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डेब्ट और सिक्योरिटीज
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डेब्ट क्या है?
3.8
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डेब्ट, एक ऐसा वर्ड, जिसमे कोई डाउट नहीं है, कि आपने कई बार सुना होगा। ऐसा है ना? हो सकता है अगर आपने अकाउंटेंसी पढ़ी है शायद आप इस डेब्ट के कांसेप्ट से अपने स्कूल के दिनों से फैमिलियर रहे हो या शायद बाद में लाइफ में आप इस शब्द से एसोसिएट रहें हों जब आप ने अपना पहला पे चेक कमाया होगा.
वह लोग जो जानते हैं कि डेब्ट क्या होता है वह प्रायः कोशिश करते हैं कि इसे खत्म कर दें लेकिन जो डेब्ट में डूबे हुए होते हैं अक्सर उन्हें कोई आईडिया नहीं होता कि यह कैसे काम करता है . तो चलिए आपको बोला से मिलाते हैं जो अनफॉर्चूनेटली बाद की कैटेगरी से बिलोंग करने वाला है यहां उसकी स्टोरी है
23 साल की उम्र में भोला ने अपना पहला पे चेक ₹15000 का, एक वेल इस्टैबलिश्ड मल्टीनेशनल कंपनी में सेल्स डिपार्टमेंट में काम करते हुए कमाया कंपनी की हीरारिकी में भोला अभी भी लोअर रैंक पर था लेकिन उसके लिए उसकी पहली सैलरी सेलिब्रेट करने के लिए एक बड़ा कारण थी एक हफ्ते बाद उसे एक क्रेडिट कार्ड का ऑफर लेकर एक बैंक से कॉल आया
भोला पहले खरीदना और बाद में पैसे देने की सुविधा से इम्प्रेस हो गया और उसने कार्ड के लिए साइन अप कर दिया बजाय यह जानने के किए काम कैसे करता है कुछ महीने बीते और जल्द ही भोला को एक नई शाइनी बाइक खरीदनी थी जो बाइक उसकी पसंद में थी वह लगभग ₹100000 की थी लेकिन भोला के पास इतने पैसे नहीं थे तो उसके दोस्त ने उसे लोन लेने की सलाह दी उसकी सलाह मानकर भोला ने एक बैंक को अप्रोच किया और अपनी खरीदारी के लिए पर्सनल लोन के लिए अप्लाई किया.
बैंक में भोला का क्रेडिट स्कोर चेक किया उसका बैकग्राउंड देखा और 12 परसेंट की इंटरेस्ट रेट पर उसका लोन अप्रूव कर दिया. क्योंकि भोला पहली बार कोई लोन ले रहा था बोला इस बात के लिए केयरफुल था कि वह अपनी इंस्टॉलमेंट को टाइम पर देता रहे. कुछ साल बीते और भोला ने कुछ पैसे बचाये अब उसने डिसाइड किया कि अब समय आ गया है उसका खुद का घर खरीदने का एक बार फिर उस ने बाहरी फाइनेंसिंग को चुना
इस बार हालांकि उसने एक सिग्निफिकेंट अमाउंट उधार लिया जोकि 2000000 रुपए था और जिसका इंटरेस्ट रेट 9% था . इस समय भोला ₹30000 सैलरी तक पहुंच चुका था पहले 3 साल में उसने अपने डेब्ट की अदायगी समय पर की .लेकिन जैसे ही चौथा साल आया भोला को एक खर्चीली मेडिकल इमरजेंसी झेलनी पड़ी जिससे उसके पास उसका होम लोन चुकाने के लिए कोई भी पैसे नहीं बचे और यह शुरुआत थी भोला के डाउनवार्ड स्पाइरल की
उसने अपने दोस्तों से अपनी होम लोन को चुकाने के लिए पैसे लिए और उसके बाद अपने दोस्तों को चुकाने के लिए और पैसा उधार लिया और वह इस खतरनाक साइकिल में फस गया तब भोला को समझ में आया कि कर्ज का संकट क्या होता है.
