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पोर्टफोलियो निर्माण: सही पोर्टफोलियो बनाने और उसमें विविधता लाने के लिए निवेश विकल्पों का लाभ कैसे उठाएँ

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26 वर्षीय आशिमा अपने सपनों की उड़ान के लिए तैयार है। विदेश में यह उसकी पहली अकेली यात्रा है। उसने अपनी फ्लाइट की टिकट बुक की, आवास के लिए भुगतान किया और फिर उसने उन सभी स्थानों का एक कार्यक्रम बनाया जिसे वह देखना चाहती है। इस सूची में अब बस उसकी पैंकिग बाकी रह गई है।  

उसके सामने दो सूटकेस हैं, वह जल्दी से अपनी अलमारी से कुछ कपड़े, कुछ पैंट, कुछ शर्ट और टॉप और यहां तक कि टोपी की एक जोड़ी भी रख लेती है। समुद्र तट के लिए उसने सनग्लास भी रखे हैं। इसके अलावा कुछ ज़रूरी चीजें भी उसने इसमें रख ली हैं।

इसी तरह आप भी कई अलग-अलग निवेश विकल्पों को मिलाकर एक आदर्श निवेश पोर्टफोलियो बना सकते हैं। और अब जब आप लगभग सभी प्रमुख प्रकार के निवेश विकल्पों से सही तरीके से परिचित हो चुके हैं तो यह जानने का समय है कि आप खुद अपना निवेश पोर्टफोलियो कैसे बना सकते हैं। 

आइए विभिन्न निवेश विकल्पों द्वारा दिए गए रिटर्न पर एक नज़र डालकर  शुरुआत करते हैं।

रिटर्न की तुलना

1 अप्रैल 2010 को आपने अलग-अलग निवेश विकल्पों में ₹100- ₹100 निवेश किए थे। अब नीचे दिए गए टेबल में हम देखेंगे कि 1 अप्रैल 2019 को आपके निवेश में कितना बदलाव आया है। 

आपको और आसान तरीके से समझाने के लिए हमने निवेश विकल्पों को जोखिम को बढ़ते क्रम में दिखाया है, जिसमें ऊपर की तरफ कम जोखिम भरा विकल्प और नीचे अधिक जोखिम भरा विकल्प है।

निवेश विकल्प 

1 अप्रैल, 2010 पर

1 अप्रैल, 2019 पर

10 साल के सरकारी बांड

₹100 

₹ 196.68 

फिक्स्ड डिपाजिट  

₹100 

₹199.30 

सोना 

₹100 

₹175.36 

निफ्टी 50 इंडेक्स (इक्विटी) का प्रदर्शन

₹100

₹220.74 

कच्चा तेल (कमोडिटी)

₹100 

₹83.54 

अमेरिकी डॉलर (मुद्रा)

₹100 

₹168.46 

इस तुलना-तालिका को देखेंगे तो आपको पता चलेगा कि कच्चे तेल के अलावा अन्य सभी निवेश विकल्पों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। जैसा कि हमने पिछले अध्यायों में सीखा है, इक्विटी ने बाकी सभी विकल्पों के मुकाबले अच्छा रिटर्न दिया है, वो भी एक बड़े मार्जिन से। 

सही पोर्टफोलियो का निर्माण

आपने देखा कि अलग-अलग निवेशों का रिटर्न एक ही अवधि में कितना अलग हो सकता होता है। इस जानकारी के साथ. आइए, देखें कि आप अपना आदर्श निवेश पोर्टफोलियो बनाने के लिए कई निवेश विकल्पों का लाभ कैसे उठा सकते हैं। लेकिन इससे पहले एक अहम सवाल है कि एक आदर्श पोर्टफोलियो क्या है? आम शब्दों में, एक आदर्श पोर्टफोलियो वह होता है जो आपके द्वारा निर्धारित समय में आपका मनचाहा रिटर्न दे।

अपने पोर्टफोलियो को बनाने के लिए सिर्फ निवेश विकल्पों के रिटर्न पर ही ध्यान लगाना काफी नहीं है, बल्कि रिस्क, लिक्विडिटी और अस्थिरता जैसे अन्य कारकों पर भी समान रूप से विचार करें।

