कोविड की दूसरी लहर में टाटा कम्युनिकेशंस के शेयर में तेजी

07 जून,2021

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कोविड की दूसरी लहर में टाटा कम्युनिकेशंस के शेयर में तेजी- स्मार्ट मनी
आजकल एक मीम चर्चे में है जिसमें कहा गया है : छींक का सफ़र बहुत ज़ल्द "ब्लेस यू" से "टू हेल विद यू" पर पहुँच गया।

यह ठीक भी है क्योंकि यदि कोई सार्वजनिक रूप से छींकता है तो लोग परेशान हो उठते हैं(अपनी झेलने की क्षमता के मुताबिक मन ही मन या फिर मुखर रूप से)। हो सकता है छींकने वाले को केवल पॉलन एलर्जी हो, लेकिन हालात ऐसे हैं कि खुद छींकने वाला भी शायद राहगीरों के इस डर से दुखी नहीं होता कि उन्हें कोविड -19 संक्रमण हो सकता है। दरअसल किसी भी तरह की छींक या गला साफ़ करने के पीछे कोविड-19 का डर जुड़ गया है। 

ऐसा ही कुछ शेयरों के साथ भी हो रहा होगा। हो सकता है कि महामारी की दूसरी लहर से पहले उनका प्रदर्शन बहुत अच्छा न हो (बिल्कुल उसी तरह जैसे महामारी की बात सुनने से पहले छींकने वाले के लिए पॉलन एलर्जी से ग्रस्त होने की बात समझ में आती थी)। स्टॉक की कीमत में गिरावट कोविड -19 की दूसरी लहर के कारण स्टॉक की कीमतों में सामान्य गिरावट के साथ ही हुई, सो संभव है कि स्टॉक की कीमत में गिरावट का दोष महामारी पर बेवजह मढ़ा जा रहा है। 

ऐसा ही एक उदाहरण टाटा कम्युनिकेशंस स्टॉक का है। क्या इसकी गिरावट का दोष पूरी तरह से महामारी की दूसरी लहर और इसकी रोकथाम के लिए लगाए गए लॉकडाउन दिया जा सकता है? आइए असलियत जानने के लिए स्टॉक के पिछले साल के सफ़र का पता लगाते हैं। 

टाटा कम्युनिकेशंस स्टॉक में ज़ोरदार उछाल

साल 2020 के दौरान टाटा कम्युनिकेशंस के शेयर की कीमत में ज़बर्दस्त बढ़ोतरी हुई। विशेषज्ञ मानते हैं कि इस अवधि में शेयर में 150 प्रतिशत से अधिक की तेज़ी दर्ज़ हुई। यह न केवल अपने आप में अचरज भरा है, बल्कि शेयर में यह निफ्टी 50 के बेंचमार्क से भी आगे रहे - जिसमें सिर्फ 10-18 प्रतिशत की बढ़त दर्ज़ हुई!

सरकार का डिसइन्वेस्टमेंट

इसके स्टॉक मूल्य के ग्राफ पर ध्यान देने से एक स्पष्ट तस्वीर मिलती है। इस साल जनवरी के मध्य तक स्टॉक की कीमत ऊपर चल रही थी,जब सरकार ने घोषणा की कि वह टाटा कम्युनिकेशंस में अपनी बची हुई हिस्सेदारी (जो फिलहाल उसके पास है) बेच देगी। स्टॉक की कीमत इस समय गिरनी शुरू हो गई, सरकार के ओएफएस से कई हफ्ते पहले इसमें बहुत कम समय के लिए तेज़ी आई और फिर बाद में इसमें तेज़ गिरावट दर्ज़ हुई। जब आप इसे इस नज़रिए से देखते हैं तो आप सोचने लगते हैं कि दरअसल इसकी कीमत में गिरावट के लिए महामारी की दूसरी लहर को कितना दोष दिया जा सकता है। 

यहाँ कुछ बिंदुओं पर विचार किया गया है:

  1. विशेषज्ञों ने देखा कि सरकार के ओएफएस से पहले शेयर की कीमत में 7 प्रतिशत की गिरावट दर्ज़ हुई। 
  2. सरकार सालाना आधार पर डिसइन्वेस्टमेंट करती है। सो डिसइन्वेस्टमेंट स्टॉक की योग्यता पर सवाल उठाने के लिए सही वजह नहीं है। इसके बजाय कंपनी की फिनांशियल आंकड़ों की जाँच करें। 
  3. मार्च 2020 से मार्च 2021 तक (सरकार के ऑफर फॉर सेल से ठीक पहले थोड़े समय के लिए - बहुत तेज़ी दर्ज़ हुई - सरकार द्वारा अपनी हिस्सेदारी बेचने की योजना की घोषणा के बाद जनवरी में आम तौर पर गिरावट का रुझान रहा) कीमत में करीब 400 प्रतिशत की उछाल आई। ध्यान रखें कि यहाँ लिखने में कोई गलती नहीं हुई है।  इसलिए कोई आश्चर्य नहीं है कि लोग मध्य मार्च से हुई गिरावट का दोष कोविड -19 को देते हैं क्योंकि कोविड -19 के मामले मार्च के अंत से अप्रैल की शुरुआत तक बढ़ने लगे। सो यदि हम अपने पहले अनुमान पर गौर करते हैं तो गिरावट पूरी तरह से सरकारी ओएफएस से मेल खाती है - जो बाजार में आपूर्ति बढ़ने की बात से मेल खाता है और आप जानते हैं कि मांग-आपूर्ति का अर्थशास्त्र कैसे काम करता है। 
  4. जब जनवरी 2021 में कीमत गिरनी शुरू हुई, तो बिजनेस स्टैंडर्ड ने लिखा कि बुलिश इन्वेस्टर राकेश झुनझुनवाला ने टाटा कम्युनिकेशंस में एक प्रतिशत हिस्सेदारी खरीदी। 

दूसरी लहर के मद्देनजर और अधिक गिरावट:

तो क्या यह कहना उचित होगा कि महामारी की दूसरी लहर का टाटा कम्युनिकेशंस के स्टॉक मूल्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ा है? नहीं, वह भी ठीक नहीं होगा। हालांकि कोविड -19 की दूसरी लहर का असर अप्रैल के आसपास स्पष्ट होने लगा लेकिन पिछले महीने टाटा कम्युनिकेशंस के शेयर की कीमत निश्चित रूप से अपने पिछले स्तर तक नहीं पहुँच पाई है लेकिन यह स्थिर हो गया है। शेयर के पिछली तेज़ी के स्तर न पहुँच पाने की वजह महामारी बता सकते हैं। हालांकि, यह भी कहना ठीक ही होगा कि इस वजह से वृद्धि पर लगाम लगी है। 

शेयर का 52 सप्ताह का न्यूनतम स्तर 400 रुपये और 52 सप्ताह का उच्चतम स्तर लगभग 1,400 रुपये है।  ऐतिहासिक आंकड़ों के संदर्भ में कुछ को यह विशेष रूप से उत्साहजनक लग सकता है क्योंकि इस साल जनवरी से कीमत 1000 रुपये से थोड़ा अधिक और लगभग 1400 रुपये के बीच रही है।  इसके अलावा इन्वेस्टर मार्केट कैपिटलाइज़ेशन और पीई अनुपात देखना चाहते हैं जो 309.53 अरब डॉलर 24.74 पर बैठता हैं ताकि वे तय कर सकें कि उन्हें स्टॉक खरीदना चाहिए या नहीं या फिर यदि उनके पास पहले से है तो उन्हें रखे रहें या नहीं।  

इस मामले में टाटा कम्युनिकेशंस का मूल्यांकन करने के लिए कंपनी के फिनांशियल आंकड़ों का भी ध्यान रखें। आप बैलेंस शीट, पी एंड एल स्टेटमेंट, तिमाही रिपोर्ट और वार्षिक रिपोर्ट देखना चाहेंगे। अपने इन्वेस्टमेंट की योजना के साथ कंपनी की संभावित ग्रोथ ट्रेजेक्टरी की तुलना करना चाहेंगे। जहाँ तक महामारी की दूसरी लहर की बात है तो निवेशकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके पास एक स्थिर आय हो और वे केवल अतिरिक्त पूंजी से ही शेयर बाजार में इन्वेस्ट करें। इन्वेस्टमेंट के लिए सिर्फ अतिरिक्त पूंजी के ही उपयोग करने के पीछे वजह यह कि उन्हें स्टॉक बेचना न पड़े जब यह नीचे चल रहा हो या बहुत ऊपर न हो। अधिकांश शौकिया इन्वेस्टर के लिए शेयर बाजार में लॉन्ग टर्म इन्वेस्टमेंट को शेयर बाजार के उतार-चढ़ाव को मात देने के सबसे अच्छे ज़रिये के तौर पर देखा जाता है। इसलिए, अतिरिक्त पूंजी के साथ ही निवेश करें। आख़िरी बात कि हर कोई इन्वेस्ट कर सकता है, भले ही उम्र, जेंडर या प्रोफेशन कोई भी हो। लेकिन ऊपर बताई गई सावधानियों का ज़रूर ध्यान रखें और अपना इन्वेस्टर एजुकेशन जारी करें! एंजेल ब्रोकिंग के साथ अपने इन्वेस्टमेंट का सफ़र जारी रखें। आप हमारा मोबाइल ऐप मुफ्त डाउनलोड कर सकते हैं और चलते-फिरते ट्रेड कर सकते हैं। और हाँ, यदि आपको सुनना / देखना ज़्यादा पसंद हो तो आप खुद को इस तरह के ब्लॉग, या पॉडकास्ट या वीडियो के साथ भी एजुकेट कर सकते हैं।

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