कोविड की दूसरी लहर में टाटा कम्युनिकेशंस...
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यह उच्च स्तर 5 प्रतिशत की तेज़ी दिखाता है जो आकर्षक है क्योंकि वैसे, बाजार में मंदी है। यह लगातार आठवां कारोबारी दिन है जब लॉरस लैब्स के शेयर की कीमत में लगातार बढ़ोतरी देखी गई है। यह एसएंडपी बीएसई सेंसेक्स के ठीक विपरीत है जो 01.7 प्रतिशत नीचे था और उसी दिन सुबह 10:10 बजे 52,237 अंक पर था।
हैदराबाद हेडक्वार्टर वाली लॉरस लैब्स आज देश में हो रही रिसर्च-ड्रिवन फार्मास्युटिकल मैन्युफैक्चरिंग में सबसे आगे रहने वाली कंपनियों में से एक है। कंपनी एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रेडिएंट (या एपीआई) समेत बहुत से मेडिकल प्रॉडक्ट की है जिनका उपयोग गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिकल, एंटी-अस्थमा, एंटीडायबिटिक, कार्डियोवैस्कुलर और ऑन्कोलॉजी से जुड़ी बीमारियों के लिए किया जाता है। लॉरस लैब्स निम्न और मध्यम आय वाले देशों (या एलएमआईसी) के अलावा नॉर्थ अमेरिका और यूरोप के प्रमुख बाजारों में फार्मूलेशन मैन्युफैक्चरिंग सर्विसेज के लिए उपलब्ध मौकों का लाभ उठा रही है।
लॉरस लैब्स के लिए ग्रोथ के जो मौके उपलब्ध हैं उनमें सिंथेसिस बिज़नेस की मदद से कॉन्ट्रैक्ट डेवलपमेंट एंड मैन्युफैक्चरिंग (या सीडीएम) के ज़रिये लाभ उठाना शामिल हैं। लॉरस लैब्स की मैन्युफैक्चरिंग सुविधाओं के एक बड़े हिस्से को जिनेवा स्थित डब्ल्यूएचओ, यूके के एमएचआरए और अमेरिका के एफडीए समेत विभिन्न रेगुलेटरी अथॉरिटी से मंजूरी मिली हुई है।
लॉरस लैब्स के पास 3000 से अधिक लोगों की एक टीम है जो केमिस्ट्री की सीमाओं का विस्तार करने के लिए तैयार हैं ताकि मुनाफे वाला बिज़नेस ऑपरेशन के साथ-साथ नए इलाज भी विकसित किए जा सकें। लॉरस लैब्स की टीम में कई तरह के प्रोफेशनल हैं, जिनमें रिसर्च साइंटिस्ट, फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री के दिग्गजों के अलावा मैन्युफैक्चरिंग और मैनेजमेंट क्षेत्र के लोग भी शामिल हैं।
लॉरस लैब्स की मैन्युफैक्चरिंग यूनिट बेंगलुरु, हैदराबाद और विशाखापत्तनम में हैं।
अप्रैल के बाद से, लॉरस लैब्स मार्केट में लगातार आगे रही है और कंपनी के प्रमोटरों ने जब अपने स्वामित्व वाले शेयर बेचकर जब बड़ी तादाद में प्लेज्ड शेयर जारी किये तो शेयर में 73 प्रतिशत की तेज़ी दर्ज़ हुई। यह बीएसई सेंसेक्स पर एसएंडपी के मुकाबले बहुत अधिक बढ़त है जिनमें उस अवधि में सिर्फ 3.7 प्रतिशत की तेज़ी दर्ज़ हुई थी।
शेयर होल्डिंग पैटर्न से जुड़ी जानकारी के मुताबिक इस साल 31 मार्च प्रमोटरों की कुल होल्डिंग में प्लेज्ड होल्डिंग की हिस्सेदारी सिर्फ 1.15 प्रतिशत थी। दिसंबर 2020 तिमाही के आखिर तक प्लेज्ड होल्डिंग 15.76 प्रतिशत थी।
लॉरस लैब्स के संस्थापक और प्रमोटर, डॉ सत्यनारायण चावा जो कंपनी के सीईओ और ईडी भी हैं, और एक अन्य प्रमुख प्रमोटर नागरानी चावा ने इस साल 4 मार्च को सामूहिक रूप से 70 लाख शेयर ओपन मार्केट में 258 करोड़ रुपए में बेचे।
इसके अलावा, मैनेजमेंट ने 1,500 करोड़ रुपये की एक कैपेक्स की रूपरेखा तैयार की है जो अगले दो वर्षों में लागू होगी। इसमें से 50 प्रतिशत का इन्वेस्टमेंट एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रेडिएंट या एपीआई उद्योग में किया जाना है, जबकि 30 प्रतिशत का उपयोग फिनिश्ड डोसेज फॉर्म (या एफडीएफ) में होगा और बाकी 20 प्रतिशत का इस्तेमाल कॉन्ट्रैक्ट डेवलपमेंट एंड मैन्युफैक्चरिंग आर्गेनाईजेशन (सीडीएमओ) खंड के लिए किया जाना है।
