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पुट ऑप्शन में पेऑफ की गणना कैसे करें

4.3

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पिछले अध्याय से, आपको पता चल गया होगा कि ऑप्शंस क्या हैं और कॉल ऑप्शन कैसे काम करता है। पर आप मुनाफ़ा कमाने के लिए कॉल ऑप्शन को कैसे काम मे लेंगे और आप उनमें ट्रेडिंग करने से मिलने वाले भुगतनों या रिटर्न की गणना कैसे करेंगे? यह ऐसे कुछ सवाल हैं जिनके बारे में हम इस अध्याय में बात करेंगे। लेकिन इससे पहले कि हम अध्याय के मुख्य भाग तक पहुंचे, हमें यह जानना होगा कि हम ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को कैसे पढें। 

एक ऑप्शनंस कॉन्ट्रैक्ट की मूल बातें 

एक ऑप्शनंस कॉन्ट्रैक्ट की मूल बातों को समझने के लिए, हम एक पेंट निर्माण कंपनी, एशियन पेंट्स लिमिटेड का कॉन्ट्रैक्ट देखेंगे। अगर आप अपने ट्रेडिंग पोर्टल में लॉग इन करते हैं और फिर उसमें एशियन पेंट्स के कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को ढूँढेंगे तो आपको ऐसा कुछ देखने को मिलेगा।


ASIANPAINT JUL 1600 CE

 

 

चलिए, इस कॉन्ट्रैक्ट को चार भाग में बाँट कर, इसका मतलब जानने और समझने की कोशिश करें।

  • ASIANPAINT: यह NSE पर लिस्टेड, एशियन पेंट्स लिमिटेड के लोगो यानी प्रतीक चिह्न को दर्शाता है।
  • JUL: यह ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के खत्म होने वाले महीने को दर्शाता है। जैसे इस मामले में, ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट जुलाई के महीने में खत्म हो रहा है। हम इस अध्याय के अगले सेगमेंट में एक्सपायरी के बारे में जानेंगे।
  • 1600: यह वैल्यू, ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के स्ट्राइक प्राइस को दर्शाती है। यह कॉन्ट्रैक्ट में 'पूर्व निर्धारित' मूल्य है और यह वह प्राइस है जिस पर आप कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायरी की तारीख पर शेयर या इंडेक्स को खरीदने या बेचने के लिए सहमत होते हैं।
  • CE: ’CE’ यह दिखाता है कि कॉन्ट्रैक्ट एक कॉल ऑप्शन है।

कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी

साधारण शेयरों के विपरीत, ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट की एक एक्स्पायरी डेट होती है। वैसे तो आमतौर पर ऑप्शनंस कॉन्ट्रैक्ट, हर महीने के आखिरी गुरुवार को एक्सपायर होते हैं। और अगर महीने के आखिरी गुरुवार को छुट्टी है, तो कॉन्ट्रैक्ट एक दिन पहले वाले ट्रेडिंग-डे पर एक्सपायर हो जाएगा। 

उदाहरण के लिए, जुलाई, 2020 में एक्सपायर होने वाले एक कॉन्ट्रैक्ट को देखते है। कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी की क्या तारीख होगी ? जी हाँ , यह 30 जुलाई, 2020 को एक्सपायर होगा, जो महीने का आखिरी गुरुवार है।

किसी भी समय, शेयर या इंडेक्स के ऑप्शनंस कॉन्ट्रैक्ट स्टॉक एक्सचेंज पर तीन अलग-अलग एक्सपायरी के साथ लिस्टेड होते हैं। उदाहरण के लिए, अगर आप जुलाई के महीने में अपने ट्रेडिंग पोर्टल पर एशियन पेंट्स लिमिटेड के ऑप्शनंस कॉन्ट्रैक्ट खोजेंगे, तो आपको निम्नलिखित एंट्रीज़ मिलेंगी।

