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टैक्स की बचत
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भारत में निवेश करने के लिए सर्वश्रेष्ठ टैक्स सेविंग विकल्प
4.2
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ईशा एक टेकी (ऐसा व्यक्ति जो टेक्नोलॉजी में माहिर हो) हैं। उसने अभी हाल ही में अपनी पढ़ाई पूरी की है, और उसे एक इंटरनेशनल कंपनी में नौकरी भी मिल गयी है। उसका मासिक वेतन ₹45,000 प्रति माह है।
एक महीने तक पूरी लगन और ईमानदारी से काम करने के बाद, ईशा ने अपने दोस्तों और परिवार के साथ अपना पहला वेतन पाने की खुशी में पार्टी करने का प्लान किया। आज उसके पहले महीने का आखिरी दिन है और उसे यह खबर मिलती है कि उसकी सैलरी उसके अकाउंट मे क्रेडिट हो चुकी है। पर सैलरी देखकर ईशा खुश होने से ज्यादा दुखी हो जाती है।
अब परेशानी यह है कि उसको सैलरी के ₹45,000 मिलने चाहिए थे, पर उसके अकाउंट में तो ₹40,500 ही क्रेडिट हुए थे।
अब सवाल यह उठता है कि वह ₹4500 कहाँ गए ?
वह उदास मन से अपने एचआर को कॉल करती है और अपनी आय में हुई इस कटौती के बारे में सवाल करती है। एचआर उसे बताता है कि उन्होंने ईशा की सैलरी से टैक्स काट लिया है। ईशा को इस कटौती के बारे में सुनकर बहुत बुरा लगता है, लेकिन उसे यह भी महसूस होता है कि उसे कराधान या टैक्सेशन के बारे में खुद को शिक्षित करने की जरूरत है।
क्या आप भी इसी स्थिति से गुजर रहे हैं ? क्या आपकी भी सैलरी आने वाली है, या आपकी सैलरी तो आ गयी है पर आप यह नहीं जानते कि यह पैसे क्यों काटे जा रहे हैं। हाँ, आप यह तो जानते है कि इन्कम टैक्स को आपकी सैलरी में से काटा गया है लेकिन इसकी गणना कैसे की गई है और इसे बचाने के लिए आप क्या कर सकते है या इसे वापिस पाने के लिए आप क्या कर सकते हैं?
टैक्स क्या है और हम इसका भुगतान क्यों कर रहे हैं?
कोई भी टैक्स वह वैधानिक और अनिवार्य भुगतान है जो हम सरकार को देते हैं। हम लोग इन्कम टैक्स देते है ताकि सरकार विभिन्न सुविधाओं के भुगतान करने के लिए संसाधन जुटा सके, जैसे स्ट्रीट लाइट, रोड, पुलिस, अस्पताल आदि। यह सभी सुविधाएँ जिनका आप स्वयं वहन नहीं कर सकते लेकिन सरकार आपसे कुछ पैसे लेकर आपको मुहैय्या कराती है।।
टैक्स देने का उद्देश्य हमें सभी सुविधाएं प्रदान करने के लिए सरकार का समर्थन करना है।
आयकर क्या है?
