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सपोर्ट और रेसिस्टेंस लेवल को समझना
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हमने देखा है कि किस तरह सिंगल और मल्टिपल कैंडलस्टिक्स चार्ट एक स्टॉक की कीमत में बदलाव के आधार पर विभिन्न पैटर्न बना सकते हैं। अब, हम दो महत्वपूर्ण कॉन्सेप्ट पर ध्यान देंगे - सपोर्ट और रेसिस्टेंस लेवल। आइए, इन्हें बेहतर ढंग से समझने के लिए एक उदाहरण देखें।
भारत के पसंदीदा खेल- क्रिकेट पर वापस चलते हैं, मान लीजिए कि टीम में विनोद और विक्रम नाम के दो बल्लेबाज़ हैं। अब विनोद एक जुझारू खिलाड़ी है और वह मैदान के बाहर भी बहुत अभ्यास करता है। हालांकि, अपने सर्वश्रेष्ठ प्रयासों के बावजूद वह किसी भी मैच में कभी भी शतक नहीं लगा सका है। उसने सबसे अधिक 90 रन बनाए हैं। वह कभी भी 90-रन के अपने अधिकतम स्कोर से आगे नहीं बढ़ सका है।
दूसरी ओर, विक्रम खेल में सामान्य है। वह बराबर अभ्यास में लगा रहता है, लेकिन जब वह अपने शानदार फॉर्म में नहीं होता है, तब भी उसका स्कोर 50 रन से कम नहीं रहता। दूसरे शब्दों में, उसने कभी भी किसी भी मैच में 50 से कम रन नहीं बनाए हैं।
इन दोनों खिलाड़ियों की तुलना करने पर हम देखते हैं, स्पष्ट रूप से विनोद के लिए कड़ी मेहनत के साथ 90-रन का स्कोर प्रतिरोध या रेसिस्टेंस एक बिंदु है जिसके ऊपर वह स्कोर नहीं कर सकता, चाहे वह कितना भी प्रयास कर ले। लेकिन विक्रम के लिए स्वाभाविक रूप से 50-रन का स्कोर सपोर्ट पॉइंट की तरह लगता है, जो उसके स्कोर को बनाए रखता है, कभी भी उस पॉइंट से नीचे नहीं जाने देता, यहां तक कि जब वह कोई ख़ास तैयारी नहीं करता है।
इसे जब शेयर बाज़ार के हिसाब से देखेंगे तो सपोर्ट और रेसिस्टेंस का पता चलता है।
सपोर्ट लेवल क्या हैं?
सपोर्ट लेवल निश्चित रूप से एक विशेष शेयर या एक सूचकांक के प्राइस चार्ट पर अंकित बिंदु हैं, जिसके नीचे एसेट की कीमत कभी नहीं गिरती। सपोर्ट लेवल हासिल होने से पहले क्या होता है, वो यहां देखें:
- शेयर की कीमत डाउनट्रेंड यानी गिरावट के रुझान पर होती है।
- क्योंकि कम कीमत पर शेयर खरीदने के लिए अधिक खरीदार तैयार हैं, इसलिए शेयर की मांग बढ़ जाती है।
- ऐसी स्थिति आती है कि खरीदारों की संख्या, विक्रेताओं की संख्या से अधिक हो जाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो डिमांड, सप्लाई से अधिक होने लगती है।
- ऐसे में, बड़ी हुई डिमांड शेयर मूल्य को और गिरने से रोकती है, और शेयर की कीमत में यहाँ से बदलाव आता है और वह ऊपर की ओर बढ़ने लगती है।
रेसिस्टेंस लेवल क्या हैं?