  • ASIANPAINT JUL 1600 CE
  • ASIANPAINT AUG 1600 CE
  • ASIANPAINT SEP 1600 CE

पहला कॉन्ट्रैक्ट जुलाई में एक्सपायर होता है, जिसे 'नियर मंथ’ यानी करीबी महीने के रूप में भी जाना जाता है। दूसरा कॉन्ट्रैक्ट अगस्त में एक्सपायर होता है, जिसे अगले महीने या नेक्सट मंथ कहा जाता है। तीसरा और आखिरी कॉन्ट्रैक्ट सितंबर में एक्सपायर होता है, जिसे फार मंथ यानी दूरस्थ महीने के तौर पर जाना जाता है।

एक और दिलचस्प बात यह है कि नियर मंथ, नेक्स्ट मंथ और फार मंथ हर एक्स्पायरी के साथ बदलता रहता है। जब जुलाई कॉन्ट्रैक्ट एक्सपायर हो जाता है, तो फिर अगस्त नियर मंथ जाता है। और ऐसे ही सितंबर और अक्टूबर, क्रमशः नेक्स मंथ और फार मंथ हो जाते हैं। और अगर ऐसा होता है तो अगस्त में आपको यह कॉन्ट्रैक्ट लिस्टेड मिलेगा:

  • ASIANPAINT AUG 1600 CE
  • ASIANPAINT SEP 1600 CE
  • ASIANPAINT OCT 1600 CE

कॉल ऑप्शन पर भुगतान की गणना

अब जब आप ऑप्शनंस कॉन्ट्रैक्ट्स को मौलिक रूप से समझ गए हैं, तो अब हम यह गहराई से समझेंगे कि काल ऑप्शन से जुड़े भुगतान की गणना कैसे करें और स्टॉक एक्सचेंज पर सिर्फ ऑप्शन ट्रेडिंग करके आप कितना कमा सकते हैं। 

क्योंकि हम अभी तक एशियन पेंट्स लिमिटेड के उदाहरण ले रहे थे, इसलिए हम इसी कंपनी के काल्पनिक कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट का इस्तेमाल कर कॉल ऑप्शन पेआउट यानी भुगतान की गणना करने का तरीका जानेंगे। तो चलिए, सबसे पहले तो प्राथमिक जानकारी पर नज़र डालते हैं:

  • मान लीजिए कि अभी एशियन पेंट्स लिमिटेड कैश बाजार में ₹1600 पर कारोबार कर रहा है।
  • हमारे पास एक ऑप्शनंस खरीदार रंजीत है, जो उम्मीद करता है कि एशियन पेंट्स की शेयर वैल्यू, एक्स्पायरी की तारीख तक बढ़ जाएगी, जो इस मामले में 30 जुलाई, 2020 है।
  • इसलिए, रंजीत भविष्य में कम वैल्यू पर शेयर खरीदने का ऑप्शन रखना चाहता है।
  • हमारे पास एक ऑप्शन विक्रेता, लतिका भी है, जो उम्मीद करती है कि शेयर की कीमत एक्स्पायरी डेट तक गिर जाएगी।
  • इसलिए, लतिका भविष्य में ज्यादा वैल्यू पर एशियन पेंट्स के शेयर बेचना चाहती है।
  • इसलिए, यह दोनों 1 जुलाई, 2020 को ASIANPAINT JUL 1600 CE कॉन्ट्रैक्ट करते हैं।
  • यहां, कॉल ऑप्शन का खरीदार रंजीत है और कॉल ऑप्शन की विक्रेता लतिका है।
  • कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट के हिसाब से, लतिका 30 जुलाई, 2020 को, रंजीत को एशियन पेंट्स लिमिटेड के 10 शेयर ₹1600 प्रति शेयर पर खरीदने का अधिकार देती है।
  • रंजीत को शेयर खरीदने के अधिकार देने के बदले में, लतिका रंजीत से ₹20 प्रति शेयर का प्रीमियम लेती है। इस तरह लतिका के पास कुल प्रीमियम ₹200 आएगा (₹20 x 10= ₹200 )।

अब जब हमने कॉन्ट्रैक्ट की सारी बारीकियों को समझ लिया है तो चलिए हम चार अलग-अलग परिस्थितियों और इनके काल ऑप्शन पेआउट की गणना पर एक नज़र डालते है।

परिस्थिति 1: एक्स्पायरी डेट पर, एशियन पेंट्स लिमिटेड का शेयर ₹2000 प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है।

