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कॉपर और एल्युमिनियम
3.6
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अब जब हम कुछ सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से व्यापार की जाने वाली वस्तुओं के बारे में जान चुके हैं तो समय है कि हम अन्य वस्तुओं के बारे में भी जानें। सर्राफा और ऊर्जा के अलावा, कमोडिटी बाज़ार कुछ अन्य ख़ास वस्तुओं में भी कारोबार करता है जो कि बेस मेटल्स से संबंधित हैं। बेस मेटल्स में कॉपर, एल्यूमीनियम, लेड, निकल और ज़िंक जैसी कमोडिटीज़ में ट्रेड किया जाता है।
इस अध्याय में, हम दो आधार धातुओं - कॉपर और एल्यूमीनियम के बारे में जानेंगे साथ ही उनसे संबंधित कॉन्ट्रैक्ट्स की बारीकियों पर ध्यान देंगे।
कॉपर: एन ओवरव्यू
तांबा यानी कॉपर एक अत्यंत मूल्यवान बेस मेटल यानी आधार धातु है। यह कई तरह से उपयोग में लाया जाता है, जिसमे से एक पावर ट्रांसमिशन भी है। यह वर्तमान में स्टील और एल्यूमीनियम के बाद सबसे अधिक मांग वाले बेस मेटल्स की सूची में तीसरे स्थान पर है। यह अपनी शानदार कंडक्टिविटी, शक्ति और ड्यूरेबिलिटी के लिए प्रसिद्ध है। कॉपर की मांग भी काफी अधिक है, जो इसे बाज़ार में सबसे अधिक लिक्विड कॉन्ट्रैक्ट्स में से एक बनाती है। वास्तव में, कॉपर कॉन्ट्रैक्ट की लिक्विडिटी की तुलना सोने, चांदी और कच्चे तेल से की जाती है।
कॉपर के महत्व को ध्यान में रखते हुए, इसे कमोडिटी बाज़ार के उत्पाद (यानी प्रोडक्ट) पोर्टफोलियो में शामिल किया गया है। व्यापारी, निर्माता, प्रोसेसर और अन्य लोग इसके शॉर्ट टर्म प्राइस मूवमेंट से अपने रिस्क कम और लाभ ज़्यादा कर सकते हैं।
कॉपर: कॉन्ट्रैक्ट स्पेसिफिकेशंस
कीमती धातुओं के विपरीत, तांबे में केवल एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट होता है। यहां कॉन्टैक्ट स्पेसिफिकेशंस को एक टेबल में दर्शाया गया है।
विवरण |
कॉन्ट्रैक्ट स्पेसिफिकेशन |
लॉट साइज़ |
2,500 किलोग्राम (2.5 MT) |
प्राइस क्वोट |
INR मूल्य प्रति किलोग्राम (कर, शुल्क और अन्य शुल्क शामिल हैं) (जीएसटी शामिल नहीं है) |
टिक साइज़ |
5 पैसे प्रति किलोग्राम |
कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी डेट |
कॉन्ट्रैक्ट समाप्ति माह का अंतिम दिन। यदि कॉन्ट्रैक्ट समाप्ति माह का अंतिम दिन अवकाश के दिन पड़ता है, तो पिछला कारोबारी दिन कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति तिथि होगी। |
कॉन्ट्रैक्ट अवेलेबिलिटी |
5 कॉन्ट्रैक्ट उदाहरण के लिए, यदि आप फरवरी 2021 के महीने में एमसीएक्स वेबसाइट पर उपलब्ध कॉन्ट्रैक्ट की सूची की जांच करते हैं, तो आपको निम्नलिखित 5 कॉन्ट्रैक्ट मिलने की संभावना है।
|
मैक्सिमम आर्डर साइज़ |
70,000 किलोग्राम (70 MT) |
डिलीवरी |
अनिवार्य |