तो क्या भोला की स्टोरी में एक हैप्पी एंडिंग थी अनफॉर्चूनेटली कर्ज में डूबे हुए तमाम लोगों की तरह, यह नहीं थी इसीलिए अपनी फाइनेंसियल जर्नी को स्टार्ट करने से पहले डेब्ट की डिटेल्स को सीखना जरूरी है. जब आप ऐसा करते हैं तो आप देखेंगे कि डेब्ट ना तो सिर्फ आपके फिनान्सेस के लिए हानिकारक साबित होता है बल्कि आपको यह भी समझाता है कि कैसे सही तरीके से डेब्ट का यूज करने पर आप पैसे बना सकते हैं
जानना चाहते हैं? हम इसे सीखेंगे अच्छे समय पर
अभी के लिए चलिए बेसिक से शुरुआत करते हैं
डेब्ट क्या है ?
साधारण भाषा में वह सम ऑफ मनी है जिसे एक पार्टी दूसरी पार्टी से उधार लेती है.कर्ज लेने वाला एक इंडिविजुअल व्यक्ति हो सकता है एक कंपनी हो सकती है एक बैंक हो सकती है या सरकार भी हो सकती है इसी तरह कर्ज देने वाला भी एक इंडिविजुअल हो सकता है एक कंपनी हो सकती है एक बैंक हो सकता है. उधार दिए गए पैसे को लेंडर और बॉरोअर के बीच कॉन्ट्रैक्ट की शर्तों के आधार पर वापस करना होता है. लेंडर और बॉरोअर और के नेचर के से हटकर किसी भी तरह के डेट में तीन मेजर कॉम्पोनेंट होते हैं.
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अदायगी का समय
वह समय है जिसमें बॉरोअर लेंडर को पैसा लौटाता है.
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मूलधन
प्रिंसिपल वह धन है जो उधार दिया जाता है और यह वह बेसिक अमाउंट होता है जिसे बॉरोअर लेंडर को चुकाता है
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ब्यॉज़।
लेंडर के द्वारा एक एडिशनल फीस कलेक्ट की जाती है इसे इंटरेस्ट कहते हैं, यह बॉरोअर को एक लंबे समय में धीरे धीरे पैसा लौटाने की फ्लैक्सिबिलिटी देती है
विभिन्न प्रकार के कर्ज
डेब्ट 1 साधारण पर्याप्त व्यवस्था है ऐसा है ना? एक व्यक्ति दूसरे से पैसा उधार लेता है और सहमति से दिए हुए समय में इसे वापस करता है या (बिना इंटरेस्ट ). लेकिन यहां पर चीजे थोड़ा इंटरेस्टिंग हो जाती डिफरेंट एक्सपेक्ट के आधार पर जैसे कि बॉरोअर लेंडर के नेचर, उधार देने में यूज होने वाले इंस्ट्रूमें,ट उधार लेने की वजह, डेब्ट कई प्रकार का हो सकता है
लिए कुछ बहुत ही कॉमन प्रकार के डेब्ट्स के बारे में डिटेल्स लेते हैं.
सिक्योर्ड डेब्ट्स
कभी-कभी उधार देने वाले व्यक्ति एक कोलैटरल सिक्योरिटी लेते हैं जिसे बॉरोअर के लोन के लिए डिफॉल्टर होने पर यूज कर सकें उदाहरण के लिए मान लीजिए आप घर खरीदना चाहते हैं और एक बैंक को लोन होम लोन के लिए अप्रोच करते हैं बैंक आपको उधार देता है और रिटर्न में उस हाउस को कोलैटरल सिक्योरिटी के तौर पर लेता है जिसे आप खरीद रहे हैं.यदि आप लोन री पे करने में फेल होते हो तो बैंक खुद को डिफॉल्टर अकाउंट से होने वाले लॉस से बचाने के लिए संपत्ति को सीज़ कर सकता है ऐसे लॉन्स जिनको कोलैटरल के जरिए बैकअप किया जाता है सिक्योरिटी डेब्ट्स कहलाते हैं
अनसेक्योर्ड डेब्ट्स
इन्हें तो कोई भी आसानी से समझ लेगा ऐसा डेब्ट जिसे किसी कोलैटरल से बैकअप न किया गया हो अनसिक्योर्ड डेब्ट कहलाता है अनसिक्योर्ड डेब्ट के केस में उधार देने वाला व्यक्ति उधार लेने वाले व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री और भरोसे पर लोन के रीपे होने का एश्योरेंस लेता है अनसिक्योर्ड डेब्ट्स के कुछ एग्जांपल आपने रोजमर्रा के जीवन में पर्सनल लोन और क्रेडिट कार्ड के तौर पर देखे होंगे यह हमें अगले प्रकार के डेबिट की तरफ ले जाते हैं
