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वॉल स्ट्रीट और अमेरिकन स्टॉक मार्केट

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अमेरिकी शेयरों में निवेश करने पर कर और रूपांतरण शुल्क

3.7

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इससे पहले कि आप आगे बढ़े और अपने मेहनत से कमाए हुए धन को अमेरिकन स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करें, आपके लिए कुछ चार्जेस और ट्रैक्सेस को जान लेना जरूरी है जो आपको आगे मिल सकते हैं, क्योंकि सामान्यता यह खर्चे आपके एंड इन्वेस्टमेंट लाभ पर प्रभाव डाल सकते हैं।

और हम अपने पूरे चैप्टर में इसी के बारे में बात करेंगे।स्मार्ट मनी के इस सेगमेंट का फोकस आपको उन टैक्सेस और कनवर्जन चार्जेस के बारे में जानकारी देना  होगा, जिन पर आपको अमेरिकी शेयरों में इन्वेस्ट करते समय विचार करना होगा। चलिए अब टैक्स इंप्लीकेशंस से शुरू करते हैं।    

अमेरिकन स्टॉक्स मे इन्वेस्ट करते समय आपको टैक्स इंप्लीकेशंस को ध्यान में रखने की आवश्यकता है

यूएस स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करते समय आपको मुख्य रूप से दो टैक्स सिचुएशंस मिलेंगी जो आप को देखनी होगी– इन्वेस्टमेंट लाभ पर टैक्सेस और डिविडेंड पर टैक्सेस।  चलिए इन्हे एक के बाद एक देखते है ।

इन्वेस्टमेंट लाभ पर टैक्सेस

इन्वेस्टमेंट के लाभ क्या है? सामान्यत: इसे उस कॉन्टेक्स्ट मे रखो जिस पर हम बात कर रहे है , यह वह लाभ है जो हम अमेरिकन स्टॉक्स में इन्वेस्ट करके बनाते है । उदाहरण के लिए हम निम्नलिखित ट्रेड को एक्जीक्यूट करते है ।

  • आपने 1 अप्रैल 2020 को कोका कोला  के 10 शेयर खरीदे जिसका प्रत्येक शेयर ₹40 का था।
  • आपने 1 नवंबर 2020 को 10 शेयर ₹50 में बेच दिए।
  • इसलिए पूर्णत: आपको प्रत्येक शेयर पर ₹10 का लाभ हुआ , या कुल ₹100 का लाभ हुआ। 
  • आपका इस ट्रांजेक्शन का इन्वेस्टमेंट गेन यह है ।

तो क्या इस लाभ पर टेकस भरने की आवश्यकता है? यूएसए में इंवेस्टमेंट लाभ जिसे कैपिटल लाभ भी कहा जाता है, पर कोई भी टैक्स नहीं लगता है। हालांकि भारत मे इनपर टैक्स इस बात पर निर्भर करता है कि यह स्टॉक्स या म्यूचुअल फंड यूनिट कितने दिन तक आपके पास थे। हालांकि हम दोनो लॉन्ग टर्म कैपिटल (LTCG) और शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) के कांसेप्ट को स्मार्ट मनी के चैप्टर में पहले ही जान चुके है, चलिए दोबारा इन पर आगे बढ़ते है , फॉरेन स्टॉक्स का होल्डिंग पीरियड अलग होता है ।

लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG)

अब अगर आप अमेरिकन स्टॉक्स को 24 महीने के लिए अपने पास रखते हैं तो यह अपने आप एक लॉन्ग टर्म होल्डिंग मानी जाएगी। और जब आप यह स्टॉक्स बेचेंगे, तो आपको उससे मिलने वाला लाभ लोंग टर्म कैपिटल गेन माना जाएगा जो कि भारत में इंडक्शन बेनिफिट के साथ 20% की दर से टैक्सेबल होगा।

इसी प्रकार यदि आप अमेरिकन म्यूच्यूअल फंड को 36 महीनों से अधिक अपने पास रखते हैं तो यह स्वत: लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की श्रेणी में माना जाएगा, और इन म्यूच्यूअल फंड को बेचने से मिलने वाला लाभ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन के अंतर्गत आएगा जो कि भारत में इंडक्शन बेनिफिट के साथ 20 % की दर से टैक्सेबल होगा।