जब आप अपनी आय का एक हिस्सा सरकार को भुगतान करते हैं, तो उसे आयकर कहा जाता है।
आयकर स्लैब की दरें -
क्या आपको पता है कि सभी आयु वर्ग और आय स्लैब के लिए आयकर अलग-अलग है। आय के टैक्स रेट को सबसे पहले आयु के हिसाब से वर्गीकृत किया जाता है और उन्हें फिर से बाकी आयु समूहों में फिर से वर्गीकृत किया जाता है।
आयु के आधार पर करदाता की तीन श्रेणियां हैं:
- 60 साल से कम आयु के व्यक्ति
- 60 साल से 80 साल के बीच के वरिष्ठ नागरिक
- 80 साल से अधिक उम्र के सुपर वरिष्ठ नागरिक
हर साल बजट की घोषणा होने पर, टैक्स स्लैब को अक्सर संशोधित किया जाता है। वित्त वर्ष 2020-21 के लिए, आपके पास पुरानी स्कीम या नई स्कीम में से चुनने का ऑप्शन है।
60 वर्ष से कम उम्र के निवासी भारतीयों के लिए इन दोनों स्कीम में निम्न रेट हैं :
कर योग्य आय |
कर दर (मौजूदा स्कीम) |
कर दर (नयी स्कीम) |
₹2,50,000 तक |
शून्य |
शून्य |
₹2,50,001 से ₹5,00,000 तक |
5% |
5% |
₹5,00,001 से ₹7,50,000 तक |
20% |
10% |
₹7,50,001 से ₹10,00,000 तक |
20% |
15% |
₹10,00,001 से ₹12,50,000 तक |
30% |
20% |
₹12,50,001 से ₹15,00,000 तक |
30% |
25% |
₹15,00,000 से ज्यादा |
30% |
30% |
60 और 80 वर्ष की आयु के बीच के वरिष्ठ नागरिकों पर निम्नलिखित दरों को लागू होती है:
कर योग्य आय |
कर दर (मौजूदा स्कीम) |
कर दर (नयी स्कीम) |
₹2,50,000 तक |
शून्य |
शून्य |
₹2,50,001 से ₹3,00,000 तक |
शून्य |
5% |
₹3,00,001 से ₹5,00,000 तक |
5% |
5% |
₹5,00,001 से ₹7,50,000 तक |
20% |
10% |
₹7,50,001 से ₹10,00,000 तक |
20% |
15% |
₹10,00,001 से ₹12,50,000 तक |
30% |
20% |
₹12,50,001 से ₹15,00,000 तक |
30% |
25% |
₹15,00,000 से ज्यादा |
30% |
30% |
सुपर वरिष्ठ नागरिकों के लिए, जिनकी आयु 80 वर्ष से अधिक है, निम्नलिखित दरें लागू हैं:
कर योग्य आय |
कर दर (मौजूदा स्कीम) |
कर दर (नयी स्कीम) |
₹2,50,000 तक |
शून्य |
शून्य |
₹2,50,001 से ₹5,00,000 तक |
शून्य |
5% |
₹5,00,001 से ₹7,50,000 तक |
20% |
10% |
₹7,50,001 से ₹10,00,000 तक |
20% |
15% |
₹10,00,001 से ₹12,50,000 तक |
30% |
20% |
₹12,50,001 से ₹15,00,000 तक |
30% |
25% |
₹15,00,000 से ज्यादा |
30% |
30% |
आयकर अधिनियम की धारा 80सी में एक खंड है जिसमें उन अलग-अलग व्यय और निवेश के बारे में बताया गया है जिन्हें आयकर से छूट मिलती है यानी वह इन्कम टैक्स की गणना करते समय कर योग्य आय में नहीं जोड़े जाते। सेक्शन 80सी के हिसाब से, निवेशक की कुल कर योग्य आय में से हर साल अधिकतम 1.5 लाख रुपए की कटौती की जा सकती है।
क्योंकि धारा 80सी व्यक्तिगत करदाताओं, हिंदू अविभाजित परिवारों, कॉर्पोरेट निकायों, साझेदारी फर्मों के ऊपर ही लागू होती है, इसीलिए कोई भी दूसरा व्यवसाय धारा 80 सी के तहत कर छूट का लाभ नहीं ले सकते हैं।
इसलिए आपकी पूरी सैलरी कर योग्य नहीं है। अपनी कुल आय पर टैक्स की गणना करने से पहले आप उसमें से एक निश्चित राशि की कटौती कर सकते है। अधिनियम के सेक्शन 80सी के तहत व्यक्तिगत करदाताओं के लिए कई कटौती हैं जो सबसे ज्यादा लागू होती हैं:
धारा 80 सी के तहत कटौती के रूप में निम्नलिखित आइटम मान्य हैं -
- सार्वजनिक भविष्य निधि (पीपीएफ) में निवेश
- कर्मचारी भविष्य निधि (इपीएफ) में निवेश
- राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र (एनएससी) में निवेश
- सुकन्या समृद्धि योजना (एसएसवाय) में निवेश
- 5 साल के टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट में निवेश
- वरिष्ठ नागरिक बचत योजना (एससीएसएस) में निवेश
- जीवन बीमा में निवेश
- इन्फ्रास्ट्रक्चर बॉन्ड में निवेश
- यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस प्लान (यूलिप) में निवेश
- इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम (ईएलएसएस) में निवेश
- राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) में निवेश
- हाउसिंग लोन के मूलधन का पुनर्भुगतान
- बच्चों की ट्यूशन फीस का भुगतान
अन्य कटौती जो धारा 80 के अन्य उपखंडों के तहत उपलब्ध हैं:
- बचत खाते पर ब्याज के लिए कटौती, धारा 80टीटीए के अनुसार
- घर के किराए के भुगतान के लिए कटौती, धारा 80जीजी के अनुसार
- शिक्षा ऋण पर ब्याज के लिए कटौती, धारा 80ई के अनुसार
- होम लोन पर ब्याज के लिए कटौती, धारा 80ईई के अनुसार
- धारा 80 डी के अनुसार, चिकित्सा बीमा के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम के लिए कटौती
- कुछ विशिष्ट दान के लिए कटौती, धारा 80जी के अनुसार
अब जब आप आयकर स्लैब और कटौती योग्य आय के बारे में जानते हैं, तो अब सबसे जरूरी सवाल यह है कि आप टैक्स कैसे बचा सकते हैं ?
