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डेब्ट और सिक्योरिटीज
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डेब्ट और स्टॉक मार्किट
4.0
13 मिनट पढ़े


अपनी आज तक की सबसे बड़ी लोकल मार्केट जो आपने विजिट की हो उसके बारे में सोचिए टिपिकली मार्केट में जिंदगी और एक्टिविटी भरी होती हैं ऐसा है ना? हर जगह जहां आप देखते हो एक अलग ही आइटम सेल के लिए होता है. मार्केट का एक हिस्सा एक्सक्लूसिवली वेजिटेबल वेंडर्स के लिए रिजर्व होता है जबकि दूसरा एक कभी ना खत्म होने वाली नेटिव और एग्जॉटिक फ्रूट्स की बेचती हुई दुकानों की लाइन का होता है दूसरे सेक्शन में शायद आपको एक छोटी दुकान हैंड क्राफ्ट आइटम्स बेचती हुई मिल जाएगी तो आपको जनरल आइडिया हो गया होगा कि डिफरेंट सेक्शन डिफरेंट काइंड ऑफ आइटम से भरे होते हैं
भारत की फाइनेंसियल मार्केट भी कुछ इसी तरह से है यहां पर अलग-अलग मार्केट सेगमेंट हैं जो ट्रेडिंग एसेट्स के प्रकार के आधार पर हैं उनमें से दो जो सबसे कॉमन सेगमेंट हैं जिसमें ज्यादातर इन्वेस्टर्स अपनी इन्वेस्टमेंट जर्नी को स्टार्ट करते हैं वह है स्टॉक मार्केट और डेब्ट मार्केट
यह मार्केट क्या है क्या उन्हें दूसरों से अलग करता है और इन मार्केट सेगमेंट में कौन से ऐसैट्स ट्रेड किए जाते हैं अगर यह सारे सवाल आपके दिमाग में अभी हैं तो आप बिल्कुल सही जगह हैं इस चैप्टर में हम स्टॉक और डेब्ट मार्केट के बारे में पूरी जानकारी हासिल करेंगे .
स्टॉकमार्केट
स्टॉक मार्केट या इक्विटी मार्केट में लिस्टेड कंपनीज के इक्विटी स्टॉक्स को ट्रेड किया जाता है जब भी कंपनी अपने बिजनेस के लिए अपनी कैपिटल को बढ़ाना चाहती है तो इनिशियल पब्लिक आफरिंग यानी कि आईपीओ उन बहुत सारे तरीकों में से एक है, जो वह कर सकते हैं
इक्विटी स्टॉक्स जैसा कि हम दूसरे मॉड्यूल में डिस्कस कर चुके हैं किसी कंपनी के ओनर शिप के पोर्सन को रिप्रेजेंट करता है आपको याद आएगा स्टॉक मार्केट में उन स्टॉक्स को स्टॉक एक्सचेंज जैसे कि एनएसई और बीएसई के जरिए ट्रेड किया जाता हैं. जब भी कोई इन्वेस्टर या ट्रेडर किसी कंपनी के स्टॉक को इक्विटी मार्केट के जरिए खरीदता है तो उसे उस कंपनी की ओनरशिप में एक शेयर मिल जाता है वह इस ओनरशिप को तब तक होल्ड रखते हैं जब तक जो स्टॉक उन्होंने खरीदा था उनके पास है.
स्टॉक मार्केट में आप कैसे पार्टिसिपेट कर सकते हैं?
स्टॉक मार्केट में पार्टिसिपेट करने के लिए आपके पास एक डीमैट अकाउंट और एक ट्रेडिंग अकाउंट होना चाहिए एक डीमैट अकाउंट आपको इलेक्ट्रॉनिक या ऑनलाइन फॉर्म में किसी शेयर को होल्ड रखने के लिए अलाउ करता है जबकि ट्रेडिंग अकाउंट आप को शेयर्स खरीदने और बेचने के लिए अलाउ करता है
जब एक बार आपका डिमैट अकाउंट और ट्रेडिंग अकाउंट ओपन हो जाता है आप स्टॉक मार्केट में नीचे दिए गए किसी भी एक तरीके से पार्टिसिपेट कर सकते हैं :
- इन्वेस्टर की तरह
- ट्रेडर की तरह
अगर आप इन्वेस्टर हैं तो आप लिस्टेड कंपनीज के स्टॉक्स में लंबे समय के लिए निवेश करते हैं इस प्रकार आप कंपनी के शेयर की वैल्यू से लंबे समय की ग्रोथ का मुनाफा पाते हैं.
