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महिलाएं और टैक्स: अगर आप एक महिला हैं तो टैक्सेशन के बारे में जानने योग्य 5 बातें
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पिछले अध्याय में, आपको भारत में महिलाओं के लिए कुछ बेहतरीन निवेशों के बारे में पता चला। लेकिन निवेश के साथ रिटर्न आता है, और रिटर्न के साथ टैक्स आता है। यदि आप सावधान नहीं हैं, तो आपके टैक्स आपके द्वारा अर्जित लाभ को खत्म कर सकते हैं, जिससे आपके नेट रिटर्न में काफी कमी आ सकती है। यदि आप टैक्स के बारे में कुछ बातें जानते हैं, तो आप एक ऐसी स्मार्ट वित्तीय योजना बना सकते हैं जिससे आप टैक्स बचा सकते हैं और साथ ही अधिक रिटर्न का आनंद भी उठा सकते हैं।
महिलाओं के लिए टैक्स लाभ
पहले महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग इनकम टैक्स स्लैब थे। आयकर अधिनियम, 1961 में महिला करदाताओं के लिए टैक्स छूट का प्रावधान शामिल था। इन रियायती टैक्स दरों का मतलब था कि एक निश्चित स्तर की आय के लिए महिलाओं द्वारा किया गया टैक्स भुगतान पुरुषों की तुलना में कम था। और महिलाओं के लिए ये टैक्स लाभ वित्तीय वर्ष 2011-12 तक लागू थे।
लेकिन वित्तीय वर्ष 2012-13 से पुरुषों और महिलाओं के लिए आयकर की दरें समान कर दी गईं। और वित्तीय आज भी वर्ष 2021-22 में भी यही स्थिति है। हालांकि, इस तथ्य के बावजूद कि महिलाओं को टैक्स में कोई विशेष कर छूट नहीं मिली है, फिर भी आपको टैक्सेशन के बारे में कुछ महत्वपूर्ण बातें जाननी चाहिए जो आपको टैक्स बचाने और अपने वित्त की बेहतर योजना बनाने में मदद कर सकती हैं।
टैक्सेशन के बारे में जानने के लिए 5 महत्वपूर्ण बातें
टैक्स प्लानिंग एक ऐसी कला है जो सही तरीके से किए जाने पर आपको हज़ारों रुपये बचा सकती है। इस प्रक्रिया में, आप अपने निवेश को भी जोड़ सकते हैं और अपना भविष्य सुरक्षित कर सकते हैं। तो, यदि आप एक स्मार्ट taxpayer बनना चाहते हैं तो यहां 5 प्रमुख बातें दी गई हैं जिन्हें आपको जानना आवश्यक है।
1. कुछ निवेश टैक्स लाभ के साथ आते हैं
कई निवेश विकल्प हैं जो महिलाओं को टैक्स लाभ प्रदान करते हैं। आपके लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि वे क्या हैं, ताकि आप टैक्स लाभों का फायदा उठा सकें। उनमें से कुछ इस प्रकार हैं।
- पब्लिक प्रोविडेंट फंड (पीपीएफ)
- नेशनल सेविंग सर्टिफिकेट (एनएससी)
- सुकन्या समृद्धि योजना
- राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली
- जीवन बीमा योजना
- टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट
- इक्विटी लिंक्ड सेविंग्स स्कीम (ईएलएसएस)
ये कुछ निवेश हैं जो आपको टैक्स बचाने में मदद कर सकते हैं। प्रत्येक वित्तीय वर्ष इन योजनाओं में निवेश करके आप अपनी टैक्सेबल इनकम को 1.5 लाख रुपए तक कम कर सकते हैं। ऐसा आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80 सी के कारण हो पाया है।
2. अन्य निवेश टैक्सेबल रिटर्न देते हैं