आप बीमा में निवेश करके टैक्स बचा सकते हैं। बीमा में निवेश करने के कई लाभ हैं; उनमें से एक यह है कि यह आपके टैक्स को कम करेगा। इस तरह आप बीमा की मदद से टैक्स बचा सकते हैं।
जीवन बीमा
जीवन बीमा पॉलिसी आपको लाइफ कवरेज तो देती ही है, साथ ही साथ यह टैक्स बचाने का भी एक बहुत अच्छा तरीका है। पॉलिसी के लिए आप हर साल जो प्रीमियम देते हैं वह पोलिसीधारक की मृत्यु के समय एकसाथ बड़ी रकम के रूप में आपको वापिस कर दिया जाता है। जीवन बीमा पॉलिसी में आप जो प्रीमियम चुकाते हैं, उसकी कटौती आप आयकर अधिनियम की धारा 80 के तहत कर सकते हैं।
यूलिप
मार्केट लिंक्ड बीमा प्लान को यूनिट लिंक्ड इंश्योरेंस कहा जाता है। अगर आप इस योजना में निवेश करते हैं तो आपको एक ही योजना में निवेश और सुरक्षा, दोनों का फायदा मिलेगा। इस योजना में किए गए निवेश को आप टैक्स कटौती के लिए काम में तो ले ही सकते है, उसके साथ साथ यह आपके पैसे को बढ़ाने का भी काम करेगा।
स्वास्थ्य बीमा
मेडिकल ट्रीटमेंट और मेडिकल केयर, इन दो खर्चों को संभालना एक बहुत चुनौतीपूर्ण काम होता है। आज के समय में मेडिकल बीमा पॉलिसी सभी के लिए बहुत जरूरी है। मेडिकल बीमा ना सिर्फ आपके मेडिकल खर्चों को कवर करने के लिए पैसा देती है, बल्कि इसके लिए जो प्रीमियम आप भरते हैं वह आपके ₹15,000 से ₹20,000 तक के टैक्स बचाने में आपकी मदद कर सकता है।
निवेश
निवेश टैक्स बचाने के लिए लोगों के सबसे पसंदीदा तरीकों में से एक है। ऐसा क्यों है ? जब आप अपने पैसे का निवेश करते है तो इसका लाभ आपको बाद में मिलता है। चलिए, अब हम यह समझते है कि निवेश कैसे टैक्स को बचाने में आपकी मदद कर सकता है।
म्यूचुअल फंड्स
आप इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम से कर लाभ ले सकते हैं। इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्कीम में 3 साल का लॉक-इन-पीरियड होता है। हालांकि यह फिक्स्ड डिपोसिट और प्रॉविडेंट फंड की तुलना में कम है। इस स्कीम का सबसे महत्वपूर्ण लाभ यह है कि यह आपके निवेश पर काफी अच्छा रिटर्न प्रदान करता है और टैक्स को बचाने में भी आपकी मदद करता है।
टैक्स सेविंग फिक्स्ड डिपॉजिट
एक और कर-बचत साधन है विभिन्न बैंकों द्वारा प्रस्तावित फिक्स्ड डिपॉज़िट है। आप इन डिपॉज़िट में डेढ़ लाख रुपये तक डाल सकते हैं और एक अच्छा ब्याज प्राप्त करने के साथ उस वर्ष के लिए कर बचत का लाभ भी उठा सकते हैं। फिक्स्ड डिपॉजिट के लिए लॉक-इन अवधि पांच साल है।
पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट
पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट फिक्स्ड डिपॉजिट के जैसा ही है। हालाँकि इस पर कोई लिमिट नहीं है कि आप पोस्ट ऑफिस टाइम डिपॉजिट में कितनी राशि डाल सकते हैं। इसमें न्यूनतम ₹200 जमा कर सकते हैं और इसमें ब्याज दर प्रति वर्ष 8.5% है। आयकर अधिनियम की धारा 80 के तहत, आप इस डिपॉजिट पर कर लाभ उठा सकते हैं और इसमें 5 साल की लॉक-इन अवधि है।
राष्ट्रीय बचत पत्र
