कैपिटल गेन्स टैक्स क्या है और इसे कैसे...
यह आर्टिकल कैपिटल गेन्स टैक्स और इसके कैलकुलेट के महत्व के साथ-साथ टैक्स एग्ज़ेम्प्शन के प्रावधानों पर रोशनी डालता है।
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फॉरेन इन्वेस्टमेंट फंड टैक्स, जिसे एफआईएफ टैक्स के रूप में जाना जाता है। यह ऑस्ट्रेलियाई टैक्स टैरिफ है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने अपने नागरिकों पर फॉरेन इन्वेस्टमेंट फंड टैक्स या एफआईएफ टैक्स लगाया था। फॉरेन एसेट के वैल्यू में किसी भी तरह की बढ़ोतरी पर टैरिफ के तहत टैक्स लगाया गया। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने एफआईएफ टैक्स 1992 में लागू किया था।
माना जाता है कि कई तरह के एक्सक्लूज़न और खामियों के साथ, फॉरेन इन्वेस्टमेंट फंड टैक्स विवादास्पद है और इसे समझना मुश्किल है। एफआईएफ टैक्स ने लोगों के लिए देश से बाहर किए गए इन्वेस्टमेंट पर ऑस्ट्रेलियाई टैक्स के भुगतान करने में देरी को असंभव बना दिया।
पर्सनल रिटायरमेंट अकाउंट के साथ-साथ लाइफ इन्श्योरेंस रैपर, जो अक्सर फॉरेन एडवाइजर द्वारा पेश किए जाते हैं, उन पर एफआईएफटैक्स लग सकता है। इसके अलावा, फॉरेनर के स्वामित्व वाले फॉरेन एंटरप्राइज द्वारा हासिल किसी भी तरह के रेवेन्यू पर एफआईएफ टैक्स लगाया गया था।
2010 में फॉरेन इन्वेस्टमेंट फंड टैक्स समाप्त कर दिया गया और नए टैक्स कानून के साथ बदल दिया गया। जब ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों को फॉरेन इन्वेस्टमेंट फंड से डिविडेंड प्राप्त होता है, तो फंड पर अब फॉरेन इन्वेस्टमेंट फंड के घरेलू समकक्ष के समान दर से टैक्स लगाया जाता है, और एफआईएफ उसी विशेष टैक्स रेस्ट्रिक्शन लागू होता है। इसलिए, यदि कोई ऑस्ट्रेलियाई रेजिडेंट एफआईएफ से पैसा कमाता है, तो वे अपने इन्कम की कैलकुलेट करने के लिए ऑस्ट्रेलिया के मौजूदा टैक्स नियमों का उपयोग करेंगे।
उदाहरण के लिए, यदि आप ऑस्ट्रेलियाई नागरिक हैं और आपने किसी अमेरिकी ट्रस्ट में इन्वेस्ट किया है , तो आप ट्रस्ट फंड पर सामान्य ऑस्ट्रेलियाई टैक्सेशन नियम के तहत टैक्स फाइल करेंगे और इसका भुगतान करेंगे।
ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने एफआईएफ टैक्स के विशिष्ट अंगों को इसलिए बरकरार रखा था कि ऑस्ट्रेलियाई नागरिकों पर डबल टैक्सेशन नहीं लगे। डबल टैक्सेशन की अवधारणा के तहत इन्कम के एक ही स्रोत पर दो बार टैक्सों का भुगतान करना होता है, और यह कॉर्पोरेट तथा पर्सनल टैक्स दोनों मामलों में हो सकता है।
डबल टैक्सेशन कई स्थितियों में लागू होता है, जिनमें से अधिकांश प्लान्ड नहीं होते हैं। इंटरनेशनल कॉमर्स में, डबल टैक्सेशन तब होता है जब दो अलग-अलग सरकारें एक ही इन्कम पर टैक्स लगाती हैं, जो एफआईएफ टैक्स के दायरे में आने वाली इन्कम पर भी लागू होगा है।
ऑस्ट्रेलियाई सरकार का इरादा कुछ एफआईएफ टैक्स क़ानून को बरकरार रखना और अन्य को नियमित ऑस्ट्रेलियाई टैक्स कोड में शामिल कर टैक्स संबंधी खामियों को दूर करने और टैक्सेशन प्रणाली को एकीकृत करने का है। इससे यह तय होगा कि हर इन्कम पर समान दर से टैक्स लगे।
आज के इन्वेस्टर के लिए डायवर्सिफिकेशन से विभिन्न क्षेत्रों में फर्मों के आलावा कई तरह के इन्वेस्टमेंट करना आसान है। इसमें दुनिया के विभिन्न क्षेत्रों की सिक्योरिटी शामिल हैं। बेहतर पोर्टफोलियो बनाने के लिए, कई वेल्थ मैनेजमेंट गुरु एक तिहाई या इससे अधिक हिस्से का निवेश इंटरनेशनल फर्मों में करने का सुझाव देते हैं।
हालाँकि, यदि आपको यदि नहीं पाता हो कि फॉरेन सिक्योरिटीज़ पर कैसे टैक्स लगाया जाता है, तो इसका मतलब है कि आपको अपने पैसे का अधिकतम लाभ नहीं मिल रहा है। जब अमेरिकी नागरिक को फॉरेन मुख्यालय वाले कॉर्पोरेशन से स्टॉक या बांड से किसी भी इन्वेस्टमेंट इन्कम (इंटरेस्ट, डिविडेंड, और कैपिटल गेन्स) और कैपिटल गेन्स होती है तो उन्हें अमेरिकी इन्कम टैक्स क़ानून के तहत टैक्स भरना पड़ता है। मुख्य बात यह है कि कंपनी के गृह राष्ट्र की सरकार को भी इसका एक हिस्सा मिल सकता मिल सकता है।
हर देश के अपने विशिष्ट टैक्स नियम होते हैं, जो एक सरकार से लेकर दूसरे सरकार तक बदल सकते हैं। कई सरकारें कोई कैपिटल गेन्स टैक्स नहीं लगाती हैं या फॉरेन इन्वेस्टर्स को इसके भुगतान करने से बाहर रखती हैं। हालांकि, बहुत सी सरकारें लगाती हैं। उदाहरण के लिए, इटली में, नॉन-स्टॉक रेजिडेंट के सेल प्रॉफिट पर 26 प्रतिशत की दर से टैक्स लगाया जाता है। स्पेन में प्रॉफिट का 19 प्रतिशत टैक्स के रूप वसूला जाता है। आईआरएस में डिविडेंड और इंटरेस्ट आय पर अलग-अलग तरह के नियम हैं।
हालांकि इन्वेस्ट करने से पहले टैक्स दरों पर ठीक से विचार करना बेहतर है - खास तौर पर यदि आप पर्सनल स्टॉक और बांड खरीद रहे हों तो - आईआरएस डबल टैक्सेशन से बचाव का जरिया प्रदान करता है। आपने को भी "क्वालिफाइड फॉरेन टैक्सों" का भुगतान किया हो उनके टैक्स रिटर्न पर टैक्स क्रेडिट या कटौती का दावा कर सकते हैं। इनमें आय, डिविडेंड और इंटरेस्ट पर टैक्स शामिल हैं।
डिस्क्लेमर: इस ब्लॉग का उद्देश्य है जानकारी देना, न कि इन्वेस्टमेंट के लिए कोई सलाह/टिप्स देना और न ही किसी स्टॉक को खरीदने या बेचने की सिफारिश करना।
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