चलिए एक दूसरा उदाहरण लेते हैं  LTCG के कांसेप्ट को बेहतर तरीके से समझने के लिए

  • मान लेते हैं कि आपने 1 फरवरी 2019 को एप्पल का एक शेयर ₹40 में  लिया। 
  • उस दिनांक में USD– INR को बदलने का रेट ₹71 .5 पैसे था। 
  • अब एक्विजिशन की कुल कीमत ( कनवर्जन चार्जेस के बिना) रु 2,860 आयी। (Rs 71.5×Rs. 40) 
  • 24 महीनों तक स्टॉक्स को अपने पास रखने के बाद आपने 2 फरवरी 2021 को उसे ₹130 में बेचने का निर्णय लिया। 
  • उस दिनांक में USD– INR को बदलने का रेट ₹73 था। 
  • अब पूरी सेल आगे बढ़ती है और (कन्वर्जन चार्जेस के बिना) ₹9,490 पर आती है। (RS. 73×Rs.130)

इससे पहले कि हम लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन और उस पर दिए जाने वाले टैक्स की अमाउंट को कैलकुलेट करें चलिए पहले हम जरूरी जानकारी को टैबुलेट करते हैं।

Particulars

 

Acquisition cost 

Rs. 2,860

Cost of Inflation Index (CII) for the year 2017 - 2018 [purchase year]

272

Cost of Inflation Index (CII) for the year 2020-2021 [sale year]

301

Indexed cost of acquisition

Acquisition cost x (CII of the year of sale ÷ CII of the year of purchase)


Rs. 2,860 x (301 ÷ 272) = Rs. 3,165

 

Long Term Capital Gains Calculation

Sale proceeds

Rs. 9,490

Less: Indexed cost of acquisition

Rs. 3,165

Less: Expenses incurred for the sale

Nil

LTCG

Rs. 6,325

Capital gains tax to be paid

(Rs. 6,325 x 20%)  

Rs. 1,265  

अब जब आप जानते हैं कि LTCG और कैपिटल गेन टैक्स की कैलकुलेशन कैसे की जाती है, तो आप म्यूचुअल फंड के लिए भी यही तरीका अपना सकते हैं।बस यह याद रखिए कि लॉन्ग टर्म की होल्डिंग्स के रूप में माने जाने के लिए होल्डिंग का पीरियड 36 महीने से अधिक होना चाहिए। 

शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG)

यूएस स्टॉक्स होल्डिंग्स जो कि 24 महीनों से कम हो और यूएस  म्यूचल फंड होल्डिंग जो कि 36 महीनों से कम हो वह अपने आप ही शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन में आती हैं।इन शॉर्ट-टर्म होल्डिंग्स को बेचने से आपको जो लाभ होता है, उसे शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स (एसटीसीजी) कहा जाता है और भारत में आपके करेंट स्लैब रेट पर टैक्स लगाया जाता है।

यहां पर एक उदाहरण दिया गया है जो आपको स्पष्ट रूप से समझने में मदद करेगा।

  • मान लेते हैं कि आप 1 साल में लगभग ₹8,00,000 कमाते हैं (यह आपकी पूरी टैक्सेबल इनकम होगी ) 
  • इस को ध्यान में रखते हुए वह रेट जिस पर  आपको टैक्स देना है वह 20% होगा।( पुरानी इनकम टैक्स रिजाइम के अंतर्गत)  
  • चलिए अब यह कहते हैं कि आपने 5 जनवरी 2021 को माइक्रोसॉफ्ट कॉरपोरेशन का एक शेयर $217 में खरीदा।
  • उस दिनांक में USD-INR को बदलने का रेट ₹ 73.37 था। 
  • अब एक्विजिशन की कुल कीमत (कन्वर्जन चार्जेस के बिना) ₹15,921 आई।(Rs. 73.37× $ 217) 
  • कुछ दिनों तक इसे रखने के बाद, आप 20 जनवरी, 2021 को $ 224 में शेयर को बेचते हैं। 
  • उस दिनांक को USD-INR मे बदलने का रेट ₹72.92 था।
  • अब पूरी सेल आगे बढ़ती है और (कन्वर्जन चार्जेस के बिना) रू 16,334 पर आती है।(Rs. 72.92 x $224) 
  • चूंकि होल्डिंग पीरियड 24 महीने से कम है, इसलिए रु। 413 (रु। 16,334 - रु। 15,921) जो आप जानते है , अपने आप  शॉर्ट-टर्म कैपिटल गेन्स के रूप में जाना जाता है। 