रंजीत का नज़रिया

  • क्योंकि जैसा कि रंजीत ने सोचा था, शेयर्स की कीमतें बढ़ गई हैं, इसलिए वह अपने कॉल ऑप्शन को उपयोग करने का विकल्प चुनता है।
  • दूसरे शब्दों में, वह एशियन पेंट्स के 10 शेयर्स को ₹1600 प्रति शेयर पर खरीदने के अधिकार का उपयोग करता है, जिनकी मौजूदा मार्केट प्राइस ₹2000 प्रति शेयर है।
  • इसलिए, इस पूरे कॉल ऑप्शन के व्यापार से, रंजीत ₹4000 का एक अनुमानित मुनाफ़ा कमाता है। [ (₹2,000 - ₹1,600) x 10 शेयर]।
  • अगर रंजीत लतिका से शेयर्स की डिलिवरी लेने के बाद उन्हें कैश मार्केट में बेच देता है तो उसे ₹3800 (4,000- 200) का नेट मुनाफ़ा होगा। यहां ₹200, कॉन्ट्रैक्ट खरीदने के लिए रंजीत द्वारा लतीका को दिया गया प्रीमियम है।

लतिका का नज़रिया

  • क्योंकि रंजीत अपने अधिकार को इस्तेमाल कर रहा है , इसलिए लतिका उसे एशियन पेंट्स के 10 शेयर्स को ₹1600 प्रति शेयर पर बेचने के लिए बाध्य है, जबकि इन शेयर्स की मौजूदा कीमत ₹2000 प्रति शेयर है।
  • इसलिए, इस पूरे कॉल ऑप्शन ट्रेड से, लतिका ने ₹4000 का एक अनुमानित नुकसान उठाया। [ (₹2,000- ₹1,600) x 10 शेयर]।
  • लतिका को, यह शेयर्स रंजीत को बेचने पर ₹3800 (₹4,000 - ₹200) का नेट घाटा हुआ, क्योंकि उसे शेयर्स ₹2000 के मौजूदा बाज़ार मूल्य की जगह ₹1600 प्रति शेयर पर बेचने पड़े। यहाँ ₹200 वह प्रीमियम है जो उसे रंजीत को कॉल ऑप्शन बेचने पर मिले थे।

 चलिए, इस कॉल ऑप्शन ट्रेड से रंजीत और लतिका के कैश फ्लो का चार्ट बनाते हैं

विवरण 

रंजीत का कैश फ्लो 

 

विवरण

लतिका का कैश फ्लो

01 जुलाई, 2020 को भुगतान किया गया प्रीमियम (ए)

₹200 

 

01 जुलाई, 2020 को प्राप्त किया गया प्रीमियम(ए)

₹200 

कॉल ऑप्शन ट्रेड से मुनाफा (बी)

₹4000 

 

कॉल ऑप्शन ट्रेड से घाटा (बी)

₹4000 

नेट मुनाफ़ा (ए+बी)

₹3800 

 

नेट घाटा (ए+बी)

₹3800 

 

परिस्थिति 2: एक्स्पायरी डेट पर, एशियन पेंट्स लिमिटेड का शेयर ₹1000 प्रति शेयर पर ट्रेड कर रहा है।

रंजीत का नज़रिया

  • क्योंकि शेयर की कीमत रंजीत की उम्मीद से उलट, कम हो गई है, इसलिए रंजीत अपने कॉल ऑप्शन को काम मे नहीं ले रहा है।
  • दूसरे शब्दों में, रंजीत ने लतिका से एशियन पेंट्स के 10 शेयरों को ₹1600 प्रति शेयर पर खरीदने के अपने अधिकार का उपयोग नहीं किया। क्योंकि वह यह शेयर इक्विटी मार्केट से सीधे ही, ₹1000 प्रति शेयर की मौजूदा कीमत पर खरीद सकता है।
  • इसलिए, इस पूरे कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट से, रंजीत का कुल नुकसान केवल उस प्रीमियम का ही हुआ है, जो उसने लतिका के साथ कॉन्ट्रैक्ट करते समय चुकाया था और वह ₹200 है।

