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बैलेंस शीट कैसे पढ़ें और विश्लेषण करें?

4.4

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एक निवेशक के रूप में, अगर आपको ठीक तरह से किसी कंपनी का फंडामेंटल एनालिसिस करना है तो, आपको उसके फाइनेंशल स्टेटमेंट को पढ़ना और समझना आना चाहिए। और किसी भी कंपनी के तीन मुख्य फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में से एक, प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट आपको कंपनी के संचालन की एक संपूर्ण तस्वीर दिखाती है।

क्योंकि आपको स्मार्ट मनी के मॉड्यूल 2 में पहले से ही प्रॉफिट और लॉस (P & L) स्टेटमेंट को संक्षिप्त रूप से समझाया गया है, इसलिए हम यहाँ सीधे ही इसकी बारीकियों पर आते हैं। इस अध्याय में, हम एक कंपनी के वास्तविक प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट में आने वाले बहुत से शब्दों और उनके अर्थों को अच्छे से समझने की कोशिश करेंगे।   

प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट के ज़रिए कंपनी के बारे में समझना

यहां हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड (HUL) के प्रॉफ़िट और लॉस स्टेटमेंट की एक तस्वीर है, जो कि 2019-2020 की वार्षिक रिपोर्ट से ली गई है। चूंकि हम प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट के लेआउट और संरचना से अच्छी तरह परिचित होना चाहते हैं, तो इस स्टेटमेंट को ध्यान से पढ़ें।

अब जब आप जानते हैं कि प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट कैसा दिखता है, तो इसके हर एक सेक्शन को अच्छे से समझने का सफर शुरु करते हैं। 

लेआउट

क़ानूनन, हर कंपनी के प्रॉफ़िट और लॉस स्टेटमेंट में उसकी अवधि लिखना अनिवार्य है। हमारे उदाहरण में, आप स्टेटमेंट के टॉप पर देख सकते है कि वहाँ 31 मार्च 2020 लिखा हुआ है, जिससे हमें साफ पता चलता है की यह स्टेटमेंट वित्तीय वर्ष 2019-2020 की है।    

इसके साथ ही आपको ऊपर दाएँ तरफ, आपको मुद्रा मूल्यवर्ग भी मिलेगा। इससे हमे यह पता चलता है की जो पैसा यहाँ नीचे लिखा हुआ है वह रुपये व करोड़ों में है। इसलिए, आप जिस भी नंबर को स्टेटमेंट में पढ़ेंगे हैं, वह अनिवार्य रूप से रुपए,करोड़ में है। उदाहरण के लिए, स्टेटमेंट पर लिखे 500 का मतलब होगा 500 करोड़ रुपए।

किसी कंपनी की प्रॉफ़िट और लॉस स्टेटमेंट ,आमतौर पर 4 कॉलम में विभाजित होती है, जो कुछ इस तरह हैं -

  • विवरण: इस कॉलम में कंपनी द्वारा किए गए लेन-देन की श्रेणियों के नाम शामिल हैं। इन लेन-देन को स्टेटमेंट के दाएँ तरफ के कॉलम में संख्यात्मक रूप से दर्शाया जाता है।
  • नोट: इस कॉलम में अलग-अलग श्रेणियों में हुए लेन-देन से जुड़े आंकड़े शामिल किए जाते हैं। इन कैटेगरी के बारे में और ज्यादा जानने के लिए आप इन्हें फाइनेंशल स्टेटमेंट के नोट्स कॉलम मे देख सकते है, आसानी के लिए इसमे कॉलम का नंबर भी दिया होता है।
  • वर्ष समाप्ति 31 मार्च, 2020: इस कॉलम में वर्तमान वित्तीय वर्ष से संबंधित सभी राशियाँ शामिल हैं, जो इस मामले में 2019-2020 है।
  • वर्ष समाप्ति 31 मार्च 2019: पिछले वित्तीय वर्ष से संबंधित सभी राशियों का उल्लेख इस कॉलम में किया गया है। यहां, इसका मतलब है वर्ष 2018-2019।

आय

'आय' या इनकम खंड की दो प्राथमिक सब-कैटेगरी हैं, ऑपरेशन या परिचालन से आय/ राजस्व और अन्य आय। आइए इन दोनों को गहराई से समझें ।

