डॉ रेड्डीज़ लेबोरेटरीज़ लिमिटेड - क्या यह सबसे अच्छा फार्मा स्टॉक है जिस पर दांव लगाया जा सकता है?

04 अप्रैल,2021

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क्या डॉ.रेड्डी निवेश के लिए सर्वश्रेष्ठ फार्मा स्टॉक है? - स्मार्ट मनी
2020 अजीब साल था विशेष तौर पर ऐसे उद्योगों के लिहाज़ से जो कंपनियों और बाज़ार में लॉकडाउन और सामाजिक दूरी की पहलों से पेश चुनौतियों के बावजूद फलने-फूलने में कामयाब रहीं।

हालांकि यह फार्मास्यूटिकल कंपनियों के लिए बेहद रोमांचक लेकिन चुनौती भरा साल था। भारतीय शेयर बाज़ार में बहुत से फार्मा शेयरों में भारी बढ़ोतरी दर्ज़ हुई लेकिन डॉ रेड्डीज़ लेबोरेटरीज़ (डीआरआरडी) के प्रदर्शन और संभावनाओं का अलग से ज़िक्र होना चाहिए। डीआरआरडी ने न सिर्फ शेयरधारकों के लिए तैयार मुनाफे की स्थति के सम्बन्ध में बल्कि पोर्टफोलियो पोजीशनिंग और बेहतरीन मूल्य के लिहाज़ से भी संभावनाएं पेश कीं जो यह शेयरधारकों, उद्योगों और अंतिम उपयोक्ताओं के लिए लाती है।

सो डीआरआरडी भारतीय बाज़ार के सिप्ला, सनफार्मा, ऑरोबिन्दो और आईओएल जैसे सामान्य शेयरों के मुकाबले अलग कैसे है? खैर, पहली बात तो यह कि डीआरआरडी लगातार भारी-भरकम राशि अनुसंधान एवं विकास में लगा रही है जो यह सीमा पार जेनेरिक दवाओं की आपूर्ति के आर्बिट्राज के परे जा रही है। यदि आप फार्मा उद्योग में नए हैं तो या समझना ज़रूरी है कि कैसे जेनेरिक और पेटेंट दवाएं कंपनियों को मुनाफा देती है। दरअसल, यदि आपके पास किसी दवा का पेटेंट है तो आप काफी समय तक विशिष्ट रूप से इसका उत्पादन कर सकते हैं - मसलन, अमेरिका में 20 साल तक - इसके बाद आपका फॉर्मूला जेनेरिक हो जाता है जिसका विनिर्माण और सप्लाय कोई भी कंपनी काफी कम कीमत पर कर सकती है।

हालाँकि, जेनेरिक दवाएं फार्मा कंपनियों के पोर्फोलियो में अनूठा रणनीतिक मूल्य भी लेकर आती हैं। मसलन, डीआरआरडी ने अपने जेनेरिक उत्पादों का पोर्टफोलियो इंजेक्शन, टॉपिकल एवं टेबलेट तथा कार्डियोवैस्कुलर रोगों के लिए कैप्सूल, रेस्पिरेटरी, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल और कैंसर से जुड़े रोगों की दवाओं का बना रखा है। इसके अलावा, डीआरआरडी दर्द निवारक, बच्चों और चर्म रोग के इलाज़ पर भी बहुत ध्यान देती है। लेकिन डीआरआरडी के बारे में अनूठी चीज़ है कंपनी की वैल्यू चेन के बड़े हिस्से का लाभ उठाने की क्षमता - इसका अर्थ है सामग्री के विनिर्माण से लेकर आखिरी उपयोक्ता तक लाभ उठाने की क्षमता। मज़बूत और ठोस सप्लाय चेन का लाभ उठाने के अलावा। डीआरआरडी वैश्विक नियमाकीय अनुपालन दायरे में प्रोप्राइटरी ज्ञान लेकर आता है जिससे इसे तेज़ी से उत्पाद की अवधारणा तैयार करने से लेकर बाज़ार में पहुँचाने तथा बेहतर गुणवत्ता वाले उत्पाद उपलब्ध कराने का प्रतिस्पर्धी और जल्दी पहल करने का लाभ मिलता है।

