कैपिटल गेन्स टैक्स क्या है और इसे कैसे...
यह आर्टिकल कैपिटल गेन्स टैक्स और इसके कैलकुलेट के महत्व के साथ-साथ टैक्स एग्ज़ेम्प्शन के प्रावधानों पर रोशनी डालता है।
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Open FREE* Demat Account13 अप्रैल,2022
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देश की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पिछले महीने की शुरुआत में आम बजट 2022 पेश किया था। श्रीमती सीतारमण ने अपने भाषण के दौरान इसके प्रस्तावों को लिस्ट किया था। यह बजट उनके लिए टैक्स रिलीफ लेकर आया है जो लिस्टेड शेयर्स और इक्विटी फंडों को छोड़ कर कैपिटल एसेट में इन्वेस्ट करते हैं। कैपिटल एसेट जैसे कलाकृति, अनलिस्टेड शेयर और प्रॉपर्टी से प्राप्त लॉन्गटर्म गेन्स पर टैक्स देना होगा जिसकी अधिकतम सीमा 15 प्रतिशत होगी। इसके अलावा, इस बजट में इस बात का भी उल्लेख किया गया है कि टैक्सपेयर्स को अपनी इन्कम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय की गई किसी भी गलती को सुधारने का मौक़ा दिया जाएगा। यह कदम सरकार द्वारा उन लोगों पर शिकंजा कसने के बावजूद आया है जो अपनी इन्कम का खुलासा करने की कोशिश नहीं करते।
स्टॉक और इक्विटी फंड को छोड़कर एसेट पर गेन्स
ऊपर दिए गए एसेट के अलावा अन्य एसेट से प्राप्त गेन्स पर टैक्सपेयर के इन्कम स्लैब के आधार पर उन पर सरचार्ज लागेगा। दो करोड़ रुपये - पाँच करोड़ रुपये के दायरे में आने वाली इन्कम पर 25 प्रतिशत टैक्स रेट लागू होगी, जबकि पाँच करोड़ रुपये से अधिक की इन्कम पर 37 प्रतिशत टैक्स रेट लागू होगी। टैक्स रेटों में 25 से 27.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जो स्टॉक और इक्विटी इन्वेस्टरों से गेन्स पर लागू होने वाली 11.5 प्रतिशत टैक्स रेट के विपरीत है।
प्रत्याशित बेनीफिशियरी
सरचार्ज रेट पर लगाई गई सीमा से विदेशी फंडों के साथ-साथ एनआरआई इन्वेस्टरों को भी फायदा होने की संभावना है। स्टार्ट-अप को भी इस कदम से फायदा होगा क्योंकि वे लंबे समय से अनलिस्टेड शेयरों से हासिल कैपिटल गेन्स पर सरचार्ज को कम करने की मांग कर रहे हैं। इस कदम से गैर-सूचीबद्ध कंपनियों के ईएसओपी को भी फायदा होने की संभावना है।
इसके अलावा, चूंकि लॉन्ग टर्म के कैपिटल गेन्स से संबंधित सरचार्ज रेट को युक्तिसंगत बनाया गया है, कैपिटल एसेट में इन्वेस्टमेंट को प्रोत्साहित किया जाएगा। इस तरह इस प्रस्ताव से उन लोगों को फायदा होने की संभावना है जिनकी इन्कम दो करोड़ रुपये से अधिक है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उस स्तर से नीचे आने वाली इन्कम पर लागू सरचार्ज पहले से ही 15 प्रतिशत है।
फाइलिंग की खामियों को ठीक करने का विकल्प
आम बजट प्रस्ताव में टैक्सपेयर्स को किसी भी वित्त वर्ष के लिए अपना इन्कम टैक्स रिटर्न दाखिल करते समय इन्कम को गलत तरीके से रिपोर्ट करने में होने वाली किसी भी खामी को सुधारने का अवसर प्रदान किया गया है। नया प्रावधान ऐसे टैक्सपेयर्स को असेसमेंट ईयर के अंत से दो साल के भीतर अपडेटेड रिटर्न दाखिल करने की सुविधा प्रदान करता है। ऐसा तब भी संभव है जब किसी टैक्सपेयर ने पहले उक्त असेसमेंट ईयर के लिए रिटर्न दाखिल किया हो या नहीं। अपडेटेड रिटर्न तभी दाखिल किया जा सकेगा जब टैक्सपेयर ने नई इन्कम पर देय टैक्स पर अतिरिक्त टैक्स के रूप में 25 से 50 प्रतिशत का भुगतान किया गया हो और जो सामने आया हो और दाखिल किया जा रहा हो।