रेसिस्टेंस लेवल किसी विशेष शेयर या सूचकांक के प्राइस चार्ट पर अंकित बिन्दु हैं, जिसके ऊपर एसेट की कीमत कभी नहीं बढ़ती है। रेसिस्टेंस लेवल पर आने से पहले क्या होता है, वो यहां देखें:
- शेयर की कीमत तेज़ी के रुझान या अपट्रेंड पर होती है।
- ऐसे में शेयर की मांग गिर जाती है, क्योंकि बहुत ही कम खरीदार शेयर को ऊँची कीमत पर खरीदने के लिए तैयार हैं। हालांकि कई विक्रेता मुनाफे के लिए अपनी शेयरों को बेचने के लिए तैयार हैं।
- ऐसी स्थिति आती है कि विक्रेताओं की संख्या, खरीदारों की संख्या से अधिक हो जाती है। दूसरे शब्दों में कहें तो सप्लाई, डिमांड से अधिक होने लगती है।
- ऐसे में, बढ़ी हुई सप्लाई शेयर की कीमत को और बढ़ने से रोकती है, और शेयर की कीमत यहां से गिरने लगती है।
सपोर्ट लेवल के प्रकार
सपोर्ट लेवल हॉरिज़ॉन्टल/ क्षैतिज या डाएगनल/ विकर्ण हो सकते हैं। आइए, हॉरिज़ॉन्टल सपोर्ट लेवल के उदाहरण के लिए NIFTY सपोर्ट लेवल को देखें।
यहां ऊपर की तस्वीर में आप देख सकते हैं कि दो बिंदुओं पर 50 निफ्टी की कीमत लगभग 11,470 तक नीचे गिर गई और फिर गिरना बंद हो गई। इसके साथ ही, लगभग 11,470 पर कारोबार करने के बाद कीमत फिर से बढ़ने लगी। जब आप इन प्राइस एक्शन पॉइंट की पहचान करते हैं और ध्यान देते हैं कि वे लगभग समान मूल्य बिंदु पर हैं, तो हम इसे एक हॉरिज़ॉन्टल सपोर्ट लेवल कहते हैं।
अब NIFTY सपोर्ट लेवल को ही डाएगनल सपोर्ट लेवल के उदाहरण के रूप में देखते हैं:
जैसा कि आप देख सकते हैं, हम इस चार्ट में चार NIFTY सपोर्ट लेवल को आसानी से पहचान सकते हैं। हालांकि पैटर्न हॉरिज़ॉन्टल नहीं है, क्योंकि सपोर्ट हर प्राइस एक्शन पॉइंट के बाद बढ़ रहा है। इसका मतलब है कि बाज़ार में तेज़ी आ रही है, क्योंकि भले ही शेयर की कीमत कभी-कभी गिरती है, लेकिन जिन बिंदुओं ये यह वापस उठती है, वे लगातार बढ़ रहे हैं।
ऊपर की तस्वीर में, पहला सपोर्ट लेवल लगभग 1,900 पर आता है। अगला लगभग 2,250 पर, तीसरा सपोर्ट लेवल बढ़कर 2,750 हो गया है, जबकि चौथा बढ़कर 3,500 हो गया है। इन सभी लो पॉइंट्स को जोड़ने से हमें एक डाएगनल सपोर्ट ट्रेंड लाइन मिलती है।
रेसिस्टेंस लेवल के प्रकार
सपोर्ट की तरह, रेसिस्टेंस लेवल भी हॉरिज़ॉन्टल या डाएगनल हो सकता है। यहां हॉरिज़ॉन्टल रेसिस्टेंसस का एक उदाहरण देख सकते हैं:
यहां ऊपर की तस्वीर में आप देख सकते हैं कि तीन बिंदुओं पर निफ्टी 50 की कीमत लगभग 11,585 तक बढ़ गई और फिर आगे बढ़ना बंद हो गई। इसके साथ ही, यह लगातार तीन बिंदुओं पर लगभग 11,585 पर कारोबार करने के बाद गिरने लगा। चूंकि जिन प्राइस एक्शन पॉइंट की हमने पहचान की है, वे लगभग समान मूल्य बिंदु पर हैं, इसलिए हम इसे हॉरिज़ॉन्टल रेसिस्टेंस लेवल कहते हैं।
आइए अब देखें कि डाएगनल रेसिस्टेंस लेवल क्या होता है।
यहां ऊपर की तस्वीर में हम लगभग चार रेसिस्टेंस लेवल को आसानी से पहचान सकते हैं। यहां पैटर्न डाएगनल है क्योंकि रेसिस्टेंस, हर प्राइस एक्शन पॉइंट के बाद घटता जा रहा है। निश्चित रूप से इसका मतलब है कि बाज़ार गिरावट या डाउनट्रेंड पर है, क्योंकि भले ही शेयर की कीमत कभी-कभी बढ़ जाती है, लेकिन जिन बिंदुओं पर आकर यह गिरती है वे नीचे की ओर जाते जा रहे हैं। दूसरे शब्दों में, शेयर की कीमत आसानी से गिर जाती है।