एग्जांपल के लिए मान लीजिए आप ने 18 नवंबर 2011 को एक्सिस बैंक के 100 शेयर खरीद लिया उस समय एक्सिस बैंक के शेयर 192.84 Rs प्रति शेयर से ट्रेड कर रहे थे और ऐसा मान लेते हैं कि आपने एक दशक तक इन शेयर्स को होल्ड करके रखा अब 2021 में मान लो कि आपका अपने बच्चों को कॉलेज भेजने का लॉन्ग टर्म गोल पास आ गया है और आप अपने इन्वेस्टमेंट को कैश कराने की सोचते हो और 17 फरवरी 2021 को आप अपने होल्ड किए हुए एक्सिस बैंक के शेयर्स को बेच देते हो इस समय शेयर्स 780.20Rs प्रति शेयर की दर से ट्रेड कर रहे हैं
तो चलिए आपके लोंग टर्म प्रॉफिट को कैलकुलेट करते हैं
Date |
Action |
No. of shares |
Price per share (INR) |
Total (INR) |
November 18, 2011 |
Buy |
100 |
192.84 |
19,284 |
February 17, 2021 |
Sell |
100 |
780.20 |
78,020 |
Profit (INR) |
58,736 |
दूसरी तरफ से अगर आप ट्रेडर हैं तो आपका प्राइमरी गोल मार्केट में स्टॉक्स के प्राइस के शॉर्ट टर्म मूवमेंट का फायदा उठाना होता है स्टॉक मार्केट में आप विभिन्न प्रकार के ट्रेड्स में कैरी आउट कर सकते हैं चलिए स्टॉक मार्केट के ट्रेडर्स द्वारा ज्यादातर यूज होने वाली ट्रेडिंग स्ट्रैटेजिस पर एक नजर डालते हैं.
-
इंट्राडे ट्रेडिंग:
इंट्राडे ट्रेडिंग में आप शेयर्स को सेम ट्रेडिंग डे के लिए खरीदते और बेचते हो वास्तव में उस दिन की स्टॉक मार्केट की बंदी से पहले आपको अपनी पोजीशन को स्क्वायर ऑफ करना होता है.
-
बीटीएसटी ट्रेडिंग:
बीटीएसटी या बाय टुडे सेल टुमारो ट्रेडिंग एक ऐसे स्ट्रैटिजी है जिसमें आप शेयर को अपने डिमैट अकाउंट में क्रेडिट होने से पहले खरीदते और बेचते हो .
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डिलीवरी ट्रेडिंग:
डिलीवरी ट्रेडिंग में जो शेयर आप खरीदते हो वह आपके डीमेट अकाउंट में क्रेडिट हो जाते हैं उन्हें आप अगले दिन या और कुछ दिन बाद या आपके ट्रेडिंग गोल्स के हिसाब से बेचते हो.
स्टॉक मार्केट से आप कैसे कमाते हो?
स्टॉक मार्केट से कमाने के 3 तरीके हैं जो इस बात पर निर्भर करते हैं कि आपके इन्वेस्टमेंट या ट्रेडिंग गोल्स क्या है वह कितने समय के लिए हैं और कितने शेयर आप खरीदने जा रहे हैं. यहां पर उनका क्लोजर लुक दिया गया है कि कैसे आप स्टॉक मार्केट से कमा सकते हैं
1. डिविडेंड्स के जरिए:
डिविडेंड लिस्टेड कंपनीज के प्रॉफिट का पार्ट होता है जो वह अपने शेयरहोल्डर्स को पे करती हैं जनरली कंपनीज डिविडेंड्स को एनुअली डिक्लेअर करती हैं लॉन्ग टर्म इन्वेस्टर्स के लिए जो डिविडेंड वाले शेयर्स को लंबे समय के लिए होल्ड करते हैं उनके लिए डिविडेंड एक स्टेडी सोर्स ऑफ पैसिव इनकम साबित होता है.