आप डाकघर से राष्ट्रीय बचत प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकते हैं। इसमे ₹100 का न्यूनतम निवेश आवश्यक है। एनएससी में लॉक-इन अवधि 5 साल और 10 साल के लिए है और ये आपको कर लाभ भी प्रदान करता है।
भविष्य निधि/ प्रॉविडेंट फंड
आप भविष्य निधि में निवेश कर सकते हैं, जो पेंशन फ़ंड के रूप में भी जाना जाता है और इसेके साथ लंबी अवधि के रिटर्न का लक्ष्य रहता है। प्रोविडेंट फंड में जमा की गई राशि आयकर अधिनियम की धारा 80 सी के तहत कर कटौती के लिए योग्य है।
ऋण -
- शिक्षा ऋण: वह ब्याज जो आप स्वयं, पति या बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए ऋण पर देते हैं, धारा 80 ई के तहत कर मुक्त है। इस राशि के लिए कोई सीमा निर्धारित नहीं है। आप भुगतान की गई ब्याज की राशि के लिए कटौती का दावा कर सकते हैं पर मूल राशि पर कोई छूट नहीं है।
- शैक्षिक छात्रवृत्ति: आयकर अधिनियम 10 (16) के अनुसार, किसी भी छात्रवृत्ति पुरस्कार, जो छात्रों को दिया जाता है, उन्हें करों में छूट दी जाती है। छात्रवृत्ति के लिए जो राशि प्राप्त होती है, उस पर कोई सीमा नहीं होती है।
स्वैच्छिक दान: दान या परोपकारी प्रतिबद्धताओं के लिए जो डोनेशन दिया जाता है उसे टैक्स की कटौती के लिए क्लेम किया जा सकता है। और धारा 80जी के हिसाब से नेंशनल रिफ़ंड के लिए भी क्लेम किया जा सकता है। कुछ डोनेशन, 100% क्लेम किए जा सकते है जबकि कुछ के लिए आपको 50% तक की ही छूट मिलती है। यह डोनेशन की वजह पर निर्भर करता है। जो डोनेशन कैश या चेक से किए जाते है, उन्हें कटौती के लिए क्लेम किया जा सकता है। मिनीस्ट्री ऑफ फाइनेंस ने कुछ संस्थाओं को निर्दिष्ट किया हुआ है जिन्हें आप डोनेशन दे सकते हैं और उसको टैक्स की कटौती के लिए क्लेम कर सकते हैं।
बचत खाते पर ब्याज आय: जो आय आप बचत खातों से कमाते हैं उसे धारा 80 टीटीए के तहत कटौती के रूप में क्लेम किया जा सकता है, पर वह ब्याज ₹10,000 से ज्यादा नहीं होना चाहिए। ₹10,000 से ऊपर की राशि को कर योग्य आय में गिना जाता है। इसे आपके आईटीआर में अन्य स्रोतों से आय के रूप में माना जाता है जिसे बाद में धारा 80 टीटीए के तहत घटाया जाता है।
होम लोन: आप अलग-अलग बैग से नया नया घर बनाने या खरीदने के लिए होम लोन ले सकते हैं। घर के लिए लिया गया लोन टैक्स को बचाने का एक प्रभावी और शानदार तरीका है। आपके द्वरा एक लाख रुपये तक दिया गया मूलधन और ब्याज टैक्स की कटौती के लिए क्लेम किया जा सकता है और साथ ही साथ इन्कम टैक्स एक्ट की धारा 24 के अनुसार 1.50 रु तक का इन्टरेस्ट भी टैक्स बेनीफिट क्लेम करने के पात्र (एलीजीबल) है।
कृषि आय: भारतीय आयकर अधिनियम के तहत, अगर आप कृषि गतिविधियों से आय कमाते हैं, तो उसे टैक्स से छूट मिलती है। कृषि क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए यह कदम उठाया गया है। कृषि भूमि या उत्पाद या खेत की इमारतों से होने वाली आय को कर से मुक्त किया गया है।
सार्वजनिक भविष्य निधि (पब्लिक प्रॉविडेंट फंड):
