्तेमाल में भी बढ़ोतरी हुई है।

हालांकि, इलेक्ट्रिक वाहनों का ड्राइविंग रेंज बहुत सीमित होता है| चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी और महंगी कीमतों के कारण इलेक्ट्रिक वाहनों को बाज़ार में अपनी जगह बनाने में अभी एक दशक या इससे भी ज़्यादा समय लग सकता है। लेकिन ईवी निर्माता, टेस्ला और इसी तरह के अन्य ईवी स्टार्टअप को देखते हुए लगता है कि आने वाले दशक में चीजें तेज़ी से बदलेंगी। इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल में चुनौतियों के बावजूद, वैश्विक समाज तेज़ी से कच्चे तेल के उपयोग को समाप्त करने की ओर बढ़ रहा है।

यदि अगले 30 वर्षों तक ऐसा ही चलता रहा तो शायद हम जीवाश्म ईंधन से चलने वाले वाहनों को पूरी तरह छोड़कर इलेक्ट्रिक वाहनों को इस्तेमाल करने लगेंगे। वास्तव में, 2050 तक, हो सकता है कच्चे तेल की मांग इतनी कम हो जाये कि आपूर्ति यानी सप्लाई इससे कहीं अधिक हो। इन सभी वजहों के चलते हम कह सकते हैं कि कच्चे तेल के सुनहरे दिन धीरे-धीरे कम हो रहे हैं। अगर ऐसा होता है, तो कच्चे तेल की कीमतें अपने सबसे निचले स्तर तक गिर सकती हैं, ठीक उसी तरह जैसे हमने 2020 में कोविड-19 महामारी के दौरान देखा था।

रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर: एक परिचय

हाल ही में, रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर भारत में अपनी पकड़ मज़बूत कर रहा है। वास्तव में, वर्तमान में हमारे पास पूरी दुनिया का चौथे सबसे आकर्षक रिन्यूएबल एनर्जी बाज़ार है। पूरे देश में स्थापित रिन्यूएबल एनर्जी की उत्पादन क्षमता वर्तमान में 92.55 GW है।

इस कुल क्षमता में सोलर एनर्जी यानी सौर ऊर्जा 38.79 गीगावॉट और विंड एनर्जी यानी पवन ऊर्जा 38.68 गीगावॉट है। कई नए रिन्यूएबल पावर प्रोजेक्ट्स को शुरू किया जा रहा है और इन पर भी ज़ोर दिया जा रहा है। भारत सरकार को उम्मीद है कि 2040 तक कुल उत्पन्न बिजली का लगभग 49% हिस्सा रिन्यूएबल सोर्सेस से आएगा। रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में लगभग 42 बिलियन डॉलर का एफडीआई निवेश किया गया है।

रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर में काम कर रही कंपनियां

अब जब आपको भारत में रिन्यूएबल एनर्जी सेक्टर के बारे में अच्छी जानकारी हो गई है, तो आइए इस क्षेत्र में काम करने वाली कुछ प्रमुख संस्थाओं पर एक नज़र डाल लेते हैं।

1. टाटा पावर

बिजली उत्पादन के क्षेत्र में 100 से अधिक वर्षों से जुड़ी टाटा पावर भारत की सबसे बड़ी इंटीग्रेटेड पावर कंपनी है। हालांकि कंपनी का प्राथमिक फोकस थर्मल पावर जनरेशन पर है, लेकिन हाल ही में इसने रिन्यूएबल स्पेस में भी कदम रखा है। टाटा पावर के पास वर्तमान में चार हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर प्रोजेक्ट, एक विंड एनर्जी जेनरेशन प्लांट यानी पवन ऊर्जा उत्पादन संयंत्र, और अलग-अलग पैमानों के 10 सोलर पावर प्रोजेक्ट्स यानी सौर ऊर्जा परियोजनाएं हैं।

2. सुज़लॉन एनर्जी

वर्ष 1995 में स्थापित, सुज़लॉन एनर्जी विंड एनर्जी सेक्टर में भारत की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक है। ये कंपनी अलग-अलग आकार और विशिष्टताओं के विंड टरबाइन का निर्माण करती है। वर्तमान में, ये कंपनी दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी विंड टरबाइन सप्लायर के रूप में जानी जाती है। इसने देश में 11,000 मेगावाट से अधिक विंड पावर कैपेसिटी स्थापित की है जो कि भारत के कुल विंड इन्स्टालेशंस का लगभग एक-तिहाई हिस्सा है।

