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भुगतान इनोवेशन: डिजिटल भुगतान का उदय
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कुछ समय पहले तक भारत की अर्थव्यवस्था अपने लेनदेन को संचालित करने के लिए कागज़ी धन पर बहुत अधिक निर्भर थी| परंतु पिछले कुछ वर्षों में अब भारत तेज़ी से डिजिटल भुगतान विधियों को अपना रहा है। वास्तव में, वर्ष 2020 में, भारत में डिजिटल भुगतान में भारी वृद्धि देखी गई।
हमने रीयल-टाइम भुगतान लेनदेन की संख्या के मामले में चीन और यू.एस.ए जैसे अन्य विकासशील और विकसित देशों को भी पीछे छोड़ दिया। भारत ने 2020 में लगभग 25.5 बिलियन रीयल-टाइम भुगतान किया, जो चीन से लगभग 9.8 बिलियन अधिक है। लगभग 15.7 बिलियन भुगतान के साथ चीन दूसरे स्थान पर रहा। यह स्थिति तब है जबकि देश में कागज़-आधारित भुगतानों की भागीदारी लगभग 61.4% रही।
डिजिटल भुगतान की संख्या में इतनी तेज़ वृद्धि किस कारण हुई है? और भविष्य में क्या होने वाला है? ये कुछ ऐसे प्रश्न हैं जिनका उत्तर हम स्मार्ट मनी के इस अध्याय में देने जा रहे हैं। लेकिन इससे पहले कि हम इन बातों की गहराई में जाएं, आइए जल्दी से वर्तमान में उपलब्ध विभिन्न प्रकार के डिजिटल भुगतानों पर एक नज़र डाल लेते हैं।
भारत में डिजिटल भुगतान के प्रकार
वर्तमान में, हमारे पास 10 विभिन्न प्रकार की कैशलेस भुगतान प्रणालियां हैं, जो कि इस प्रकार हैं।
- बैंकिंग कार्ड, जिसमें क्रेडिट कार्ड और डेबिट कार्ड दोनों शामिल हैं
- अनस्ट्रक्चर्ड सप्लीमेंट्री सर्विस डाटा (यूएसएसडी)
- आधार सक्षम भुगतान प्रणाली (एईपीएस)
- यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई)
- डिजिटल वॉलेट और मोबाइल वॉलेट
- बैंक प्रीपेड कार्ड
- प्वाइंट ऑफ सेल (पीओएस)
- इंटरनेट बैंकिंग
- मोबाइल बैंकिंग
- माइक्रो एटीएम
इनमें से, यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने सबसे अधिक लोकप्रियता हासिल की है और वर्तमान में इसी के कारण देश में बड़ी संख्या में डिजिटल भुगतान किए जा रहे हैं।
भारत में डिजिटल भुगतान का उदय
दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में, हमने डिजिटल भुगतान को थोड़ी देर से अपनाया, और आखिर में जब हमने इसे शुरू किया तो इसे अपनाने वालों की दर बहुत कम थी। कम सुरक्षा और तकनीकी ज्ञान ना होने जैसे कई कारणों का हवाला देते हुए अधिकांश भारतीय कागज़-आधारित भुगतान से डिजिटल भुगतान की ओर बढ़ने में हिचकिचा रहे थे।
वित्त वर्ष 2010-11 में केवल 96 लाख करोड़ रुपये की 4.98 बिलियन ट्रांसक्शन्स हुई, जो वर्तमान स्थिति की तुलना में बहुत कम है। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, NEFT, UPI, IMPS, ECS, और NACH में बहुत सुधार हुआ है और उन्हें व्यापक रूप से अपनाया गया है। मात्रा के संदर्भ में, पिछले 10 वर्षों में इस प्रकार के डिजिटल भुगतान में 55% की CAGR की वृद्धि हुई है।
डिजिटल भुगतान के बढ़ने के क्या कारण हैं?
