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रुपी कॉस्ट एवरेजिंग
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रूपी कॉस्ट एवरेजिंग वो प्रकिया है जिसमें आप नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि का निवेश करते रहते हैं। यह बदले में यह सुनिश्चित करता है कि आप तब ज्यादा शेयर खरीदते हैं जब उनकी कीमत कम होती है और वहीं, जब शेयर की कीमत बड़ी हुई होती है तब आप कम शेयर खरीदते है। एक निश्चित समय में निवेश करने से आप एक बहुत मुश्किल या कहे असंभव स्थिति से बच जाते है वह है कि निवेश करने के लिए सबसे अच्छा समय ढूँढने की कोशिश करना। रुपी कॉस्ट एवरेजिंग प्रभाव – आपकी यूनिट की लागत का एवरेज निकालती है और इसलिए आपके निवेश पर शॉर्ट-टर्म मार्केट में हो रहे उतार-चढ़ाव के परिणामों को कम करती है।
हम अक्सर अपनी भावनाओं पर भरोसा करते हैं, और बाजार की भावनाओं में बह जाते हैं और इस वजह से तब खरीदना शुरू कर देते है जब बाजार ऊपर जा रहा होता है और तब बेचना शुरू करते हैं जब मार्केट डाउन होता है। और यह वही चीज़ है जो हमें नहीं करनी चाहिए।
रूपी कॉस्ट एवरेज हमें इस अनुमान लगाने की स्थिति से बचा लेता है। इस अप्रोच में आप नियमित अंतराल पर एक निश्चित राशि का निवेश करते है, भले ही बाजार ऊपर हो या नीचे। यह सुनिश्चित करता है कि आप तब ज्यादा यूनिट खरीदें जब मार्केट डाउन होता है व कम यूनिट खरीदे जब मार्केट हाई रहता है। इस अप्रोच से लॉन्ग-टर्म में आपको प्रति यूनिट औसत लागत बहुत कम आएगी।
म्यूचुअल फंड्स का सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) इसी अप्रोच पर काम करता है।
एक उदाहरण लेते हैं। प्रिया म्यूचुअल फंड स्कीम में एसआईपी के साथ हर महीने के दसवें दिन ₹1,000 की निश्चित राशि का निवेश करती है। आइए देखें कि दोनों परिदृश्यों में क्या होगा, अगर बाजार में तेजी आती है या वह गिरता है। ध्यान रहे कि उसने अप्रैल में निवेश करना शुरू किया था और तब बाजार 8 महीने तक बढ़ा था।
महिना (माह) |
प्रत्येक माह राशि का निवेश किया जाता है |
प्रत्येक इकाई का मूल्य |
कुल इकाइयों की संख्या |
अप्रैल |
1000 |
15 |
66.66 |
मई |
1000 |
16.5 |
60.60 |
जून |
1000 |
18.3 |
54.64 |
जुलाई |
1000 |
22 |
45.45 |
अगस्त |
1000 |
24.6 |
40.65 |
सितंबर |
1000 |
25 |
40 |
अक्तूबर |
1000 |
28.1 |
35.59 |
नवंबर |
1000 |
29 |
34.48 |
कुल |
₹8000 |
|
₹378.07 |
इस मामले में, ङर इकाई को खरीदने की औसत लागत ₹21.16 (कुल निवेश की गई कुल राशि / कुल इकाइयाँ) बहुत कम है।
इसी तरह, अगर हम मानते हैं कि बाजार 8 महीनों के दौरान गिरते हैं, तो हर इकाई की औसत लागत ₹20.05 होगी (नीचे दी गई टेबल देखें)।
महिना (माह) |
प्रत्येक माह राशि का निवेश किया जाता है |
प्रत्येक इकाई का मूल्य |
कुल इकाइयों की संख्या |
अप्रैल |
1000 |
27 |
37.03 |
मई |
1000 |
25.5 |
39.21 |
जून |
1000 |
23 |
43.48 |
जुलाई |
1000 |
21.6 |
46.29 |
अगस्त |
1000 |
20.1 |
49.75 |
सितंबर |
1000 |
18.5 |
54.05 |
अक्तूबर |
1000 |
16 |
62.5 |
नवंबर |
1000 |
15 |
66.67 |
कुल |
8000 रुपए |
|
398.98 रुपए |
दूसरे (बाजार में गिरावट) परिदृश्य में, अगर प्रिया ने अप्रैल में ही ₹27 के NAV में एकमुश्त के रूप में ₹8,000 का निवेश किया होता, तो उसे 296.29 इकाइयाँ मिल जातीं। 7 महीने के अंत तक, इन इकाइयों ने प्रिया के निवेश मूल्य को महज ₹4,444.35 तक ला दिया है (296.29 इकाइयों को नवंबर में हर इकाई के मूल्य से गुणा किया है, जो ₹15 है)।
रुपी कॉस्ट एवरेजिंग दृष्टिकोण का उपयोग कर जमा हुई 398.98 इकाइयों की तुलना में, इस मामले में उनका निवेश मूल्य ₹5,954.7 होगी। आप देख सकते हैं कि इस अप्रोच से प्रिया के निवेश में घाटा कम हुए है।
हालांकि रुपी कॉस्ट एवरेजिंग अप्रोच मुनाफे की गारंटी नहीं देती है, लेकिन यह निश्चित रूप से दर्शाता है कि निवेश के लिए एक व्यवस्थित दृष्टिकोण लंबी अवधि में धन बनाने में अत्यधिक प्रभावी साबित हो सकता है।
निष्कर्ष
अब जब हम रुपी कॉस्ट एवरेजिंग की बारीकियों को समझते हैं, तो अगले अध्याय में अल्गोरिदमिक ट्रेडिंग के बारे में जानेंगे।
अब तक आपने पढ़ा
- रुपी कॉस्ट एवरेजिंग की अवधारणा में उस कीमत की औसत निहित है जिस पर आप म्यूचुअल फंड की इकाइयां खरीदते हैं।
- बाजार अस्थिरता इक्विटी निवेश का हिस्सा है जो अर्थव्यवस्था के उतार-चढ़ाव को दर्शाता है।
- मांग का नियम कहता है कि कम से कम महंगा होने पर कमोडिटी की अधिक मात्रा खरीदी जाती है।
- इसके विपरीत, वस्तु की कीमत बढ़ने पर मांग कम हो जाती है।
- निवेश का मूल सिद्धांत एक ही बात को पुष्ट करता है। यह निवेशक को "कम पर खरीद और ज्यादा पर बिक्री" के लिए मार्गदर्शन करता है।
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