वह शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन जो आपने इस शेयर को बेचकर कमाया है वह आपकी कुल टैक्सेबल इनकम में जुड़ जाएगा। इसको लेते हुए जो कि ₹8,00,413 हो जाएगी। आप की अंतिम कुल टैक्सेबल इनकम ,इनकम टैक्स के स्लैब रेट के द्वारा टैक्सेड होगी जो कि इस केस में 20% है। (केस के बिना)

डिविडेंड पर टैक्सेस

इसके साथ, अब आपको उन टैक्स पर एक स्पष्ट विचार रखने की आवश्यकता है  जिनपर आपको अपनी इंवेस्टमेंट के लाभ के अनुसार भुगतान  करना है। चलिए आगे बढ़ते हैं और उन टैक्स को देखते हैं जिन पर आपको डिविडेंड मिलने पर भुगतान करना है।

US में, डिविडेंट,  एक कंपनी अपने इन्वेस्टर्स को देती है, उस पर इन्वेस्टर के हाथ में 25% के रेट से टैक्स लगाया जाता है। और इसलिए यदि आपने एक अमेरिकन कंपनी में इन्वेस्ट किया है और वह आपको $50 की कीमत के डिविडेंड देती है तो इसका मतलब है कि आपको केवल 37.5 रुपए तक प्राप्त होंगे [$50 - ($50 x 25%)]। बाकी का बचा हुआ $12.5% डिवीडेंट के टैक्स के रूप में चला जाएगा।

इसी प्रकार भारत में भी आपको जो डिविडेंड मिलते हैं वह आपकी कुल इनकम में जुड़ जाते हैं और इनकम टैक्स की स्लैब रेट जो आपके लिए एप्लीकेबल होती है के द्वारा उन पर टैक्स लगता है। तो यह निम्नलिखित प्रश्नों को जन्म देता है

क्या मुझे 2 बार टैक्स का भुगतान करना होगा?

शुक्र है, नही ! हमारे पास भारत और U.S.A के बीच एक डबल टैक्सेशन अवॉइडेंस एग्रीमेंट (DTAA) है।यह मुख्य तौर एक संधि है जो दो देशों द्वारा साइन की गई  है, जो इस मामले में भारत और यूएएसए है, जो आपको अपने देश में अपनी टैक्स देने की लायबिलिटी को दूर करने के लिए टैक्स क्रेडिट के रूप में विदेशी देश में दिए गए टैक्स का दावा करने की अनुमति देता है।

यहां एक उदाहरण दिया गया है जो DTAA कैसे काम करता है यह समझने में आपकी मदद करेगा। चलिए पिछले उदाहरण को ही लेते है।

  • मान लीजिए आप एक अमेरिकन कंपनी से $50 की कीमत के डिविडेंड लेते हैं। 
  • तो आपको 25 फरवरी 2021 को 12.5%  डिविफेंट पर टैक्स भुगतान करना होगा और $37.5% आपको मिलेगा। 
  • आपने जो $12.5% टैक्स भुगतान किया है उसकी कीमत INR मे ₹905 के लगभग है। ($12.5 x Rs. 72.39)।

अब, आप उस टैक्स का दावा कर सकते हैं अपनी टैक्स लायबिलिटी को भारत में कम करने के लिए जो आपने यू.एस.ए. में भुगतान किया है। (जो कि लगभग ₹905 है) चलो यहाँ एक और धारणा है। यह कहें कि आपकी कुल टैक्सेबल इनकम रु 8,00,000 है।