लतिका का नज़रिया

  • चूँकि रंजीत ने अपने अधिकार का प्रयोग नहीं करने का ऑप्शन चुना है, इसलिए लतिका उसे ₹1600 में एशियन पेंट्स लिमिटेड के शेयर खरीदने के लिए मजबूर नहीं कर सकती।
  • इसलिए, एक्स्पायरी डेट पर, कोई व्यापार नहीं होता है।
  • हालांकि, लतिका ने रंजीत से अपने साथ कॉन्ट्रैक्ट करते समय ₹200 का प्रीमियम लिया था और यही प्रीमियम, कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट से उसका मुनाफ़ा है। 

चलिए, इस कॉल ऑप्शन ट्रेड से रंजीत और लतिका के कैश फ्लो का चार्ट बनाए।

विवरण

रंजीत का कैश फ्लो

 

विवरण

लतिका का कैश फ्लो

01 जुलाई, 2020 को भुगतान किया गया प्रीमियम (ए)

₹200 

 

01 जुलाई, 2020 को प्राप्त किया गया प्रीमियम (ए)

₹200 

एक्सपायरी डेट पर (बी)

₹0 

 

एक्सपायरी डेट पर (बी)

₹0 

नेट घाटा (ए + बी)

₹200 

 

नेट मुनाफ़ा (ए + बी)

₹200 

परिस्थिति 3: एक्स्पायरी डेट से पहले ही, मान लीजिए 20 जुलाई, 2020 को, एशियन पेंट्स के शेयर ₹1900 प्रति शेयर पर कारोबार कर रहे हैं।

रंजीत का नज़रिया

  • इस स्थिति में, रंजीत सोचता है कि जैसी उसने उम्मीद की थी, शेयर की कीमत का रुझान बढ़ता ही जा रहा है।
  • लेकिन वह मुनाफ़ा कमाने के लिए एक्स्पायरी तक इंतजार नहीं करना चाहता है। वह इस अपट्रेंड से हाथों-हाथ मुनाफ़ा कमाना चाहता है।
  • इसलिए वह अपना कॉल ऑप्शन का कॉन्ट्रैक्ट, स्टॉक एक्सचेंज के ज़रिये कृष्णा नाम के एक दूसरे व्यापारी को बेच देता है। अपने कॉन्ट्रैक्ट को चुक्ता करने की इस प्रकिया को पोज़िशन को स्क्वेयर ऑफ करना कहते हैं। 
  • अब, यहाँ रंजीत कॉल ऑप्शन विक्रेता बन जाता है और कृष्णा कॉल ऑप्शन खरीदार होता है।
  • इसके अनुसार कृष्णा, रंजीत को प्रीमियम का भुगतान करता है। और चूंकि प्राइस मूवमेंट रंजीत के पक्ष में हैं, इसलिए कृष्णा को उसे ₹350 का उच्च प्रीमियम देना पड़ता है ₹350 (₹35 प्रति शेयर x 10 शेयर)।
  • इस ट्रेड के होने के बाद, रंजीत को ₹150 का मुनाफ़ा होता है ( ₹350 जो उसे कृष्णा से मिले थे – ₹200 जो उसने लतिका को दिये थे )

चलिए, इस कॉल ऑप्शन ट्रेड के लिए रंजीत के कैश फ़्लो का चार्ट बनाए।

विवरण

रंजीत का कैश फ्लो

01 जुलाई, 2020 को लतिका को भुगतान किया गया प्रीमियम (ए)

₹200 

20 जुलाई, 2020 को कृष्णा से प्राप्त प्रीमियम (बी)

₹350 

नेट मुनाफ़ा (ए + बी)

₹150 

परिस्थिति 4: एक्स्पायरी डेट से पहले ही, मान लीजिए 20 जुलाई, 2020 को, एशियन पेंट्स का शेयर ₹1000 प्रति शेयर पर कारोबार कर रहा है।