डिजिटल भुगतानों की संख्या में असाधारण वृद्धि के निम्नलिखित कारण हो सकते हैं।
1. कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ा जोर
पिछले कुछ वर्षों में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने की दिशा में भारत सरकार के प्रयासों में लगातार वृद्धि हुई है। डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं ने जागरूकता लाई और कैशलेस वित्तीय लेनदेन को बढ़ावा दिया, वहीं डिमोनिटाइज़ेशन जैसी पहल से भी इसमें बढ़ोतरी हुई।
2. सुविधा
डिजिटल भुगतान से लोगों को जो सुविधा प्राप्त हुई उसे नकारा नहीं जा सकता। जैसे-जैसे समय बीतता गया, लेनदेन की सुरक्षा के बारे में हमारा डर और चिंता गायब होती गई। साथ ही सुविधा का होना, लोगों की प्राथमिकता बन गई। हालांकि लेनदेन की सुरक्षा पर बहस अभी भी जारी है फिर भी हम सभी ने अपने डर के बावजूद डिजिटल भुगतान को अपनाना सीख लिया है।
3. यूपीआई का परिचय
यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (यूपीआई) ने परिस्थिति को बिल्कुल बदल दिया। वर्तमान में अधिकांश आबादी किसी न किसी रूप में यूपीआई का उपयोग करती है। यहां तक कि टियर-2 और टियर-3 शहर भी इस भुगतान पद्धति को अपना रहे हैं। यूपीआई के माध्यम से डिजिटल भुगतान करना बहुत तेज़, सुविधाजनक और काफी हद तक सुरक्षित है।
समापन
अगर अनुमानों पर विश्वास किया जाए, तो भारत में डिजिटल भुगतान की मात्रा और मूल्य में बड़े पैमाने पर विस्तार होने वाला है। कई विशेषज्ञों का अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 में हम 7,000 लाख करोड़ की डिजिटल लेनदेन के मूल्य को पार कर जाएंगे। एक बात तो पक्की है कि हमारी अर्थव्यवस्था के लिए अच्छा समय आने वाला है।
ए क्विक रीकैप
- वर्ष 2020 में, भारत में डिजिटल भुगतान में भारी वृद्धि देखी गई।
- वर्तमान में, हमारे पास 10 विभिन्न प्रकार की कैशलेस भुगतान प्रणालियां हैं।
- भारत में डिजिटल भुगतान के बढ़ने के कुछ प्रमुख कारणों में कैशलेस अर्थव्यवस्था, सुविधा और यूपीआई की शुरुआत की ओर बढ़ा हुआ ज़ोर शामिल हैं।
प्रश्नोत्तरी
1. क्या यूपीआई भुगतान के लिए कोई विशिष्ट समय है?
नहीं, ऐसा कोई विशिष्ट समय नहीं है। यूपीआई भुगतान दुनिया में कहीं से भी कभी भी किया जा सकता है। आपको बस एक इंटरनेट कनेक्शन और उससे जुड़ा एक उपकरण चाहिए। यह काफ़ी आसान है!
2. डिजिटल पेमेंट के क्या फायदे हैं?
डिजिटल भुगतान के ज़रिए एक से अधिक क्षेत्रों में एक साथ भुगतान किया जा सकता है। कैश भुगतान की तुलना में सुविधा, पारदर्शिता, स्पीड और चोरी का कम जोखिम, कुछ ऐसे फायदे हैं जो डिजिटल भुगतान में अधिक हैं।
3. क्या डिजिटल भुगतान सुरक्षित है?
हाँ बिलकुल, सभी डिजिटल भुगतान के तरीके सुरक्षित हैं। भुगतान को सुरक्षा की दृष्टि से ऐसा बनाया गया है कि कोई भी लेनदेन आपकी मर्ज़ी के बिना नहीं किया जा सकता है। यदि आप चाहें तो आप ओटीपी फंक्शन या टू-फैक्टर ऑथेंटिकेशन के साथ सुरक्षा को और भी बढ़ा सकते हैं।
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