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विकल्प और वायदा का परिचय
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वायदा का उपयोग करके व्यापार कैसे करें
4.5
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अब आप वायदा कारोबार से संबंधित प्रमुख नियमों के बारे में सब कुछ जान गए हैं। लेकिन वास्तविक व्यापार के बारे में क्या? वह कैसे होता है? इसे हम वायदा कारोबार की मूल बातों के इस अध्याय में देखने जा रहे हैं। अब जब आप वायदा कारोबार करना चाहते हैं, तो आप जान जाएंगे कि यह ऑपशन ट्रेडिंग की तरह ही है।
हालांकि इन दोनों के बीच कुछ अंतर हैं:
- सबसे पहले, अगर आप वायदा कारोबार में एक्सपायरी तक एक वायदा कॉन्ट्रैक्ट होल्ड करते हैं, तो आप चाहे खरीदार हों या विक्रेता, आप कॉन्ट्रैक्ट पूरा करने के लिए बाध्य हैं।
- दूसरा, वायदा कारोबार में आप एक मार्जिन का भुगतान करते हैं, जैसा कि हमने पिछले अध्याय में देखा था। लेकिन एक ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट में आप एक प्रीमियम का भुगतान करते हैं, जैसा कि आप पहले के अध्यायों में पढ़ चुके हैं।
वायदा में ट्रेडिंग: अगर आप खरीदार हैं तो क्या होगा?
जब आपको लगता है कि निकट भविष्य में मूल्य बढ़ने वाला है, तो वायदा कॉन्ट्रैक्ट खरीदना सही रहता है। इसलिए मान लीजिए कि आप कॉन्ट्रैक्ट के खरीदार हैं और आप वायदा खरीदते हैं और निपटान के लिए एक्सपायरी तक इंतज़ार करते हैं। इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए यहां एक परिस्थिति दी गई है।
वायदा कॉन्ट्रैक्ट खरीदना
राकेश एक नियमित व्यापारी है। वह बाजारों पर पूरी नज़र रखता है और उसका मानना है कि वर्तमान में जिस टाटा पावर के शेयर की कीमत स्पॉट मार्केट में ₹90 है, उसके आने वाले एक महीने या दो महीने के अंदर बढ़ने की संभावना है। इसलिए वह निम्नलिखित विवरणों के साथ एक टाटा पावर का वायदा कॉन्ट्रैक्ट खरीदकर, खरीदारी की पोज़ीशन बनाने का फैसला करता है।
- वायदा कॉन्ट्रैक्ट की कीमत: ₹100
- लॉट साइज़: 10 शेयर
- कॉन्ट्रैक्ट मूल्य: ₹1,000 (₹100 x 10 शेयर)
- मार्जिन राशि: ₹330
इसे आसान तरीके से समझने के लिए हम अपने मुनाफ़े या घाटे की गणना से मार्जिन राशि को हटा देंगे। इसका कारण यह है कि मार्जिन राशि जैसा कि आपको याद होगा कि एक सिक्योरिटी डिपॉजिट के समान है, जो आपको एक्सपायरी या जब आप अपनी पोज़ीशन स्क्वेयर ऑफ करते हैं तो आपको वापस कर दिया जाएगा ( घाटे की भरपाई करने के बाद)।
एक्सपायरी होने तक वायदा कॉन्ट्रैक्ट को होल्ड करना