 रंजीत का नज़रिया

  • इस स्थिति में, रंजीत सोचता है कि जैसी उसने उम्मीद की थी, उसके बिलकुल विपरीत, शेयर की कीमतें नीचे गिर रही हैं।
  • वह इस बात से डरा हुआ है कि एक्स्पायरी आते-आते शेयरों की कीमत और गिर सकती है। रंजीत अपने कॉन्ट्रैक्ट को तुरंत बेचना चाहता है, ताकि उसका कम से कम नुकसान हो।
  • और इसलिए, वह कृष्णा को अपना कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट बेचता है और अपनी पोज़िशन स्केवयर ऑफ कर लेता है।
  • पिछली परिस्थिति की तरह, रंजीत कॉल ऑप्शन विक्रेता बन जाता है और कृष्णा कॉल ऑप्शन खरीदार।
  • इसके अनुसार, कृष्णा रंजीत को प्रीमियम का भुगतान करता है।
  • पर क्योंकि प्राइस मूवमेंट रंजीत के पक्ष में नहीं हैं, इसलिए वह बहुत ज्यादा प्रीमियम नहीं मांग सकता है। वह कृष्णा को अपने कॉल ऑप्शन कॉन्ट्रैक्ट को सिर्फ ₹50 में बेच देता है। (₹5 प्रति शेयर x 10 शेयर)।
  • एक बार जब यह कॉल ऑप्शन ट्रेड हो जाता है, तो रंजीत को ₹150 का घाटा होता है। (₹ 200 जो उसने लतिका को दिए थे - ₹50 जो उसे कृष्णा से मिले)।
  • अगर वह एक्स्पायरी खत्म होने तक इंतजार करता तो उसे ₹200 का घाटा होता, जो अभी हुए नुकसान से ज्यादा है।

चलिए, इस कॉल ऑप्शन ट्रेड से रंजीत को हुए कैश फ्लो का चार्ट बनाते हैं।

विवरण

रंजीत का कैश फ्लो

01 जुलाई, 2020 को लतिका को भुगतान किया गया प्रीमियम (ए)

₹200 

20 जुलाई, 2020 को कृष्णा से प्राप्त प्रीमियम (बी)

₹50 

शुद्ध घाटा (ए +बी)

₹150 

निष्कर्ष

तो यह कॉल ऑप्शंस से जुड़े भुगतान की गणना की जानकारी थी। चलिए एक मज़ेदार बात बताते हैं। आमतौर पर वह ट्रेडर्स जो ऑप्शंस मार्केट में सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, वह कॉल ऑप्शन पेआउट को प्राप्त करने के लिए एक्सपायरी डेट तक नहीं रुकते है। वह ऑप्शंस-ट्रेड में शॉर्ट-टर्म मुनाफ़ा कमाने के लिए अपनी पोजीशन को जल्दी ही स्केवयर ऑफ कर लेते हैं। अगले अध्याय में हम देखेंगे कि जब आप पुट ऑप्शनंस में ट्रेड करते हैं तो क्या होता है। 

अब तक आपने पढ़ा

  • साधारण शेयरों के विपरीत, ऑप्शनंस कॉन्ट्रैक्ट की एक्सपायरी डेट होती है। आमतौर पर ऑप्शनंस कॉन्ट्रैक्ट हर महीने के आखिरी गुरुवार को एक्सपायर होते हैं।
  • अगर महीने के अंतिम गुरुवार पर छुट्टी है, तो कॉन्ट्रैक्ट पिछले कारोबारी दिन एक्सपायर हो जाएगा।
  • किसी भी समय, स्टॉक एक्सचेंज पर किसी स्टॉक या इंडेक्स के ऑप्शनंस कॉन्ट्रैक्ट के तीन अलग-अलग एक्सपायरी लिस्टेड होती है: नियर मंथ, नेक्स्ट मंथ और फार मंथ। 
  • जब आप कॉल ऑप्शन खरीदते हैं, तो आप या तो इसे एक्सपायर होने तक होल्ड कर सकते हैं या अपनी पोज़िशन स्केवेयर ऑफ कर सकते हैं।
  • एक्सपायरी पर, आपका अधिकतम संभव घाटा प्रीमियम तक सीमित है। लेकिन अधिकतम संभव मुनाफ़ा असीमित होता है।
  • जब आप कॉल ऑप्शन बेचते हैं, तो आपका अधिकतम संभव मुनाफ़ा प्रीमियम तक सीमित होता है। लेकिन अधिकतम संभव घाटा असीमित होता है।
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