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व्यक्तिगत वित्त

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वित्त की योजना बनाते समय ध्यान में रखने के लिए 10 प्रमुख पहलू

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अभी तक, पर्सनल फाइनेंस और शुरुआती लोगों के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग के इस मॉड्यूल में हमने देखा है कि भारत के टैक्स सिस्टम का स्ट्रक्चर कैसा है – खासकर आप जैसे लोगों के लिए। हमने उपलब्ध अलग-अलग निवेश विकल्पों के बारे में भी जाना। अब हमारा अगला कदम यह सीखना है कि फाइनेंशियल प्लानिंग कैसे की जाए। हाँ, शुरुआत में तो यह आपको बहुत मुश्किल लगेगा, पर जब आप इसे समझने के लिए थोड़ा समय देंगे तो आप देखेंगे कि यह तो काफी आसान है। सही बताएं तो, शुरुआती लोगों के लिए फाइनेंशियल प्लानिंग अपना एक बार में एक कदम आगे बढ़ाने जितना आसान है। और फाइनेंशियल प्लानिंग करना सीखने का एक बड़ा हिस्सा है ये जानना कि प्लानिंग करते समय किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए। 

और इस अध्याय में हम इन्हीं सभी बातों पर चर्चा करेंगे। शुरुआती लोगों को फाइनेंशियल प्लानिंग के लिए किन बातों को ध्यान में रखना चाहिए? और फाइनेंशियल प्लानिंग कैसे करें? तो चलिए पता करते है। 

1. जल्दी शुरूआत करने से आपको बढ़िया फायदा हो सकता है

अगर आपको अच्छे से याद हो तो हमने पहले ही स्मार्ट मनी के मॉड्यूल 1 के अध्याय 2 में इस पॉइंट पर बात की थी। हमने कुछ उदाहरण की मदद से यह भी देखा था कि अगर आपने अपना निवेश जल्दी करना शुरू किया तो आपको कितना फायदा होगा। हालांकि इस पॉइंट को जितना दोहराया जाए, उतना कम है। अगर आप जल्दी निवेश करना शुरू करते हैं तो आप कम्पाउंडिंग की शक्ति को अच्छे से उपयोग कर सकते हैं, जो आपके रिटर्न को बहुत तेज़ी से कई गुना बढ़ाने में आपकी मदद करेगा। यह आपको एक अच्छी शुरुआत देगा, जिससे आप बाद में निवेश शुरू करने वाले किसी भी व्यक्ति से जल्दी अपने फाइनेंशियल गोल्स तक पहुँच जाएंगे। 

2. एक व्यक्तिगत बजट बनाना एक अच्छी शुरुआत है

अपना एक पर्सनल बजट बनाना आपको आपके फाइनेंशियल लक्ष्यों और उद्देश्यों तक पहुँचने मे बहुत मदद कर सकता है। यह बजट आपको फ़िजूल के खर्चों को रोकने और आपके फाइनेंस को अच्छे से मैनेज करने में भी आपकी काफी मदद करता है। और इसका सबसे बेस्ट फायदा यह है कि इसके ज़रिये आप अपने काफी पैसे बचा सकते हैं। आप ऐसा 50-30-20 के बजटिंग नियम की मदद से कर सकते है। आपको ध्यान होगा कि इस तरीके में हम अपनी आय का 50 % अपने जीवन निर्वाह के खर्चों के लिए, 30% लग्ज़री और जीवनशैली के खर्चों के लिए, और अपनी आय का 20% बचत और निवेश में खर्च करते है।

3. एक इमरजेंसी फंड रखना हमेशा एक अच्छा आइडिया होता है

जीवन बहुत अप्रत्याशित हो सकता है। जिंदगी के मुश्किल समय से निपटने के लिए यह बहुत ज़रूरी है कि आपके पास अपना एक इमरजेंसी फंड हो। और इसे बनाने का सबसे अच्छा तरीका यह है कि आप हर महीने की अपनी सेविंग्स और निवेश पूंजी का एक हिस्सा इस फंड में डालें। आपका इमरजेंसी फंड इतना मज़बूत होना चाहिए कि वह आपके बजटीय रहन-सहन के खर्चों को कम से कम 6 महीने तक झेल सके या कवर कर सके। यकीन मानिए, यह फंड आप पर एक-दम से आने वाली मुसीबतों जैसे अचानक आई बेरोज़गारी या मेडिकल इमरजेंसी को कवर करने में बहुत काम आएगा।