जिस तरह महिलाओं के लिए टैक्स लाभ प्रदान करने वाले निवेशों को जानना आपके लिए महत्वपूर्ण है, वैसे ही उन निवेशों के बारे में जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जो कोई लाभ नहीं देते हैं। बजाय इसके, आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार उन निवेशों पर टैक्स लगाया जाता है। ऐसे ही कुछ निवेशों या लाभ इस प्रकार हैं।
- Pension plan annuity payouts
- debt funds से होने वाले Short-term capital gains
- hybrid debt funds से होने वाले
- Short-term capital gains
- tax-saver fixed deposits से मिलने वाला ब्याज
- Regular fixed deposits ब्याज
- National Savings Certificate से मिलने वाला ब्याज
- Recurring deposits से मिलने वाला ब्याज
ये कुछ निवेश रिटर्न हैं जिन पर आपकी इनकम टैक्स स्लैब दर के अनुसार टैक्स लगाया जाता है।
3. आप अपने लाभ के लिए होम लोन का उपयोग कर सकते हैं
क्या आप जानते हैं कि होम लोन से महिला टैक्सपेयर्स को भी टैक्स में छूट मिल सकती है? जी हां, यह सच है। आप अपनी Total taxable income से deduction के रूप में अपने होम लोन पर principal और interest दोनों का दावा कर सकते हैं।
आयकर अधिनियम की धारा 80C के अनुसार, आप प्रत्येक वित्तीय वर्ष में अपनी कुल टैक्सेबल इनकम में से रु.1.5 लाख तक के principal repayments की deduction कर सकती हैं। सेक्शन 24 के तहत, आप 2 लाख रुपये तक के होम लोन के ब्याज भुगतान और deductions का दावा कर सकती हैं।
4. क्या HRA आपकी सैलरी का हिस्सा है? टैक्स बचाने के लिए इसका इस्तेमाल करें।
कर्मचारियों को अपने एम्प्लॉयर्स से मिलने वाले हाउस रेंट अलाउंस (HRA) का उपयोग प्रत्येक वर्ष महिलाओं द्वारा भुगतान किए जाने वाले टैक्स को कम करने के लिए भी किया जा सकता है। आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 10(13ए) के तहत, आप अपने एम्प्लॉयर्स से प्राप्त होने वाले HRA का दावा अपनी कुल टैक्सेबल इनकम से deduction के रूप में कर सकती हैं।
दूसरी ओर, यदि आप self employed हैं, लेकिन किराए के आवास में रहती हैं, तब भी आप आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 80GG के तहत प्रावधानों का उपयोग कर आपके द्वारा किए गए किराए के भुगतान में deduction का दावा कर सकती हैं। हालांकि, आपको अपना इनकम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय फॉर्म 10BA देना होगा।
5. अपने बच्चे के भविष्य में निवेश करने से भी टैक्स बचाने में मदद मिल सकती है|
हालांकि अपने बच्चे के भविष्य के लिए योजना बनाना और निवेश करना भारी लग सकता है, लेकिन अगर आप इसकी सही योजना बनाते हैं तो यह फायदेमंद भी हो सकता है। इसका एक तरीका यह है कि आप अपने लाभ के लिए शिक्षा ऋण का उपयोग करें। यदि आपने अपने बच्चे के लिए शिक्षा ऋण लिया है, तो आप इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 की धारा 80 ई के तहत अपनी कुल टैक्सेबल इनकम से deduction के रूप में ऋण पर ब्याज भुगतान का दावा कर सकती हैं। यदि आपकी एक बेटी है, तो आप सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश कर सकती हैं और हर साल 1.5 लाख रुपये तक की deduction के रूप में निवेश राशि का दावा कर सकती हैं।
समापन