2. लॉन्ग टर्म प्राइस मूवमेंट के जरिए:
जब इन्वेस्टर्स खरीदे हुए शेयर्स को लंबे समय के लिए होल्ड करते हैं तो उन्हें शेयर के लंबे समय में हुए प्राइज एप्रिसिएशन का फायदा मिल सकता है हां इसका रिजल्ट शेयर प्राइजेज में डिप्रीशिएशन भी हो सकता है. इसीलिए अच्छे स्टॉक्स को पहचान कर इन्वेस्ट करने के लिए फंडामेंटल एनालिसिस को पहले समझना जरूरी है.
3. शॉर्ट टर्म प्राइस मूवमेंट के जरिए:
शॉर्ट टर्म प्राइस मूवमेंट से भी ट्रेडर्स अपने स्टॉक्स को खरीद और बेचकर बेनिफिट कमा सकते हैं क्योंकि शॉर्ट टर्म के लिए मार्केट काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव भरी होती है इसलिए यह प्राइस मूवमेंटस आपके लिए बहुत प्रॉफिटेबल साबित हो सकते हैं अगर आपको पता हो कि इनका फायदा कैसे उठाना है. इसके लिए टेक्निकल एनालिसिस बहुत ही कारगर साबित होती है.
डेब्ट मार्किट
किसी इंडिविजुअल के पर्सपेक्टिव से डेब्ट का साधारण मतलब लोन या उधार लेना है जैसे कि आप बैंक से पैसा उधार लेते हो कंपनी और सरकारें भी अपनी कैश रिक्वायरमेंट्स के लिए एक्सटर्नल फंडिंग पर निर्भर रहती हैं . लेकिन ये सिर्फ एक रास्ता नहीं है जिसमें कॉरपोरेट या गवर्नमेंट फंडिंग को एक्सेस करती हैं. वो इसे डेब्ट मार्केट के जरिए भी कर सकते हैं.
डेब्ट मार्केट में डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स होते हैं जैसे कि कॉरपोरेट बॉन्ड्स, डिबेंचर्स गवर्नमेंट सिक्योरिटीज. इन इंस्ट्रूमेंट्स को पब्लिक को इशू किया जाता है और जब इन्वेस्टर्स इन डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स को लेते हैं तो आया हुआ पैसा कॉरपोरेट एंटिटीज या सरकार को जिसने उस बॉन्ड या सिक्योरिटी को इशू किया है चला जाता है इस प्रकार इन्वेस्टर इन्वेस्ट किए हुए पैसे को इशू करने वाले को उधार देता है इसके बदले कंपनी या सरकार इन्वेस्टर को एक फिक्स्ड रेट पर वार्षिक या अर्द्धवार्षिक ब्याज भी देती है (जोकि इशू किये हुए इंस्ट्रूमेंट पर डिपेंड करता है) .
डेब्ट मार्केट में आप कैसे पार्टिसिपेट कर सकते हैं?
आप लेंडर बनकर डेब्ट मार्केट में पार्टिसिपेट कर सकते हैं सरकारों और कॉरपोरेट इंस्टीट्यूट जिन्हें फण्ड चाहिए उन्हें लोन दे सकते हैं आप डेब्ट के कांसेप्ट को ले सकते हैं और इसे पलट दीजिए जो आपके लिए प्रॉफिटेबल होगा डेब्ट मार्केट में पार्टिसिपेट करने के लिए आपके पास दो रास्ते हैं
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डायरेक्ट रूट:
डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स जैसे कि बॉन्ड्स, डिबेंचर्स, ट्रेजरी बिल्स और कमर्शियल पेपर्स इनमें इन्वेस्ट करके आप डेब्ट मार्केट में डायरेक्टली पार्टिसिपेट कर सकते हैं. Yआप डिफरेंट इंस्ट्रूमेंट के रिटर्ंस को कंपेयर कर सकते हैं और अपनी रिक्वायरमेंट और इन्वेस्टमेंट टेन्योर के हिसाब से बेस्ट फिट होने वाले को चूज़ कर सकते हैं
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म्यूच्यूअल फंड रूट:
कुछ ऐसे म्यूच्यूअल फंड होते हैं जो प्राइमेरिली वैरायटी ऑफ डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट करते हैं इन्हें डेब्ट फंड्स कहा जाता है अगर आप इस बारे में अनस्योर हैं कि कैसे डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स की रिसर्च की जाए या आप एक्सपर्ट्स पर रिलाई करना चाहते हैं तो डेब्ट फंड्स आपके लिए एक अच्छी चॉइस होगी क्योंकि यह प्रोफेशनल फंड मैनेजर्स द्वारा मैनेज की जाते हैं.
