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एक शेयरधारक के अधिकार और दायित्व
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शेयरधारक कंपनी पर मालिकाना हक रखने के नाते कंपनी के व्यवसाय की सफलता से होने वाले मुनाफे के हकदार होते हैं। शेयरधारक कोई भी व्यक्ति, कंपनी या संस्थान हो सकता है, बशर्ते उसके पास कंपनी का कम से कम एक शेयर हो। शेयरधारक कंपनी के मुनाफे को गठित करने में अहम भूमिका निभाते हैं। शेयरधारक दो तरह के होते हैं -
1 - इक्विटी शेयरधारक
जैसा कि नाम से ही पता चल रहा है, यह शेयरधारक कंपनी की इक्विटी के मालिक होते हैं। यह शेयरधारक कंपनी से संबंधित मामलों पर वोट देने का अधिकार रखते हैं। इसके अलावा, वे उपरोक्त अधिकारों का भी उपयोग कर सकते हैं, जिसमें कंपनी को नुकसान पहुंचाने वाले किसी किसी भी मामले के खिलाफ वर्ग-कार्रवाई करना शामिल है।
2 – प्रेफरेंस शेयरधारक
जब भी किसी कंपनी में मुनाफा बांटने का समय आता है तब प्रेफरेंस शेयरधारक को प्राथमिकता दी जाती है। वहीं दूसरी ओर, वह कंपनी के कार्यकारी निर्णयों से संबंधित मामलों में वोट देने का अधिकार नहीं रखते हैं। इसके अलावा, प्रेफरेंस शेयरधारक को फ़िक्स्ड डिविडेंड रेट से डिविडेंड दिया जाता है, चाहे कंपनी की लाभप्रदता दांव पर ही क्यों ना लगी हो।
हालांकि कंपनी के सकारात्मक और अच्छा प्रदर्शन करने पर इक्विटी शेयरधारक और प्रेफरेंस शेयरधारक, दोनों की वैल्यू बढ़ती है। हालांकि, इक्विटी शेयरधारकों को ही उच्च पूंजीगत मुनाफा या नुकसान का सामना करना होता है।
शेयरधारक का महत्व –
शेयरधारक सिर्फ कंपनी के शेयरों में निवेश करके मुनाफा ही नहीं कमाते हैं, वह व्यवसाय के कई कारकों जैसे संचालन, वित्तपोषण, प्रशासन और नियंत्रण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। उदाहरण के लिए:
1 - कंपनी का संचालन
शेयरधारक सीनियर मैनेजमेंट कर्मियों को नियुक्त करके कंपनी के संचालन को सीधे-सीधे प्रभावित करते हैं। उदाहरण के लिए, निवेशक उन शेयरों में निवेश करना चाहते हैं जो उनकी अपेक्षित कमाई को पूरा कर सकते हैं, इससे कंपनियां अपनी बिक्री और मुनाफे के अनुमानों को लगातार पूरा करने पर केंद्रित रहती हैं।
2 - कंपनी का वित्तपोषण
कंपनियों को शेयरधारक को मालिकाना हक देने के बदले में शेयरधारक से फाइनेंस या पैसा मिलता है। स्टार्टअप और प्राइवेट बिज़नेस भी निजी प्लेसमेंट के जरिये फंड जुटा सकते हैं या फंडिंग संस्थानों और व्यक्तियों का चयन करने के लिए इश्यू साझा कर सकते हैं।
3 - कंपनी का प्रशासन
सार्वजनिक कंपनियों के बोर्ड मेंबर्स को कंपनी के व्यावसायिक स्थिति और संचालन के बारे में शेयरधारक के साथ पारदर्शी होना जरूरी है। वास्तव में, ऐसी कंपनियों के सीनियर लीडर बाजार विश्लेषकों, शेयरधारक और कई अलग-अलग लोगों के साथ कंपनी के संचालन से संबंधित मामलों पर काफी चर्चा करते हैं।
4 - कंपनी पर नियंत्रण
शेयरधारक अपने अधिकारों का उपयोग कर कंपनी के संचालन को नियंत्रित करने के लिए किसी व्यक्ति को चुन सकते हैं। उदाहरण के लिए, अगर शेयरधारक पर्याप्त कीमत से संतुष्ट नहीं हैं तो वे कंपनी के टेकओवर के प्रयासों को रोक सकते हैं।
इस प्रकार, कंपनी के संचालन के अधिकांश पहलुओं पर नियंत्रण के साथ, शेयरधारक इसके कुल प्रदर्शन और मुनाफे में जरूरी भूमिका निभाते हैं।
शेयरधारक की भूमिकाएँ और अधिकार:
1 – निदेशकों की नियुक्ति
शेयरधारक एक साधारण प्रस्ताव पारित करने के जरिए, निदेशकों की नियुक्ति में प्रत्यक्ष भूमिका निभाते हैं। इसके अलावा, शेयरधारक अलग-अलग प्रकार के निदेशक भी नियुक्त कर सकते हैं। वह निम्न हैं:
- एक अतिरिक्त डायरेक्टर जो अगली जनरल बॉडी मीटिंग तक ऑफिस संभालेंगे;
- एक वैकल्पिक डायरेक्टर जो 3 महीने के लिए एक वैकल्पिक डायरेक्टर के रूप में कार्य करेगा;