रिस्क के आधार पर पोर्टफोलियो का निर्माण और विविधीकरण

एक निवेशक के रूप में आपके रिस्क झेलने की क्षमता के स्तरों के आधार पर आपको तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है:

  • कंज़रवेटिव निवेशक (कम रिस्क झेलने की क्षमता)
  • मॉडरेट निवेशक (मध्यम  रिस्क झेलने की क्षमता)
  • अग्रेसिव निवेशक (ज्यादा  रिस्क झेलने की क्षमता)

चलिए, देखते हैं कि आप अपने रिस्क झेलने की क्षमता के स्तर के अनुसार किसी पोर्टफोलियो का निर्माण और विविधिकरण कैसे कर सकते हैं।     

कंज़रवेटिव निवेशक

अगर आप एक ऐसे निवेशक हैं जो जोखिम नहीं लेना चाहते और सुरक्षित खेलना पसंद करते हैं तो आप ‘कंज़रवेटिव निवेशक' की  श्रेणी में आते हैं। इस मामले में आप अपनी पूँजी का अधिक से अधिक हिस्सा सुरक्षित सिक्योरिटीज जैसे कि सरकारी सिक्योरिटीज़ और फिक्सड डिपोजिट में निवेश कर सकते हैं और एक छोटा हिस्सा इक्विटी और रियल एस्टेट में लगा सकते हैं। इस तरह आप ना सिर्फ अपने पोर्टफोलियो में विविधता लाने के अपने लक्ष्य को प्राप्त करते हैं बल्कि अपने रिस्क लेवल के अंदर ही निवेश करेंगे। 

 

मॉडरेट निवेशक

अगर आपको कुछ छोटे रिस्क लेने में कोई आपत्ति नहीं है लेकिन फिर भी अपनी पूँजी को सुरक्षित रखने पर भी ध्यान केंद्रित करना पसंद करते हैं, तो आप एक ‘मॉडरेट निवेशक' माने जाते हैं। आप कम और मिडियम रिस्क वाले निवेश विकल्पों के बीच अपनी निवेश पूँजी को समान रूप से बाँट कर एक विविध पोर्टफोलियो बना सकते हैं। 

उदाहरण के तौर पर,मानिए कि आपकी पूँजी ₹1,00,000 है। तो एक मॉडरेट निवेशक के रूप में  आप शायद सोने में ₹25,000, पीपीएफ में ₹25,000, इक्विटी ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड्स और कॉर्पोरेट डेट सिक्योरिटीज में ₹25,000- ₹25,000 का निवेश कर सकते हैं। यह एक सही पोर्टफोलियो बनाने के कई तरीकों में से एक है हैं। आपकी पूँजी और निवेश विकल्पों को देखते हुए आपके पास कई कॉम्बीनेशनंस मौजूद हैं।

अग्रेसिव निवेशक

जैसा कि हमने पहले पाठ में देखा था अगर आप रिस्क झेलने की ज़्यादा क्षमता रखते हैं तो आप एक ‘अगेसिव/ आक्रामक निवेशक’ हैं। अग्रेसिव निवेशक आमतौर पर रिस्क वाले विकल्पों जैसे डेरिवेटिव्स और विदेशी मुद्राओं में निवेश करने से नहीं कतराते।  ऐसे निवेशक अपनी पूँजी का एक बड़ा भाग ज्यादा रिस्क और ज्यादा रिटर्न वाले विकल्प में और  छोटा भाग सुरक्षित और ज्यादा स्थिर विकल्प में निवेश कर सकते हैं। 

मानिए कि आपके मित्र, श्याम जो एक ‘ अग्रेसिव निवेशक' हैं उनकी निवेश पूँजी भी ₹1,00,000 है। उनकी रिस्क प्रोफाइल को देखते हुए वे निवेश का अधिक से अधिक भाग, जैसे ₹75,000 को इक्विटी, कमोडिटी या डेरिवेटिव जैसे रिस्क वाले विकल्पों में कर सकते हैं। जबकि बचा हुए ₹25,000 को वे सोने और एनपीएस योजनाओं पर निवेश कर सकते हैं। 

यह केवल एक उदाहरण है, निश्चित रूप से दी गई पूँजी को निवेश करने का यह एकमात्र तरीका नहीं है।