आइए अब कॉन्ट्रैक्ट के मौजूदा ट्रेडिंग प्राइस पर एक नज़र डालते हैं। यहां एमसीएक्स वेबसाइट से एक स्नैपशॉट दिया गया है जो अन्य महत्वपूर्ण जानकारी के साथ कॉन्ट्रैक्ट की कीमत स्पष्ट रूप से बताता है।
तो, जैसा कि आप देख सकते हैं, कॉपर के फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट की वर्तमान में कीमत रु 642.30 है| ये इसकी प्रति किलोग्राम कीमत है। कॉन्ट्रैक्ट का न्यूनतम लॉट साइज़ 2500 किलोग्राम (2.5 मीट्रिक टन) है तो कॉन्ट्रैक्ट का कुल मूल्य रु 16,05,750 होगा। इस हिसाब से कॉपर का फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट खरीदने के लिए आपको जो मार्जिन देना होगा, वह लगभग रु 1,50,071 होगा।
हालांकि, कॉपर के फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट को खरीदने के लिए आपको अधिक मार्जिन देना पड़ सकता है, परंतु अगर इसका प्राइस मूवमेंट आपके पक्ष में होता है तो आपको मिलने वाला लाभ भी अधिक होगा। उदाहरण के लिए, यदि इसकी कीमत में 5 रुपये आपके पक्ष में आते हैं, तो आपको लगभग रु 12,500 (रुपये 5 x 2500) का लाभ होगा। इसलिए बेस मेटल्स में दिलचस्पी रखने वाले निवेशकों के लिए कॉपर एक बेहतरीन ट्रेडिंग का अवसर बनाता है।
एल्यूमिनियम: एन ओवरव्यू
नॉन फेरस धातुओं में, एल्यूमीनियम सबसे अधिक इस्तेमाल होता है। यह धातु चमकीले सफेद रंग का होता है| ये मुलायम, अत्यधिक नर्म और लचीला होता है। इन गुणों के कारण एल्यूमीनियम को किसी भी रूप या आकार में मोल्ड, स्टैम्प या फोर्ज किया जा सकता है। अन्य आधार धातुओं के विपरीत, पृथ्वी में एल्यूमीनियम प्रचुर मात्रा में पाया जाता है।
केवल इतना ही नहीं, बिना इसके गुणों को कोई नुकसान पहुंचाए, इस धातु को आसानी से रिसाइकिल भी किया जा सकता है। ये हैरानी की बात नहीं है कि एल्यूमीनियम सबसे अधिक खपत वाली धातुओं में से एक है, जो स्टील के बाद दूसरे स्थान पर है। वास्तव में, आप रोज़ाना इस्तेमाल होने वाले लगभग सभी उपकरणों या उत्पादों में एल्यूमीनियम पा सकते हैं। रसोई के नल से लेकर हवाई जहाज़ तक, यह चमकीला सफेद धातु बहुत सारी रोज़मर्रा की वस्तुओं और उत्पादों में एक प्रमुख कंपोनेंट के रूप में इस्तेमाल होता है।
एल्यूमीनियम: कॉन्ट्रैक्ट स्पेसिफिकेशंस
अब जब आप जानते हैं कि एल्यूमीनियम कितना महत्वपूर्ण है, तो आइए इसके कॉन्ट्रैक्ट स्पेसिफिकेशंस को जान लेते हैं। एल्यूमीनियम का भी केवल एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट है।
विवरण |
कॉन्ट्रैक्ट स्पेसिफिकेशन |
लॉट साइज़ |
5,000 किलोग्राम (5 MT) |
प्राइस क्वोट |
INR मूल्य प्रति किलोग्राम (कर, शुल्क और अन्य शुल्क शामिल हैं) (जीएसटी शामिल नहीं है) |
टिक साइज़ |
5 पैसे प्रति किलोग्राम |
कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी डेट |