संचालन से राजस्व/ रेवेन्यू फ्रॉम ऑपरेशंस

कंपनी की टॉप लाइन के नाम से भी जाना जाने वाली ये श्रेणी आपको कंपनी के प्राथमिक कार्यों से कमाए गए राजस्व के बारे में बताती है। हमारे उदाहरण में,  हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड, एफएमसीजी उत्पादों की निर्माता है, इसलिए यह अपने बहुत से प्रोडक्ट्स को बेचकर रेवेन्यू कमाती है। यहां एक अहम (नोट 2.4) की एक तस्वीर है जिसके बारे में हम आगे डीटेल में बताएँगे। 

 

इस नोट को देखते हुए, आप कह सकते हैं कि कंपनी अपने ग्राहकों को सेवाएं दे रही है और बदले में इससे आय प्राप्त कर रही है। स्टेटमेंट में इसे ‘अन्य परिचालन से आय’ या अदर ऑपरेटिंग सर्विस के अंतर्गत शामिल किया गया है, जिसमें कंपनी के रोज़मर्रा के कार्यों से कमाया गया रेवेन्यू भी शामिल है।

अन्य आय

जब एक कंपनी अपने मुख्य व्यवसाय के अलावा किसी अन्य गतिविधियों के जरिए कोई आय कमाती है तो उसे, पी एंड एल स्टेटमेंट में 'अन्य आय' के रूप में वर्गीकृत किया जाता है। चलिए, इससे जुड़े नोट पर ध्यान देते है और समझते है की इस खंड में कौन-कौन-सी चीज़ें आती हैं। 

 जैसा कि आप देख सकते हैं, कंपनी ने अपनी सहायक कंपनियों में इनवेस्टमेंट के जरिए डिविडेंड के रूप में आय कमायी है, और दूसरे निवेश विकल्प जैसे ‘ब्याज’ से भी राजस्व अर्जित किया है। ये सभी गतिविधियाँ कंपनी के मुख्य कार्यों का हिस्सा नहीं हैं।

कुल आय

परिचालन से राजस्व (₹38,785 करोड़) और अन्य आय (₹733 करोड़), दोनों को जोड़कर, आपको कंपनी की कुल आय मिलती है, जो ₹39,518 करोड़ है।

व्यय/ खर्च/ एक्सपेंस

जैसा कि नाम से पता चलता है, P & L स्टेटमेंट के 'खर्च' सेक्शन में एक वित्तीय वर्ष में कंपनी द्वारा किए गए सभी व्यय शामिल होते हैं। आमतौर पर, इन खर्चों को उनकी प्रकृति के अनुसार वर्गीकृत किया जाता है। चलिए इन खर्चों को समझते हैं।

कच्चे माल की लागत

इसमें कंपनी के प्रोडक्ट्स को बनाने के लिए काम में आने वाले कच्चे माल की लागत आती है।

स्टॉक-इन-ट्रेड की खरीद

इसमें व्यापार या पुनर्विक्रय के उद्देश्य से तैयार माल की खरीद की लागत शामिल है।

तैयार माल (स्टॉक-इन-ट्रेड सहित) और कार्यशील माल के भंडार में बदलाव 

इसमें तैयार माल, स्टॉक-इन-ट्रेड और कार्यशील माल के भंडार के शुरुआती और आखिरी आंकड़े शामिल होते हैं।

कर्मचारी लाभ खर्च 

कंपनी अपने कर्मचारियों को बहुत-सी सुविधाएँ देती है और उन सभी सुविधाओं की लागतों को पी एंड एल स्टेटमेंट के ‘कर्मचारी लाभ खर्च’ के अंतर्गत लिखा जाता है।  यहाँ इस टैब के अंदर आने वाले अलग-अलग खर्चों को उससे जुड़े नोट (नोट 29) में दिखाया गया है।

वित्तीय खर्च (फाइनेंस कॉस्ट)

इसे उधार लेने की लागत के रूप में भी जाना जाता है, इसमें कंपनी के किसी से उधार लेने पर लगने वाले अनिवार्य ब्याज खर्च व दूसरी सहायक लागत को जोड़ा जाता है।  एचयूएल द्वारा की गई बहुत सी वित्त लागतों को नोट 30 में दिखाया गया है। यहाँ उसकी एक तस्वीर है। 

 

 