निवेश सीमा के आधार पर पोर्टफोलियो का निर्माण और विविधीकरण

हमारे अध्याय के इस खंड में हम निवेश सीमा के आधार पर पोर्टफोलियो का निर्माण और उसके विविधीकरण पर ध्यान देंगे।   

छोटी अवधि के लिए निवेश 

अगर आप छोटी अवधि के लक्ष्यों वाले कंज़रवेटिव निवेशक हैं, तो आप छोटी अवधि और कम जोखिम वाले इंस्ट्रूमेंट्स जैसे सोना, फिक्स्ड डिपोजिट और ट्रेजरी बिल पर अधिक ध्यान देकर पोर्टफोलियो बना सकते हैं। इसके अलावा आप अपनी पूँजी के एक छोटे हिस्से को इक्विटी बाजार या कॉर्पोरेट डेट मार्केट में निवेश कर सकते हैं ताकि आपके पोर्टफोलियो को संतुलित और विविध बनाया जा सके।

इसके विपरीत अगर आप एक अग्रेसिव निवेशक हैं  तो आपके पोर्टफोलियो में ईएलएसएस और डायरेक्ट इक्विटी जैसे छोटी अवधि और कम रिस्क वाले साधन बेहतर विकल्प हो सकते हैं। वहीं  विविधता लाने के लिए आप लंबी अवधि के दृष्टिकोण के साथ सरकारी बॉन्ड और पीपीएफ निवेश के कॉम्बिनेश में भी निवेश कर सकते हैं।

लंबी अवधि की निवेश सीमा

इसी तरह से लंबी अवधि के निवेश सीमा वाले एक कंज़रवेटिव निवेशक के लिए लंबी अवधि और कम रिस्क वाले निवेश विकल्प जैसे  10 साल के सरकारी बॉन्ड, पीपीएफ, एनएससी और एनपीएस में निवेश कर पोर्टफोलियो बनाना एक अच्छा आइडिया है। विविधीकरण के लिए  पूँजी के एक हिस्से को ईएलएसएस जैसे छोटी अवधि वाले इंस्ट्रूमेंट्स में भी निवेश कर सकते हैं।

ठीक इसी तरह एक अग्रेसिव निवेशक के लिए ऐसा एक पोर्टफोलियो बेहतर होगा जिसमें उनकी पूँजी का एक बड़ा हिस्सा लंबी अवधि और ज़्यादा रिस्क वाले इंस्ट्रूमेंट्स जैसे कॉर्पोरेट डेटऔर इक्विटी-ओरिएंटेड म्यूचुअल फंड में लगा हो और एक छोटा हिस्सा छोटी अवधि और कम रिस्क वाले विकल्प जैसे सोना और फिक्स्ड डिपोजिट में निवेश किया गया हो।

निष्कर्ष

हम आशा करते हैं कि इस अध्याय से आप विविधीकरण के लिए कई निवेश विकल्पों का लाभ  उठाना समझ गए होंगे। पर्सनल फाइनेंस से संबंधित मॉड्यूल में आप अपने आदर्श निवेश पोर्टफोलियो के निर्माण और प्रबंधन में बेहतर होना सीख सकेंगे। 

आगे आने अध्यायों में आप पोर्टफोलियो मैनेजमेंट और निवेशकों की कुछ सामान्य गलतियों के बारे में जानेंगे, तो पढ़ते रहिएगा।

अब तक आपने पढ़ा 

  • आप भी कई अलग-अलग निवेश विकल्पों से चुनकर एक आदर्श निवेश पोर्टफोलियो बना सकते हैं।
  • एक पोर्टफोलियो का निर्माण करते समय निवेश विकल्पों के रिटर्न के अलावा रिस्क, लिक्विडिटी और अस्थिरता जैसे अन्य कारकों पर भी समान रूप से विचार करना चाहिए।
  • एक निवेशक के रूप में आपके रिस्क झेलने की क्षमता के स्तर के आधार पर आपको तीन श्रेणियों में वर्गीकृत किया जा सकता है: कंज़रवेटिव निवेशक (कम रिस्क झेलने की क्षमता), मॉडरेट निवेशक (मध्यम रिस्क झेलने की क्षमता), या अग्रेसिव निवेशक (ज़्यादा रिस्क झेलने की क्षमता)
  • पोर्टफोलियो का निर्माण करते समय आपके निवेश सीमा पर भी ध्यान देना चाहिए।
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