ऊपर की तस्वीर में, पहला रेसिस्टेंस लेवल लगभग 11,300 पर आता है। दूसरा लगभग 11,250 पर है। तीसरा रेसिस्टेंस लेवल 11,150 के आसपास है, जबकि चौथा, घटकर लगभग 11,050 हो गया है। इन बिन्दुओं को जोड़ने से हमें एक डाएगनल रेसिस्टेंस ट्रेंड लाइन मिलती है।
सपोर्ट और रेसिस्टेंस: भूमिकाओं का फेर-बदल
अब तक हमने देखा है कि किसी एसेट की कीमत सपोर्ट लेवल पर आकर पर बढ़ जाती है और रेसिस्टेंस लेवल पर पहुंच कर गिर जाती है। हालांकि ऐसी स्थिति भी आती है जब ये स्तर टूट जाते हैं। दूसरे शब्दों में, एसेट की कीमत कभी-कभी सपोर्ट लेवल से नीचे गिर सकती है। जब ऐसा होता है तो इसे ब्रेकडाउन के रूप में जाना जाता है। और ब्रेकडाउन के बाद, वो प्राइस एक्शन पॉइंट जो पहले सपोर्ट लेवल था, वह रेसिस्टेंस लेवल बन जाता है।
इन चीजों को स्पष्ट करने के लिए यहाँ इस तरह के ब्रेकडाउन रोल रिवर्सल की तस्वीर दी गई है:
ऊपर की तस्वीर में आपने देखा 11,675 के आसपास का प्राइस एक्शन पॉइंट पहले एक सपोर्ट लेवल था? और एक बार कीमत ने इस सपोर्ट लेवल को तोड़ दिया, तो वही 11,675 और इसके आसपास की वैल्यू रेसिस्टेंस लेवल के प्राइस एक्शन पॉइंट बन गए।
इसके विपरीत, यह भी हो सकता है कि किसी एसेट की कीमत रेसिस्टेंस पॉइंट से भी आगे बढ़ती रहे। यहां एसेट की कीमत रेसिस्टेंस लेवल से लगातार ऊपर बढ़ती रहती है। जब ऐसा होता है तो इसे ब्रेकआउट के रूप में जाना जाता है। और एक ब्रेकआउट के बाद प्राइस एक्शन पॉइंट, जो पहले रेसिस्टेंस लेवल था, वह सपोर्ट लेवल बन जाता है।
चीजों को स्पष्ट करने के लिए यहां इस तरह के ब्रेकआउट रोल रिवर्सल की तस्वीर है:
व्यापारियों के लिए सपोर्ट और रेसिस्टेंस लेवल कैसे उपयोगी साबित होते हैं?
हमने देखा है कि सपोर्ट और रेसिस्टेंस लेवल क्या हैं,और किस तरह वे विभिन्न प्रकार के रुझान बनाते हैं। लेकिन इन मेट्रिक्स का व्यावहारिक उपयोग क्या है? आइए, पता करते हैं।
उदाहरण 1:
- मान लीजिए कि आपने पीवीआर सिनेमा का एक शेयर ₹1,000 में ख़रीदा है।
- उस कंपनी के शेयर के लिए साप्ताहिक चार्ट का अध्ययन करके आप देखते हैं कि वर्तमान में इसका सपोर्ट लेवल लगभग ₹700 के आसपास है।
- इस बीच इसका रेसिस्टेंस लेवल लगभग ₹2,200 के आसपास है।
- आप जानते हैं कि सपोर्ट लेवल वो पॉइंट है जिसके नीचे एक शेयर की कीमत नहीं गिरेगी, संभावना है कि इस शेयर की कीमत ₹700 से कम नहीं होगी जब तक कि एक ब्रेकडाउन नहीं होता है।
- इसी तरह यह निकट भविष्य में कीमत ₹2,200 से ऊपर नहीं बढ़ सकती, जब तक कोई ब्रेकआउट नहीं होता।
- इसका मतलब है कि शेयर की कीमत, जिसे आपने ₹1,000 में खरीदा था, ₹700 से नीचे नहीं गिर सकती है और ₹2,200 से ऊपर नहीं बढ़ सकती है।
- आप इस जानकारी का उपयोग लक्ष्य मूल्य यानी टार्गेट प्राइस निर्धारित करने के लिए कर सकते हैं जिस पर अपना शेयर बेच कर मुनाफ़ा कमा सकते हैं। आप शेयर के न्यूनतम मूल्य पर स्टॉप-लॉस भी सेट कर सकते हैं।
- इसके लिए रेसिस्टेंस लेवल टार्गेट प्राइस होगा और सपोर्ट लेवल स्टॉप लॉस का काम करेगा।
संक्षेप में:
- एंट्री पॉइंट: ₹1,000
- टार्गेट प्राइस/ एग्ज़िट प्राइस: ₹2,200
- स्टॉप-लॉस मार्क: ₹700
उदहारण 2:
- अब आप एक बिकवाली करने जा रहे हैं - जहाँ आप पहले बेचते हैं और फिर बाद में खरीदते हैं।
- मान लें कि आपका एंट्री पॉइंट ₹1,500 है। इसका मतलब है कि आपने शेयर को ₹1,500 पर बेचा है। तो, आपको मुनाफा कमाने के लिए, बाद में कम कीमत पर शेयर खरीदने की आवश्यकता है।