क्रेडिट कार्ड डेब्ट्स
यह वह डेब्ट है जो क्रेडिट कार्ड के आउटस्टैंडिंग बैलेंस पर होता है समय के साथ जैसे-जैसे क्रेडिट कार्ड यूजर खरीदारी करता है जिसको उन्हें बाद में पे करना है कार्ड का आउटस्टैंडिंग बैलेंस बढ़ता रहता है साधारणतया क्रेडिट कार्ड 1 ड्यू डेट के साथ आते हैं अगर उधार लेने वाले व्यक्ति यूटिलाइज किए हुए क्रेडिट को तय तारीख के अंदर रिपे कर देता है तो कोई भी इंटरेस्ट चार्ज नहीं होता है देरी से किए गए रीपेमेंट में इंटरेस्ट लगकर आता है
कॉर्पोरेट डेब्ट्स
कॉरपोरेट डेब्ट जैसा कि नाम से ही मालूम चलता है यह वह है जो प्राइवेट या पब्लिक कंपनियों द्वारा लिया जाता है कंपनियों को कई प्रकार की जरूरतों के लिए जैसे कि बिजनेस एक्सपेंशन, रेगुलर ऑपरेशन या कई बार बिजनेस प्रोसेस के लिए भी पैसे की जरूरत पड़ती है. हालांकि कुछ कंपनियां बैंक लोंस पर निर्भर करती हैं अपनी इन जरूरतों को पूरा करने के लिए लेकिन कुछ डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स जैसे कि बांड्स पर डिपेंड करती है. दोनों ही केसेज में चाहे कंपनियां लोन ऑप्ट करें या डेब्ट इंस्ट्रूमेंट इशू करें उन्हें कॉरपोरेट डेब्ट को री पे करना पड़ता है.
सरकारी डेब्ट
सरकारी डेब्ट को पब्लिक डेब्ट भी कहा जाता है इसका अभिप्राय है गवर्नमेंट के नाम पर उधार लेना, इंडिविजुअल्स और कंपनी की तरह सरकार को भी अपने ऑपरेशंस और कुछ प्रोजेक्ट्स को कंप्लीट करने के लिए फंड की जरूरत होती है सरकार ऐसे केसेज में या तो लोन पर जाती है या डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स को इशू करते हैं. सरकार का टोटल आउटस्टैंडिंग डेप्ट सरकारी डेट को रिप्रेजेंट करता है.
रैपिंग अप
इस प्रकार हमने डेब्ट के बेसिक्स को पूरी तरीके से समझ लिया ज्यादातर पर हर बार नहीं जब आपडेब्ट के बारे में सोचते हैं तो आप खुद को बॉरोअर की पोजीशन पर खड़ा पाते हैं लेकिन इसे थोड़ा सा चेंज करिए और डेब्ट को लेंडर की पोजीशन से सोचिए क्या आप कंपनीज को उधार दे सकते हैं? क्या आप सरकार को उधार दे सकते हैं? वाकई आप दे सकते हैं .और वास्तव में यही इंडिया की डेब्ट मार्केट है स्टॉक मार्केट की तरह डेब्ट मार्केट भी इंडिविजुअल और इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स के लिए बहुत सारी अपॉर्चुनिटी ऑफर करते हैं अगले चैप्टर की तरफ चलते हैं और डेब्ट और स्टॉक मार्केट के बारे में और अधिक जानते हैं
क्विक रिकैप
- डेब्ट वह धन है जो एक पार्टी दूसरी पार्टी से उधार लेती है.
- उधार लेने वाला एक व्यक्ति हो सकता है एक कंपनी एक बैंक या सरकार भी हो सकती है.
- ठीक इसी तरह उधार देने वाला भी एक व्यक्ति एक कंपनी या एक बैंक हो सकता है
- किसी भी तरह के डेब्ट में तीन मेजर कंपोनेंट होते हैं मूलधन ब्याज और अदा करने का समय
- डेब्ट के कई प्रकार होते हैं जैसे कि सिक्योर्ड और अनसिक्योर्ड, क्रेडिट कार्ड, कॉरपोरेट और गवर्नमेंट डेब्ट्स
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