3. इंडोसोलर लिमिटेड

इंडोसोलर लिमिटेड की स्थापना 2005 में एक गारमेंट मैन्युफैक्चरिंग कंपनी के रूप में हुई थी। हालांकि, बाद में इसने 2008 में सोलर सेल मैन्युफैक्चरिंग स्पेस में कदम रखा। इंडोसोलर लिमिटेड फोटोवोल्टिक सेल्स और सोलर पैनल्स का उत्पादन करती है। वर्तमान में, ये कंपनी पूरे देश में फोटोवोल्टिक सेल के सबसे बड़े निर्माता के रूप में जानी जाती है।

4. उजास एनर्जी लिमिटेड

1979 में बनी, उजास एनर्जी लिमिटेड सोलर एनर्जी से उत्पन्न बिजली का उत्पादन और बिक्री करने वाली भारत की पहली कंपनी है। मध्य प्रदेश के राजगढ़ में बने अपने 2MW सोलर पॉवर प्लांट के कारण कंपनी को ये मुकाम हासिल हुआ| तब से अब तक इस प्लांट ने बिजली उत्पादन को 16.5MW तक बढ़ा लिया है| राजगढ़ प्लांट के अलावा, कंपनी के मध्य प्रदेश के विभिन्न ज़िलों में चार अन्य सोलर पॉवर प्लांट्स भी हैं।

हालांकि ये चारों सोलर एनर्जी सेक्टर में काम करने वाली सबसे बड़ी और सबसे लोकप्रिय कंपनियों में से हैं, लेकिन इनके अलावा इस क्षेत्र में और कंपनियां भी हैं। आइए इस क्षेत्र में काम कर रही कुछ अन्य कंपनियों पर एक नज़र डालते हैं|

  1. अदानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड
  2. वा सोलर लिमिटेड
  3. वेबसोल एनर्जी सिस्टम लिमिटेड
  4. सिनर्जी ग्रीन इंडस्ट्रीज़ लिमिटेड
  5. सुराना सोलर लिमिटेड
  6. गीता रिन्यूएबल एनर्जी लिमिटेड
  7. ऊर्जा ग्लोबल लिमिटेड
  8. एक्सएल एनर्जी लिमिटेड
  9. आईनॉक्स विंड लिमिटेड
  10. ओरिएंट ग्रीन पावर कंपनी लिमिटेड
  11. इंडोविंड एनर्जी लिमिटेड
  12. नेशनल हाइड्रोइलेक्ट्रिक पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड

रैपिंग अप यानी समापन 

इसी के साथ हम इस अध्याय के अंत में आ गए हैं। इस मॉड्यूल के आने वाले अध्यायों में, हम भारतीय कमोडिटी बाज़ार में अन्य सबसे लोकप्रिय और सामान्य रूप से व्यापार की जाने वाली वस्तुओं के बारे में जानेंगे| तो हमारे साथ जुड़े रहिये|

ए क्विक रीकैप

  • कच्चा तेल एक जीवाश्म ईंधन है; जिसका अर्थ है कि यह नॉन रिन्यूएबल है। एक बार जब हम पृथ्वी पर कच्चे तेल के सभी भंडार का उपयोग कर लेते हैं, जो हम निकट भविष्य में किसी समय करेंगे, तो हमें लाखों वर्षों तक कच्चा तेल नहीं मिलेगा।
  • तेल भंडारों का भविष्य में खत्म होना और कच्चे तेल की मांग में लगातार वृद्धि होने के कारण विशेषज्ञों ने काले सोने यानी कच्चे तेल के भविष्य पर सवाल उठाया है।
  • कच्चे तेल जैसे जीवाश्म ईंधन के बढ़ते उपयोग से वायु प्रदूषण और जलवायु परिवर्तन में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इसने मामले को और भी गंभीर बना दिया है।
  • इसलिए, अब दुनिया रिन्यूएबल और स्वच्छ ऊर्जा स्त्रोतों की तरफ़ बढ़ रही है|
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