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20 अहम आंकड़े और रेशियो
1. EBITDA
EBITDA का मतलब अर्निंग बिफोर इन्टरेस्ट,टैक्स,डेप्रीसीएशन और एमोरटाईजेशन है।
EBITDA = नेट आय+ ब्याज+ टैक्स + विमूल्यन और परिशोधन
2. टैक्स से पहले का मुनाफा / प्रॉफ़िट बिफोर टैक्स (PBT)
PBT का उपयोग कॉर्पोरेट आयकर के भुगतान से पहले कंपनी के मुनाफे को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
PBT= आय- सभी खर्च (आयकर को छोड़कर)।
3. टैक्स के बाद मुनाफा/ प्रॉफ़िट आफ्टर टैक्स (PAT)
टैक्स भुगतान के बाद का मुनाफा वह मुनाफा है जो कंपनी के सभी खर्चों और करों का भुगतान करने के बाद प्राप्त होता है।
PAT= PBT– टैक्स
4. प्रॉफ़िट मार्जिन
प्रॉफ़िट मार्जिन एक कंपनी के राजस्व पर कमाए मुनाफ़े का प्रतिशत है।
प्रॉफ़िट मार्जिन (%) = (PAT ÷ कुल बिक्री) x 100
5. प्रति शेयर आय/ अर्निंग पर शेयर (EPS)
अर्निंग पर शेयर कंपनी के हर एक शेयर पर कमाई गई आय है।
EPS = (PAT – प्रेफ़रेंस शेयरहोल्डेर्स का डिविडेंड) ÷ कुल इक्विटी शेयरों की संख्या
6. प्राइस टू अर्निंग रेशियो (P/E)
प्राइस टू अर्निंग रेशियो उस मूल्य को दर्शाती है जो आप कंपनी के प्रत्येक रुपए पर राजस्व की कमाई पर चुकाते हैं।
P/E रेशियो = बाजार मेंं प्रति शेयर मूल्य ÷ प्रति शेयर आय
7. प्रति शेयर डिविडेंड/ डिविडेंड पर शेयर (DPS)
प्रति शेयर डिविडेंड (DPS) एक मेट्रिक है जो आपके खरीदे प्रति शेयर पर संभवत: मिलने वाले डिविडेंड की राशि बताता है।
DPS= एक वर्ष में भुगतान किए गए डिविडेंड की कुल राशि (अंतरिम लाभांश सहित) ÷ इक्विटी शेयरों की संख्या
8. डिविडेंड यील्ड
डिविडेंड यील्ड को प्रतिशत के रूप में दिखाया जाता है और इसे आपके निवेश पर रिटर्न के संकेतक के रूप में उपयोग किया जाता है।
डिविडेंड यिएल्ड (%) = (प्रति शेयर डिविडेंड ÷ प्रति शेयर मूल्य ) x 100
9. इंटरेस्ट कवरेज रेशियो
यह रेशियो आपको दिखाता है कि किसी कंपनी द्वारा लिए एक ऋण के ब्याज भुगतान के प्रत्येक रुपए पर कंपनी कितना रेविन्यू कमाती है।
इंटरेस्ट कवरेज रेशियो= EBIT ÷ फ़ाइनेंस कॉस्ट
10. करेंट रेशियो
करेंट रेशियो एक उपयोगी इंडिकेटर है जो किसी कंपनी की अपनी वर्तमान (शॉर्ट टर्म ) देनदारियों को उसकी वर्तमान (शॉर्ट टर्म) एसेट के माध्यम पूरा करने की क्षमता निर्धारित करने के लिए उपयोग किया जाता है।
करेंट रेशियो = करेंट एसेट– करेंट लायबिलिटीज़
11. क्विक रेशियो
क्विक रेशियो को एसिड टेस्ट रेशियो के नाम से भी जाना जाता है। क्विक रेशियो एक संकेतक है जो कंपनी के शॉर्ट टर्म लोन का भुगतान करने की क्षमता निर्धारित करता है।
क्विक रेशियो = (करेंट एसेट- इन्वेंट्री) ÷ करेंट लायबीलीटीज़