जैसा कि आपने जाना, इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 महिलाओं को कई टैक्स लाभ प्रदान करता है। और इसलिए, अगली बार जब आप निवेश करें, तो सुनिश्चित करें कि ऐसी योजना में निवेश करें जो महिला taxpayers के लिए टैक्स में छूट प्रदान करते हों| अगले अध्याय में हम इस पर एक नज़र डालेंगे कि कैसे कामकाजी महिलाएं करियर प्लानिंग में बेहतर हो सकती हैं।
ए क्विक रीकैप
- टैक्स प्लानिंग एक ऐसी कला है जो सही तरीके से किए जाने पर आपके हज़ारों रुपये बचा सकती है।
- कई निवेश विकल्प हैं जो महिलाओं के लिए टैक्स लाभ प्रदान करते हैं। आपके लिए यह जानना महत्वपूर्ण है कि वे क्या हैं, ताकि आप टैक्स लाभों का फ़ायदा उठा सकें।
- जिस तरह महिलाओं को टैक्स लाभ प्रदान करने वाले निवेशों को जानना आपके लिए महत्वपूर्ण है, वैसे ही उन निवेशों के बारे में जानना भी उतना ही महत्वपूर्ण है जो कोई लाभ नहीं देते बल्कि आपके इनकम टैक्स स्लैब के अनुसार उन पर टैक्स लगाया जाता है।
- आप अपने लाभ के लिए होम लोन का भी उपयोग कर सकते हैं, और यदि यह आपके वेतन का एक हिस्सा है तो टैक्स बचाने के लिए एचआरए का उपयोग कर सकते हैं।
- अपने बच्चे के भविष्य में निवेश करने से भी टैक्स बचाने में मदद मिल सकती है।
प्रश्नोत्तरी
1) दोनों में से कौन सी टैक्स व्यवस्था महिलाओं के लिए अधिक फायदेमंद है?
पुरानी और नई दोनों टैक्स व्यवस्थाएं दोनों लिंगों के taxpayers के बीच अंतर नहीं करती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि पुरानी व्यवस्था में टैक्स की दरें अधिक होती हैं, लेकिन नई टैक्स व्यवस्था की तुलना में अधिक संख्या में deductions होते हैं।
2) स्वास्थ्य बीमा टैक्स बचाने में कैसे मदद करता है?
इनकम टैक्स अधिनियम, 1961 की धारा 80 डी के अनुसार स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम को आपकी कुल आय में से deductions के रूप में दावा किया जा सकता है। अपने लिए, अपने जीवनसाथी या अपने बच्चों के लिए ली गई पॉलिसियों पर प्रीमियम के लिए इस deduction का दावा करने की मूल सीमा रु. 25,000, है। इसके अलावा, आप आपके माता-पिता के लिए ली गई पॉलिसियों पर भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए अतिरिक्त 25,000, रुपये का दावा कर सकते हैं। यदि आपके माता-पिता वरिष्ठ नागरिक हैं, तो 50,000 रुपये तक के deduction का दावा किया जा सकता है।
3) महिलाओं को अपना आईटी रिटर्न कब तक दाखिल करना चाहिए?
पुरुष taxpayers की तरह महिला taxpayers से आमतौर पर प्रत्येक निर्धारण वर्ष 31 जुलाई तक अपना कर रिटर्न दाखिल करने की उम्मीद की जाती है। हालांकि, सरकार
कभी-कभी रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा बढ़ा देती है। उस स्थिति में,
आईटीआर दाखिल करने की निर्धारित तारीख को स्थगित कर दिया जाता है।
4) क्या भारत में महिलाओं के लिए इनकम टैक्स देनदारियां अलग हैं?
पहले, महिलाओं के लिए मूल छूट की सीमा देश में पुरुष taxpayers के लिए निर्धारित सीमा से अधिक थी। हालांकि, 2012-13 के बाद से, इस अलगाव को समाप्त कर दिया गया है, जिसमें टैक्स स्लैब पूरी तरह से एक व्यक्ति की आय और उम्र के आधार पर निर्धारित किए जाते हैं।
आप इस अध्याय का मूल्यांकन कैसे करेंगे?
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