एक्सपायरी होने पर राकेश के मुनाफ़े या घाटे की गणना, टाटा पावर के शेयरों की स्पॉट कीमत के आधार पर की जाएगी। उदाहरण के लिए, एक्सपायरी पर टाटा पावर का शेयर मूल्य ₹150 है। लेकिन अपने वायदा कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार, राकेश टाटा पावर के 10 शेयर को ₹100 प्रति शेयर के हिसाब से खरीद सकता है। फिर वह ₹50 प्रति शेयर के मुनाफ़े पर उसे ₹150 प्रति शेयर के हिसाब से स्पॉट मार्केट में बेच सकता है।
वैकल्पिक रूप से, मान लीजिए कि अगर शेयरों की कीमत एक्सपायरी पर ₹80 है, तो राकेश को प्रति शेयर ₹20 का घाटा होगा।
आइए अलग-अलग स्पॉट प्राइस लें और राकेश को उन स्तरों पर होने वाले मुनाफ़े या नुकसान की गणना करें:
ए |
बी |
सी |
डी |
ई |
एक्सपायरी में 1 शेयर का स्पॉट प्राइस |
एक्सपायरी में 10 शेयर का स्पॉट प्राइस (ए x 10 शेयर) |
वायदा मूल्य प्रति शेयर |
कॉन्ट्रैक्ट मूल्य (सी x 10 शेयर) |
कुल मुनाफ़ा या घाटा (बी-डी) |
50 |
500 |
100 |
1,000 |
(500) |
60 |
600 |
100 |
1,000 |
(400) |
70 |
700 |
100 |
1,000 |
(300) |
80 |
800 |
100 |
1,000 |
(200) |
90 |
900 |
100 |
1,000 |
(100) |
100 |
1,000 |
100 |
1,000 |
0 |
110 |
1,100 |
100 |
1,000 |
100 |
120 |
1,200 |
100 |
1,000 |
200 |
130 |
1,300 |
100 |
1,000 |
300 |
140 |
1,400 |
100 |
1,000 |
400 |
150 |
1,500 |
100 |
1,000 |
500 |
इसे एक ग्राफ पर प्लॉट करते हुए, हमें निम्नलिखित पैटर्न मिलते हैं
वायदा में ट्रेडिंग: अगर आप विक्रेता हैं तो क्या होगा?
जब आपको लगता है कि निकट भविष्य में मूल्य घटने वाला है, तो वायदा कॉन्ट्रैक्ट को बेचना सही रहता है। अगर आप कॉन्ट्रैक्ट विक्रेता हैं और मानिए कि आप आप वायदा बेचते हैं और निपटान के लिए एक्सपायरी तक प्रतीक्षा करते हैं। इसे बेहतर तरीके से समझने के लिए यहां एक परिस्थिति है।
वायदा कॉन्ट्रैक्ट बेचना
सुमन जो एक अनुभवी व्यापारी भी है उसका मानना है कि वर्तमान में टाटा पावर का जिस शेयर का मूल्य स्पॉट बाजार में ₹90 है, उसमें आने वाले महीने या अगले दो महीनों के अंदर गिरावट की संभावना है। इसलिए वह निम्नलिखित विवरणों के साथ एक टाटा पावर वायदा कॉन्ट्रैक्ट बेचकर एक बिकवाली की पोज़ीशन लेने का फैसला करता है:
- वायदा कॉन्ट्रैक्ट की कीमत: ₹100
- लॉट साइज़: 10 शेयर
- कॉन्ट्रैक्ट मूल्य: ₹1,000 (₹100 x 10 शेयर)
- मार्जिन राशि: ₹330
एक बार फिर, इसे आसान तरीके से समझने के लिए हम अपने मुनाफ़े और घाटे की गणना से मार्जिन राशि को हटा देंगे।
एक्सपायरी होने तक वायदा कॉन्ट्रैक्ट को होल्ड करना
एक्सपायरी पर, टाटा पावर के शेयरों की स्पॉट कीमत के आधार पर सुमन के मुनाफ़े या घाटे की गणना की जाएगी। उदाहरण के लिए, एक्सपायरी पर टाटा पावर का शेयर मूल्य ₹150 है लेकिन अपने वायदा कॉन्ट्रैक्ट के अनुसार सुमन को टाटा पावर के 10 शेयरों को ₹100 प्रति शेयर पर बेचना होगा। तो उसे ₹50 प्रति शेयर का घाटा होगा।