- एक नामांकित डायरेक्टर; डायरेक्टर जिसे किसी सार्वजनिक कंपनी में एक सामान्य बैठक में नियुक्त किसी भी निदेशक के कार्यालय में केजुअल वेकेंसी के मामले में नियुक्त किया जाता है।
इसके अलावा शेयरधारक जनरल बॉडी मीटिंग में डायरेक्टर की नियुक्ति के लिए पारित किसी प्रस्ताव को चुनौती भी दे सकते हैं।
2 - निदेशकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई
शेयरधारक, कंपनी अधिनियम 2013 में निर्धारित नियमों के तहत निदेशकों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी कर सकते हैं। वह काम या नियम निम्न हैं:
- डायरेक्टर द्वारा किया गया कोई भी कार्य जो किसी भी तरीके से कंपनी के लिए हानिकारक है।
- कोई भी काम जो कानून से परे या संविधान के विरुद्ध है।
- धोखाधड़ी
- अगर कंपनी के एसेट अंडरवैल्यूड रेट पर ट्रांसफर किए जा रहे हों।
- अगर कंपनी के फंड्स में किसी तरह का पथांतर हो।
- किसी भी कार्य को एक गलत तरीके से किया जा रहा हो।
- कंपनी ऑडिटर की नियुक्ति
3 - कंपनी के लेखा परीक्षकों (ऑडिटर) की नियुक्ति का अधिकार
कंपनी अधिनियम 2013 के तहत, कंपनी के पहले ऑडिटर को निदेशक मंडल द्वारा नियुक्त किया जाता है। इसके अलावा, एनुअल जनरल मीटिंग में शेयरधारक निदेशकों और लेखा परीक्षा समिति की सिफारिश को स्वीकारते हैं। यह नियुक्ति आमतौर पर पांच साल की अवधि के लिए की जाती है और एनुअल जनरल मीटिंग में एक प्रस्ताव पारित करके इसे लागू किया जा सकता है।
4 – मताधिकार
शेयरधारक को एनुअल जनरल बॉडी मीटिंग में भाग लेने और वोट डालने का अधिकार होता है। भारत में रजिस्टर्ड हर कंपनी को कंपनी अधिनियम 2013 के प्रावधानों का पालन करना जरूरी है। हर कंपनी के लिए कम से कम एक एनुअल जनरल मीटिंग आयोजित करना अनिवार्य है। बैठक में, अलग-अलग जरूरी एजेंडों पर चर्चा की जाती है जैसे, वित्तीय विवरणों को अपनाना, निदेशकों और लेखा परीक्षकों की नियुक्ति या सुधार आदि।
जब किसी कंपनी के सदस्यों द्वारा कोई प्रस्ताव लाया जाता है, तो कंपनी अधिनियम 2013 के अनुसार इसे शेयरधारक द्वारा वोटिंग के जरिये ही पास किया जा सकता है। कंपनी अधिनियम 2013 निम्नलिखित प्रकार के मतदान को मान्यता देता है:
- हाथों का दिखाकर वोटिंग
- पोलिंग से हुई वोटिंग
- इलेक्ट्रॉनिक माध्यमों से की गई वोटिंग
- पोस्टल बैलेट के माध्यम से की गई वोटिंग
अगर कोई शेयरधारक बैठक में भाग लेने में असमर्थ हो तो उसे अपनी ओर से एक प्रॉक्सी नियुक्त करने का अधिकार है। हालांकि मतदान के मामले में प्रॉक्सी को बैठक में शामिल करने की अनुमति नहीं है, लेकिन कंपनी अधिनियम 2013 में बताई गई एक प्रकिया को पूरा करके ऐसा किया जा सकता है।
5 - जनरल मीटिंग बुलाने का अधिकार
शेयरधारक को जनरल मीटिंग बुलाने का अधिकार है। अगर कंपनी वैधानिक आवश्यकताओं के हिसाब से जनरल मीटिंग नहीं करवा रही है तो वह इसकी शिकायत कंपनी लॉ बोर्ड से भी कर सकते हैं।
6 - बुक्स व अकाउंट्स का निरीक्षण करने का अधिकार
क्योंकि शेयरधारक एक कंपनी में मुख्य हितधारक होते हैं, उनके पास अकाउंट्स रजिस्टर और फर्म के खातों का निरीक्षण करने का अधिकार होता है और अगर उन्हें लगता है कि कुछ सही नहीं हो रहा है तो वह इसके बारे में सवाल पूछ सकते हैं।
7 - फाइनेंशल स्टेटमेंट प्राप्त करने का अधिकार
शेयरधारक को फाइनेंशल स्टेटमेंट की कॉपी प्राप्त करने का अधिकार होता है। कंपनी का यह कर्तव्य है कि वह अपने सभी शेयरधारकों को कंपनी के फाइनेंशल स्टेटमेंट को तिमाही या वार्षिक अंतराल में भेजे।
8 - कंपनी का समापन
इससे पहले कि कंपनी बंद हो जाए, कंपनी को सभी शेयरधारक को इसके बारे में बताना होगा और साथ ही सभी शेयरधारकों को पूरा बकाया, जो भी बनता है, देना होगा।
एक शेयरधारक की क्या देयताएं (लाइबलिटी) हैं?