आने वाले चैप्टर में इस मॉड्यूल में हम इंडियन फाइनेंशियल मार्केट के कुछ पॉपुलर डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स के बारे में गहराई से जानेंगे.
डेब्ट मार्केट वर्सेस इक्विटी मार्केट
इससे पहले कि हम इस चैप्टर को क्लोज करें चलिए डेब्ट मार्केट और इक्विटी मार्केट के की डिफरेंसेस को एक नजर देख कर चेक कर लेते हैं .
Particulars |
Debt market |
Equity market |
Nature of funds |
Borrowed capital |
Owned capital |
Issued for |
Private and public companies, and governments |
Listed companies |
Risk |
Generally lower |
Generally higher |
Returns |
Generally fixed |
Generally volatile |
Types of returns |
Interest paid by the issuer |
Dividends, and profits from price movements |
Role of investor |
Creditor to the issuer |
Part owner of the company |
Goal of investor |
Capital preservation |
Capital appreciation |
रैपिंग अप
तो कुल मिलाकर यह पता चला कि डेट और इक्विटी मार्केट क्या होते हैं . अब हम इंस्ट्रूमेंट को समझने के लिए डेब्ट मार्केट के और अंदर जाएंगे गवर्नमेंट सिक्योरिटीज के बारे में सीखने के लिए अगले चैप्टर की तरफ चलें
क्विक रिकैप
- स्टॉक मार्केट और इक्विटी मार्केट लिस्टेड कंपनीज के इक्विटी स्टॉक्स को ट्रेड करने वाली मार्केट है.
- जब कंपनियों को अपने बिजनेस के लिए कैपिटल रेस करनी होती है तो इनिशियल पब्लिक आफरिंग आईपीओ बहुत सारे रास्तों में से एक रास्ता है जिसे वह चुन सकते हैं.
- स्टॉक मार्केट में आप इन्वेस्टर या एक ट्रेडर की तरह पार्टिसिपेट कर सकते हैं
- अगर आप इन्वेस्टर हैं तो आप लंबे समय के लिए लिस्टेड कंपनी के स्टॉक्स में इन्वेस्ट करते हैं और कंपनी के शेयर की लोंग टर्म ग्रोथ की वैल्यू का फायदा उठाते हैं
- अगर आप ट्रेडर है तो आपका प्राइमरी गोल मार्केट में स्टॉक्स के प्राइजेस के शार्ट टर्म मूवमेंट्स का फायदा उठाना होता है
- स्टॉक मार्केट में आप इंट्राडे बीटीएसटी और डिलीवरी ट्रेड्स को एग्जीक्यूट कर सकते हैं
- स्टॉक मार्केट से होने वाली कमाई डिविडेंड्स या प्राइस मूवमेंट से होने वाले प्रॉफिट के रूप में हो सकती है
- डेब्ट मार्केट डेब्ट इंस्ट्रूमेंट से मिलकर बनता है जैसे कि कॉरपोरेट बॉन्ड्स, डीबेंचर्स और गवर्नमेंट सिक्योरिटीज यह इंस्ट्रूमेंट्स पब्लिकली इशू किए जाते हैं
- और जब इन्वेस्टर इन डेब्ट इंस्ट्रूमेंट को सब्सक्राइब करता है तो इकट्ठा किया हुआ पैसा उस कॉरपोरेट एनटीटी या सरकार को जिसने बांड या सिक्योरिटी यीशु की है चला जाता है
- डेब्ट इंस्ट्रूमेंट्स में इन्वेस्ट करके आप डेब्ट मार्केट में डायरेक्टली पार्टिसिपेट कर सकते हैं या फिर आप डेब्ट म्यूचुअल फंड में इन्वेस्ट कर सकते हैं.
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