इसलिए, जब हम  $ 50 के कीमत वाले डिविडेंट की वैल्यू को आपकी टैक्सेबल इनकम ₹8,00,000 में जोड़ते है  तो आपकी कुल इनकम रु। 8,03,619 आती है। (रु। 8,00,000 + [$ 50 x रु 72.39])।आपकी आखिरी कुल टैक्सेबल इनकम पर इनकम टैक्स की स्लैब रेट से टैक्स  जाएगा, जो इस मामले में 20% (केस को छोड़कर) है।

अब, आप कर क्रेडिट के रूप में, Rs. 905 के टैक्स का दावा कर सकते हैं।  क्योंकि आपने US गवर्नमेंट को पहले ही भारत में अपनी इनकम टेक्स की लायबिलिटी को कम करने के लिए भुगतान कर दिया है।इसलिए, आप  दोनों देश की सरकारों के हाथों दोहरे टैक्स लगने से सफलतापूर्वक बच सकते हैं।

अमेरिकन स्टॉक्स में इन्वेस्ट करते समय कन्वर्जन चार्ज जो आपको ध्यान में रखना है।

अमेरिकन स्टॉक्स में इन्वेस्ट करते समय केवल टैक्स ही नहीं है जो आपको ध्यान में रखना है ।आपको वह कनवर्जन चार्ज भी ध्यान में रखने होंगे जो विदेशी एक्सचेंज बैंक पर INR को USD मे बदलने के लिए लगाती है ।यह एक और प्रमुख एक्सपेंस है जो आपके इन्वेस्टमेंट लाभ पर काफी हद तक प्रभाव डाल सकता है।

वह USD-INR जो आप रोज देखते है वह बैंक द्वारा एक देश से दूसरे देश पर करेंसी बदलने के लिए लगाया गया असली टैक्स नहीं होता है।  वह इसपर कुछ दूसरे चार्जेस और फीस भी जोड़ देते है। जो invariably आपकी कॉस्ट को बढ़ा सकता है।

यहां एक उदाहरण है जो आपको स्पष्ट रूप से समझने में मदद कर सकता है । 

  • 2 मार्च 2021 में INR को USD मे बदलने का रेट ₹73.38 है।
  • इसका मतलब है आपको 1 उस के लिए ₹73.38 देने होंगे।

इसलिए, जब आप अपने ट्रेडिंग अकाउंट में धन भेजने के लिए बैंक जायेंगे तो वे संभवतः ऊपर लिखे गई एक्सचेंज रेट का उपयोग नहीं करेंगे। इसके बजाय वे अपने एक्सचेंज रेट चार्ज करेंगे।

और चूंकि यह एक आउटवार्ड रेमिटेंस है, जहां आप INR को USD मे बदलते है, तो बैंक हाइयर रेट चार्ज करते है ,चलिए कहते है कि – Rs. 74.52। दोनो एक्सचेंज रेट का डिफरेंस Rs. 1.14 है (Rs. 74.52 - Rs. 73.38), जो बैंक को जाता है ।

इसी प्रकार, इनवार्ड रेमिटेंस के केस में जहां आप USD ko INR मे बदलते हैं, तो बैंक लोअर रेट चार्ज करते है । चलिए कहते है कि– Rs. 72.21। दोनो एक्सचेंज रेट का डिफरेंस Rs. 1.17 है।  (Rs. 73.38 - Rs. 72.21), जो बैंक को जाता है ।

यहां कुछ और ऐसा है जो आपको पता होना चाहिए। एक्सचेंज रेट की डिफरेंस के साथ कुछ बैंक फ्लैट रेट फीस जैसे चार्जेस फॉरएक्स सर्विस इसको प्रोवाइड करने के लिए भी लगाते हैं। उदाहरण के लिए : बैंक रु 500 तक (जीएसटी को छोड़कर) USD500 तक के  रेमिटेंस पर फ्लैट रेट फीस तथा Rs. 1000 तक (जीएसटी को छोड़कर)की फ्लैट रेट फीस USD 500 से  ज्यादा रेमिटेंस के लिए  लगाते है। 