विमूल्यन और परिशोधन खर्च

कोई भी संपत्ति, चाहे वह मूर्त हो या अमूर्त, वक्त के साथ, उसमें टूट-फूट तो आ ही जाती है, सीधे शब्दों में कहें तो उसकी वैल्यू कम हो जाती है। मूर्त संपत्ति के मूल्य में इस कमी को विमूल्यन या डेपरिसिएशन कहा जाता है। वही अमूर्त संपत्ति के, मूल्य में कमी को परिशोधन या इमोर्टाइज़ेशन के रूप में जाना जाता है।

चूंकि कंपनी की संपत्ति की वैल्यू हर साल कम होती जाती है, इसलिए इसे पी एंड एल स्टेटमेंट में खर्च के अंतर्गत रखा जाता है। इस मामले में, एचयूएल के इस वर्ष का विमूल्यन और परिशोधन का मूल्यांकन ₹938 करोड़ आया।

अन्य खर्च

किसी कंपनी द्वारा किए गए अलग-अलग खर्चों को ‘अन्य खर्च’ के खंड के अंतर्गत रखा जाता है। एचयूएल के फाइनेंशियल स्टेटमेंट में नोट 32 मे कंपनी द्वारा किए गए अन्य सभी खर्चों का पूरा ब्रेक-अप दिखाया गया है।

 

कुल खर्च

उपरोक्त सभी खर्चों को जोड़कर, यह साफ हो जाता है कि एचयूएल ने अकेले इसी वित्त वर्ष में ₹30,229 करोड़ का खर्च उठाया है।

असाधारण आइटम और टैक्स से पहले का मुनाफा

किसी कंपनी द्वारा अपनी कुल आय में से कुल खर्च घटाने के बाद जो राशि बचती है, उसे असाधारण आइटम और टैक्स से पहले का मुनाफा कहा जाता है।

हमारे उदाहरण में, एचयूएल की कुल आय ₹39,518 करोड़ है और खर्च ₹30,229 करोड़ है। इस हिसाब से एचयूएल का असाधारण आइटम और टैक्स से पहले का मुनाफा  ₹9,289 करोड़ है। (₹39,518 करोड़-₹30,229 करोड़ = ₹9,289 करोड़)  

असाधारण आइटम (नेट)

कोई भी आय या व्यय जो असामान्य और गैर-निरतंर है, लेकिन फिर भी कंपनी की सामान्य रोज़मर्रा की गतिविधियों की वजह से होता है, तो इसे 'असाधारण आय या असाधारण खर्च' कहा जाता है। '

कंपनी की सभी असाधारण आय और असाधारण खर्चों का हिसाब लगाकर एक राशि तक पहुँचा जाता है। फिर इस राशि को असाधारण वस्तु और टैक्स से पहले मुनाफ़े के आंकड़े से घटाया या उसमें जोड़ा जाता है। इसके  बाद जो आंकड़ा मिलता है उसे टैक्स से पहले मुनाफा या प्रॉफिट बिफोर टैक्स (PBT) कहते हैं। 

अगर किसी कंपनी का असाधारण खर्च उसकी असाधारण आय से ज्यादा है, तो असाधारण वस्तुओं और टैक्स से पहले मुनाफ़े से, कुल असाधारण वस्तुओं को घटा दिया जाता है। इसके विपरीत, अगर किसी कंपनी की असाधारण आय उसके असाधारण खर्चों से ज्यादा है, तो असाधारण वस्तुओं और टैक्स से पहले मुनाफ़े के आंकड़े में उस राशि को जोड़ दिया जाता है। 

आइए नोट 33 पर एक नज़र डालें, जो एचयूएल के फाइनेंशियल्स में असाधारण वस्तुओं को दिखाता है।

 जैसा कि आप यहां देख सकते हैं, असाधारण खर्च, असाधारण आय से अधिक है। इसका हिसाब लगाने के बाद, एचयूएल का असाधारण खर्च  ₹197 करोड़ होता है।

टैक्स से पहले मुनाफा/ प्रॉफिट बिफोर टैक्स (PBT)

असाधारण वस्तुओं के हिसाब से मिले आंकड़े को असाधारण आइटम और टैक्स से पहले मुनाफ़े के आंकड़े से घटा दिया जाता है और टैक्स से पहले मुनाफा या प्रॉफिट बिफोर टैक्स के आंकड़े पर पहुंचा जाता है। इस मामले में, PBT ₹9,092 करोड़ है (₹9,289 करोड़- ₹197 करोड़)।