12. एसेट पर रिटर्न/ रिटर्न ऑन एसेट (ROA)
एसेट पर रिटर्न एक ऐसा रेशियो है जो किसी कंपनी द्वारा अपनी एसेट में निवेश किए गए प्रत्येक रुपए के लिए अर्जित मुनाफे की मात्रा को दर्शाता है। इसका उपयोग किसी कंपनी के एसेट की राजस्व उत्पन्न करने प्रभावशीलता को निर्धारित करने के लिए किया जाता है।
ROA= PAT ÷ कुल औसत एसेट
PAT = नेट आय
13. इक्विटी पर रिटर्न/ रिटर्न ऑन इक्विटी (ROE)
रिटर्न ऑन इक्विटी आपको दिखाता है कि किसी कंपनी में निवेश की गई इक्विटी के प्रत्येक रुपए के लिए वह कितना लाभ कमाती है।
रिटर्न ऑन इक्विटी (% में) = (PAT ÷ शेयरधारकों की इक्विटी) x 100
14. नियोजित पूँजी पर रिटर्न/ रिटर्न ऑन कैपिटल इम्प्लोएड (ROCE)
रिटर्न ऑन कैपिटल इम्प्लोएड का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि नियोजित पूँजी के द्वारा कंपनी कितनी आय अर्जित करती है।
रिटर्न ऑन कैपिटल इम्प्लोएड (% में) = (EBIT ÷ नियोजित पूँजी)]x 100
EBIT = ब्याज और टैक्स भुगतान से पहले की आय
कुल नियोजित पूँजी = कुल एसेट- करेंट लायबिलिटीज़
15. एसेट टर्नओवर रेशियो
एसेट टर्नओवर रेशियो किसी कंपनी द्वारा अपने एसेट में निवेश किए गए प्रत्येक रुपए के लिए अर्जित आय को दर्शाता है।
एसेट टर्नओवर रेशियो = राजस्व ÷ कुल एसेट
16. इन्वेंटरी टर्नओवर रेशियो
इन्वेंटरी टर्नओवर रेशियो दिखाता है कि कितनी जल्दी एक कंपनी अपनी इन्वेंटरी (उत्पादित माल का भंडार) को बेचने में सक्षम है।
इन्वेंटरी टर्नओवर रेशियो= बेचे गयी माल की लागत ÷ औसत इन्वेंटरी
17. डेट टू इक्विटी रेशियो
यह रेशियो कंपनी में शेयरधारकों की इक्विटी के मुकाबले ऋण के अनुपात को दर्शाता है।
डेट टू इक्विटी रेशियो = कुल लायबिलिटीज़ - कुल इक्विटी
18. डेट टू एसेट रेशियो
यह रेशिो किसी कंपनी के एसेट और ऋण का अनुपात निर्धारित करता है।
डेट टू एसेट रेशियो (% में) = (कुल लायबीलीटीज़ ÷ कुल एसेट) x 100
19. ऑपरेटिंग कैश फलो रेशियो
ऑपरेटिंग कैश फ्लो रेशियो, जिसकी गणना आमतौर पर एक निर्धारित अवधि के लिए की जाती है, कंपनी के अपने मौजूदा(शॉर्ट टर्म ) ऋण को कंपनी द्वारा उसके संचालन के माध्यम से उत्पन्न नक़दी से पूरा करने की क्षमता निर्धारित करने में मदद करता है।
ऑपरेटिंग कैश फ्लो रेशियो = ऑपरेटिंग कैश फ्लो ÷ करेंट लायाबिलिटीज़
20. औसत वसूली अवधि
इस रेशियो का उपयोग यह निर्धारित करने के लिए किया जाता है कि कंपनी को अपने देनदारों से भुगतान वसूलने में कितना समय लगता है। इसकी गणना हमेशा एक निर्धारित अवधि के लिए की जाती है।
औसत वसूली अवधि = 365 ÷ प्राप्य खाता टर्नओवर
प्राप्य खाता टर्नओवर = बिक्री से राजस्व / औसत प्राप्य खाते
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