4. क्रेडिट कार्ड को बहुत ज्यादा भी काम में नहीं लेना चाहिए –

क्रेडिट कार्ड एक बहुत ही सुविधाजनक फाइनेंशियल प्रोडक्ट है जिसकी मदद से आप कैश की कमी होने पर भी अपने खरीदे हुए सामान का भुगतान कर सकते हैं। हालांकि क्रेडिट कार्ड को बहुत ज्यादा काम में लेने या इसका दुरुपयोग करने से आपके ऊपर एक अच्छा खासा कर्ज़ चढ़ सकता है। और ऐसा इसलिए क्योंकि लगभग सभी क्रेडिट कार्ड कंपनियाँ आपके कुल बकाया राशि पर अच्छा खासा भारी जुर्माना और ब्याज चार्ज कर सकती हैं। इसलिए यही सलाह दी जाती है कि अपने क्रेडिट कार्ड को बहुत लिमिटेड और बहुत ज़रूरत पड़ने पर ही इस्तेमाल करें। और हो सके, तो अपनी कुल उपलब्ध क्रेडिट लिमिट का 30% से ज्यादा काम मे नहीं लेने की कोशिश करनी चाहिए। और आखिरी लेकिन सबसे ज़रूरी बात – हमेशा अपने बिल का भुगतान समय पर करना ना भूलें और अगर निर्धारित तारीख से पहले कर सकें तो इससे अच्छा तो कुछ भी नहीं है। 

5. कर लाभ आपके सबसे अच्छे दोस्त हैं

टैक्स भुगतान में आपके राजस्व का एक बहुत बड़ा पार्ट जा सकता है। तो इसीलिए आपको इनकम टैक्स एक्ट द्वारा दिए जाने वाले बहुत से टैक्स लाभ का पूरा उपयोग करना ही चाहिए। तो इसलिए जब आप अपने फाइनेंस के लिए प्लानिंग कर रहे हों तो आपको यही सलाह दी जाती है की एक्ट से मिलने वाली सभी अलग-अलग कटौतियों और छूट का लाभ आपको उठाना ही चाहिए। उदाहरण के लिए, सेक्शन 80C आपको अपनी कुल कर योग्य आय को ₹1,50,000 तक कम करने की सुविधा या विकल्प देता है, यह छूट आप बताए गए अलग-अलग उपकरणों में निवेश करके ले सकते हैं।

 

6. लॉन्ग-टर्म के लिए सोचने से फायदा मिलता है

कहते हैं कि अपने रिटायरमेंट के लिए जितनी जल्दी बचत शुरू करें उतना अच्छा होता है। हाँ, अगर आप अपने 20 या 30 साल के दशक में चल रहे हैं तो आपको लगेगा कि रिटायरमेंट में तो अभी बहुत लंबा समय बाकी है पर यकीन मानिए, यह समय बहुत जल्दी निकल जाता है। ज़्यादातर फाइनेंशियल प्लानिंग विशेषज्ञ आपकी वर्तमान सैलरी का 70-80 % आपकी पोस्ट रिटायरमेंट इनकम के रूप में रखने की सलाह देते है। इसलिए आप जितनी जल्दी हो सके अपने रिटायरमेंट के लिए सेविंग करना कर दें क्योंकि यह एक बहुत ज़रूरी कदम होता है। और अगर आप PPF, NPS और पोस्ट ऑफिस मंथली इनकम स्कीम जैसी सरकारी योजनाओं के ज़रिये अपने रिटायरमेंट के लिए सेविंग्स करते हैं तो आपको ₹1,50,000 तक का कर लाभ मिलता है।

7. कर्ज़ का भुगतान करना प्राथमिकता होनी चाहिए

क्योंकि लोन और दूसरे ऋण बहुत ज्यादा ब्याज दर के होते हैं, यह बहुत ही जल्दी और तेज़ी से आपकी इनकम और सेविंग्स पर बुरा प्रभाव डाल सकते हैं या उसे कम कर सकते है। हाँ, अगर आप अपने ऋण के भुगतान को प्राथमिकता देते हैं तो आप आसानी से ऐसा होने से रोक सकते हैं। जब आप अपने कर्ज़ को पूरा चुका देते हैं तो आप अपनी इनकम के एक बड़े हिस्से को बचत और निवेश के लिए काम में ले सकते हैं, और अगर आप ऐसा नहीं करते है यह पैसा आपके लोन की किश्तें चुकाने में ही निकल जाएगा।

8. अपने परिवार के बारे में सोचें –

अपने परिवार का ध्यान रखना और यह सुनिश्चित करना कि वह आर्थिक रूप से स्थिर हों, यह आपकी फाइनेंशियल प्लानिंग का एक बहुत जरूरी पॉइंट होना चाहिए। और यहाँ आपका इंश्योरेंस बहुत काम आता है। आपके असामयिक निधन की स्थिति में लाइफ इंश्योरेंस योजनाएं आपके परिवार के बहुत काम में आती है, यह आपके परिवार को इनकम का स्रोत तो प्रदान करती ही हैं, साथ ही साथ, यह उनके ऊपर एक फाइनेंशियल सुरक्षा कवच भी बना देती हैं ताकि उन्हें पैसों के लिए परेशान ना होना पड़े। एक लाइफ कवर के अलावा कुछ इंश्योरेंस प्लान एक निवेश विकल्प की तरह भी काम करते हैं जिससे आपके दोनों ही उद्देश्य कवर हो जाते है और आपको शानदार रिटर्न मिलता है।