किसी भी कंपनी में शेयरधारक बनने में बहुत ही कम रिस्क होते हैं। और इसका मुख्य कारण यह होता है कि कंपनी एक अलग कानूनी इकाई है।
हाँ, पर यहाँ आपको यह बात जाननी बहुत जरूरी है कि अगर आप कंपनी के शेयरधारक होने के साथ- साथ निदेशक भी हैं तो ऐसी स्थिति में आपकी देनदारियों काफी व्यापक रूप से बढ़ जाती हैं। यह तब हो सकता है जब आपके पास ऐसे अधिकार हों जो आमतौर पर निदेशक के लिए आरक्षित होते हैं। निदेशक कंपनी के मैनेजमेंट और इसके रोज के मामलों के लिए जिम्मेदार है। कानून के तहत, निदेशक के कर्तव्य, शेयरधारकों की तुलना में, निदेशकों पर ज़्यादा बोझ डालते हैं।
शेयरधारक का कर्तव्य
शेयरधारक का मुख्य कर्तव्य जनरल मीटिंग में अपने वोटिंग अधिकार का उपयोग करके प्रस्तावों को पारित करना है। यह कर्तव्य बहुत ज्यादा अहम है क्योंकि यह शेयरधारक को उनकी कंपनी के मामलों को अच्छे से कंट्रोल करने का मौका देती है और यह सिखाती है कि इसे कैसे मैनेज किया जाता है। शेयरधारक दो तरीकों में से किसी एक तरह से वोट कर सकते हैं: हाथों के प्रदर्शन से वोटिंग या पोल के जरिए वोटिंग, जहां हर वोट शेयरधारक द्वारा रखे गए शेयरों की संख्या के अनुपात में ही होगा। हाथों के ज़रिए वोटिंग का पसंदीदा तरीका ही आमतौर पर सामान्य बैठकों में अपनाया जाता है।
दो संकल्प हैं जिन पर एक शेयरधारक की मीटिंग में वोटिंग की जाती है : एक साधारण संकल्प, और एक विशेष संकल्प।
1 - साधारण संकल्प/ ओर्डिनरी रेजोल्यूशन
शेयरधारक द्वारा साधारण प्रस्ताव तब पास होता है अगर बैठक में उपस्थित शेयरधारकों का एक साधारण बहुमत प्रस्ताव के पक्ष में वोट देता है। इसलिए, डाले गए वोटों का 50% से ज्यादा वोट पक्ष में होना चाहिए, आमतौर पर हाथों के जरिये वोटिंग की जाती है।
2 - विशेष संकल्प/ स्पेशल रेजोल्यूशन
कुछ मामलों में कंपनी अधिनियम के तहत एक विशेष संकल्प की आवश्यकता होती है; उदाहरण के लिए, आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन को बदलने के लिए, या अन्य महत्वपूर्ण या संवेदनशील मामलों के लिए। आर्टिकल के लिए भी एक विशेष संकल्प की आवश्यकता हो सकती है। पारित किए जाने वाले विशेष प्रस्ताव के लिए 75% बहुमत को प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करना होता है। अगर किस प्रकार के संकल्प की आवश्यकता है, इसका कोई विशिष्ट उल्लेख नहीं है, तो यह माना जाता है कि एक साधारण संकल्प पर वोट होगा।
निष्कर्ष
अब जब आप एक शेयरधारक के अधिकारों और कर्तव्यों को जानते हैं तो चलिए अगले अध्याय की ओर बढ़ते हैं जो आपको बताएगा कि इक्विटी में ट्रेडिंग कैसे शुरू करें?
अब तक आपने पढ़ा
- एक शेयरधारक एक व्यक्ति, कंपनी या संगठन हो सकता है, जिसके पास कंपनी का कम से कम एक शेयर हो।
- शेयरधारकों के दो प्रकार हैं: इक्विटी शेयरधारक और प्रेफरेंस शेयरधारक।
- वरिष्ठ प्रबंधन कर्मियों को नियुक्त करके शेयरधारक सीधे कंपनी के संचालन को प्रभावित करते हैं।
- शेयरधारकों को एनुअल जनरल बॉडी मीटिंग में भाग लेने और मतदान करने का अधिकार है।
- शेयरधारकों का मुख्य कर्तव्य जनरल मीटिंंग में अपनी शेयरधारक क्षमता में मतदान करके प्रस्तावों को पारित करना है ।
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