टैक्स खर्च

टैक्स खर्च के खंड में एक वित्तीय वर्ष में कंपनी द्वारा दिये गए टैक्स और आस्थगित या डेफर्ड टैक्स भुगतान, दोनों शामिल होते हैं। एचयूएल के पी एंड एल के अनुसार, हम देख सकते हैं कि कंपनी ने ₹2,202 करोड़ का वर्तमान टैक्स भुगतान किया है और ₹152 करोड़ का आस्थगित टैक्स भुगतान दिया है।

साल का मुनाफा/ प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (PAT)

इसे कंपनी की बॉटम लाइन के रूप में भी जाना जाता है,  अगर आप “प्रॉफ़िट बिफोर टैक्स” में से टैक्स भुगतान के आंकड़े को घटा देते हैं तो जो राशि बचती है उसे प्रॉफ़िट ऑफ द ईयर या प्रॉफिट आफ्टर टैक्स के नाम से जाना जाता है।

हमारे उदाहरण में, टैक्स खर्चों को घटाने के बाद, एचयूएल का 2019-2020 के लिए मुनाफा (PAT) ₹6,738 करोड़ होता है (₹9,092 करोड़-₹2,202 करोड़-152 करोड़= ₹6378 करोड़)।

प्रति शेयर आय (ईपीएस)

जैसा कि आपने पिछले मॉड्यूल के अध्याय में पढ़ा था, किसी कंपनी के इक्विटी शेयरहोल्डर को कंपनी के नेट प्रॉफ़िट में हिस्सा मिलता है। कंपनियां आमतौर पर अपने प्रॉफ़िट एंड लॉस स्टेटमेंट में प्रति शेयर आय (ईपीएस) को शामिल करना पसंद करती है। यह निवेशकों और संभावित निवेशकों को अंदाज़ा देने के लिए होता है कि अगर कंपनी का पूरा प्रॉफिट बाँटा जाए तो कंपनी के हर इक्विटी शेयरहोल्डर को कितना फायदा मिलेगा।

ईपीएस की गणना किसी कंपनी के कुल मुनाफ़े को, इक्विटी शेयरों की कुल संख्या से विभाजित करके की जाती है। यहाँ एचयूएल के फाइनेंशियल स्टेटमेंट्स में नोट 34 आपको बताता है कि कंपनी ने ईपीएस का मूल्य कैसे पता किया।

निष्कर्ष

तो इस अध्याय में हमने प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट को पढ़ना सीखा। अब यह देखने का समय है कि आप इन फाइनेंशल स्टेटमेंट्स के आंकड़ों के साथ और क्या-क्या कर सकते है। इस बारे में हम अगले अध्याय में पढ़ेंगे। 

अब तक आपने पढ़ा

  • प्रॉफिट और लॉस स्टेटमेंट  आपको कंपनी के संचालन की एक पूरी तस्वीर दिखाता है।
  • यह एक कंपनी द्वारा अपने प्राथमिक संचालन और अन्य गतिविधियों के माध्यम से अर्जित आय को दर्शाता है।
  • व्यय खंड आपको कच्चे माल की लागत, स्टॉक-इन-ट्रेड की खरीद, तैयार माल के भंडार में बदलाव, कर्मचारी लाभ खर्च, वित्त लागत और विमूल्यन और परिशोधन सहित अन्य चीज़ों को दिखाता है।
  • कुल व्यय और कुल आय का हिसाब लगाकर आपको असाधारण वस्तुओं और टैक्स से पहले मुनाफ़े का आंकड़ा मिलता है।
  • उस आंकड़े से असाधारण वस्तुओं को हटाकर, आपको टैक्स से पहले मुनाफ़े (PBT) के आंकड़े पर पहुंच सकते हैं।
  • पीबीटी से टैक्स खर्च घटाकर आपको उस वर्ष का मुनाफा या प्रॉफिट आफ्टर टैक्स (PAT) मिलता है। 
  • ईपीएस की गणना किसी कंपनी के कुल मुनाफ़े को इक्विटी शेयरों की कुल संख्या से विभाजित करके की जाती है।
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