- उस कंपनी के शेयर के लिए साप्ताहिक चार्ट का अध्ययन करके आप देखते हैं कि वर्तमान में इसका सपोर्ट लेवल लगभग ₹800 के आसपास है।
- इस बीच इसका रेसिस्टेंस लेवल लगभग ₹2,000 के आसपास है।
- इस शेयर की कीमत संभवतः ₹800 से कम नहीं होगी, जब तक ब्रेकडाउन नहीं होता है।
- इसी तरह यह निकट भविष्य में कीमत ₹2,000 से ऊपर नहीं बढ़ सकती, जब तक कोई ब्रेकआउट नहीं होता है।
- इसका मतलब है कि शेयर की कीमत, जिसे आपने ₹1,500 में बेचा था, ₹800 से नीचे नहीं गिर सकती है। या ₹2,000 से अधिक नहीं बढ़ सकती है।
- आप इस जानकारी का उपयोग टार्गेट प्राइस निर्धारित करने के लिए कर सकते हैं जिस पर शेयर खरीद कर मुनाफा कमा सकते हैं। आप शेयर के उच्चतम मूल्य पर स्टॉप लॉस ऑर्डर भी सेट कर सकते हैं।
- इस मामले में सपोर्ट लेवल टार्गेट प्राइस होगा और रेसिस्टेंस लेवल स्टॉप लॉस मार्क होगा।
संक्षेप में:
- एंट्री पॉइंट: ₹1500
- टार्गेट प्राइस/ एग्ज़िट पॉइंट: ₹800
- स्टॉप लॉस मार्क: ₹2,000
निष्कर्ष
और इसी के साथ हम सपोर्ट और रेसिस्टेंस लेवल पर हमारे अध्याय के अंत पर आ गए है। यह एक सरल कॉन्सेप्ट है जो कीमत की चाल के बारे में अहम जानकारी देता है। हम इसके बाद डाउ थ्योरी को समझेंगे, जो टेक्निकल एनालिसिस का एक अभिन्न हिस्सा है।
अब तक आपने पढ़ा
- सपोर्ट लेवल एक विशेष शेयर या एक सूचकांक के प्राइस चार्ट पर अंकित बिंदु हैं, जिसके नीचे एसेट की कीमत नहीं गिरती है।
- रेसिस्टेंस लेवल एक विशेष शेयर या एक सूचकांक के प्राइस चार्ट पर अंकित बिंदु हैं, जिसके ऊपर एसेट की कीमत नहीं बढ़ती है।
- सपोर्ट लेवल हॉरिज़ॉन्टल या डाएगनल हो सकता है।
- हॉरिज़ॉन्टल सपोर्ट लेवल, समान प्राइस एक्शन पॉइंट के आसपास बनता है।
- डाएगनल सपोर्ट लेवल में, सपोर्ट हर प्राइस एक्शन पॉइंट के बाद बढ़ता रहता है। इसका मतलब है कि बाज़ार में तेज़ी आ रही है, क्योंकि भले ही शेयर की कीमत कभी-कभी गिरती है, लेकिन जिस पॉइंट पर कीमतों में उछाल आता है , वह लगातार बढ़ता रहता है।
- रेसिस्टेंस का स्तर भी हॉरिज़ॉन्टल या डाएगनल हो सकता है।
- हॉरिज़ॉन्टल रेसिस्टेंस लेवल, समान प्राइस एक्शन पॉइंट के आसपास बनता है।
- डाएगनल रेसिस्टेंस लेवल में, रेसिस्टेंस, हर प्राइस एक्शन पॉइंट के बाद घटता रहता है। इसका मतलब है कि बाज़ार डाउनट्रेंड पर है, क्योंकि भले ही शेयर की कीमत कभी-कभी बढ़ जाती है, लेकिन जिन बिंदुओं पर आकर यह गिरती है, वह लगातार नीचे जाते रहते हैं। दूसरे शब्दों में, मूल्य आसानी से गिर जाता है।
- ऐसी स्थिति भी आती है जब सपोर्ट लेवल टूट जाते हैं। दूसरे शब्दों में, एसेट की कीमत कभी-कभी सपोर्ट लेवल से नीचे गिर सकती है। जब ऐसा होता है, तो इसे ब्रेकडाउन के रूप में जाना जाता है। और ब्रेकडाउन के बाद, जो प्राइस एक्शन पॉइंट पहले सपोर्ट लेवल था, वह रेसिस्टेंस लेवल बन जाता है।
- ऐसा भी हो सकता है कि एसेट की कीमत रेसिस्टेंस पॉइंट से ऊपर चली जाए। यहां एसेट की कीमत रेसिस्टेंस पॉइंट के बाद भी बढ़ती रहती है। जब ऐसा होता है, तो इसे ब्रेकआउट के रूप में जाना जाता है। और एक ब्रेकआउट के बाद, जो प्राइस एक्शन पॉइंट पहले रेसिस्टेंस लेवल था, वह सपोर्ट लेवल बन जाता है।
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