2018 में डीआरआरडी 2000 रूपये से कम के स्तर पर कारोबार कर रहा था लेकिन इसके प्रोप्राइटरी फॉर्मूले के अनुसंधान एवं विकास में उल्लेखनीय निवेश के लिहाज़ से पहले से ही मशहूर था। 2020 में शेयर करीब 5200 रूपये पर कारोबार कर रहा था- दो साल में 150 प्रतिशत अधिक की बढ़ोतरी दर्ज़ की। इसके अलावा कोविड-19 के उत्पादन के लिए स्पुतनिक-V के साथ गठजोड़ के बारे में कहा जा रहा है कि दीर्घकालिक स्तर पर इसका कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होगा और इससे ब्रांड को उल्लेखनीय मज़बूती मिलेगी और नई भागीदारी का भी रास्ता खुलेगा। लेकिन बात इतनी सी बिल्कुल नहीं है - डीआरआरडी की लाभप्रद स्थिति दरअसल उस फायदे का नतीज़ा है जो वह अंतिम उपयोक्ता को प्रदान कर सकती है और ऐसे बाज़ार में बेहतर प्रदर्शन की क्षमता से आती है जहाँ नियामक की ओर से प्रतिस्पर्धी मूल्यांकन का दबाव बढ़ रहा है।

घरेलू प्रतिस्पर्धा के लिहाज़ से डीआरआरडी का प्रदर्शन बढ़िया रहा है। 2021 की पहली तिमाही में डीआरआरडी का नेट प्रॉफिट मार्जिन 11 प्रतिशत से अधिक रहा - जो इसकी प्रत्यक्ष प्रतिस्पर्धी कंपनियों के मुनाफे में गिरावट के मुकाबले बहुत अधिक है। इसके अलावा कंपनी तत्परता से अपना ऋण चुका रही है - नतीज़तन इसका बैलेंस शीट ज़्यादातर प्रतिस्पर्धियों के मुकाबले बेहतर दिख रहा है, और इससे यह आकर्षक निवेश बन गया है जहां यह अपेक्षाकृत कम जोखिम के साथ अभी है।

हालांकि, शेयर बाज़ार में हमेशा के लिए हरी झंडी जैसी कोई चीज़ नहीं होती और हर निवेश का विकल्प ऐसे कंपनी से जुड़ा होता है जो अपने किस्म के जोखिम और खतरों के साथ आता है। फार्मास्यूटिकल क्षेत्र में ये जोखिम दरअसल अलग तरीके से दीखता है। मिसाल के लिए डीआरआरडी ही एकमात्र ऐसी कंपनी नहीं जो एफडीए मंजूरी हासिल करने की दौड़ में है - इससे पहले पहल करने का लाभ उल्लेखनीय रूप से प्रभावित हो सकता है। वही बात पेटेंट और विनिर्माण इकाइयों की कंप्लायंस मंज़ूरी पर लागू होती है (डीआआरडी न्यूयॉर्क में अपने एपीआई विनिर्माण संयंत्र के लिए मंजूरी प्राप्त करने की प्रक्रिया में थी) - इन प्रक्रियाओं में देरी और बाधा से प्रोजेक्ट का बजट बढ़ सकता और इसे पूरा करने की अवधि बढ़ सकती है। और आखिर में नकली दवाएं और ऑडिट जांच के बाद नियामक के प्रतिबंध से भी बड़ी फार्मा कंपनियों को अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है। हालांकि नकली दवाओं और नियामकीय प्रतिबंध के लिहाज़ से डीआरआरडी की अलग स्थिति है जिससे नकली उत्पादन का ख़तरा कम से कम हो जाता है क्योंकि सामग्री सप्लाय चेन में कंपनी सक्रिय रूप से मौजूद है और अमेरिका और यूरोप में प्रैक्टिशनर के साथ गहरा सम्बन्ध है।

इसके अलावा भी खबर है। सेलजीन नामक कंपनी के साथ पेटेंट उल्लंघन के निपटारे के बाद डीआरआरडी को कैंसर की एक दवा के विनिर्माण की मंजूरी मिल मिल जायेगी जिसका उपयोग मायलोमा - एक किस्म के ब्लड कैंसर के इलाज़ में होता है। हालांकि डीआरआरडी को इस कैंसर-रोधी दवा की सीमित मात्रा में बेचने की मंज़ूरी 2022 में उसी समय के आसपास मिलेगी जबकि प्रतिबंध 2026 के आसपास हटेगा। कुछ दीर्घकालिक संभावनाएं भी हैं जिससे डीआरआरडी को उनके लिए आकर्षक निवेश बन जाता है जो पिछले साल की तेज़ी के बाद फार्मा उद्योग पर दांव लगाने की सोच रहे हैं। डीआरआरडी अल्पकालिक और दीर्घकालिक स्तर पर अपने प्रतिस्पर्धियों से बेहतर प्रदर्शन करेगी या नहीं यह सिर्फ समय ही बतायेगा। बाज़ार के बारे में सूचना की तलाश में हैं जो आपको अपने निवेश के बारे में सूझ-बूझ के साथ फैसला करने में मदद कर सकता है? तो हिचकिचाएं नहीं, खुद को इस खेल में सबसे आगे रखें! www.angelbroking.com पर लॉग इन करें,और हमारे अन्य लेख और शेयर बाज़ार की गतिविधियों पर रिपोर्ट देखें।

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