9. पेशेवर की मदद लेना एक सही कदम है (और उचित भी)

जब फाइनेंशियल प्लान की बात आती है तो ज़्यादातर निवेशक किसी से मदद मांगने से कतराते हैं। लेकिन जब आप आगे बढ़ने और अपने प्लान के बारे में आश्वस्त ना हो तो आपको किसी अनुभवी वित्तीय सलाहकार की मदद ले लेनी चाहिए। और क्योंकि वह फाइनेंशियल प्लानिंग में बहुत माहिर हैं तो वह आपको बेहतर गाइडेंस दे सकते हैं जिससे आप अपने वित्तीय उद्देश्यों को प्राप्त कर सकें। कुछ पेशेवर सलाहकार आपके टैक्स को भी कम करने में मदद कर सकते हैं और आपके लिए निवेश पोर्टफोलियो मैनेजमेंट कर सकते है।

10. समीक्षा। समीक्षा। समीक्षा।

फाइनेंशियल प्लानिंग कोई एक बार का समाधान नहीं है बल्कि एक सतत प्रक्रिया है। इसलिए समय-समय पर अपने लक्ष्यों की समीक्षा करना ज़रूरी है, क्योंकि वह बदल भी सकते हैं। और आपके वित्तीय लक्ष्य के हर बदलाव के लिए आपके निवेश पोर्टफोलियो और आपकी वित्तीय योजनाओं का रिव्यू करना और उसमें हर ज़रूरी बदलाव करना भी अहम हो जाता है। उदाहरण के लिए, जैसे- जैसे आपकी उम्र बढ़ती है वैसे-वैसे आप रिस्क लेना कम पसंद करते है और लॉन्ग टर्म निवेश पर ज्यादा फोकस करना शुरू कर सकते हैं। ऐसे मामलों में, आपको अपने लक्ष्य, अपने निवेश पोर्टफोलियो और अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग की अच्छे से समीक्षा करनी होगी और हर ज़रूरी बदलाव करने होंगे।

निष्कर्ष

अभी जो हमने 10 पॉइंट्स पढ़े, ऐसा नहीं है कि आपको अपनी फाइनेंशियल प्लानिंग करते समय बस इन्हीं को ध्यान में रखना है। हाँ, यह सबसे ज़रूरी पॉइंट्स हैं इसमें कोई दोराय नहीं है पर इनके अलावा भी कुछ और पॉइंट्स है। दो और बातें हैं जिनका आपको खास ध्यान रखना चाहिए और वह है – अनुशासन और समय। चाहे आप बहुत छोटा ही निवेश करना चाहते हों पर ज़रूरी यह है कि आप उसे जल्दी शुरू करें, और फिर लगातार और नियमित रूप से निवेश करने का एक अनुशासन बनाए रखें। इस तरह से आप अपने रिटर्न को और भी ज्यादा बढ़ा सकते हैं। और इसी के साथ आप पर्सनल फाइनेंस मॉड्यूल को खत्म करते हैं, पर यह अंत नहीं है। हम जल्दी ही निवेश और फाइनेंस से जुड़े कुछ और मॉड्यूल पर अपनी नज़र डालेंगे। तब तक बने रहिए और स्मार्ट मनी पर पढ़ते रहिए।

अब तक आपने पढ़ा 

  • अगर आप जल्दी निवेश करना शुरू करते हैं, तो आपको कंपाउंडिंग की शक्ति का पूरा उपयोग करने को मिलेगा, जो आपके रिटर्न को तेजी से बढ़ाने में मदद कर सकता है।
  • एक व्यक्तिगत बजट आपके वित्तीय लक्ष्यों और उद्देश्यों को पूरा करना आसान बनाता है।
  • जीवन के सभी मुसीबतों से निपटने में सक्षम होने के लिए, एक इमरजेंसी फंड होना आवश्यक है।
  • अपने क्रेडिट कार्ड के इस्तेमाल को जितना हो सके उतना सीमित करना एक अच्छा विचार है।
  • इसके अलावा, जब आप अपना फाइनेंशियल प्लान बना रहे होते हैं, तो आपको आयकर अधिनियम द्वारा दिए गए विभिन्न कटौती और छूट का लाभ ज़रूर उठाना चाहिए।
  • लंबी अवधि के लिए सोचना फायदेमंद होता है। रिटायरमेंट के लिए बचत शुरू करना कभी भी जल्दी नहीं होता है।
  • ऋण का भुगतान करना प्राथमिकता होनी चाहिए।
  • जीवन बीमा योजनाएँ आपके परिवार को आपके असामयिक निधन की स्थिति में आय का स्रोत प्रदान करके एक वित्तीय सुरक्षा कवच प्रदान करती हैं।
  • जब आप वित्तीय योजना के साथ आगे बढ़ना चाहते हैं, तो आप किसी अनुभवी वित्तीय सलाहकार की मदद लें।
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