कॉन्ट्रैक्ट समाप्ति माह का अंतिम दिन। यदि कॉन्ट्रैक्ट समाप्ति माह का अंतिम दिन अवकाश के दिन पड़ता है, तो पिछला कारोबारी दिन कॉन्ट्रैक्ट की समाप्ति तिथि होगी। |
कॉन्ट्रैक्ट अवेलेबिलिटी |
5 कॉन्ट्रैक्ट उदाहरण के लिए, यदि आप फरवरी 2021 के महीने में एमसीएक्स वेबसाइट पर उपलब्ध कॉन्ट्रैक्ट की सूची की जांच करते हैं, तो आपको निम्नलिखित 5 कॉन्ट्रैक्ट मिलने की संभावना है।
|
मैक्सिमम आर्डर साइज़ |
1,50,000 किलोग्राम (150 MT) |
डिलीवरी |
अनिवार्य |
एमसीएक्स वेबसाइट के एक स्नैपशॉट पर नज़र डालते हैं जो एल्युमिनियम फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट के मौजूदा ट्रेडिंग प्राइस की जानकारी देता है।
एल्युमीनियम प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होता है, इसलिए प्रति किलोग्राम धातु की कीमत अन्य बेस मेटल्स की तुलना में काफी कम होती है। इसी कारणवश एल्यूमीनियम स्पॉट मार्केट और डेरिवेटिव मार्केट, दोनों में एक व्यापारी के लिए सबसे किफायती कॉन्ट्रैक्ट्स में से एक है।
जैसा कि आप ऊपर दिए गए स्नैपशॉट में देख सकते हैं, एल्युमीनियम का फ्यूचर्स कॉन्ट्रैक्ट वर्तमान में रु 168.40 प्रति किलोग्राम पर कारोबार कर रहा है। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि कॉन्ट्रैक्ट का न्यूनतम लॉट साइज़ लगभग 5,000 किलोग्राम है, इस कॉन्ट्रैक्ट का मूल्य रु 8,42,000 (रु. 168.40 x 5,000) होगा। अब, आपको जो मार्जिन जमा करना होगा, वह लगभग रु.75,500 होगा।
लॉट साइज़ 5,000 किलोग्राम होने की वजह से, आपके पक्ष में जाने वाले प्रत्येक रुपये के लिए आप लाभ के रूप में 5,000 रुपए कमाएंगे। इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि आपने मार्जिन के रूप में केवल 75,500 रुपए जमा कराए हैं, आप आसानी से कह सकते हैं कि एल्युमिनियम में व्यापार करना बहुत आकर्षक और लाभकारी है।
रैपिंग अप यानी समापन
यह अध्याय बहुत ज्ञानवर्धक था, है ना? आगामी अध्याय में, हम दो अन्य गैर-ज्ञात आधार धातुओं - निकल और लेड के बारे में बात करेंगे। हमारे साथ बने रहें!
ए क्विक रीकैप
- सर्राफा और ऊर्जा के अलावा, कमोडिटी बाज़ार कुछ अन्य वस्तुओं में भी कारोबार करता है जो कि बेस मेटल्स से संबंधित हैं।
- बेस मेटल्स में कॉपर, एल्यूमीनियम, लेड, निकल और ज़िंक जैसी कमोडिटीज़ में ट्रेड किया जाता है।
- कॉपर एक अत्यंत मूल्यवान बेस मेटल यानी आधार धातु है, इसे कई तरह से उपयोग में लाया जाता है जिसमें से एक पावर ट्रांसमिशन भी है।
- यह वर्तमान में स्टील और एल्यूमीनियम के बाद सबसे अधिक मांग वाले बेस मेटल्स की सूची में तीसरे स्थान पर है।
- कीमती धातुओं के विपरीत, कॉपर और एल्यूमीनियम में केवल एक डेरिवेटिव कॉन्ट्रैक्ट होता है।
- कॉपर कॉन्ट्रैक्ट का लॉट साइज़ 2,500 किलोग्राम है, जबकि एल्यूमीनियम कॉन्ट्रैक्ट का लॉट साइज़ 5,000 किलोग्राम है।
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