लॉरस लैब्स का भरोसा बरकरार है कि वित्त वर्ष 2022 में एबिट्डा मार्जिन 30 प्रतिशत रहेगा। फिक्स्ड डोसेज फॉर्मूलेशन (या एफडीएफ) में डीबॉटलनेकिंग से जुड़ी समस्या इस साल मार्च तक सुलझा ली गई है और इसका कमर्शियल लाभ वित्त वर्ष 2022 की पहली छमाही तक दिखने की उम्मीद है। इस साल सितंबर तक नए मैन्युफैक्चरिंग ब्लॉकों के कमर्शियलाइज़ होने की उम्मीद है।
लॉरस लैब्स गैर-एंटीरेट्रोवायरल (या एआरवी) एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रेडिएंट प्रॉडक्ट्स की आपूर्ति के लिए कैपेसिटी बढ़ाने का प्रयास कर रही है। उम्मीद है कि यह वित्त वर्ष 2022 के अंत तक कमर्शियली शुरू हो जाएगी। इसका मतलब है कि वित्त वर्ष 2023 के बाद से अच्छी ग्रोथ की संभावना है। वित्त वर्ष 2023 के बाद, लॉरस लैब्स में ग्रोथ और सिंथेसिस बिज़नेस के विस्तार की संभावना है जिसका इसकी बिक्री में 11 प्रतिशत योगदान है। इसके अलावा यह एक्टिव प्रोजेक्ट्स और अतिरिक्त कैपेसिटी के मद्देनज़र एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रेडिएंट/फिक्स्ड डोसेज़ फॉर्मूलेशन सेगमेंट की ग्रोथ को पार कर जाएगा है।
एनालिस्ट्स का मानना है कि एंटीरेट्रोवायरल क्षेत्र में अपनी सुपीरियर क्षमताओं के कारण लॉरस लैब्स के बहुत अच्छी स्थिति में रहने की संभावना है। यह केमिस्ट्री में इसके सुपीरियर नॉलेज के साथ जुड़ा है जो कॉन्ट्रैक्ट डेवलपमेंट और मैन्युफैक्चरिंग आर्गेनाईजेशन को गवर्न करता है और उनका एपीआई खंड में मॉलिक्कोयूल्स को जोड़ना फायदेमंद है। लॉरस लैब्स अपने ऑपरेशन में कॉस्ट-एफिशिएंट भी है जिससे इसका प्रॉफिट बढ़ता रहेगा। इसने लॉरस बायो की मदद से कॉन्ट्रैक्ट डेवलपमेंट एंड मैन्युफैक्चरिंग आर्गेनाईजेशन (सीडीएमओ) खंड में नई ऊंचाई छुई है।
लॉरस लैब्स की वेबसाइट के अनुसार, यह कंज्यूमर को सस्ता और अच्छी क्वालिटी वाला एपीआई प्रदान करता है जो बेहतरीन मैन्युफैक्चरिंग प्रैक्टिस स्टैंडर्ड को ध्यान में रखते हुए तैयार किए जाते हैं। उनके इनोवेटिव एफडीएफ दुनिया भर में चल रहे रिसर्च की मदद से तैयार किये गए हैं। कंपनी की वेबसाइट पर नेचुरल और नेचर-आइडेंटिकल इन्ग्रेडिएंट का भी ज़िक्र किया गया है जिनका उपयोग वेल-बेंग के लिए किया जाता है।
ट्रांसपेरेंसी और इंटेग्रिटी के प्रति प्रतिबद्धता की लॉरस लैब्स को सबसे अलग खड़ा करती है। इन वैल्यूज ने कंपनी को अपने क्षेत्र के बेस्ट को आकर्षित करने और अपने स्टेकहोल्डर्स का भरोसा हासिल करने में मदद की है। लॉरस लैब्स ऐसे सेक्टर में काम करती है जो बेहद रेग्युलेटेड है, इसने कंप्लायंस के लिए हाई-वॉटरमार्क अप्रोच अपनाया है ताकि इंटरनेशनल स्टैंडर्ड द्वारा तय अनिवार्यताओं को भी पार कर सके।
प्रश्न 1. लॉरस लैब्स किस इंडस्ट्री में काम करती है?
उत्तर1 लॉरस लैब्स फार्मास्युटिकल इंडस्ट्री में काम करती है और एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रेडिएंट (या एपीआई) समेत विभिन्न किस्म के मेडिकल प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग करती है।
प्रश्न 2. एनालिस्ट्स को क्यों लगता है कि लॉरस लैब्स लम्बी अवधि में सफल रहेगा?
उत्तर2. एनालिस्ट्स का मानना है कि लॉरस लैब्स की एंटीरेट्रोवायरल क्षेत्र में इसकी बेहतरीन क्षमता के कारण यह सफल रहेगा।
प्रश्न3. एपीआई क्या है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?
उत्तर3. एक्टिव फार्मास्युटिकल इन्ग्रेडिएंट (या एपीआई) एक तरह का मेडिकल प्रॉडक्ट है जिसका उपयोग गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिकल, एंटी-अस्थमा, एंटीडायबिटिक, कार्डियोवैस्कुलर और ऑन्कोलॉजी से जुड़े उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
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