टैक्सेशन का डेडवेट लॉस
आप सभी को इस इकॉनोमिक टर्म के बारे में जानना चाहिए और यह शेयर बाजार में डायरेक्ट या इनडायरेक्ट (म्यूचुअल फंड के ज़रिये) इन्वेस्टर के रूप में आपके लिए क्यों म…
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15 दिसम्बर,2021
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भारत के इन्कम टैक्स एक्ट के आर्टिकल 5 (1) परमानेंट एस्टैबलिशमेंट का ज़िक्र है, जिसमें कहा गया है कि फिक्स्ड प्लेस से ही बिज़नेस एंटरप्राइजेज़ रेवेन्यू अर्जित करने के लिए पूर्ण या आंशिक ऑपरेशन करते हैं।
परमानेंट एस्टैबलिशमेंट को इंटरनेशनल फिस्कल लॉ में सबसे महत्वपूर्ण फिनांशियल इंस्ट्रूमेंट माना जाता है। वैश्वीकरण की आड़ में दुनिया अपनी बिज़नेस एक्टिविटी को तेज कर रही है, जिसके तहत हर देश के लिए टैक्सेशन नियमों को लागू करना ज़रूरी है ताकि कामकाज सुचारू रूप से चल सके। ऑर्गेनाईजेशन फॉर इकनोमिक कोऑपरेशन एंड डेवलपमेंट (ओसीईडी), यूनाइटेड नेशंस (यूएन), और यूनाइटेड स्टेट्स ऑफ़ अमेरिका (यूएसए) टैक्सेशन के पारंपरिक मॉडल के रूप में परमानेंट एस्टैबलिशमेंट पर सहमत हैं।
भारत विकासशील देश है और घरेलू एवं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अलग-अलग इकनोमिक एक्टिविटी में शामिल है। इकनोमिक एक्टिविटी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग भी शामिल है, जिसके तहत विदेशी इकाइयों ने रेवेन्यू अर्जित करने के लिए भारत में इन्वेस्ट किया है। अन्य देशों के विपरीत, भारत सरकार परमानेंट एस्टैबलिशमेंट के माध्यम से ऐसी इकनोमिक एक्टिविटी पर भी टैक्स लगाती है।
इस तरह परमानेंट एस्टैबलिशमेंट (पीई) इन्कोम पर टैक्स लगाने के लिए तैयार किया गया है। परमानेंट एस्टैबलिशमेंट टैक्सेशन के दो प्रमुख आधार हैं -
बिज़नेस एंटिटी की प्रकृति और परिचालन संबंधी एक्टिविटी के अनुसार भारत में कई तरह के परमानेंट एस्टैबलिशमेंट हैं। उदाहरण के लिए -
1. फिक्स्ड प्लेस परमानेंट एस्टैबलिशमेंट - विदेशी व्यापार इकाई के लिए फिक्स्ड प्लेस परमानेंट एस्टैबलिशमेंट सोर्स्ड टैक्सेशन पर आधारित है। हालांकि, कुछ निश्चित पैरामीटर हैं जिनकी फिक्स्ड प्लेस परमानेंट एस्टैबलिशमेंट कहने से पहले पुष्टि की जानी चाहिए।
2. कंस्ट्रक्शन परमानेंट एस्टैबलिशमेंट- भारत दुनिया के विभिन्न देशों के साथ टैक्स संधि का अंग है, जिसके तहत किसी विदेशी एंटरप्राइज को कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी के लिए परमानेंट एस्टैबलिशमेंट टैक्स तभी देना होगा जबकि परियोजना निर्धारित समय से आगे बढ़ी हो। कंपनी अप्रूवल के दौरान कंस्ट्रक्शन एक्टिविटी के लिए आवश्यक एक विशिष्ट समय अवधि का उल्लेख करती है। जब कंपनी समयावधि बढ़ाती है, तो उन पर टैक्स और चार्ज लगाए जाते हैं। अधिकांश टैक्स संधियों में, यदि नीचे उल्लिखित काम छह महीने से अधिक के लिए किए जाते हैं, तो कंपनी पर शुल्क लगाया जाता है। संधियों में किसी परियोजना के पूरा होने के लिए तय सीमा का भी उल्लेख है।
3. डिपेंडेंट एजेंसी परमानेंट एस्टैबलिशमेंट (डीएपीई) - डीएपीई विदेशी मूल निवासियों को विदेशी कारोबार या विदेशी कारोबार का प्रतिनिधित्व करने वाले विदेशी इकाई के रूप में मान्यता देता है। इंटरनेशनल कंपनियां परमानेंट एस्टैबलिशमेंट पर टैक्स नहीं देने के लिए भारत में अपने प्रतिनिधि के रूप में भारतीयों को नियुक्त करती हैं, हालांकि, इन्कम टैक्स के नियमों में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि-
4. सब्सिडियरी परमानेंट एस्टैबलिशमेंट - सब्सिडियरी शब्द का अर्थ है मुख्य या मूल कंपनी की शाखा। कोई भी विदेशी मूल की कंपनी जो परमानेंट एस्टैबलिशमेंटों के प्रावधानों को पूरा कर किसी सब्सिडियरी कंपनी के ज़रिये काम करती है तो उस पर सब्सिडियरी पीई के तहत टैक्स लगेगा।
भारत में पीई की स्थापना से जुड़े कई मुद्दे हैं जिन पर बिज़नेस इकाइयों को विचार करना होता है-
परमानेंट एस्टैबलिशमेंट टैक्सेशन किसी देश के वित्तीय विकास के लिए सबसे महत्वपूर्ण साधनों में से एक है। यह अवधारणा विभिन्न देशों की वित्तीय स्थिति में योगदान कर वैश्वीकरण और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देती है। यह टैक्सेशन योजना सोर्स्ड देशों में विदेशी एंटरप्राइज को एक्सपोजर प्रदान करती है, जिससे उन्हें अपने इन्वेस्टमेंट मॉडल और लक्ष्यों रणनीति बनाने में मदद मिलती है।
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