इस पेशकश को से पहले, इन्कम टैक्स विभाग ने यह समझने के लिए एक एड्ज्यूडिकेशन में भाग लिया कि टैक्सपेयर से कोई इन्कम छूट तो नहीं गई है। यह प्रक्रिया लंबी और बोझिल थी। नए बजट के तहत प्रदान किए गए प्रावधान से अब छूटी हुई इन्कम को रिपोर्ट करने की जिम्मेदारी इन्कम टैक्सपेयर्स के हाथों में देने की व्यवस्था है।
टैक्सपेयर्स को टैक्सचोरी से रोकने के लिए, बजट में स्पष्ट किया गया है कि सर्च और सर्वे के दौरान अघोषित इन्कम का पता लगाने के खिलाफ किसी भी तरह के नुकसान की भरपाई की अनुमति नहीं दी जाएगी। यह कदम कुछ ऐसे व्यक्तियों के कारण आया है, जिन्होंने तलाशी अभियान में पाए गए अघोषित इन्कम के खिलाफ अपने नुकसान की भरपाई का विकल्प चुना था। इसलिए, यह प्रावधान लोगों को टैक्स से बचने से रोकता है।
राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए टैक्स बेनिफिट
वित्त वर्ष 2022-23 के लिए एनपीएस योगदान पर राज्य सरकार के कर्मचारी 14 प्रतिशत टैक्स बेनिफिट का दावा कर सकते हैं। इस पहल से वे केंद्र सरकार के कर्मचारियों के बराबर आ जाएँगे। अब तक, राज्य सरकार और निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के टैक्स बेनिफिट की सीमा 10 प्रतिशत थी।
अधिक टीडीएस का भुगतान करने के लिए नॉन-फाइलर
पिछले असेसमेंट ईयर के लिए रिटर्न दाखिल नहीं करने वाले टैक्सपेयर्स को टीडीएस का भुगतान करना होगा जो हर साल इन्कम टैक्स रिटर्न दाखिल करने वाले टैक्सपेयर्स की भुगतान राशि से अधिक है। जहां तक एनआरआई भुगतान, एसेट की बिक्री, किराये की इन्कम , डिविडेंड और जमा से प्राप्त इन्कम का संबंध है, 10 से 30 प्रतिशत तक टीडीएस लागू होता है। रिटर्न दाखिल नहीं करने की स्थिति में यह दर और अधिक होगी।
अनिवासी भारतीयों को कुछ टैक्स के भुगतान से छूट
एनआरआई के लिए इंटरनेशनल फिनांशियल सर्विसेज़ सेंटर के ज़रिये से पोर्टफोलियो मैनेजमेंट सर्विसेज़ और लीज़ वाले शिप, रॉयल्टी और ऑफशोर डेरीवेटिव इंस्ट्रूमेंट से जुड़े इंटरेस्ट से प्राप्त इन्कम पर टैक्स में छूट है लेकिन इन पर कुछ शर्तें लागू हैं।
विकलांग को प्रदान किया जाने वाला बेनिफिट
जहाँ तक माता-पिता द्वारा खरीदी गई इंश्योरेंस पॉलिसीज़ और विकलांग संतानों के अभिभावकों का संबंध है, तो अब आश्रितों को भुगतान दिए जाने की अनुमति है, भले ही उनके माता-पिता जीवित हों और 60 वर्ष से अधिक के हों। पहले एकमुश्त भुगतान केवल तभी किया जाता था जब पॉलिसीधारक की मृत्यु हो जाती थी।
इनमें से हर टैक्सेशन रिविज़न किस हद तक सफल होता है, यह देखना अभी बाकी है क्योंकि टैक्सपेयर्स ने इन बदलाव को ध्यान में रखते हुए अभी तक टैक्स फाइल नहीं किया है। दरअसल टैक्सपेयर्स किसी भी प्रकार की टैक्स रिलीफ का हमेशा स्वागत करते हैं।
डिस्क्लेमर: इस ब्लॉग का उद्देश्य है सिर्फ जानकारी देना न कि कोई सलाह/इन्वेस्टमेंट के बारे में सुझाव देना या किसी स्टॉक की खरीद-बिक्री की सिफारिश करना।
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