वैकल्पिक रूप से, मान लीजिए कि अगर शेयरों की कीमत एक्सपायरी पर ₹80 है, तो सुमन को प्रति शेयर ₹20 का मुनाफा होगा।
आइए अलग-अलग स्पॉट प्राइस लें और उन स्तरों पर होने वाले मुनाफ़े या घाटे की गणना करें।
ए |
बी |
सी |
डी |
ई |
एक्सपायरी में 1 शेयर का स्पॉट प्राइस |
एक्सपायरी में 10 शेयर का स्पॉट प्राइस (ए x 10 शेयर) |
वायदा मूल्य प्रति शेयर |
कॉन्ट्रैक्ट मूल्य (सी x 10 शेयर) |
कुल मुनाफ़ा या घाटा (डी-बी) |
50 |
500 |
100 |
1,000 |
500 |
60 |
600 |
100 |
1,000 |
400 |
70 |
700 |
100 |
1,000 |
300 |
80 |
800 |
100 |
1,000 |
200 |
90 |
900 |
100 |
1,000 |
100 |
100 |
1,000 |
100 |
1,000 |
0 |
110 |
1,100 |
100 |
1,000 |
(100) |
120 |
1,200 |
100 |
1,000 |
(200) |
130 |
1,300 |
100 |
1,000 |
(300) |
140 |
1,400 |
100 |
1,000 |
(400) |
150 |
1,500 |
100 |
1,000 |
(500) |
इसे एक ग्राफ पर प्लॉट करके, हमें निम्नलिखित पैटर्न मिलते हैं।
निष्कर्ष
आप देखते हैं कि कैसे वायदा कॉन्ट्रैक्ट के भुगतान, एक विकल्प कॉन्ट्रैक्ट के भुगतान से मिलता जुलता है? यह आपके वायदा कारोबार की मूल बातों में शामिल है। दिलचस्प बात है कि दोनों विकल्प और वायदा कॉन्ट्रैक्टों का उपयोग अन्य वित्तीय निवेशों से होने वाले घाटे को कम करने के लिए किया जा सकता है। वित्तीय जगत में इसे हेजिंग कहा जाता है। यह जानने के लिए उत्सुक है कि यह कैसे काम करता है तो अगले अध्याय पर जाएं।
अब तक आपने पढ़ा
- वायदा का उपयोग कर ट्रेडिंग करना काफी हद तक विकल्प ट्रेडिंग की तरह है। हालांकि इन दोनों के बीच कुछ अंतर है।
- सबसे पहले, अगर आप एक्सपायरी तक एक वायदा कॉन्ट्रैक्ट होल्ड करते हैं, तो आप खरीदार हो या कॉन्ट्रैक्ट विक्रेता, इसे पूरा करने के लिए बाध्य हैं।
- दूसरा, वायदा कॉन्ट्रैक्ट में आप मार्जिन का भुगतान करते हैं लेकिन एक विकल्प कॉन्ट्रैक्ट में आप प्रीमियम का भुगतान करते हैं।
- जब आपको लगता है कि भविष्य में कीमतें बढ़ने वाली है तो वायदा कॉन्ट्रैक्ट खरीदना सही रहता है।
- अगर आप कॉन्ट्रैक्ट के खरीदार हैं तो आप वायदा खरीदते हैं और निपटान के लिए एक्सपायरी तक प्रतीक्षा करते हैं।
- जब आपको लगता है कि भविष्य में कीमतें घटने वाली है तो वायदा कॉन्ट्रैक्ट को बेचना सही रहता है।
- अगर आप कॉन्ट्रैक्ट विक्रेता हैं तो आप वायदा बेचते हैं और निपटान के लिए एक्सपायरी तक प्रतीक्षा करें।
अपने ज्ञान का परीक्षण करें
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आप इस अध्याय का मूल्यांकन कैसे करेंगे?
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