सरकार ने धारा 80 सी के तहत कर बचत करने के लिए सार्वजनिक भविष्य निधि खाते की शुरुआत की है। आपने जो निवेश पीपीएफ खाते में किया है, उस पर मिलने वाला रिटर्न टैक्स-फ्री है। पीपीएफ पर ब्याज दर हर तिमाही में बदलती रहती है। कोई भी व्यक्ति एक अधिकृत डाकघर या बैंक शाखा में पीपीएफ खाता खोल सकता है। यहां तक कि नाबालिग भी इसे खोल सकते हैं। वह निवेशक जो कम रिस्क वाली जगहों पर निवेश करना पसंद करते हैं और म्यूचुअल फंड जैसी अस्थिर इक्विटी में नहीं उलझना चाहते है तो वह सार्वजनिक भविष्य निधि में निवेश कर सकते हैं।
लॉन्ग टर्म एसेट्स की बिक्री से लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स:
किसी भी कैपिटल एसेट की बिक्री पर किए गए मुनाफे को कैपिटल गेन कहा जाता है। यह टैक्स बचाने के उद्देश्य से शॉर्ट-टर्म या लॉन्ग टर्म हो सकता है जो होल्डिंग की अवधि और पूंजीगत संपत्ति के प्रकार पर निर्भर करता है।
अगर आप 36 महीनों से ज्यादा पूंजीगत संपत्ति रखते हैं, तो इसे दीर्घकालिक पूंजीगत संपत्ति या लॉन्ग टर्म कैपिटल एसेट कहा जाता है। अगर कोई अचल संपत्ति जैसे भूमि भवन या घर की संपत्ति 24 महीने से अधिक समय तक रखी जाती है, तो उन्हें दीर्घकालिक पूंजीगत संपत्ति के रूप में जाना जाता है; इसलिए कोई भी अचल संपत्ति जो 24 महीने या उससे अधिक के बाद बेची जाती है उसपर की गई कमाई दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ के अंतर्गत ही आती है।
एचयूएफ रसीद: हिंदू, सिख और जैन परिवारों को हिंदू अविभाजित परिवार (एचयूएफ) का दर्जा मिला हुआ है। आयकर विभाग के अनुसार, एचयूएफ कर की एक अलग इकाई है। इनके बैंक खाते में एक अलग पैन कार्ड होता है जिसे टैक्स छूट दी जाती है। धारा 10 (2) के अनुसार, इन परिवारों को आय या संपत्ति से प्राप्त होने वाली किसी भी राशि को कर दायित्वों से मुक्त किया जाता है। आपको अपने नाम के तहत अपने वेतन से कर का भुगतान करना होगा और अपनी अतिरिक्त आय को एक एचयूएफ खाते में जमा करना होगा जो हिंदू अविभाजित परिवार अधिनियम के तहत आने पर कर के लिए उत्तरदायी नहीं है।
निष्कर्ष
अब जब आप आयकर अधिनियम में कर बचत विकल्पों को समझते हैं, तो वक्त आ गया है कि हम अगले बड़े विषय पर जाएं - कर देनदारियों की गणना। इसके बारे में और जानकारी के लिए अगले अध्याय पर जाएँ।
अब तक आपने पढ़ा
- कर एक वैधानिक और अनिवार्य भुगतान है जो हम सरकार को देते हैं।
- आपकी आय का प्रतिशत जो आप सरकार को देते हैं उसे आयकर कहा जाता है।
- सभी आयु समूहों और आय स्लैबों के लिए आयकर अलग है। आयु के आधार पर करदाता की तीन श्रेणियां हैं- 60 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति, 60 वर्ष से 80 वर्ष के बीच के वरिष्ठ नागरिक, 80 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठ नागरिक।
- आप निवेश, ऋण और बीमा के माध्यम से करों को बचा सकते हैं ।
अपने ज्ञान का परीक्षण करें
इस अध्याय के लिए प्रश्नोत्तरी लें और इसे पूरा चिह्नित करें।
आप इस अध्याय का मूल्यांकन कैसे करेंगे?
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