रैपिंग अप

वाह!  यह चैप्टर काफ़ी विस्तार में था , क्या वह नहीं था? हम आशा करते हैं कि आप भली-भांति यह समझ गए हैं कि आपको किन टैक्स और कन्वर्जन चार्ज को ध्यान में रखना है जब आप अमेरिकन स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करते हैं। अभी चैप्टर में हम यह चर्चा करेंगे की करेंसी के इधर-उधर (मूवमेंट) होने से आपकी इन्वेस्टमेंट पर कैसे प्रभाव पड़ता है।

ए क्विक रीकैप

  • US स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करते समय आप मुख्य रूप से दो टैक्स सिचुएशंस देखेंगे जो डिविडेंट पर टैक्स और इनवेस्टमेंट लाभ  पर टैक्स है। 
  • इस संबंध में , इन्वेस्टमेंट गेन वह लाभ है जो आप अमेरिकन स्टॉक मार्केट में इन्वेस्टमेंट करके प्राप्त करते हैं। 
  • USA मे इनवेस्टमेंट लाभ जिसे केपिटल गेन भी कहते है  पर कोई टैक्स नहीं लगता है। हालांकि भारत में इन्वेस्टमेंट गेन पर टैक्स इस बात पर निर्भर करता है की स्टॉक या म्यूचुअल फंड यूनिट कितने दिनों तक आपके पास थी। 
  • अगर आप अमेरिकन स्टॉक्स को 24 महीने या उससे अधिक समय तक अपने पास रखते है तो वह स्वत: लॉन्ग टर्म कैपिटल होल्डिंग माना जाता है, तथा जब अंत में आप उसे बेचते है तो उससे होने वाला लाभ लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन की श्रेणी में आता है , जिस पर  भारत में इंडेक्शन बेनिफिट के साथ 20% के रेट से टैक्स लगता है। 
  • इसी प्रकार अगर आप अमेरिकन म्यूच्यूअल फंड को 36 महीने या उससे अधिक समय तक अपने पास रखते हैं तो वह अपने आप लॉन्ग टर्म कैपिटल होल्डिंग्स माना जाता है तथा अंत में जब आप उसे बेचते हैं तो उससे मिला लाभ लोंग टर्म कैपिटल गेन (एलटीसीजी)  की श्रेणी में आता है जिस पर भारत में इंडक्शन बेनिफिट के साथ 20 परसेंट के रेट से टैक्स लगता है। 
  • US स्टॉक होल्डिंग जो 24 महीने से कम तथा म्युचुअल फंड की स्टॉक होल्डिंग जो 36 महीने से कम हो वह अपने आप ही शॉर्ट टर्म कैपिटल होल्डिंग माने जाते हैं तथा जब उनको बेचते हैं तो उस से होने वाला लाभ शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG)  माना जाता है जिस पर भारत में इनकम टैक्स की स्लैब रेट के द्वारा टैक्स लगता है।
  • यूएस में एक कंपनी जो अपने इन्वेस्टर्स को डिविडेंड देती है उस पर इन्वेस्टर के हाथों में 25% के फ्लैट रेट से टैक्स लगाया जाता है। इसी प्रकार भारत में भी आप जो डिविडेंड प्राप्त करते हैं वह आपकी टैक्सेबल इनकम में जुड़ जाते हैं और उन पर इनकम टैक्स की स्लैब रेट के द्वारा टैक्स लगाया जाता है ,जो आपके लिए एप्लीकेबल होती है।
  • पर तुम्हें दो बार टैक्स देने का भार नहीं सहना पड़ेगा क्योंकि DTAA तुम्हें फॉरेन कंट्री में दिए गए  टैक्स को टैक्स क्रेडिट के रूप में दावा करने की अनुमति प्रदान करता है जिससे तुम अपने देश में टैक्स देने की लायबिलिटी को से बच सकते हो।   
  • अमेरिकन स्टॉक मार्केट में इन्वेस्ट करते समय सिर्फ टैक्स नहीं है जिसे आप को ध्यान में रखना है , बल्कि आपको उन कन्वर्जन चार्ज को भी ध्यान में रखना है जो कि बैंक INR को USD में बदलने के लिए लगाते है।
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